राष्ट्रीय समाचार
इजरायल-हमास के बीच सीजफायर से जेम और ज्वेलरी एक्सपोर्ट्स बढ़ेगा: जीजेईपीसी

नई दिल्ली, 17 जनवरी। इजरायल और हमास के बीच सीजफायर होने से आने वाले महीनों में जेम्स और ज्वेलरी का निर्यात बढ़ सकता है। यह जानकारी जेम्स और ज्वेलरी एक्सपोर्ट प्रमोशन काउंसिल (जीजेईपीसी) ने शुक्रवार को दी।
जीजेईपीसी के आंकड़ों अनुसरा, दिसंबर में जेम्स और ज्वेलरी का कुल सकल निर्यात 1967.98 मिलियन डॉलर (16,719 करोड़ रुपये) रहा, जो भू-राजनीतिक स्थितियों के बीच आर्थिक अनिश्चितता के कारण पिछले वर्ष के इसी महीने से कम है, क्योंकि खरीदारों ने लाइफस्टाइल पर पैसा खर्च करने के बजाय निवेश के लिए सुरक्षित माने जाने वाले गोल्ड की ओर अधिक झुकाव दिखाया।
काउंसिल ने कहा कि इजरायल और हमास के बीच युद्ध विराम और समझौते की उम्मीदों को देखते हुए, निर्यात धीरे-धीरे गति पकड़ने लगेगा।
दिसंबर में जेम्स और ज्वेलरी का कुल आयात 1526.95 मिलियन डॉलर (12,992.3 करोड़ रुपये) रहा, जो पिछले वर्ष की समान अवधि की तुलना में 27.23 प्रतिशत कम है।
रिपोर्ट में कहा गया कि खरीदारों के व्यवहार में बदलाव आ रहा है क्योंकि युवा पीढ़ी और जेनरेशन जेड रोजाना पहनने के लिए कीमती धातुओं से बने हल्की आभूषणों को ज़्यादा पसंद कर रहे हैं। 2025 में इस प्रवृत्ति में काफी तेजी देखने को मिलेगी, जिससे घरेलू मांग में छछाल आएगा।
कामा ज्वेलरी के एमडी कॉलिन शाह के अनुसार, भू-राजनीतिक तनाव व्यापार गतिविधियों के लिए एक प्रमुख बाधा के रूप में कार्य कर रहा है।
उन्होंने कहा,”हालांकि, इजरायल और हमास के बीच सीजफायर समझौता पूरी दुनिया के लिए एक बड़ी राहत के रूप में आया है, जो दोनों देशों के बीच युद्धविराम का मार्ग प्रशस्त करेगा। हमें आने वाले महीनों में व्यापार गतिविधियों में धीरे-धीरे सुधार देखने की उम्मीद है।”
कट और पॉलिश किए गए हीरों के कुल सकल आयात में 64.1 प्रतिशत की गिरावट देखी गई, जो दिसंबर 2024 में पिछले वर्ष की इसी अवधि के 254.18 मिलियन डॉलर की तुलना में 91.26 मिलियन डॉलर रहा।
दिसंबर 2024 में गोल्ड की ज्वेलरी का कुल सकल निर्यात 868.03 मिलियन डॉलर रहा।
रिपोर्ट में बताया गया है कि शादी और छुट्टियों का मौसम खत्म होने वाला है, इसलिए मांग में कमी आ रही है।
अनन्य
पश्चिम रेलवे आरपीएफ, जीआरपी ने मीरा रोड स्टेशन पर महिला क्लर्क के साथ दुर्व्यवहार करने के आरोपी को पकड़ा

मुंबई: भयंदर स्थित पश्चिम रेलवे की आरपीएफ टीम ने वसई रोड स्थित राजकीय रेलवे पुलिस (जीआरपी) टीम के साथ मिलकर हाल ही में मीरा रोड रेलवे स्टेशन पर एक महिला वाणिज्यिक बुकिंग क्लर्क के साथ दुर्व्यवहार करने वाले एक आरोपी का पता लगाया और उसे पकड़ लिया।
पश्चिम रेलवे के अनुसार, भयंदर चौकी की आरपीएफ टीम और वसई रोड जीआरपी ने मिलकर बदमाश की तलाश में एक संयुक्त अभियान चलाया। आरोपी की पहचान मीरा रोड (पूर्व) निवासी 48 वर्षीय अशलम अनवर खान के रूप में हुई है।
