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Friday,30-May-2025
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कैट का ‘ई-कॉमर्स शुद्धिकरण’ अभियान सोमवार से, आक्रामक रूप देने की तैयारी

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देश में तेजी से बढ़ते ई-कॉमर्स व्यापार और ऑनलाइन शॉपिंग के खिलाफ कन्फेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया ट्रेडर्स (कैट) ने 14 जून से 21 जून तक देशभर में ‘ई कॉमर्स शुद्धिकरण अभियान’ चलाने की घोषणा की है। देश के सभी राज्यों के व्यापारी संगठनों ने इसे व़क्त की जरूरत बताते हुए इस अभियान को देशभर में आक्रामक रूप से चलाने का निर्णय लिया है। कैट के अनुसार, पिछले 5 वर्षों से अधिक समय से जिस प्रकार अमेजन, वालमार्ट के स्वामित्व वाली कंपनी फ्लिपकार्ट एवं विदेशी फंडिंग से चलने वाली अन्य कई ई-कॉमर्स कंपनियों ने अपने निजी स्वार्थों और भारत के ई-कॉमर्स ही नहीं, बल्कि रिटेल व्यापार पर कब्जा जमाने के फेर में देश के ई-कॉमर्स व्यापार को विषाक्त कर दिया है।

कैट के राष्ट्रीय महामंत्री प्रवीन खंडेलवाल ने कहा, “ई-कॉमर्स शुद्धिकरण अभियान के दौरान देशभर में व्यापारी संगठन आगामी 16 जून को देश के सभी राज्यों के विभिन्न जिलों में जिला कलेक्टर को प्रधानमंत्री के नाम एक ज्ञापन देंगे, वहीं दूसरी ओर इस सप्ताह में राज्यों के मुख्यमंत्रियों एवं वित्त मंत्रियों को व्यापारी प्रतिनिधिमंडल मिलेंगे तथा एक ज्ञापन देकर राज्यों में ई कॉमर्स के जरिये होने वाले व्यापार पर एक निगरानी तंत्र का गठन करने की मांग करेंगे।

इसी के साथ देश भर के व्यापारी संगठन प्रधानमंत्री मोदी और वाणिज्य मंत्री पीयूष गोयल को ई मेल के जरिये ज्ञापन भेज कर सीसीआई द्वारा अमेजन एवं फ्लिपकार्ट के व्यापारिक ढांचे की तुरंत जांच किए जाने तथा केंद्रीय स्तर पर एक निगरानी तंत्र का गठन करने का आग्रह करेंगे।

कैट के मुताबिक, भारत में पिछले एक वर्ष में ई-कॉमर्स व्यापार में 36 प्रतिशत की वृद्धि हुई है, जिसमें विशेष तौर पर पर्सनल केयर, ब्यूटी एवं वेलनेस व्यापार, किराना, एफएमसीजी उत्पाद में 70 प्रतिशत तथा इलेक्ट्रॉनिक्स में 27 प्रतिशत से ज्यादा वृद्धि दर्ज की गई। इसमें टियर 2 एवं टियर 3 शहरों में वर्ष 2019 में 32 प्रतिशत से बढ़कर वर्ष 2020 में 46 प्रतिशत हो गई है।

व्यापार

हरे निशान में खुला भारतीय शेयर बाजार, सेंसेक्स 81,500 स्तर से ऊपर

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मुंबई, 29 मई। सकारात्मक वैश्विक संकेतों के बीच गुरुवार को भारतीय बेंचमार्क सूचकांक हरे निशान में खुले। शुरुआती कारोबार में आईटी और मेटल सेक्टर में खरीदारी देखी गई।

सुबह करीब 9.29 बजे, सेंसेक्स 237.56 अंक या 0.29 प्रतिशत बढ़कर 81,549.88 पर कारोबार कर रहा था, जबकि निफ्टी 57.00 अंक या 0.23 प्रतिशत बढ़कर 24,809.45 पर था

