राजनीति
‘इंडिया गठबंधन’ को सनातन, राम मंदिर, राष्ट्रीय सुरक्षा और भ्रष्टाचार के मुद्दे पर घेरती रहेगी भाजपा

हाल ही में हुए पांच राज्यों के विधान सभा चुनाव में भाजपा ने राजस्थान और छत्तीसगढ़ में जहां कांग्रेस से सत्ता छीन ली, वहीं मध्य प्रदेश में अपनी सरकार को बचाने में कामयाब रही।
दक्षिण भारत राज्य तेलंगाना में भले ही भाजपा को उस तरह की जीत नहीं मिली हो, जिस तरह के दावे उसके नेता करते रहे थे। लेकिन, इसके बावजूद तेलंगाना में भाजपा का विधान सभा में संख्या बल और वोट प्रतिशत भी बढ़ा है।
कुछ महीने बाद होने वाले लोक सभा चुनाव से पहले मिली यह जीत भाजपा के लिए बहुत ज्यादा मायने रखती है क्योंकि इनमें से तीन राज्यों में भाजपा का सीधा मुकाबला कांग्रेस के साथ था, जिसमें कांग्रेस की हार हुई है। यहां तक कि कांग्रेस के साथ इंडिया गठबंधन में शामिल अन्य विपक्षी दल भी विधान सभा चुनाव में मिली हार को लेकर कांग्रेस पर चुटकी लेते हुए नजर आ रहे हैं। इसके बावजूद भाजपा विपक्षी गठबंधन को लेकर कोई रिस्क लेने को तैयार नहीं है।
विपक्षी गठबंधन को लेकर भाजपा की रणनीति बिल्कुल साफ है कि भले ही विपक्षी गठबंधन में एकता नजर आए या न आए, उनके बीच आपस में टकराव नजर आए, लेकिन भाजपा के निशाने पर पूरा विपक्षी गठबंधन रहेगा और भाजपा के शीर्ष स्तर के नेता से लेकर कार्यकर्ता तक विपक्षी गठबंधन को ‘इंडी अलायन्स ‘ और ‘घमंडिया गठबंधन’ के नाम से संबोधित करते रहेंगे।
भाजपा ने विपक्षी गठबंधन के खिलाफ रणनीति को लेकर अपने कैडर तक को यह संकेत दे दिया है कि भले ही पार्टी शानदार तरीके से विधान सभा चुनाव जीती हो, लेकिन पार्टी विपक्षी गठबंधन को घेरने में कोई कसर नहीं छोड़ेगी। भाजपा सनातन, राम मंदिर, राष्ट्रीय सुरक्षा और भ्रष्टाचार के मुद्दे पर विपक्षी गठबंधन को घेरती रहेगी और पार्टी के निशाने पर खासतौर से कांग्रेस रहेगी।
जब डीएमके सांसद ने सदन में विवादित बयान दिया तो भाजपा ने कांग्रेस और गांधी परिवार से सवाल पूछा। विधान सभा चुनावों की जीत को सनातन विरोधियों की हार करार दिया। अयोध्या में बन रहे राम मंदिर को दशकों तक कांग्रेस द्वारा लटकाने, अटकाने और भटकाने का आरोप लगाते हुए भाजपा विधान सभा चुनावों की तरह इसे लगातार अपनी रैलियों में कहती रहेगी।
तेलंगाना के मुख्यमंत्री ए रेवंत रेड्डी के डीएनए वाले बयान को भी बड़ा मुद्दा बनाते हुए भाजपा लोगों को अमेठी हारने के बाद राहुल गांधी द्वारा दिए गए बयान की भी याद दिलाएगी और साथ ही यह आरोप भी लगाएगी कि कांग्रेस देश को उत्तर भारत और दक्षिण भारत में बांटना चाहती है।