पूछताछ के दौरान आरोपी ने घटना में अपनी संलिप्तता स्वीकार कर ली। इसके बाद, जीआरपी/वसई रोड के पुलिस निरीक्षक ने आगे की कानूनी कार्रवाई करते हुए उसे 10 सितंबर, 2025 को भारतीय न्याय संहिता (बीएनएस) की संबंधित धाराओं के तहत गिरफ्तार कर लिया।
आरपीएफ भयंदर और जीआरपी वसई रोड द्वारा की गई यह त्वरित और समन्वित कार्रवाई, न केवल यात्रियों, बल्कि कर्मचारियों की सुरक्षा, संरक्षा और सम्मान सुनिश्चित करने के प्रति पश्चिम रेलवे की अटूट प्रतिबद्धता को दर्शाती है।
राजनीति
शिवसेना ने संजय राउत पर लगाया अराजकता फैलाने का आरोप, मुंबई पुलिस से की कार्रवाई की मांग

मुंबई, 12 सितंबर। नेपाल में फैली हिंसा पर शिवसेना (यूबीटी) नेता संजय राउत की ओर से की जा रही बयानबाजी पर शिवसेना आक्रामक हो गई है। पार्टी प्रतिनिधिमंडल ने शुक्रवार को मुंबई पुलिस कमिश्नर से मुलाकात कर राउत के खिलाफ कार्रवाई की मांग की।
शिवसेना ने विशेष रूप से संजय राउत के उन बयानों और सोशल मीडिया पोस्ट्स पर आपत्ति जताई, जिनमें नेपाल की घटनाओं को भारत से जोड़कर दिखाया गया और यह संकेत दिया गया कि यहां भी ऐसी ही अराजकता फैल सकती है। प्रतिनिधिमंडल ने अपने शिकायत-पत्र में कहा किराउतत ने नेपाल में हुई हिंसा के फुटेज प्रसारित कर और यह कहकर कि भारत में भी इसी प्रकार की स्थिति बन सकती है, स्पष्ट रूप से देश में अराजकता फैलाने के इरादे जाहिर किए हैं।
डेलीगेशन का कहना है कि सोशल मीडिया पर उनके द्वारा किया गया पोस्ट भड़काऊ तो है ही, एक तरह से प्रधानमंत्री के लिए धमकी भी है।
शिवसेना ने मुंबई पुलिस कमिश्नर के नाम पत्र में लिखा, “नेपाल में हुई हिंसा के फुटेज प्रसारित करके और यह कहकर कि भारत में भी ऐसी ही स्थिति उत्पन्न हो सकती है, संजय राउत ने देश में अराजकता फैलाने के अपने इरादे स्पष्ट कर दिए हैं। सोशल मीडिया पर उनके द्वारा किया गया पोस्ट भड़काऊ तो है ही, एक तरह से प्रधानमंत्री के लिए धमकी भी है। चूंकि हम इस बात को लेकर आश्वस्त हो चुके हैं कि लोकतांत्रिक तरीकों से राजनीति में टिकना संभव नहीं है, इसलिए अब देश में अशांति और अराजकता फैलाने के कई लोगों के राष्ट्र-विरोधी इरादे बार-बार सामने आ रहे हैं।”
“लोकतंत्र के सभी स्तंभों, यानी चुनाव आयोग, न्यायपालिका, प्रशासन और मीडिया, पर अविश्वास जताकर अराजकता फैलाने के इरादे पहले भी उजागर हो चुके हैं। शहरी नक्सली प्रवृत्तियां भी अक्सर सिर उठाने की कोशिश करती रहती हैं। राजनीतिक लाभ के लिए की जा रही राष्ट्र-विरोधी गतिविधियां कभी सफल नहीं होंगी। देश की जनता ऐसी प्रवृत्तियों को बर्दाश्त नहीं करेगी। लेकिन साथ ही, ऐसी राष्ट्र-विरोधी और समाज-विरोधी प्रवृत्तियों को नजरअंदाज करना भी उचित नहीं है। हिंसा का समर्थन करने वालों और भारत में भी ऐसी ही हिंसा फैलाने की धमकी देने वालों के खिलाफ कार्रवाई की जानी चाहिए।”
