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Tuesday,20-May-2025
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राजनीति

यूपी विधानसभा चुनाव में संग्राम का जरिया बनी ‘टोपियां’

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उत्तर प्रदेश 2022 के विधानसभा चुनाव से पहले एक बार फिर लाल टोपी सुर्खियों में आ गयी है। सियासत में जहां इसे लेकर विपक्षी दलो पर हमले हो रहे हैं। वहीं विपक्षी इसे अपनी उम्मींद का किरण मान रहे हैं। बहरहाल कुछ भी हो लेकिन यूपी चुनाव में लाल टोपी संग्राम का जरिया बन गयी है।

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के गोरखपुर रैली में टोपी पर दिए गये बयान ने विवाद पैदा कर दिया है। हलांकि राजनीति में प्रतीकों का अपना एक अलग महत्व होता है। झण्डा, बैनर, पोस्टर, मुखौटा वेशभूषा के साहरे राजनीतिक दल वार-पलटवार करते रहते हैं।

लाल टोपी को लेकर संग्राम की शुरूआत यूपी विधानसभा से हुई। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ राज्यपाल के अभिभाषण पर बोल रहे थे तभी लाल टोपी पहने समाजवादी पार्टी के कुछ विधायकों ने टोका टाकी शुरू की। इस पर योगी ने चुटकी लेते हुए कहा कोई लाल टोपी कोई हरी टोपी। पता नहीं ये क्या परिपाटी बन गई है? पता नहीं ये लोग घर पर भी टोपी पहन कर रहते हैं। फिर उन्होंने एक कहानी सुनाई। कहा कि एक कार्यक्रम में था, टोपी पहनकर आने वाले को ढाई साल के बच्चे ने कहा मम्मी-मम्मी ये देखो गुंडा। इस पर विधायकों ने खूब हल्ला भी किया था।

राजनीतिक विश्लेषकों की मानें तो प्रधानमंत्री ने जानबूझकर यह बात बोली है। जिससे विपक्षी उन पर हमले करने को मजबूर हो जाएं। मोदी हिन्दुत्व विकास और विश्वास को एक साथ साधते हुए पूरी सियासत का रूख अपनी ओर करने की झलक दिखायी हैं। राजनीतिक विश्लेषक प्रसून पांडेय कहते हैं कि टोपियों के जरिए अपने-अपने वोटरों को साधने का एक अवसर है। सभी लोग अपने-अपने एजेंडे को धार देने में लगे हुए है।

सपा मुखिया अखिलेश यादव ने इस पर पलटवार भी किया है। वह अगले दिन संसद भवन में पार्टी के सभी सांसदों के साथ लाल टोपी में भी पहुंचे थे। लाल टोपी पर छिड़े जंग के बाद अखिलेश यादव ने ट्विटर और फेसबुक पर अपनी प्रोफाइल फोटो बदल ली है। उन्होंने लाल टोपी वाली अपनी तस्वीर लगा ली है। उनके ऐसा करते ही सपा के बांकी नेता और समर्थकों में भी होड़ मच गई है। सब अपनी पुरानी तस्वीर बदल कर लाल टोपी वाली फोटो लगाने लगे हैं।

अखिलेश यादव जब भी किसी कार्यक्रम या रैली में जाते हैं तो लाल टोपी जरूर पहनते हैं। कई बार तो वे अपने साथ दो तीन ऐसी टोपियां रखते हैं। उनकी देखा देखी अब पार्टी के बाकी नेता और कार्यकर्ता भी ऐसा ही करने लगे हैं। मुख्यमंत्री बनने से पहले अखिलेश टोपी नहीं पहनते थे, लेकिन पिता मुलायम सिंह यादव के कहने पर उन्होंने इसे नियमित रूप से पहनना शुरू किया। मुलायम अक्सर कार्यक्रमों में लाल टोपी में देखे जाते हैं।