राहुल गांधी समेत कई विपक्षी दलों के जातीय जनगणना और ओबीसी आरक्षण के राग के खिलाफ मोर्चा संभालते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी स्वयं कह चुके हैं कि इस चुनाव (विधान सभा चुनाव) में देश को जातियों में बांटने की भरपूर कोशिश हुई। लेकिन, वह लगातार कहते रहे कि उनके लिए सबसे बड़ी जाति गरीब, युवा, महिलाएं और किसान है और इन चारों जातियों का उत्थान ही भारत को विकसित भारत बनाएगा।
विपक्षी गठबंधन की एकता और नीति पर सवाल खड़ा करते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी यह भी कह चुके हैं कि सिर्फ कुछ परिवारवादियों के मंच पर एक साथ आ जाने से फोटो कितनी ही अच्छी निकल जाए, देश का भरोसा नहीं जीता जाता, देश की जनता का दिल जीतने के लिए राष्ट्र सेवा का जज्बा होना चाहिए। घमंडियां गठबंधन में रत्ती भर भी वह नजर नहीं आता है।
भ्रष्टाचार के मुद्दे पर भी भाजपा गांधी परिवार, कांग्रेस और विपक्षी गठबंधन में शामिल अन्य दलों पर सवाल उठाती रहेगी। कांग्रेस राज्य सभा सांसद धीरज साहू के घर से बरामद करोड़ों के कैश की खबर को शेयर करते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शुक्रवार को स्वयं एक्स पर पोस्ट कर लिखा था, “देशवासी इन नोटों के ढेर को देखें और फिर इनके नेताओं के ईमानदारी के ‘भाषणों’ को सुनें।जनता से जो लूटा है, उसकी पाई-पाई लौटानी पड़ेगी, यह मोदी की गारंटी है।”
अपराध
मुंबई: संपत्ति विवाद को लेकर जोगेश्वरी के 46 वर्षीय व्यक्ति को आत्महत्या के लिए उकसाने के आरोप में 4 लोगों पर मामला दर्ज

मुंबई: अंधेरी रेलवे पुलिस ने कथित तौर पर आत्महत्या के लिए उकसाने के आरोप में चार लोगों के खिलाफ मामला दर्ज किया है। 46 वर्षीय एक व्यक्ति ने कथित तौर पर पटरियों पर लेटकर आत्महत्या कर ली, जहां एक लोकल ट्रेन उसके ऊपर से गुजर गई। घटना 19 सितंबर की है। परिवार को बाद में उसकी बेटी की नोटबुक में एक सुसाइड नोट मिला, जिससे पता चला कि व्यक्ति ने संपत्ति विवाद के चलते अपनी जान दे दी। इसके बाद परिवार ने पुलिस से संपर्क किया, जिसके बाद 1 अक्टूबर को मामला दर्ज किया गया।
रेलवे पुलिस के अनुसार, मृतक रमेश गुप्ता एक कैटरर थे जो जोगेश्वरी पश्चिम में रहते थे। 19 सितंबर को रात करीब 8 बजे, वह कथित तौर पर अंधेरी रेलवे स्टेशन के पास पटरियों पर लेट गए, जहां एक लोकल ट्रेन उनके ऊपर से गुजर गई। सूचना मिलने पर रेलवे पुलिस घटनास्थल पर पहुंची। उस समय, उन्हें कोई सुसाइड नोट नहीं मिला
कुछ दिनों बाद, गुप्ता की 12 साल की बेटी को उसकी नोटबुक में एक सुसाइड नोट मिला और उसने अपनी माँ को इसकी जानकारी दी। पत्र में लिखा था कि एक दंपत्ति के साथ संपत्ति विवाद के चलते उन्होंने यह कदम उठाया। नालासोपारा में उनका एक कमरा था, जिसे मेट्रो निर्माण के लिए अधिग्रहित किया जाना था। उन्हें मेट्रो अधिकारियों से अच्छी-खासी रकम मिली थी। इस बीच, दंपत्ति बार-बार खुद को कमरे का असली मालिक बताते रहे और गुप्ता से बार-बार पैसे मांगते रहे। नोट में उन्होंने लिखा था कि दंपत्ति की लगातार मांगों ने उन्हें आत्महत्या के लिए मजबूर किया।