शिवसेना ने पत्र में आगे कहा, “यह अनुरोध है कि हिंसा का समर्थन करने और नेपाल जैसी अराजकता फैलाने की धमकी देने वाले संजय राउत के खिलाफ कार्रवाई की जाए।”
इस मौके पर शिवसेना सांसद मिलिंद देवड़ा, शिवसेना सचिव संजय मोरे, विधायक तुकाराम काटे, शिवसेना प्रवक्ता संजय निरुपम, शिवसेना प्रवक्ता शीतलताई म्हात्रे समेत कई अन्य नेता मौजूद रहे।
अपराध
दिल्ली दंगा मामला : सुप्रीम कोर्ट में शरजील इमाम और अन्य की जमानत याचिका पर सुनवाई टली

SUPRIM COURT
नई दिल्ली, 12 सितंबर। सुप्रीम कोर्ट में शुक्रवार को 2020 के दिल्ली दंगों से संबंधित मामले में आरोपी शरजील इमाम, उमर खालिद, मीरान हैदर और गुलफिशा फातिमा की जमानत याचिका पर सुनवाई टल गई है। अब इस मामले की अगली सुनवाई 19 सितंबर को होगी।
चारों आरोपियों ने दिल्ली हाई कोर्ट के आदेश को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी है। इन सभी पर 2020 के दंगों के मुख्य षड्यंत्रकारी होने के आरोप में गैरकानूनी गतिविधियां रोकथाम अधिनियम (यूएपीए) और भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) के प्रावधानों के तहत मामला दर्ज किया गया था।
जस्टिस अरविंद कुमार और जस्टिस एनवी अंजारिया की पीठ शरजील इमाम, उमर खालिद और गुलफिशा फातिमा की याचिकाओं पर सुनवाई कर रही है।
नागरिकता संशोधन अधिनियम (सीएए) के खिलाफ व्यापक विरोध प्रदर्शनों की पृष्ठभूमि में भड़के 2020 के दिल्ली दंगों में 50 से ज्यादा लोगों की मौत हो गई थी और सैकड़ों लोग घायल हो गए थे।
दिल्ली पुलिस ने आरोप लगाया था कि यह हिंसा एक पूर्व-नियोजित साजिश थी, जिसे सीएए के खिलाफ जारी विरोध-प्रदर्शन के दौरान अंजाम दिया गया था।
जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय (जेएनयू) के पूर्व छात्र शरजील इमाम को 28 जनवरी, 2020 को बिहार के जहानाबाद से जामिया मिलिया इस्लामिया और अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय में कथित तौर पर भड़काऊ भाषण देने के आरोप में गिरफ्तार किया गया था।
जेएनयू के पूर्व छात्र उमर खालिद ने भी यूएपीए मामले में दिल्ली उच्च न्यायालय द्वारा उनकी जमानत याचिका खारिज किए जाने के बाद 10 सितंबर को सर्वोच्च न्यायालय का रुख किया था। गुलफिशा फातिमा और मीरान हैदर भी यूएपीए के तहत इसी तरह के आरोपों का सामना कर रहे हैं।
आरोपों की प्रकृति और अभियुक्तों की लंबी कैद के कारण इस मामले ने राष्ट्रीय स्तर पर ध्यान आकर्षित किया है।
गुलफिशा फातिमा नागरिकता संशोधन कानून (सीएए) के खिलाफ हुए प्रदर्शनों की एक प्रमुख आयोजक मानी जाती हैं। उसे 9 अप्रैल 2020 को गिरफ्तार किया गया था और तब से वह यूएपीए (गैरकानूनी गतिविधि रोकथाम अधिनियम) के तहत जेल में बंद है। और बाद में दंगों में उसकी कथित भूमिका के लिए यूएपीए के तहत मामला दर्ज किया गया था।
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