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Thursday,04-September-2025
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राजनीति

केजरीवाल के बाद सिद्धू भी पंजाब में 300 यूनिट मुफ्त बिजली दिए जाने के पक्ष में

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Navjot-Singh-Sidhu

आम आदमी पार्टी के राष्ट्रीय संयोजक और दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के पंजाब में लोगों को लुभाने के लिए मुफ्त और सब्सिडी वाली बिजली की चुनाव पूर्व रियायतों की घोषणा का अनुसरण करते हुए कांग्रेस नेता और राज्य के पूर्व मंत्री नवजोत सिंह सिद्धू ने रविवार को बिना बिजली कटौती और 300 यूनिट तक मुफ्त बिजली के साथ 24 घंटे आपूर्ति की वकालत की। सिद्धू ने एक ट्वीट में कहा, “पंजाब पहले से ही 9,000 करोड़ रुपये की सब्सिडी प्रदान करता है, लेकिन हमें घरेलू और औद्योगिक उपभोक्ताओं के लिए 10-12 रुपये प्रति यूनिट सरचार्ज के बजाय 3-5 रुपये प्रति यूनिट की दर से बिजली देने के साथ साथ (300 यूनिट तक) 24 घंटें बिजली कटौती और मुफ्त बिजली अधिक देनी होगी। निश्चित ही इसे पूरा किया जा सकता है।”

उन्होंने आगे कहा, हम कांग्रेस आलाकमान के प्री-पीपल 18-सूत्रीय एजेंडे से शुरुआत करनी चाहिए और बादल द्वारा ‘पंजाब विधानसभा में नए विधान’ जिसके अनुसार, बिना किसी निश्चित शुल्क के नेशनल पावर एक्सचेंज के अनुसार दरें तय की जाती हैं, इस बिजली खरीद समझौते से छुटकारा पाना चाहिए!”

पंजाब में बिजली गुल होने पर सिद्धू का यह बयान तब आया है, जब आप के राष्ट्रीय संयोजक केजरीवाल ने दिल्ली में अपने परखे हुए फॉर्मूले के तहत मुफ्त और सब्सिडी वाली बिजली की घोषणा करके राज्य में एक अभियान की शुरुआत की थी।

केजरीवाल ने 29 जून को चंडीगढ़ में एक संवाददाता सम्मेलन को संबोधित करते हुए 300 यूनिट तक मुफ्त बिजली की पेशकश की और पंजाब में आप की सरकार बनने पर सभी पुराने बिजली बिल और बकाया माफ करने का वादा किया।

शनिवार को, पंजाब के मुख्यमंत्री अमरिंदर सिंह ने कहा कि उनकी सरकार जल्द ही पिछले शिअद-भाजपा शासन के दौरान गलत तरीके से बिजली खरीद समझौतों (पीपीए) का मुकाबला करने के लिए अपनी कानूनी रणनीति की घोषणा करेगी।

दो दिन पहले ट्वीट्स कर सिद्धू ने पीपीए को दोषी ठहराया था कि पिछली सरकार ने तीन निजी थर्मल पावर प्लांटों के साथ हस्ताक्षर किए थे और कहा था कि “2020 तक पंजाब ने इन समझौतों में दोषपूर्ण क्लॉज के कारण 5,400 करोड़ रुपये का भुगतान किया है। यह भुगतान करने की उम्मीद है 65,000 करोड़ रुपये लोगों का पैसा फिक्स चार्ज के तौर पर किया है।”

पीपीए को अलग रखने की आवश्यकता का समर्थन करते हुए सिद्धू ने कहा था कि राज्य राष्ट्रीय ग्रिड से बहुत सस्ती दरों पर बिजली खरीद सकता है। उन्होंने कहा, “बादल द्वारा हस्ताक्षरित ये पीपीए पंजाब के जनहित के खिलाफ काम कर रहे हैं। माननीय अदालतों से कानूनी संरक्षण होने के कारण पंजाब इन पीपीए पर फिर से बातचीत करने में सक्षम नहीं हो सकता है, लेकिन आगे एक रास्ता है।”

गंभीर बिजली संकट का सामना करते हुए पंजाब सरकार ने पिछले हफ्ते सरकारी कार्यालयों के समय में कटौती की और फसलों को बचाने और घरेलू बिजली की स्थिति को कम करने के लिए उच्च ऊर्जा खपत वाले उद्योगों को बिजली की आपूर्ति में कटौती की।

सिद्धू ने 14 जुलाई, 2019 को मुख्यमंत्री अमरिंदर सिंह के साथ पोर्टफोलियो आवंटन को लेकर मतभेदों के बाद पंजाब के कैबिनेट मंत्री के पद से इस्तीफा दे दिया था। सिद्धू स्थानीय निकायों के प्रभारी थे लेकिन उन्हें बिजली विभाग में स्थानांतरित कर दिया गया था।