इसके बाद, गुप्ता की पत्नी ने रेलवे पुलिस से संपर्क किया। 1 अक्टूबर को, पुलिस ने दंपति और दो अज्ञात व्यक्तियों के खिलाफ, जिन्होंने कथित तौर पर दंपति की ओर से गुप्ता को परेशान किया था, भारतीय न्याय संहिता की धारा 108 (आत्महत्या के लिए उकसाना) और 3(5) (सामान्य स्पष्टीकरण) के तहत मामला दर्ज किया।
महाराष्ट्र
मुंबई मौसम अपडेट: शहर में धूप खिली, आज बारिश की कोई चेतावनी नहीं

मुंबई: शुक्रवार तड़के मुंबई में बादल छाए रहे। बादल जल्द ही छंट गए, जिससे आसमान साफ और धूप खिली रही। सितंबर के दौरान कोंकण क्षेत्र में कई दिनों तक लगातार बारिश के बाद, आखिरकार निवासियों को स्थिर मौसम का अनुभव हुआ। भारतीय मौसम विज्ञान विभाग (IMD) ने आज क्षेत्र के किसी भी जिले के लिए कोई अलर्ट जारी नहीं किया है, जिससे नागरिकों को राहत मिली है।
मुंबई में सुबह तक मौसम शुष्क रहा और तापमान 26°C से 31°C के बीच रहने की उम्मीद है। हालाँकि बारिश न होने से जलभराव और यातायात जाम से राहत मिली, लेकिन गर्मी और उच्च आर्द्रता के कारण दिन वास्तविक तापमान से ज़्यादा गर्म महसूस हुआ।
पड़ोसी ठाणे और नवी मुंबई में भी बारिश की तीव्रता में कमी दर्ज की गई। पूरे सितंबर महीने में, इन शहरों के निवासियों को बार-बार भारी बारिश और निचले इलाकों में पानी जमा होने के कारण दैनिक दिनचर्या में व्यवधान का सामना करना पड़ा। हालाँकि, शुक्रवार को आसमान में केवल आंशिक बादल छाए रहे और हल्की हवाएँ चलीं। इन शहरों में मौसम अपेक्षाकृत सुहावना है, तापमान 27°C से 30°C के बीच रहने का अनुमान है। भारी बारिश का कोई खतरा नहीं होने के कारण, नागरिक बिना किसी व्यवधान के बाहर निकल सकते हैं।
पालघर ज़िले में, जहाँ पिछले महीने भारी मानसूनी बारिश हुई थी, अब स्थिति में सुधार हुआ है। ग्रामीण इलाकों में बादलों के बीच रुक-रुक कर बूंदाबांदी होती रही, लेकिन शहरी इलाकों में ज़्यादातर उमस और बढ़ती गर्मी का सामना करना पड़ा। अधिकतम तापमान 30°C तक पहुँच सकता है, जबकि न्यूनतम तापमान 25°C रहने की उम्मीद है।
कोंकण तट के और नीचे, रायगढ़, रत्नागिरी और सिंधुदुर्ग जैसे जिलों में भी भारी बारिश से राहत मिली है। सितंबर में व्यापक बाढ़ के बाद, इस सप्ताह मौसम थोड़ा शांत रहा। रत्नागिरी और सिंधुदुर्ग में हल्की हवाएँ चलीं जिससे राहत मिली, जबकि रायगढ़ में आंशिक रूप से साफ़ आसमान और तटरेखा पर ठंडी हवाएँ चलने से निवासियों के लिए मौसम सुहाना हो गया। इन जिलों में तापमान 26°C से 30°C के बीच रहने की उम्मीद है।