निफ्टी बैंक 86.95 अंक या 0.16 प्रतिशत बढ़कर 55,503.95 पर था। निफ्टी मिडकैप 100 इंडेक्स 105.80 अंक या 0.19 प्रतिशत बढ़कर 57,247.20 पर कारोबार कर रहा था। निफ्टी स्मॉलकैप 100 इंडेक्स 85.20 अंक या 0.48 प्रतिशत की बढ़त के साथ 17,869.20 पर था।

विश्लेषकों के अनुसार, निफ्टी में लगातार दूसरे दिन गिरावट दर्ज की गई और फिर भी इंडिया विक्स में भी गिरावट रही। यह नीचे की ओर सुरक्षा के लिए मांग की कमी को दर्शाता है, जिसे लोग तब नहीं देखते जब लोग बियरिश होते हैं।

एक्सिस सिक्योरिटीज के शोध प्रमुख अक्षय चिंचलकर ने कहा, “हम 24,462 को महत्वपूर्ण स्तर मानते हैं, जो यह तय करेगा कि यह निकट अवधि में गिरावट है या और गहरी गिरावट की शुरुआत है। वर्तमान में, हम इससे ऊपर बने हुए हैं इसलिए हमारा मानना ​​है कि यह अभी भी खरीदारों का बाजार है।”

इस बीच, सेंसेक्स पैक में इंफोसिस, टाटा स्टील, टेक महिंद्रा, सन फार्मा, एचसीएल टेक, टाटा मोटर्स, एचडीएफसी बैंक, पावर ग्रिड, टीसीएस और एलएंडटी टॉप गेनर्स थे। जबकि, केवल बजाज फाइनेंस टॉप लूजर था।

एशियाई बाजारों में हांगकांग, बैंकॉक, सोल, चीन और जापान हरे निशान में कारोबार कर रहे थे। जबकि केवल जकार्ता लाल निशान में कारोबार कर रहा था।

अमेरिकी बाजारों में पिछले कारोबारी सत्र में, डॉव जोन्स 244.95 अंक या 0.58 प्रतिशत की गिरावट के साथ 42,098.70 पर बंद हुआ। एसएंडपी 500 इंडेक्स 32.99 अंक या 0.56 प्रतिशत की गिरावट के साथ 5,888.55 पर बंद हुआ और नैस्डैक 98.23 अंक या 0.51 प्रतिशत की गिरावट के साथ 19,100.94 पर बंद हुआ।

अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की टैरिफ संबंधी खबरों का बाजारों पर असर जारी है।

जियोजित इन्वेस्टमेंट लिमिटेड के मुख्य निवेश रणनीतिकार डॉ. वीके विजयकुमार ने कहा, “अमेरिकी संघीय अदालत का रेसिप्रोकल टैरिफ को खारिज करना एक स्पष्ट संदेश है कि राष्ट्रपति अपने फैसलों से बाजारों और अर्थव्यवस्था को प्रभावित नहीं कर सकते।”

संस्थागत मोर्चे पर, विदेशी संस्थागत निवेशक (एफआईआई) शुद्ध खरीदार रहे और उन्होंने 28 मई को 4,662.92 करोड़ रुपए के शेयर खरीदे, जबकि घरेलू संस्थागत निवेशकों (डीआईआई) ने 7,911.99 करोड़ रुपए के शेयर खरीदे।

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अंतरराष्ट्रीय

‘आग से खेल रहे हैं पुतिन’, रूस-यूक्रेन युद्ध के बीच ट्रंप ने फिर दी चेतावनी

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वाशिंगटन, 28 मई। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन को चेतावनी दी है कि वह रूस-यूक्रेन युद्ध में ‘आग से खेल रहे’ हैं। रूस-यूक्रेन के बीच चल रहे युद्ध के जल्द खत्म होने के कोई संकेत नहीं दिख रहे।