पार्टी सूत्रों ने कहा कि कांग्रेस के केंद्रीय नेतृत्व का एक वर्ग सिद्धू को राज्य पार्टी प्रमुख बनाकर उन्हें उचित मुआवजा देना चाहता है, जिन्हें किनारे कर दिया गया है।

हालांकि, हिंदू विधायकों का एक वर्ग, मुख्यमंत्री के प्रति निष्ठा के कारण, सिद्धू के शामिल होने को स्वीकार नहीं कर रहा है। उनका समझौता यह है कि पार्टी दो जाट सिख नेताओं को प्रमुख भूमिकाओं में नहीं रख सकती – एक मुख्यमंत्री के रूप में और दूसरा राज्य पार्टी प्रमुख के रूप में।

राजनीतिक गलियारों में कयास लगाए जा रहे हैं कि सिद्धू 2022 के विधानसभा चुनाव से पहले आप में शामिल हो सकते हैं।

महाराष्ट्र

पुणे क्राइम: पिंपरी-चिंचवड़ पुलिस की बड़ी कार्रवाई, 45 गिरफ्तार, अवैध हथियारों का जखीरा जब्त

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पुणे: शहर में बढ़ते अपराधों पर लगाम लगाने के लिए पिंपरी-चिंचवड़ पुलिस ने अवैध हथियारों के खिलाफ बड़ी कार्रवाई की है। इस दौरान पुलिस ने बड़ी संख्या में पिस्तौल, जिंदा कारतूस और धारदार हथियार जब्त किए हैं।

13 अगस्त से 2 सितंबर के बीच पुलिस ने पुलिस आयुक्त विनय कुमार चौबे के मार्गदर्शन में विशेष अभियान चलाया। इस दौरान 50 पिस्तौल, 79 जिंदा कारतूस, 91 कोयते और 12 तलवारें बरामद की गईं।

पुलिस के अनुसार, अब तक 94 मामले दर्ज किए गए हैं, जिनमें से 40 मामले अवैध पिस्तौल रखने वालों पर दर्ज किए गए। इस कार्रवाई में 45 लोगों को पिस्तौल और कारतूस के साथ गिरफ्तार किया गया, जबकि 66 आरोपियों को धारदार हथियार रखने के आरोप में गिरफ्तार किया गया।

कुल मिलाकर, पुलिस ने 116 धारदार हथियारों के साथ पिस्तौल और कारतूस भी जब्त किए हैं। अधिकारियों ने बताया कि पुणे और पिंपरी-चिंचवड़ में बढ़ते अपराधों को रोकने के लिए अवैध हथियार रखने वालों पर सख्त कार्रवाई जारी रहेगी।

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राष्ट्रीय समाचार

बाढ़ और अवैध पेड़ कटाई पर सुप्रीम कोर्ट सख्त, पंजाब, हिमाचल, उत्तराखंड और जम्मू-कश्मीर को नोटिस

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suprim court

नई दिल्ली, 4 सितंबर। सुप्रीम कोर्ट ने हाल ही में उत्तर भारत के कई राज्यों में आई बाढ़ और भूस्खलन पर गंभीर चिंता जताई है। अदालत ने इस मामले पर सुनवाई करते हुए चार राज्यों को नोटिस जारी कर जवाब दाखिल करने की बात कही।

सुप्रीम कोर्ट ने जिन चार राज्यों को नोटिस जारी किया, उसमें पंजाब, हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड और जम्मू-कश्मीर शामिल हैं।

कोर्ट ने इन राज्यों की सरकारों को नोटिस जारी कर उनसे दो हफ्तों के भीतर जवाब दाखिल करने को कहा है।

मुख्य न्यायाधीश बीआर गवई की अध्यक्षता वाली पीठ ने कहा कि प्रथम दृष्टया यह प्रतीत होता है कि बड़े पैमाने पर अवैध पेड़ कटाई की गई है और यही हालिया आपदा का एक बड़ा कारण हो सकता है।

अदालत ने मीडिया रिपोर्टों पर संज्ञान लेते हुए कहा कि हमने हिमाचल प्रदेश के दृश्य देखे, जहां बड़ी संख्या में लकड़ी के गट्ठर बाढ़ में बहते हुए नजर आए। यह अनियंत्रित पेड़ कटाई का संकेत है। वहीं, पंजाब में खेत और गांव तबाह हो गए हैं। विकास जरूरी है, लेकिन वह संतुलित होना चाहिए।