राजनीति
बिहार चुनाव : सुपौल के पिपरा विधानसभा में जदयू-राजद की राह नहीं होगी आसान

पटना, 2 अक्टूबर : बिहार के सुपौल जिले में स्थित पिपरा विधानसभा क्षेत्र राज्य की राजनीति के लिए काफी अहम मानी जाती है। इस सीट की अहमियत इस बात से लगाई जा सकती है कि यहां जदयू की मजबूत स्थिति के बावजूद विपक्ष का भी दबदबा रहा है।
बिहार में 2008 में हुए परिसीमन के बाद यह सीट अस्तित्व में आई। 2010 में इस सीट पर पहली बार विधानसभा चुनाव हुए और उस दौरान जदयू की सुजाता देवी ने 14,686 वोटों से जीत हासिल की। हालांकि, 2015 के चुनाव में यह सीट जदयू के हाथों से निकल गई और राजद के यदुवंश कुमार यादव ने भाजपा के विश्व मोहन कुमार को 36,369 वोटों से मात दी। 2020 में फिर से यहां परिवर्तन हुआ और जदयू ने जीत दर्ज की।
पिपरा की राजनीति में एक खास बात यह है कि कोई भी पार्टी लगातार तीन चुनावों में एक ही उम्मीदवार को टिकट नहीं दे पाई है। पिछले तीन चुनावों में पार्टी के साथ-साथ जीतने वाला उम्मीदवार भी अलग ही रहा है। 2020 विधानसभा चुनाव की तरह लोकसभा चुनाव 2024 में यहां जीतने वाली पार्टी का दबदबा रहा है।
पिपरा विधानसभा क्षेत्र कोसी नदी के तट पर स्थित है, जिसके कारण यहां हर साल बाढ़ का खतरा बना रहता है। कोसी नदी इस क्षेत्र के लिए वरदान और अभिशाप दोनों है। यह नदी जहां कृषि के लिए उपजाऊ भूमि प्रदान करती है, वहीं बाढ़ के रूप में तबाही भी लाती है। इसके बावजूद, यहां धान, मक्का और जूट जैसी फसलों की बड़े पैमाने पर खेती होती है, जो स्थानीय अर्थव्यवस्था का आधार है। हालांकि, क्षेत्र की भौगोलिक-आर्थिक स्थिति और बुनियादी ढांचे की चुनौतियां इसे विकास में पीछे रखती हैं।
सड़क, बिजली और स्वच्छ पेयजल जैसी बुनियादी सुविधाओं की कमी भी यहां के निवासियों के लिए बड़ी समस्या है। कृषि-आधारित उद्योगों की कमी और स्थानीय स्तर पर रोजगार के सीमित अवसरों के कारण युवाओं का पलायन एक गंभीर मुद्दा बना हुआ है।
सुपौल जिला मुख्यालय से करीब 25 किमी दक्षिण में स्थित पिपरा के आसपास के प्रमुख क्षेत्रों में मधेपुरा (40 किमी), सहरसा (50 किमी), बनमंखी (60 किमी), और पूर्णिया (70 किमी) शामिल हैं।
चुनाव आयोग के अनुसार, 2020 के विधानसभा चुनाव में पिपरा में 2,89,160 रजिस्टर्ड मतदाता थे, जिनमें 16.70 प्रतिशत मुस्लिम और 14.65 प्रतिशत अनुसूचित जाति के मतदाता शामिल थे। इसके अलावा, यादव मतदाता भी क्षेत्र में बड़ी संख्या में हैं, जो चुनाव में निर्णायक भूमिका निभाते हैं।
पिपरा में जदयू की मजबूत पकड़ के बावजूद आगामी बिहार विधानसभा चुनाव में राजद-नेतृत्व वाले विपक्षी गठबंधन से उन्हें कड़ी चुनौती मिलने की उम्मीद है।
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