अंतरराष्ट्रीय समाचार
अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव में टेक्सस के एशियाई-अमेरिकी की अहम भूमिका

रिपब्लिकन गढ़ टेक्सस इस बार अमेरिकी चुनाव में काफी अहम भूमिका में है जो अमेरिका के चुनावी नक्शे पर किंग मेकर बन कर उभर सकता है। इस बार टेक्सस में अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप को कम समर्थन मिलता नजर आ रहा है।
एक पॉलिटिकल फोरकास्टर, कुक पॉलिटिकल रिपोर्ट में कहा गया, “टेक्सस में जहां बाइडन को सपोर्ट मिलना बढ़ता जा रहा है, वहीं ट्रंप को समर्थन का दायरा घटता जा रहा है।”
जॉन्स हॉपकिंस स्कूल ऑफ एडवांस्ड इंटरनेशनल स्टडीज में एशिया प्रोग्राम्स के निदेशक देवेश कपूर ने फॉरन पॉलिसी मैगजीन को बताया, “टेक्सस से रिपब्लिकन को इस बार शायद उतना समर्थन नहीं मिले।” उन्होंने कहा, “उस क्षेत्र में बहुत सारे एशियाई अमेरिकी हैं, न केवल भारतीय अमेरिकी बल्कि अन्य एशियाई अमेरिकी। यह वह समूह है जो खेल बना या बिगाड़ सकता है।”
कुक रिपोर्ट की गणना इस तरह से है कि चुनाव जीतने के लिए ट्रंप को वर्तमान में हर राज्य को जीतने की आवश्यकता होगी : फ्लोरिडा, जॉर्जिया, नॉर्थ कैरंोलाइना, आयोवा, ओहायो, मैन का दूसरा कांग्रेसनल डिसिट्रिक्ट, साथ ही टेक्सस।”
कुक का गणित कहता है कि भले ही ट्रंप अगर सातों राज्यों में जीत हासिल कर लें लेकिन वह फिर भी जादुई आंकड़ें 270 से दूर रह जाएंगे।
2019 में टेक्सस ‘हाउडी मोदी’ जैसे बड़े कार्यक्रम के आयोजन का गवाह बना था। भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और ट्रंप ने ह्यूस्टन फुटबॉल स्टेडियम में 50,000 उत्साही प्रशंसकों के सामने मंच साझा किया था।
अब, चुनावी सर्वे दिखा रहे हैं कि भारतीय अमेरिकी डेमोक्रेटिक पार्टी के साथ ज्यादा मजबूती से खड़े हैं।
270 चुनावी वोटों के गणित के लिहाज से टेक्सस के पास 38 इलेक्टोरल वोट हैं। रियलक्लीयरपॉलिटिक्स के सर्वेक्षण में ट्रंप को 2.3 अंकों से आगे रखा गया है, जहां अधिकांश सर्वेक्षणों में 3 अंकों से अधिक की त्रुटि का मार्जिन होता है।
पोलिंग एग्रीगेटर फाइवथर्टीएट के अनुसार, “ट्रंप के टेक्सस को जीतने के 66 प्रतिशत आसार हैं।”
2012 में, रिपब्लिकन उम्मीदवार मिट रोमनी ने टेक्सस को 16 प्रतिशत अंकों से जीता था। 2016 में, ट्रंप ने राज्य को 9 अंक से जीता और अब, मौजूदा राष्ट्रपति की संभावना 5 अंक के नीचे है।
2020 के यूजीओवी, कानेर्गी एंडोमेंट फॉर इंटरनेशनल पीस, जॉन्स हॉपकिन्स और यूनिवर्सिटी ऑफ पेंसिलवेनिया द्वारा किए ‘इंडियन अमेरिकन एटिट्यूड्स सर्वे’ दर्शाता है कि 72 प्रतिशत पंजीकृत भारतीय अमेरिकी मतदाताओं की योजना बाइडन को वोट देने की है, जबकि 22 प्रतिशत का झुकाव ट्रंप की ओर है।
मतदाताओं का झुकाव डेमोक्रेटिक पार्टी की ओर करने में भारतीय-जमैकन मूल की डेमोक्रेटिक उपराष्ट्रपति पद की उम्मीदवार कमला हैरिस का भी हाथ है। हैरिस भले ही बड़ी संख्या में इसे वोट में न बदल पाएं लेकिन उनकी उम्मीदवारी से डेमोक्रेटिक पार्टी के पक्ष में कहीं न कहीं बयार बह चली है।
