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Tuesday,18-November-2025
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आजाद ने शाह से मुलाकात की, जम्मू-कश्मीर में भूमि बेदखली का मुद्दा उठाया

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डेमोक्रेटिक आज़ाद पार्टी (डीएपी) के अध्यक्ष गुलाम नबी आज़ाद ने ज़मीन बेदखली के मुद्दे को उठाने के लिए दिल्ली में गृह मंत्री अमित शाह से मुलाकात की, पार्टी ने गुरुवार को कहा।

श्रीनगर, 2 फरवरी : डेमोक्रेटिक आजाद पार्टी (डीएपी) के अध्यक्ष गुलाम नबी आजाद ने जमीन बेदखली के मुद्दे को उठाने के लिए दिल्ली में गृह मंत्री अमित शाह से मुलाकात की। पार्टी ने गुरुवार को यह जानकारी दी। बुधवार को हुई बैठक के दौरान, आजाद ने शाह को यूटी प्रशासन द्वारा जारी किए गए बेदखली के परिपत्र के बाद जनता में व्याप्त गंभीर ‘अशांति और अनिश्चितता’ की स्थिति से अवगत कराया, डीएपी के एक बयान में उल्लेख किया गया।

सर्कुलर में सभी उपायुक्तों को निर्देश दिया गया है कि वे रोशनी और कचराई सहित राज्य की भूमि पर अतिक्रमण हटा दें। “ग़ुलाम नबी आज़ाद ने गृह मंत्री से अनुरोध किया कि पिछले कुछ दशकों से छोटी भूमि वाले और घरों का निर्माण करने वाले अधिकांश निवासी प्रवासी हैं और ज्यादातर उग्रवाद के शिकार हैं, साथ ही समय-समय पर उत्पन्न होने वाली असामान्य स्थितियों के शिकार हैं, एक सीमा होने के नाते राज्य।

“राज्य-कचराई और रोशनी भूमि पर इन आश्रयों/आवासीय घरों की उत्पत्ति पहले 1947 में और फिर 1962 और 1971 के युद्ध काल में और बाद में आतंकवाद के बाद की अवधि के दौरान हुई प्रतीत होती है। यह भी एक तथ्य है कि सरकारों ने समय-समय पर इन घरों को सड़क संपर्क, पानी और बिजली की आपूर्ति, स्कूल, आंगनवाड़ी केंद्र और स्वास्थ्य संबंधी सुविधाओं सहित अन्य कल्याणकारी योजनाएं प्रदान कीं, जो स्पष्ट रूप से इंगित करता है कि उत्तरोत्तर राज्य सरकारों ने एक तरह से इन निर्माणों को मान्यता दी है।”

बयान में कहा गया है कि आजाद ने गृह मंत्री से अनुरोध किया कि कम से कम जमीन और घरों वाले गरीब लोगों को बेदखली अभियान से बख्शा जाना चाहिए। “गृह मंत्री ने आजाद को आश्वासन दिया कि छोटे भूमि धारकों को परेशान नहीं किया जाएगा। यहां यह उल्लेख करना उचित है कि दो हफ्ते पहले आजाद ने उपराज्यपाल मनोज सिन्हा के साथ भी यही मुद्दा उठाया था, जिन्होंने भी आवश्यक कार्रवाई करने का आश्वासन दिया था। सहानुभूतिपूर्वक छोटे भूमि धारकों के लिए भूमि नीति,” बयान में कहा गया है।

अपराध

दिल्ली ब्लास्ट मामला: मुंबई में तीन संदिग्ध हिरासत में लिए गए, पूछताछ जारी

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मुंबई, 18 नवंबर: दिल्ली में कार ब्लास्ट मामले के आरोपी से जुड़े तीन व्यक्तियों को मुंबई पुलिस ने हिरासत में लिया है। अधिकारियों के अनुसार, विशेष टीम द्वारा गुप्त अभियान में इन लोगों को शहर के अलग-अलग स्थानों से पकड़ा गया। पूछताछ के बाद इन्हें आगे की जांच के लिए दिल्ली भेजा जा रहा है।

अधिकारियों ने बताया कि हिरासत में लिए गए लोग सोशल मीडिया ऐप के माध्यम से ब्लास्ट केस के मुख्य आरोपी के संपर्क में थे। पुलिस का कहना है कि ये व्यक्ति भी ठीक उसी तरह संपन्न परिवारों से ताल्लुक रखते हैं, जैसे इस मॉड्यूल के दो प्रमुख आरोपी डॉ. उमर मोहम्मद और डॉ. मुज़म्मिल। राज्य के कई जिलों में भी इसी तरह की जांच जारी है।