ट्रंप ने मंगलवार को अपने ट्रुथ सोशल पोस्ट में लिखा, “व्लादिमीर पुतिन को यह एहसास नहीं है कि अगर मैं नहीं होता, तो रूस के साथ बहुत बुरी चीजें पहले ही हो चुकी होती और सचमुच मेरा मतलब यह है कि बहुत बुरी चीजें। वह आग से खेल रहे हैं।”

सिन्हुआ समाचार एजेंसी की रिपोर्ट के अनुसार, ट्रंप ने रविवार को पुतिन और यूक्रेनी राष्ट्रपति वोलोडिमिर जेलेंस्की दोनों पर तीखी टिप्पणियां की थीं।

ट्रंप ने न्यू जर्सी के मॉरिसटाउन से वाशिंगटन लौटने के लिए एयर फोर्स वन में चढ़ने से पहले पत्रकारों से कहा, “मैं पुतिन के कामों से खुश नहीं हूं।”

उन्होंने कहा, “मुझे नहीं पता कि पुतिन को आखिर क्या हो गया है।”

हालांकि, रविवार शाम को ट्रंप ने ट्रुथ सोशल पर पोस्ट किया कि पुतिन “पूरी तरह पागल हो गए हैं।”

इसके बाद उन्होंने जेलेंस्की पर भी टिप्पणी की और कहा कि वह अपने देश का “कोई भला नहीं कर रहे” क्योंकि वह जिस तरह बात कर रहे हैं, वह ठीक नहीं है। यह टिप्पणी जेलेंस्की के रविवार को रूस के हालिया हमलों पर अमेरिका की चुप्पी की आलोचना करने वाले बयानों के जवाब में थी।

ट्रंप प्रशासन ने हाल के महीनों में चेतावनी दी है कि वह रूस और यूक्रेन के बीच युद्धविराम के लिए चल रही निराशाजनक बातचीत से पीछे हट सकता है।

ट्रंप की बढ़ती आलोचना के जवाब में रूसी सुरक्षा परिषद के उपाध्यक्ष दिमित्री मेदवेदेव ने मंगलवार को एक सोशल मीडिया पोस्ट में लिखा, “ट्रंप के पुतिन के ‘आग से खेलने’ और रूस के साथ ‘वास्तव में बुरी चीजें’ होने के बयान के बारे में, मुझे केवल एक वास्तव में बुरी चीज की जानकारी है- तीसरा विश्व युद्ध। मुझे उम्मीद है कि ट्रंप इसे समझते हैं।”

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अंतरराष्ट्रीय

हार्वर्ड ने अंतर्राष्ट्रीय छात्रों पर प्रतिबंध को लेकर ट्रंप प्रशासन पर दायर किया मुकदमा

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वाशिंगटन, 24 मई। हार्वर्ड विश्वविद्यालय ने अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के प्रशासन पर दूसरी बार मुकदमा दायर किया है। यह मुकदमा ऐसे समय में किया गया है जब एक दिन पहले ही गृह सुरक्षा विभाग ने कहा था कि वह प्रतिष्ठित विश्वविद्यालय को अंतर्राष्ट्रीय छात्रों के नामांकन से रोक देगा।

हार्वर्ड विश्वविद्यालय के अध्यक्ष एलन गार्बर ने शुक्रवार को हार्वर्ड समुदाय के सदस्यों को लिखे एक पत्र में कहा, ‘यह निरस्तीकरण हार्वर्ड के खिलाफ हमारे द्वारा अपनी अकादमिक स्वतंत्रता को त्यागने से इनकार करने तथा हमारे पाठ्यक्रम, हमारे संकाय और हमारे छात्र निकाय पर संघीय सरकार के अवैध नियंत्रण के आगे झुकने के लिए सरकार की जवाबी कार्रवाई की श्रृंखला को आगे बढ़ाता है।”