भारतीय अमेरिकियों में कुल अमेरिकी आबादी का 1 प्रतिशत से थोड़ा अधिक है और सभी पंजीकृत मतदाताओं का 1 प्रतिशत से कम शामिल है।
अंतरराष्ट्रीय समाचार
‘नफरत और कट्टरता की अमेरिका में कोई जगह नहीं’, इजरायली कर्मियों की हत्या पर बोले डोनाल्ड ट्रंप

वाशिंगटन, 22 मई। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने बुधवार देर रात (अमेरिकी समयानुसार) वाशिंगटन में कैपिटल यहूदी संग्रहालय के बाहर इजरायली दूतावास के दो कर्मचारियों की गोली मारकर हत्या किए जाने की कड़ी निंदा की है। उन्होंने इसे यहूदी विरोधी कृत्य बताया है।
अमेरिकी होमलैंड सिक्योरिटी के अनुसार, पीड़ित इजरायली दूतावास के एक पुरुष और एक महिला कर्मचारी हैं, जिनको अज्ञात हमलावर ने म्यूजियम से बाहर निकलते समय गोली मार दी।
अधिकारियों ने हत्या की पुष्टि की और इसे यहूदी-विरोधी भावना से प्रेरित अपराध मानकर एक बहु-एजेंसी जांच शुरू की।
ट्रंप ने ट्रुथ सोशल पर पोस्ट करते हुए लिखा, “डीसी में ये भयानक हत्याएं, जो स्पष्ट रूप से यहूदी-विरोधी हैं, इन्हें अब खत्म होना चाहिए। नफरत और कट्टरता का अमेरिका में कोई स्थान नहीं है। पीड़ितों के परिवारों के प्रति संवेदना। बहुत दुख की बात है कि ऐसी चीजें भी हो सकती हैं, भगवान आप सभी का भला करे।”
अमेरिकी विदेश मंत्री मार्को रुबियो ने भी हत्याओं की निंदा की और कहा, “यह कायराना, यहूदी-विरोधी हिंसा का एक निंदनीय कृत्य था। कोई गलती न करें, हम जिम्मेदार लोगों का पता लगाएंगे और उन्हें न्याय के कटघरे में लाएंगे।”
इजरायल में अमेरिकी राजदूत माइक हुकाबी ने भी घटना पर गुस्सा व्यक्त किया। उन्होंने इसे “आतंक का भयानक कृत्य” बताया। उन्होंने उल्लेख किया कि अटॉर्नी जनरल पाम बोंडी शूटिंग के तुरंत बाद घटनास्थल पर पहुंची थीं।
संयुक्त राष्ट्र में इजरायली राजदूत डैनी डैनन ने इस घातक हमले को “यहूदी-विरोधी आतंकवाद का जघन्य कृत्य” करार दिया और कहा कि यहूदी समुदाय को नुकसान पहुंचाना खतरे के लाल निशान को पार करना है। उन्होंने अमेरिकी अधिकारियों पर कड़ी कार्रवाई करने का भरोसा जताया और इजरायल की अपने नागरिकों व प्रतिनिधियों की वैश्विक स्तर पर रक्षा करने की प्रतिबद्धता दोहराई।
वाशिंगटन में इजरायली दूतावास के प्रवक्ता ताल नैम कोहेन ने हत्याओं की निंदा की और कहा, “हमें स्थानीय और संघीय स्तर पर कानून प्रवर्तन अधिकारियों पर पूरा भरोसा है कि वे शूटर को पकड़ लेंगे और अमेरिका में इजरायल के प्रतिनिधियों और यहूदी समुदायों की रक्षा करेंगे।”
एफबीआई निदेशक काश पटेल ने कहा कि उन्हें और उनकी टीम को शूटिंग के बारे में जानकारी दी गई है और वे मेट्रोपॉलिटन पुलिस विभाग के साथ मिलकर काम कर रहे हैं।
उन्होंने कहा, “हम पीड़ितों और उनके परिवारों के लिए प्रार्थना करते हैं।”