सोमवार को सूत्रों ने बताया कि जांच में एन्क्रिप्टेड बातचीत और हथियार सप्लाई के सबूत मिले हैं, जो एक बेहद संगठित आतंकी नेटवर्क की ओर इशारा करते हैं। यह नेटवर्क उस मॉड्यूल से जुड़ा है जिसमें डॉ. उमर मोहम्मद की मौत 10 नवंबर को दिल्ली के लाल किले के पास हुए विस्फोट में हुई। इस धमाके में 13 लोगों की मौत हुई थी और दर्जनों घायल हुए थे।

सूत्रों के अनुसार, उमर ने करीब तीन महीने पहले सिग्नल ऐप पर एक एन्क्रिप्टेड ग्रुप बनाया था, जिसका नाम विशेष कैरेक्टरों से रखा गया था ताकि निगरानी से बचा जा सके। इस समूह में उसने मुज़म्मिल, आदिल राथर, मुज़फ्फर राथर और मौलवी इरफान अहमद वागे को जोड़ा था। यही चैनल आंतरिक समन्वय का मुख्य माध्यम था।

जांच में तब अहम मोड़ आया जब डॉ. शाहीन शाहिद की कार से एक असॉल्ट राइफल और पिस्तौल बरामद हुई। माना जा रहा है कि ये हथियार उमर ने ही 2024 में इरफ़ान को सौंपे थे। शाहीन पहले भी इरफ़ान के कमरे में मुज़म्मिल के साथ इन हथियारों को देख चुका था। संदेह है कि मॉड्यूल के संचालन के लिए सबसे ज़्यादा फंडिंग शाहीन ने ही की।

अब तक के प्रमाणों से स्पष्ट है कि मॉड्यूल के भीतर एक तय पदानुक्रम और ज़िम्मेदारियों का बंटवारा था। तीन डॉक्टर उमर, मुज़म्मिल और शाहीन मुख्य रूप से आर्थिक मदद जुटाते थे, जिसमें मुज़म्मिल प्रमुख भूमिका में था। इरफ़ान की जिम्मेदारी कश्मीरी युवाओं की भर्ती थी। उसी ने गिरफ्तार दो युवकों आरिफ़ निसार डार उर्फ़ साहिल और यासिर उल अशरफ को नेटवर्क में शामिल किया था।

जांचकर्ताओं ने कई बार हथियारों के इधर-उधर ले जाए जाने की घटनाएं भी रिकॉर्ड की हैं। अक्टूबर 2023 में आदिल और उमर एक मस्जिद में इरफ़ान से मिले थे और एक बैग में छिपी राइफल लेकर वहां पहुंचे थे। बैरल साफ करने के बाद वे लौट गए। नवंबर में आदिल फिर इरफ़ान के घर एक राइफल लेकर पहुंचा। उसी दिन मुज़म्मिल और शाहीन भी वहां पहुंचे। हथियार इरफ़ान के पास रखा गया और अगले दिन आदिल उसे लेने लौटा।

यह नेटवर्क फरीदाबाद के उस मॉड्यूल से जुड़ा पाया गया है, जिसे 9 नवंबर को तब उजागर किया गया था जब पुलिस ने अल-फलाह यूनिवर्सिटी से जुड़े डॉ. मुज़म्मिल के किराए के कमरों से 2,900 किलो विस्फोटक और गोला-बारूद जब्त किया था।

10 नवंबर को लाल किले के पास जिस कार में विस्फोट हुआ, उसे अल-फलाह यूनिवर्सिटी से जुड़े दूसरे डॉक्टर उमर चला रहा था। इसी घटना के बाद मॉड्यूल की गहरी जांच शुरू हुई और कई राज्यों में छापेमारी तेज कर दी गई है और जांच जारी है।

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अंतरराष्ट्रीय समाचार

सुरक्षा परिषद ने ट्रंप की गाजा शांति योजना का समर्थन करने वाले ऐतिहासिक प्रस्ताव को मंजूरी दी