भाजपा और सपा की चल रहे टोपी संग्राम में आम आदमी पार्टी भी कूद गयी। राज्यसभा सांसद और यूपी प्रभारी संजय सिंह ने काली टोपी को लेकर प्रधानमंत्री मोदी पर निशाना साधा है। संजय सिंह ने प्रधानमंत्री मोदी की एक पुरानी तस्वीर ट्वीट कर लिखा है, मोदी जी काली टोपी वालों का दिल और दिमाग दोनो काला होता है।

कई दशकों से यूपी की राजनीति पर गहरी नजर रखने वाले वरिष्ठ राजनीतिक विष्लेषक रतनमणि लाल ने बताया, “आज कल के दौर में बहुत कम राजनीतिक दल के लोगों को किसी उनके प्रतीक से पहचाना जा सके। भाजपा को भगवा कहते हैं लेकिन हर नेता भगवा कपड़े का इस्तेमाल तो करते नहीं है। बसपा के लिए नीला रंग कहते हैं। लेकिन मायावती ने कभी नीला कपड़ा नहीं दिखा है। सपा पर हरे रंग का आरोप ज्यादा लगा। जबकि कांग्रेस सफेद रंग में चलती है। ऐसे में टोपी को सपा ने पहचान बनाने की कोशिश की है। सपा मुखिया ने इसे अब पार्टी के नेताओं और कार्यकर्ताओं का पहचान पत्र बना दिया है। इससे बिना नाम लिए ही इस पर तंज हो सकता है। भाजपा ने इसे जनमानस में संदेश देने का प्रयास किया है कि लाल टोपी यानि सपा के लोगों से बच के रहना है। हो सकता है आगे चलकर सपा का नाम न लिया जाए। सपा का अपरोक्ष रूप से फायदा होगा। सपा के अब ज्यादा लोग लाल टोपी पहनेंगे। बैठे-बैठाएं उनको पहचान मिल गयी है। भाजपा ने इंगित किया था। लेकिन सपा के लिए मुफ्त प्रचार का माध्यम बन गयी है।”

अपराध

दहिसर पश्चिम में 2 परिवारों के बीच हिंसक झड़प में 3 की मौत

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मुंबई: रविवार को दहिसर पश्चिम में दो परिवारों के बीच झगड़े के दौरान तीन लोगों की कथित तौर पर हत्या कर दी गई। मृतकों की पहचान हामिद शेख (49), राम गुप्ता (50) और अरविंद गुप्ता (23) के रूप में हुई है। घटना दहिसर पश्चिम के गणपत पाटिल नगर में हुई। शेख और गुप्ता परिवार एक ही इलाके में रहते हैं और उनके बीच छोटी-छोटी बातों को लेकर लंबे समय से विवाद चल रहा है। रविवार को एक बार फिर दोनों परिवारों के बीच हथियारों से मारपीट हुई, जिसके परिणामस्वरूप तीन लोगों की मौत हो गई।

एमएचबी पुलिस क्रॉस-मर्डर केस दर्ज करने की प्रक्रिया में है। मुख्य आरोपी को अभी तक गिरफ्तार नहीं किया गया है, क्योंकि वह फिलहाल घायल है।

पुलिस के मुताबिक, गणपत पाटिल नगर एक झुग्गी बस्ती है, जहां शेख और गुप्ता दोनों परिवार रहते हैं। 2022 में अमित शेख और राम गुप्ता ने एक-दूसरे के खिलाफ मारपीट का क्रॉस केस दर्ज कराया था। तब से दोनों परिवारों के बीच दुश्मनी चल रही है।

रविवार को शाम करीब साढ़े चार बजे गणपत पाटिल नगर की गली नंबर 14 के पास सड़क पर विवाद हो गया, जहां राम गुप्ता नारियल की दुकान चलाते हैं। कथित तौर पर शराब के नशे में धुत हामिद शेख मौके पर पहुंचा और राम से बहस करने लगा। इसके बाद दोनों पक्षों ने अपने बेटों को बुला लिया।

