राजनीति
मध्यप्रदेश के संभावित मंत्रियों पर केंद्रीय नेतृत्व लगाएगा अंतिम मुहर
मध्यप्रदेश में शिवराज सिंह चौहान सरकार के दूसरे मंत्रिमंडल विस्तार के नामों पर चर्चा अंतिम दौर में है। भोपाल से दिल्ली तक नामों पर मंथन चल रहा है और संभावना इस बात की जताई जा रही है कि आने वाले एक-दो दिन में 25 से ज्यादा मंत्री शपथ लेंगे। संभावित नामों का फैसला राज्य और केंद्रीय नेतृत्व मिलकर करने वाला है। अंतिम मुहर दिल्ली में ही लगेगी।
राज्य में मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान को मुख्यमंत्री पद की शपथ लिए तीन माह से अधिक का वक्त गुजर गया है। वर्तमान में मंत्रिमंडल में चौहान के अलावा सिर्फ पांच और सदस्य हैं। मंत्रिमंडल में पर्याप्त मंत्री न होने के कारण एक तरफ जहां कामकाज प्रभावित हो रहा है, वही आमजन के बीच सरकार की उपस्थिति भी दर्ज नहीं हो पा रही है। बीते दो माह से मंत्रिमंडल के दूसरे विस्तार की कवायद जारी है मगर यह कोशिशें आकार नहीं ले पाई है।
भाजपा सूत्रों का कहना है की मंत्रिमंडल के दूसरे विस्तार में लगभग 25 मंत्रियों को शपथ दिलाई जा सकती है। इसमें नौ लोग वे होंगे जो ज्योतिरादित्य सिंधिया के साथ कांग्रेस छोड़कर भाजपा में आए हैं। भाजपा के 16 किन विधायकों को मंत्रिमंडल में जगह दी जाए, इसके लिए मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान प्रदेश संगठन के साथ कई दौर की चर्चा कर चुके हैं और अब चौहान प्रदेश अध्यक्ष विष्णु दत्त शर्मा व महामंत्री संगठन सुहास भगत के साथ दिल्ली के प्रवास पर है।
सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार चौहान दिल्ली प्रवास के दौरान पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा, गृह मंत्री अमित शाह और केंद्रीय मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर के साथ उनकी बैठक कर चुके हैं। संभावना है कि चौहान, प्रदेशाध्यक्ष व प्रदेश महामंत्री संगठन की राज्यसभा सदस्य ज्योतिरादित्य सिंधिया, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से भी मुलाकात हो सकती है।
राज्य में जल्दी ही मंत्रिमंडल विस्तार की संभावनाओं को राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने मध्य प्रदेश के राज्यपाल लालजी टंडन के अस्वस्थ होने पर उत्तर प्रदेश की राज्यपाल आनंदीबेन पटेल को अतिरिक्त प्रभार दिए जाने से बल मिल रहा है।
सूत्रों का कहना है कि पार्टी की कोशिश है कि मंगलवार या बुधवार को मंत्रियों को शपथ दिला दी जाए। जुलाई माह में विधानसभा का सत्र भी होने वाला है इसलिए मंत्रियों की न्यूतनम संख्या 12 होना जरुरी है।
राजनीतिक विश्लेषक शिव अनुराग पटेरिया का कहना है कि भाजपा के सामने राजनीतिक और संवैधानिक मजबूरी है । इसी के चलते जल्दी से जल्दी मंत्रिमंडल विस्तार होने वाला हैं। सिंधिया के समर्थकों को मंत्री नहीं बनाया जाता है तो राजनीतिक धोखे का संदेश जा सकता है, वहीं संवैधानिक तौर पर मंत्रिमंडल में न्यूनतम 12 सदस्यों का होना जरुरी है।
इन दोनों स्थितियों से बचने के लिए मंत्रिमंडल का विस्तार जरुरी हो गया है। वहीं इस विस्तार के चलते भाजपा के सामने चुनौतियां खड़ी होंगी इसे नकारा नहीं जा सकता। यही कारण है कि इससे बचने की भी भाजपा ने तैयारी कर ली है।
महाराष्ट्र
समाजवादी पार्टी के MLA रईस शेख ने उर्दू के प्रति BJP की दुश्मनी की आलोचना की