उन्होंने कहा, “मेरी टीम और मुझे आज रात कैपिटल यहूदी संग्रहालय के बाहर और हमारे वाशिंगटन फील्ड ऑफिस के पास हुई शूटिंग के बारे में जानकारी दी गई है। हम एमपीडी के साथ मिलकर काम कर रहे हैं और अधिक जानकारी जुटा रहे हैं। अभी के लिए, कृपया पीड़ितों और उनके परिवारों के लिए प्रार्थना करें। हम जनता को अपडेट करते रहेंगे।”
अंतरराष्ट्रीय समाचार
अगर भारत पीछे हटेगा तो हम भी तनाव खत्म कर देंगे : पाकिस्तानी रक्षा मंत्री ख्वाजा आसिफ

इस्लामाबाद, 7 मई। भारत और पाकिस्तान के बीच बढ़ते तनाव को लेकर पाकिस्तान के रक्षा मंत्री ख्वाजा आसिफ ने कहा है कि अगर भारत अपने आक्रामक रुख से पीछे हटता है, तभी यह तनाव खत्म हो सकता है।
यह बयान तब आया जब भारत ने “ऑपरेशन सिंदूर” चलाकर पाकिस्तान और पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर (पीओके) में नौ जगहों पर हवाई हमले किए। भारत का कहना है कि ये हमले आतंकवादी ठिकानों पर किए गए थे। इसके जवाब में पाकिस्तान ने भी नियंत्रण रेखा (एलओसी) के पास जवाबी कार्रवाई का दावा किया है।
ब्लूमबर्ग से बात करते हुए ख्वाजा आसिफ ने कहा कि पाकिस्तान को अपनी सुरक्षा का पूरा हक है। उन्होंने कहा कि पाकिस्तान ने हमला शुरू नहीं किया, बल्कि केवल भारत के हमले का जवाब दिया है।
उन्होंने कहा, “यह सब भारत ने शुरू किया है। अगर भारत पीछे हटेगा तो हम भी तनाव खत्म कर देंगे। लेकिन जब तक हम पर हमला होता रहेगा, हमें अपनी रक्षा करनी होगी।”
पाकिस्तान के इंटर सर्विस पब्लिक रिलेशन (आईएसपीआर) के प्रमुख जनरल अहमद शरीफ चौधरी ने बताया कि इन हवाई हमलों में कम से कम 26 लोगों की मौत हुई और 46 घायल हुए हैं। ये हमले पीओके और पंजाब प्रांत के उन इलाकों में हुए जहां भारत के अनुसार आतंकियों के ठिकाने थे।
इस स्थिति को देखते हुए पाकिस्तान में रेड अलर्ट जारी कर दिया गया है। सभी सरकारी अस्पतालों को तैयार रहने को कहा गया है, देश की हवाई सीमाएं 24 से 36 घंटे के लिए बंद कर दी गई हैं, इस्लामाबाद और पंजाब के सभी स्कूल-कॉलेज बंद कर दिए गए हैं और सुरक्षा बलों को सतर्क कर दिया गया है।
इन हमलों और जवाबी कार्रवाई से आम लोग डरे हुए हैं। उन्हें चिंता है कि कहीं यह हालात दो देशों के बीच बड़े युद्ध का रूप न ले लें।
भारत ने पाकिस्तान के अंदर छह अलग-अलग जगहों पर हमले किए। जिनमें मस्जिद सुभानअल्लाह भी शामिल है – जो पाकिस्तान के दक्षिण पंजाब प्रांत के बहावलपुर शहर के अहमदपुर शरकिया इलाके में जैश-ए-मोहम्मद (जेईएम) प्रमुख मौलाना मसूद अजहर का ठिकाना बताया गया है।
इसके अलावा मुरिदके में भी हमले हुए, जिसे लश्कर-ए-तैयबा और जमात उद-दावा के प्रमुख हाफिज सईद का मुख्यालय माना जाता है। अन्य हमले मुजफ्फराबाद, कोटली और बाग शहरों में भी किए गए।
पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शाहबाज शरीफ ने स्थिति पर चर्चा के लिए एक आपात बैठक बुलाई है। इसमें सुरक्षा स्थिति और भारत को लेकर आगे की रणनीति पर विचार किया जाएगा।