गुप्ता अपने बेटों अमर गुप्ता, अरविंद गुप्ता और अमित गुप्ता के साथ तथा हामिद नसीरुद्दीन शेख अपने बेटों अरमान हामिद शेख और हसन हामिद शेख के साथ मिलकर हाथापाई और धारदार हथियारों से हिंसक झड़प में शामिल हो गए। झड़प में राम गुप्ता और अरविंद गुप्ता की मौत हो गई, जबकि अमर गुप्ता और अमित गुप्ता घायल हो गए। हामिद शेख की भी मौत हो गई और उनके बेटे अरमान और हसन शेख घायल हो गए।

शवों को कांदिवली पश्चिम के शताब्दी अस्पताल में पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया गया है। पुलिस क्रॉस-मर्डर केस दर्ज करने की प्रक्रिया जारी रखे हुए है। घायल होने के कारण आरोपी को अभी तक गिरफ्तार नहीं किया गया है।

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राजनीति

प्रतिनिधिमंडल में कौन जाएगा, यह सरकार का नहीं बल्कि पार्टी का होना चाहिए फैसला : अभिषेक बनर्जी

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कोलकाता, 19 मई। केंद्र सरकार द्वारा विभिन्न देशों में सांसदों के प्रतिनिधिमंडल को भेजने के फैसले को लेकर सियासत तेज हो गई है। कांग्रेस के बाद अब टीएमसी ने भी प्रतिनिधिमंडल में शामिल सदस्यों के चुने जाने को लेकर सवाल उठाए हैं। टीएमसी के राष्ट्रीय महासचिव और सांसद अभिषेक बनर्जी ने कहा कि हमारी पार्टी का कौन सदस्य प्रतिनिधिमंडल में जाएगा, यह हमारी पार्टी का फैसला है। केंद्र सरकार एकतरफा फैसला नहीं कर सकती है।

टीएमसी के राष्ट्रीय महासचिव अभिषेक बनर्जी से सोमवार को कोलकाता एयरपोर्ट पर मीडिया ने सवाल पूछा कि क्या टीएमसी ने पाकिस्तान प्रायोजित आतंकवाद का मुकाबला करने के उद्देश्य से केंद्र के बहुदलीय राजनयिक मिशन से बाहर निकलने का विकल्प चुना है। इसका जवाब देते हुए अभिषेक बनर्जी ने कहा, “मुझे नहीं पता कि आपको यह जानकारी कहां से मिली। मैं यह बहुत स्पष्ट रूप से कह रहा हूं कि केंद्र सरकार जो भी निर्णय लेगी, जिसका उद्देश्य देश के राष्ट्रीय हितों की रक्षा के लिए आतंकवाद का मुकाबला करना है, टीएमसी केंद्र के साथ कंधे से कंधा मिलाकर खड़ी रहेगी। हमें किसी भी प्रतिनिधिमंडल के जाने से कोई समस्या नहीं है। हालांकि, हमारी पार्टी का कौन सदस्य प्रतिनिधिमंडल में जाएगा, यह हमारी पार्टी का फैसला है। केंद्र सरकार एकतरफा फैसला नहीं कर सकती कि किस पार्टी से कौन जाएगा।”

उन्होंने कहा, “अगर कोई प्रतिनिधिमंडल जा रहा है, तो हमें कोई आपत्ति नहीं है। जिस तरह से पाकिस्तान भारत में शांति को बाधित करने के लिए आतंकवाद को बढ़ावा दे रहा है, हम उसकी कड़ी निंदा करते हैं। इसे वैश्विक मंच पर उठाया जाना चाहिए। लेकिन, हमारी पार्टी से कौन जाएगा, यह तय करना हमारी पार्टी का काम है। मैं आज विदेश मामलों की स्थायी समिति की बैठक में भाग लेने के लिए दिल्ली जा रहा हूं। मुझे पार्टी ने उस समिति में नामित किया था। जैसे भाजपा तय कर सकती है कि उनकी तरफ से कौन जाएगा, वैसे ही तृणमूल तय करेगी कि हमारी तरफ से कौन जाएगा। इसके अलावा डीएमके, कांग्रेस, आम आदमी पार्टी (आप) और समाजवादी पार्टी का कौन सदस्य प्रतिनिधिमंडल में जाएगा, यह पार्टी को ही तय करना चाहिए।”