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संयुक्त राष्ट्र, 18 नवंबर: संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद ने सोमवार को एक ऐतिहासिक प्रस्ताव पास किया, जिसमें अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की गाजा शांति योजना को मंजूरी दी गई। इस मंजूरी के बाद अब गाजा में एक अंतरराष्ट्रीय बल भेजने का रास्ता साफ हो गया है, जिससे युद्ध से तबाह इलाकों में शांति और व्यवस्था बहाल की जा सकेगी।

यह निर्णय ट्रंप के लिए बड़ी कूटनीतिक जीत माना जा रहा है। प्रस्ताव में ट्रंप के नेतृत्व वाले ‘‘बोर्ड ऑफ़ पीस’’ (बीओपी) को गाजा की अंतरिम प्रशासनिक संस्था के रूप में मान्यता दी गई है, ताकि दो साल से चले आ रहे संकट के बाद वहाँ सामान्य स्थिति बहाल हो सके।

संयुक्त राष्ट्र के कट्टर आलोचक ट्रंप ने ट्रुथ सोशल पर पोस्ट किया, यह संयुक्त राष्ट्र के इतिहास की सबसे बड़ी मंजूरियों में से एक के रूप में दर्ज होगा, दुनिया भर में शांति को बढ़ावा देगा और यह एक सच्चे ऐतिहासिक क्षण का प्रतीक है।”

इस प्रस्ताव की एक खास बात यह है कि इसमें फिलिस्तीन को अपने स्वतंत्र राष्ट्र बनने का रास्ता भी दिया गया है, जबकि ट्रंप प्रशासन पहले इसका विरोध करता रहा था। सुरक्षा परिषद ने एक दुर्लभ कदम उठाते हुए ट्रंप की पूरी 20 सूत्रीय योजना को प्रस्ताव में शामिल कर दिया।

रूस ने इस पर आपत्ति की थी और अपना अलग प्रस्ताव तैयार किया था, लेकिन जब अरब और मुस्लिम देशों ने अमेरिकी योजना का समर्थन किया, तो रूस ने अपना प्रस्ताव वापस ले लिया और मतदान में हिस्सा न लेते हुए परहेज़ किया। इससे अमेरिकी प्रस्ताव पारित हो गया।

अल्जीरिया के स्थायी प्रतिनिधि अमर बेंडजामा ने कहा कि उच्चतम स्तर पर फिलिस्तीनी प्राधिकरण, साथ ही मुस्लिम और अरब देशों ने अमेरिकी प्रस्ताव का समर्थन किया। हालांकि उन्होंने कहा कि स्थायी शांति तभी संभव है जब फिलिस्तीन को राष्ट्र का दर्जा मिल जाए।

महासचिव एंटोनियो गुटेरेस ने प्रस्ताव का स्वागत किया और कहा कि अब ज़मीन पर जल्द से जल्द ठोस कदम उठाने की ज़रूरत है। प्रस्ताव में संयुक्त राष्ट्र और अन्य संगठनों द्वारा मानवीय सहायता बढ़ाने और गाजा में बिना रोक-टोक प्रवेश की मांग भी रखी गई है।

चीन ने भी मतदान में हिस्सा न लेते हुए परहेज़ किया, जबकि बाकी 13 देशों ने समर्थन दिया। सुरक्षा परिषद में अल्जीरिया ही एकमात्र अरब देश है।

अब, जब गाजा में युद्धविराम लागू है, ट्रम्प योजना के अगला चरण में ‘‘अंतरराष्ट्रीय स्थिरीकरण बल’’ (आईएसएफ) भेजने की आवश्यकता होगी, जो हमास को निशस्त्र करेगा, कानून-व्यवस्था स्थापित करेगा और फिलिस्तीन सुरक्षा बल को प्रशिक्षित करेगा।

आईएसएफ संयुक्त राष्ट्र का शांति मिशन नहीं होगा और न ही परिषद को रिपोर्ट करेगा, जो बीजिंग और मास्को के लिए एक महत्वपूर्ण मुद्दा था।

संयुक्त राष्ट्र महासभा कई वर्षों से फिलिस्तीन को एक स्वतंत्र राष्ट्र के रूप में मान्यता देने की मांग करती रही है। हाल ही में फ्रांस, ब्रिटेन और कुछ पश्चिमी देशों ने फिलिस्तीन को मान्यता देने की घोषणा भी की, जबकि अमेरिका ने इस पर अलग रुख रखा।

प्रस्ताव में विश्व बैंक जैसे अंतरराष्ट्रीय संस्थाओं को गाजा के पुनर्निर्माण में योगदान देने का ढाँचा भी शामिल है।