सुनवाई के दौरान सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने भी मामले की गंभीरता को रेखांकित किया।

उन्होंने कहा कि हमने प्रकृति के साथ इतनी छेड़छाड़ की है कि अब प्रकृति हमें उसका जवाब दे रही है। उन्होंने कोर्ट को भरोसा दिलाया कि इस मुद्दे पर वे पर्यावरण मंत्रालय के सचिव से बात करेंगे और संबंधित राज्यों के मुख्य सचिवों से भी संवाद स्थापित करेंगे।

सुप्रीम कोर्ट ने स्पष्ट किया कि प्रभावित राज्यों को इस पर ठोस जवाब देना होगा कि बाढ़ और भूस्खलन की घटनाओं को रोकने के लिए क्या कदम उठाए गए और आगे ऐसी आपदाओं से बचाव के लिए उनकी क्या योजना है।

बता दें कि कई राज्यों में हुई बारिश के कारण जनजीवन पूरी तरीके से प्रभावित है। पंजाब, हिमाचल, उत्तराखंड और जम्मू-कश्मीर के कई शहरों में जलजमाव है। पंजाब में हालात सबसे खराब हैं, जहां पर कई गांवों में पानी भर गया है।

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राजनीति

मुंबई में बार-बार हो रहे प्रदर्शनों पर मिलिंद देवड़ा ने जताई चिंता, सीएम फडणवीस को लिखा पत्र

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मुंबई, 4 सितंबर। शिवसेना नेता और लोकसभा सांसद मिलिंद देवड़ा ने महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस को पत्र लिखकर दक्षिण मुंबई में बार-बार हो रहे प्रदर्शनों और बड़े जमावड़ों पर गंभीर चिंता जताई है। देवड़ा ने कहा कि लोकतंत्र में विरोध-प्रदर्शन का अधिकार महत्वपूर्ण है, लेकिन इसे आम नागरिकों के जीवन और कामकाज पर बोझ डालने की अनुमति नहीं दी जानी चाहिए।

देवड़ा ने सीएम फडणवीस को संबोधित करते हुए पत्र में लिखा, “मैं आपको आजाद मैदान और दक्षिण मुंबई के अन्य स्थानों पर लगातार हो रहे विरोध प्रदर्शनों और बड़ी सभाओं के बारे में गहरी चिंता के साथ लिख रहा हूं। हालांकि, विरोध करने का अधिकार एक अनिवार्य लोकतांत्रिक स्वतंत्रता है, लेकिन इसे आम नागरिकों के बिना किसी व्यवधान के जीने और काम करने के अधिकारों के साथ संतुलित किया जाना चाहिए।”

उन्होंने कहा कि दक्षिण मुंबई न केवल हमारे राज्य की शासन व्यवस्था का केंद्र है, बल्कि इसका राजनीतिक और आर्थिक केंद्र भी है। यहां महाराष्ट्र सरकार सचिवालय (मंत्रालय), विधानसभा, बृहन्मुंबई नगर निगम मुख्यालय, मुंबई और महाराष्ट्र पुलिस के कार्यालय और पश्चिमी नौसेना कमान स्थित हैं। यह वित्तीय संस्थानों, कॉर्पोरेट मुख्यालयों और महत्वपूर्ण बुनियादी ढांचे का भी केंद्र है, जिस पर लाखों लोग प्रतिदिन निर्भर हैं।

देवड़ा ने कहा कि दुनिया का कोई भी राजधानी शहर अपनी शासन, सुरक्षा और अर्थव्यवस्था जैसी बुनियादी संस्थाओं को विरोध प्रदर्शनों के कारण बार-बार पंगु नहीं होने देगा। हालांकि, शांतिपूर्ण प्रदर्शन लोकतंत्र का अभिन्न अंग हैं, लेकिन उनके स्थान और पैमाने से सरकार, नगरपालिका प्रशासन, सुरक्षा बलों या निजी क्षेत्र के कामकाज पर असर नहीं पड़ना चाहिए।

उन्होंने आगे कहा, “मैं महाराष्ट्र सरकार से आग्रह करता हूं कि वह दक्षिण मुंबई के उच्च-सुरक्षा, उच्च-कार्यशील क्षेत्रों से ऐसे विरोध प्रदर्शनों पर रोक लगाने या उन्हें दूर स्थानांतरित करने के लिए आवश्यक कदम उठाए। इससे यह सुनिश्चित होगा कि नागरिकों के अधिकारों की रक्षा हो, शासन निर्बाध रहे और मुंबई महाराष्ट्र और भारत की निर्विवाद वित्तीय और राजनीतिक राजधानी के रूप में कार्य करती रहे।”

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