अभिषेक बनर्जी ने कहा कि मुझे लगता है कि सरकार को इस मुद्दे पर सभी पार्टियों से बात करनी चाहिए थी और उसके बाद ही प्रतिनिधिमंडल को तय करना चाहिए था। हालांकि, मैं साफ कर देना चाहता हूं कि टीएमसी ने ‘ऑपरेशन सिंदूर’ से संबंधित किसी भी तरह के विषय का कोई बायकॉट नहीं किया है। मेरा मानना है कि जब देश की बात आती है तो वहां राजनीति नहीं होनी चाहिए।

केंद्र सरकार ने विदेश जाने वाले सात सर्वदलीय संसदीय प्रतिनिधिमंडलों में शामिल सभी सदस्यों के नाम तय कर दिए हैं। इस प्रतिनिधिमंडल में तृणमूल कांग्रेस के सांसद यूसुफ पठान को भी जगह मिली है।

सात सर्वदलीय संसदीय प्रतिनिधिमंडलों की कमान सात अलग-अलग नेताओं को दी गई है, ये प्रतिनिधिमंडल संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के सदस्य देशों और अन्य प्रमुख साझेदार देशों का दौरा करेंगे और देश की आतंकवाद विरोधी नीति, सैन्य कार्रवाइयों और ऑपरेशन सिंदूर की जानकारी देंगे।

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महाराष्ट्र

मुंबई पुलिस ने ड्रग तस्कर गिरोह पर कार्रवाई करते हुए मुंबई और नवी मुंबई से ड्रग तस्करों को गिरफ्तार किया, 13 करोड़ रुपये से अधिक की ड्रग्स जब्त की गई

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मुंबई: मुंबई आरसीएफ पुलिस स्टेशन के एंटी-नारकोटिक्स सेल और आतंकवाद विरोधी दस्ते (एएनटीएस) ने एक संयुक्त अभियान चलाकर आरसीएफ से एक ड्रग तस्कर को गिरफ्तार किया। तलाशी के दौरान पुलिस ने उसके पास से 45 ग्राम एमडी बरामद किया। आरसीएफ पुलिस ने उसे गिरफ्तार कर लिया और उसके खिलाफ एनडीपीएस अधिनियम के तहत मामला दर्ज कर लिया। इसके बाद मुंबई पुलिस ने जांच की और ड्रग तस्करों का पर्दाफाश हुआ। पुलिस ने नवी मुंबई और मुंबई से पांच आरोपियों को गिरफ्तार कर उनके कब्जे से 6 किलोग्राम एमडी जब्त किया, जिसकी कुल कीमत 13.37 करोड़ रुपये बताई गई है। यह एक बड़ा ड्रग रैकेट था जिसका पुलिस ने पर्दाफाश किया और अब आरोपियों से पूछताछ की जा रही है ताकि पता लगाया जा सके कि वे और कितने लोगों के संपर्क में थे और मुंबई में ड्रग्स कहां से लाए जाते थे। यह कार्रवाई मुंबई पुलिस आयुक्त देविन भारती, संयुक्त पुलिस आयुक्त सत्यनारायण चौधरी और डीसीपी नुनाथ ढोले के निर्देश पर की गई। मुंबई पुलिस ने ड्रग तस्करों के खिलाफ अपना अभियान तेज कर दिया है।

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