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अपराध

मुंबई: नवाब मलिक को बड़ा झटका, कोर्ट ने डिस्चार्ज याचिका खारिज की, आज तय होंगे आरोप

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मुंबई, 18 नवंबर: महाराष्ट्र के पूर्व मंत्री और एनसीपी नेता नवाब मलिक को मनी लॉन्ड्रिंग मामले में बड़ा झटका लगा है। पीएमएलए की एक विशेष अदालत ने मलिक और उनकी कंपनी की ओर से दायर डिस्चार्ज याचिका को खारिज कर दिया है। इसके साथ ही कोर्ट ने आदेश दिया है कि 18 नवंबर को आरोप तय करने की प्रक्रिया के दौरान सभी आरोपी कोर्ट में मौजूद रहें। इस फैसले के बाद नवाब मलिक को मंगलवार को कोर्ट में पेश होना है।

मलिक की कंपनी ‘मलिक इन्फ्रास्ट्रक्चर’ की ओर से डिस्चार्ज याचिका दायर की गई थी। कंपनी की ओर से कहा गया कि ईडी का पूरा मामला अंदाजों और अनुमान पर आधारित है, क्योंकि जिस समय कथित अवैध सौदा हुआ, उस समय कंपनी का अस्तित्व ही नहीं था।

कोर्ट ने कंपनी की दलीलों को खारिज करते हुए कहा कि मामले में पर्याप्त प्राथमिक सबूत मौजूद हैं। कोर्ट ने कहा कि शुरुआती जांच से यह स्पष्ट होता है कि नवाब मलिक ने डी-कंपनी से जुड़ी हसीना पारकर, सलीम पटेल और आरोपी सरदार खान के साथ मिलकर कुर्ला स्थित एक कीमती प्लॉट को अवैध रूप से कब्जे में लिया और फिर उसे मनी लॉन्ड्रिंग के जरिए वैध बनाने की कोशिश की। इस प्लॉट में 16 करोड़ रुपए की अपराध से अर्जित धन शामिल बताया गया है।

पूर्व मंत्री ने कोर्ट से यह प्रक्रिया 6 हफ्ते तक टालने की गुहार लगाई थी। उनका कहना था कि बॉम्बे हाई कोर्ट में उनकी याचिका पर जल्द सुनवाई होनी है, इसलिए फैसला आने तक निचली अदालत को इंतजार करना चाहिए। उनके वकील तारक सैयद का दावा है कि ईडी ने कई ऐसे दस्तावेज कोर्ट में पेश नहीं किए हैं जो आरोपी के पक्ष में हैं। उनका कहना था कि यदि सभी दस्तावेज पेश किए जाएं तो आरोप तय करने की स्थिति ही नहीं बनती।

हालांकि, स्पेशल पब्लिक प्रॉसिक्यूटर सुनील गोंसाल्वेस ने कहा कि हाई कोर्ट ने इस मामले पर कोई स्टे नहीं दिया है, इसलिए निचली अदालत की सुनवाई रोकी नहीं जा सकती।

कोर्ट ने ईडी की दलीलें मानते हुए कहा कि सुप्रीम कोर्ट और हाई कोर्ट के निर्देशों के अनुसार सांसदों और विधायकों से जुड़े मामलों का त्वरित निपटारा अनिवार्य है। ऐसे में कोर्ट स्वयं से मामला स्थगित नहीं कर सकती। इस आधार पर नवाब मलिक की मांग खारिज कर दी गई।

बता दें कि ईडी ने नवाब मलिक को फरवरी 2022 में गिरफ्तार किया था। आरोप है कि उन्होंने दाऊद इब्राहिम की बहन हसीना पारकर की मदद से मुंबई के कुर्ला में लगभग तीन एकड़ की जमीन को गलत तरीके से कब्जे में लिया। इस सौदे में 16 करोड़ रुपए की अपराध से जुड़ी रकम शामिल होने का आरोप है। फर्जी दस्तावेजों के इस्तेमाल का भी आरोप लगाया गया है।

इस मामले में मलिक के साथ दो कंपनियों को भी आरोपी बनाया गया है। मई 2022 से प्रक्रिया जारी है, लेकिन औपचारिक तौर पर आरोप तय नहीं हो पाए थे। अब अदालत के आदेश के बाद 18 नवंबर को सभी आरोपियों पर आरोप तय किए जाएंगे।

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