गार्बर ने कहा, “हम इस गैरकानूनी और अनुचित कार्रवाई की निंदा करते हैं। यह हार्वर्ड के हजारों छात्रों और विद्वानों के भविष्य को खतरे में डालता है और देश भर के कॉलेजों और विश्वविद्यालयों में पढ़ने वाले उन अनगिनत लोगों के लिए चेतावनी है जो अपनी शिक्षा प्राप्त करने और अपने सपने पूरे करने के लिए अमेरिका आए हैं।”

हार्वर्ड के अध्यक्ष ने कहा कि विश्वविद्यालय ने अभी शिकायत दर्ज की है और एक अस्थायी निरोधक आदेश के लिए प्रस्ताव भी दायर किया जाएगा। उन्होंने कहा, “जब हम कानूनी उपायों की तलाश करेंगे, तो हम अपने छात्रों और विद्वानों का समर्थन करने के लिए अपनी पूरी शक्ति से काम करेंगे।”

समाचार एजेंसी सिन्हुआ के अनुसार अमेरिकी गृह सुरक्षा सचिव क्रिस्टी नोएम ने गुरुवार को इस निर्णय की घोषणा की।

नोएम ने एक बयान में कहा, “इसे देश भर के सभी विश्वविद्यालयों और शैक्षणिक संस्थानों के लिए एक चेतावनी के रूप में लिया जाना चाहिए। अंतर्राष्ट्रीय छात्रों को नामांकित करना एक विशेषाधिकार है अधिकार नहीं और हार्वर्ड द्वारा संघीय कानून का पालन करने में बार-बार विफल रहने के कारण यह विशेषाधिकार रद्द कर दिया गया है।”

सचिव ने कहा कि भावी अंतर्राष्ट्रीय छात्रों के नामांकन पर रोक लगाने के अलावा, “मौजूदा विदेशी छात्रों को स्थानांतरित होना होगा, अन्यथा उन्हें अपना कानूनी दर्जा खोना होगा।”

11 अप्रैल को ट्रंप प्रशासन के अधिकारियों ने हार्वर्ड को एक पत्र भेजा, जिसमें मांग की गई कि विश्वविद्यालय सार्थक प्रशासनिक सुधार और पुनर्गठन करे।

प्रशासन की मुख्य मांगों में परिसर में यहूदी विरोधी भावना को समाप्त करना तथा कुछ अल्पसंख्यक समूहों को लाभ पहुंचाने वाली विविधता पहलों को समाप्त करना शामिल है।

14 अप्रैल को हार्वर्ड विश्वविद्यालय ने अपने प्रशासन, नियुक्ति और प्रवेश प्रक्रियाओं में व्यापक परिवर्तन करने की ट्रंप प्रशासन की मांग को अस्वीकार कर दिया।

इसके कुछ ही घंटों बाद, ट्रंप प्रशासन ने विश्वविद्यालय को दिए जाने वाले 2.2 बिलियन अमेरिकी डॉलर के बहु-वर्षीय अनुदान और 60 मिलियन अमेरिकी डॉलर के बहु-वर्षीय अनुबंध मूल्य पर रोक लगाने की घोषणा की।

16 अप्रैल को नोएम ने मांग की कि हार्वर्ड विश्वविद्यालय 30 अप्रैल तक विदेशी छात्र वीजा धारकों की अवैध और हिंसक गतिविधियों के बारे में जानकारी साझा करे, अन्यथा उसे अंतर्राष्ट्रीय छात्रों को दाखिला देने का अधिकार खोने का जोखिम उठाना पड़ेगा।

21 अप्रैल को हार्वर्ड विश्वविद्यालय ने कहा कि उसने ट्रंप प्रशासन के वित्त पोषण पर रोक के खिलाफ संघीय मुकदमा दायर किया है, तथा इस कार्रवाई को गैरकानूनी और सरकार के अधिकार क्षेत्र से बाहर बताया है।

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