RAIS SHAIKH
मुंबई; राज्य में नगर पंचायत और म्युनिसिपल काउंसिल चुनाव का प्रचार अपने चरम पर है और BJP नेताओं ने अपने उम्मीदवारों के प्रचार के लिए उर्दू में बुकलेट छपवाई हैं। ‘भिवंडी ईस्ट’ से समाजवादी पार्टी के MLA रईस शेख ने BJP की उर्दू बुकलेट का स्वागत किया है। MLA शेख ने दावा किया कि BJP को देर से ही सही, यह एहसास हो गया है कि उर्दू किसी एक धर्म की भाषा नहीं है।
रायगढ़ जिले के ‘अरण’ से BJP MLA महेश बाल्दी के कार्यकर्ता म्युनिसिपल काउंसिल चुनाव के दौरान उर्दू में बुकलेट बांट रहे हैं। इस ओर इशारा करते हुए MLA रईस शेख ने कहा कि ‘एक तरफ वे धर्म के आधार पर मुसलमानों से नफरत करते हैं और जब उनके वोटों की जरूरत होती है, तो वे उर्दू भाषा का सहारा लेते हैं’, जो BJP की दोधारी तलवार है। राज्य के मत्स्य पालन और बंदरगाह मंत्री नीतीश राणे को BJP की उर्दू में प्रचार बुकलेट छपवाने पर अपनी भावनाएं जाहिर करनी चाहिए।
राज्य में एक उर्दू साहित्य अकादमी है। हालांकि, इस अकादमी को मुसलमानों के लिए काम करने वाली संस्था माना जाता है। उर्दू अकादमी की हालत ऐसी है कि न कोई फंड है, न कोई ऑफिस, न कोई स्टाफ। उर्दू भाषा के सेंटर, उर्दू स्कूल, उर्दू बोलने वाले टीचर, उर्दू घरों को फंड और जगह नहीं दी जा रही है। BJP सरकार ने पांच दशकों से चल रही उर्दू महीने की ‘लोक राज्य’ को बंद कर दिया है। MLA रईस शेख ने पूछा है कि उर्दू भाषा और मुसलमानों की इतनी दुश्मनी रखने वाली BJP को चुनाव के समय उर्दू मुस्लिम वोटों पर अफसोस क्यों होना चाहिए? उर्दू किसी धर्म की भाषा नहीं है। उर्दू बोलने वाले लेखकों और गीतकारों ने बॉलीवुड के विकास में बहुत योगदान दिया है। राज्य में 75 लाख उर्दू बोलने वाले हैं और राज्य में रोज़ाना 25 उर्दू अखबार छपते हैं। MLA रईस शेख ने BJP को सलाह दी है कि वह अपनी मतलबी राजनीति के लिए भाषा और धर्म के आधार पर नफरत फैलाने की अपनी साजिश पर रोक लगाए।
अपराध
वसई स्कूली छात्रा की मौत का मामला: 13 साल की बच्ची के लिए 100 स्क्वाट की सजा जानलेवा साबित होने पर शिक्षक गिरफ्तार

CRIME
वसई: वसई स्थित श्री हनुमंत विद्या मंदिर स्कूल में 13 वर्षीय छात्रा की मौत के मामले में शिक्षिका ममता यादव के खिलाफ गैर इरादतन हत्या का मामला दर्ज किया गया है। आरोप है कि शिक्षिका द्वारा दी गई सजा के कारण छात्रा की तबीयत बिगड़ गई और अंततः उसकी मौत हो गई। पुलिस ने मेडिकल रिपोर्ट मिलने के बाद मामला दर्ज कर बुधवार को शिक्षिका को गिरफ्तार कर लिया।
छात्रा काजल गौंड, वसई पूर्व के सातीवली स्थित श्री हनुमंत विद्या मंदिर स्कूल में छठी कक्षा में पढ़ती थी। 8 नवंबर को कुछ बच्चे स्कूल देर से पहुँचे। कक्षा शिक्षिका ममता यादव ने काजल समेत सभी बच्चों को स्कूल बैग कंधे पर लादकर 100 उठक-बैठक करने की सज़ा दी।
स्कूल से घर लौटने के बाद काजल की तबीयत बिगड़ गई। उसे इलाज के लिए अस्पताल में भर्ती कराया गया, लेकिन इलाज के दौरान उसकी मौत हो गई। इस घटना के गंभीर परिणाम हुए। मंगलवार को पुलिस को जेजे अस्पताल से पोस्टमार्टम रिपोर्ट मिली।
नतीजतन, वालिव पुलिस ने आखिरकार शिक्षिका ममता यादव पर भारतीय दंड संहिता की धारा 304 (गैर इरादतन हत्या) और किशोर न्याय (बालकों की देखभाल एवं संरक्षण) अधिनियम की धारा 75 के तहत मौत के लिए ज़िम्मेदार होने का मामला दर्ज किया। शिक्षिका को बुधवार शाम को गिरफ्तार कर लिया गया।