यह बैठक यह भी तय करेगी कि अमेरिका समेत बाकी देशों द्वारा दिए गए शांति और संयम के संदेशों पर पाकिस्तान क्या रुख अपनाएगा, ताकि दोनों परमाणु संपन्न देशों के बीच बढ़ता तनाव रोका जा सके।
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पाकिस्तानी झंडे वाले जहाजों की भारतीय बंदगाहों में ‘नो एंट्री’, मोदी सरकार का बड़ा फैसला

नई दिल्ली, 3 मई। पत्तन, पोत परिवहन एवं जलमार्ग मंत्रालय ने पाकिस्तानी झंडे वाले जहाजों के भारतीय बंदरगाहों में प्रवेश पर प्रतिबंध लगा दिया है। इसके साथ ही भारतीय झंडे वाले जहाजों के पाकिस्तान के बंदरगाहों पर जाने पर रोक लगा दी है। पहलगाम हमले के बाद भारत ने पाकिस्तान के खिलाफ कई सख्त कदम उठाए नवीनतम आदेश इसी सिलसिले की एक कड़ी है।
ये प्रतिबंध तत्काल प्रभाव से मर्चेंट शिपिंग अधिनियम, 1958 की धारा 411 के तहत भारतीय परिसंपत्तियों, कार्गो और बंदरगाह अवसंरचना की सुरक्षा के लिए लगाए गए हैं।
मंत्रालय की तरफ से जारी आदेश में कहा गया, “अधिनियम का उद्देश्य राष्ट्रीय हितों की पूर्ति के लिए सर्वोत्तम तरीके से भारतीय व्यापारिक नौवहन के विकास को बढ़ावा देना और उसका कुशल रखरखाव सुनिश्चित करना है।”
सुरक्षा को मजबूत करने और भारत के समुद्री हितों के सुचारू संचालन को सुनिश्चित करने के प्रयासों के तहत यह आदेश अगली सूचना तक लागू रहेगा।
आदेश के मुताबिक, “पाकिस्तान का झंडा लगे जहाज को किसी भी भारतीय बंदरगाह पर जाने की अनुमति नहीं दी जाएगी और भारतीय झंडा लगे जहाज को पाकिस्तान के किसी भी बंदरगाह पर जाने की अनुमति नहीं मिलेगी।”
इसमें यह भी कहा गया कि आदेश से किसी भी छूट की “जांच की जाएगी और मामले-दर-मामला आधार पर निर्णय लिया जाएगा।”
इससे पहले भारत ने पहलगाम आतंकवादी हमले के बाद पड़ोसी देश के साथ बढ़ते तनाव के बीच पाकिस्तान से सभी प्रकार के प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष आयात पर प्रतिबंध लगा दिया।
वाणिज्य मंत्रालय की अधिसूचना के अनुसार, “पाकिस्तान में उत्पन्न या वहां से निर्यातित सभी वस्तुओं का प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष आयात या पारगमन, चाहे वे स्वतंत्र रूप से आयात योग्य हों या अन्यथा अनुमत हों, तत्काल प्रभाव से अगले आदेश तक प्रतिबंधित रहेगा।”
अधिसूचना में कहा गया, “यह प्रतिबंध राष्ट्रीय सुरक्षा और सार्वजनिक नीति के हित में लगाया गया है। इस प्रतिबंध में किसी भी अपवाद के लिए भारत सरकार की पूर्व स्वीकृति आवश्यक होगी।”
2 मई की अधिसूचना में कहा गया कि इस संबंध में विदेश व्यापार नीति (एफटीपी) 2023 में एक प्रावधान जोड़ा गया है, ताकि ‘पाकिस्तान में उत्पन्न या वहां से निर्यात किए जाने वाले सभी सामानों के प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष आयात या पारगमन पर रोक लगाई जा सके।’
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