वालिव पुलिस स्टेशन के वरिष्ठ पुलिस निरीक्षक दिलीप घुगे ने बताया, “शुरुआत में इस मामले में आकस्मिक मौत का मामला दर्ज किया गया था। हालांकि, जांच और मेडिकल रिपोर्ट के आधार पर शिक्षिका के खिलाफ गैर इरादतन हत्या का मामला दर्ज किया गया है और उसे कल शाम गिरफ्तार कर लिया गया।”
राष्ट्रीय समाचार
महाराष्ट्र: वसई में 100 सिट-अप्स की सजा के बाद स्टूडेंट की मौत, एसआईटी जांच की मांग

HIGH COURT
मुंबई, 20 नवंबर: वसई की 13 साल की बच्ची काजल गौड़ की मौत ने पूरे महाराष्ट्र को हिलाकर रख दिया है। स्कूल में 10 मिनट देर से आने पर टीचर ने उसे 100 सिट-अप्स करने की सजा दी। इसके बाद उसकी तबीयत बिगड़ती गई और जेजे हॉस्पिटल में इलाज के दौरान उसकी मौत हो गई।
इस पूरे मामले में बॉम्बे हाई कोर्ट में एक पिटीशन दायर की गई है, जिसमें कोर्ट से खुद संज्ञान लेकर कार्रवाई करने की मांग की गई है।
यह पिटीशन वकील स्वप्ना प्रमोद कोडे ने चीफ जस्टिस चंद्रशेखर को संबोधित करते हुए फाइल की है। उन्होंने कोर्ट से अपील की है कि इस मामले की जांच तेजी से करवाई जाए, क्योंकि यह सिर्फ एक बच्ची की मौत का मामला नहीं, बल्कि एक इंसानी और संवैधानिक मुद्दा है।
पिटीशन में मांग की गई है कि एक स्पेशल इन्वेस्टिगेशन टीम बनाई जाए, जो स्कूल के गैरकानूनी कामकाज और इस मौत के पीछे की सभी परिस्थितियों की जांच करे। साथ ही स्कूल मैनेजमेंट और आरोपी टीचर के खिलाफ तुरंत एफआईआर दर्ज की जाए।
पिटीशन के मुताबिक, 8 नवंबर 2025 को क्लास 6 की स्टूडेंट काजल गौड़ को देर से आने पर 100 सिट-अप्स करने को कहा गया। काजल की हालत स्कूल से घर लौटने के बाद बिगड़ने लगी। उसे पहले वसई के एक अस्पताल में भर्ती कराया गया, फिर हालात खराब होने पर जेजे हॉस्पिटल ले जाया गया, जहां 14 नवंबर को उसकी मौत हो गई।
वालिव पुलिस ने अभी तक सिर्फ एक्सीडेंटल डेथ की रिपोर्ट दर्ज की है और एफआईआर दर्ज करने के लिए फॉरेंसिक रिपोर्ट के नतीजों का इंतजार कर रही है।
वहीं, स्कूल की तरफ से दावा किया गया कि उन्हें काजल की खराब सेहत के बारे में पता था और उन्होंने उसके माता-पिता से मेडिकल मदद लेने को कहा था, लेकिन सजा देने वाली टीचर ममता यादव को पता नहीं था कि काजल सजा पाने वाले बच्चों के समूह में है। प्रिंसिपल का कहना है कि टीचर उसे पहचान नहीं पाई क्योंकि उसकी हाइट छोटी थी, हालांकि जांच पूरी होने तक टीचर को सस्पेंड कर दिया गया है।
पिटीशन में बताया गया है कि हर नागरिक को जीवन और गरिमा से जीने का हक है। किसी भी इंसान की जान कानून के बिना नहीं ली जा सकती। यहां एक नाबालिग बच्ची को ऐसी सजा दी गई जो उसकी जान ले बैठी। यह न्याय के सिद्धांतों के खिलाफ है और एक बड़े अपराध की ओर इशारा करता है।
वकील स्वप्ना कोडे ने कोर्ट से मांग की है कि एसआईटी गठित की जाए जो पूरी घटना की तेजी से जांच करे और स्कूल प्रबंधन व आरोपी टीचर के खिलाफ मामला दर्ज करे। स्कूल के अवैध संचालन की जांच हो और जरूरत पड़े तो उसकी मान्यता रद्द कर दी जाए। पूरे राज्य में शारीरिक सजा पर रोक लगाने के लिए निर्देश जारी किए जाएं। काजल के भाई समेत प्रभावित स्टूडेंट्स की पढ़ाई का भविष्य सुरक्षित किया जाए।
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