राष्ट्रीय समाचार
वर्ल्ड फूड इंडिया 2025 के समापन के साथ ग्लोबल एग्री-फूड वैल्यू चेन में भारत की स्थिति हुई मजबूत

नई दिल्ली, 29 सितंबर। केंद्र सरकार द्वारा सोमवार को दी गई जानकारी के अनुसार, ‘वर्ल्ड फूड इंडिया 2025’ ने फूड प्रोसेसिंग, इनोवेशन, सस्टेनेबल प्रथाओं के लिए ग्लोबल हब के रूप में भारत की स्थिति को मजबूत करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
खाद्य प्रसंस्करण उद्योग मंत्रालय के अनुसार, इस चार दिवसीय कार्यक्रम में रिकॉर्ड निवेश, मजबूत इंटरनेशनल पार्टनरशिप और एग्री-फूड वैल्यू चेन में भारत को ग्लोबल लीडर बनाने के दृष्टिकोण के साथ, इस क्षेत्र में भविष्य की वृद्धि और वैश्विक सहयोग के लिए एक मजबूत आधार तैयार किया गया है।
इस समिट के दौरान 1,02,000 करोड़ रुपए से अधिक मूल्य के समझौता ज्ञापनों पर हस्ताक्षर किए गए, जो भारतीय खाद्य प्रसंस्करण क्षेत्र में अब तक का सबसे बड़ा निवेश है।
खाद्य प्रसंस्करण उद्योग मंत्रालय ने एनआईएफटीईएम-टी और एनआईएफटीईएम-के सहित प्रमुख शैक्षणिक और रिसर्च संस्थानों के साथ सहयोग भी किया, जिससे खाद्य सुरक्षा, न्यूट्रीस्यूटिकल्स और स्टार्ट-अप इनक्यूबेशन में टेक्नोलॉजी ट्रांसफर और भागीदारी को बढ़ावा मिला।
इस कार्यक्रम का उद्घाटन पीएम मोदी ने किया। कार्यक्रम में खाद्य और कृषि के भविष्य पर चर्चा करने के लिए ग्लोबल लीडर, नीति निर्माता, उद्योग जगत के दिग्गजों और इनोवेटर्स ने भाग लिया।
पीएम मोदी ने अपने उद्घाटन भाषण में भारत की एक विश्वसनीय ग्लोबल सप्लायर के रूप में भूमिका पर जोर दिया। साथ ही उन्होंने कृषि विविधता, बढ़ती मध्यम वर्ग की मांग, 100 प्रतिशत एफडीआई, उत्पादन से जुड़ी प्रोत्साहन योजना और मेगा फूड पार्क जैसी सरकारी पहलों पर प्रकाश डाला।
इस अवसर पर, पीएम मोदी ने पीएमएफएमई योजना के तहत 2,518 करोड़ रुपए की सूक्ष्म परियोजनाओं के लिए 26,000 लाभार्थियों को क्रेडिट-लिंक्ड सब्सिडी भी जारी की, जो जमीनी स्तर के उद्यमियों को सशक्त बनाने के लिए सरकार की प्रतिबद्धता को दर्शाता है।
केंद्रीय मंत्रियों नितिन गडकरी और चिराग पासवान की सह-अध्यक्षता वाली सीईओ राउंडटेबल में प्रमुख भारतीय और बहुराष्ट्रीय कंपनियों के 100 से अधिक सीईओ ने भाग लिया।
इस चर्चा का मुख्य विषय सस्टेनेबल निवेश, बायोडिग्रेडेबल पैकेजिंग, अपशिष्ट पुनर्चक्रण, ब्लू इकोनॉमी की क्षमता और लागत कम करने और प्रतिस्पर्धा क्षमता बढ़ाने के लिए लॉजिस्टिक्स और परिवहन में सुधार था।
इन बैठकों में भारत की अंतरराष्ट्रीय साझेदारी को मजबूत करने पर जोर दिया गया। रूस, श्रीलंका, मोरक्को, मालदीव, पुर्तगाल, न्यूजीलैंड, जिम्बाब्वे, युगांडा, एस्वातिनी और कुवैत के प्रतिनिधिमंडलों ने भारतीय समकक्षों के साथ बातचीत की और कृषि और खाद्य प्रसंस्करण में सहयोग के नए तरीकों पर चर्चा की।
इन वार्ताओं से ग्लोबल एग्री-फूड वैल्यू चेन में भारत की एक विश्वसनीय भागीदार के रूप में भूमिका मजबूत हुई।
राजनीति
राहुल गांधी के खिलाफ टिप्पणी को लेकर भड़के कांग्रेस प्रवक्ता पवन खेड़ा, कार्रवाई की मांग

नई दिल्ली, 29 सितंबर। लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी के खिलाफ टीवी डिबेट में की गई टिप्पणी पर कांग्रेस भड़की हुई है। पार्टी के प्रवक्ता पवन खेड़ा ने कहा कि भाजपा वैचारिक लड़ाई हार रही है, तो उसके प्रवक्ता और नेता राहुल गांधी को मारने की धमकी दे रहे हैं।
कांग्रेस प्रवक्ता पवन खेड़ा ने एक वीडियो में कहा, “अहिंसा कायरता की आड़ नहीं होती है और वीरता का सर्वोच्च गुण है। यह गुण हमने आजादी के आंदोलन में देखा, जब अहिंसा के रास्ते से अंग्रेजों को हराया। जो वैचारिक लड़ाई होती है, उसके हथियार गोला-बारूद और बंदूक नहीं होते, उसके हथियार विचार होते हैं। लेकिन जब प्रतिद्वंद्वी के पास विचार के हथियार नहीं होते हैं, तो वे हिंसा का सहारा लेते हैं।”
पवन खेड़ा बोले, “प्रवक्ता ने टीवी पर आकर कहा कि राहुल गांधी को छाती पर गोली मारनी चाहिए। इस पर कोई एक्शन नहीं हुआ है।”
उन्होंने कहा कि इससे पहले, सीआरपीएफ ने कई बार चिट्ठियां लिखीं। उन चिट्ठियों को लीक किया गया। राहुल गांधी की सुरक्षा को लेकर चिट्ठियां लिखी गईं। इससे षड्यंत्र की बू आती है। यह वही लोग हैं, जो वैचारिक लड़ाई में हार रहे हैं, जिनके पास विचार को विचार से परास्त करने के हथियार नहीं हैं।
कांग्रेस प्रवक्ता ने कहा, “पहले गालियों का इस्तेमाल करके राहुल गांधी को चुप कराने की कोशिश की गई। अब गोलियों की धमकी दी जा रही है।” उन्होंने यह भी कहा कि कश्मीर से कन्याकुमारी तक लोग कांग्रेस की तरफ से उठाए जा रहे मुद्दों से आकर्षित होकर राहुल गांधी से जुड़ रहे हैं और यह विरोधियों को पच नहीं रहा है।
राहुल गांधी के खिलाफ टिप्पणी मामले में राजस्थान विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष टीकाराम जूली ने पिंटू महादेव को लेकर कहा, “गोली मारने की बात कहना, ऐसी सोच रखना, ये गोडसे की सोच वाले लोग हैं।” उन्होंने केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह से इस मामले में कार्रवाई की मांग की।
इससे पहले, कांग्रेस पार्टी ने कहा कि आरएसएस-भाजपा विचारधारा के खिलाफ राहुल गांधी की निडर लड़ाई ने उन्हें झकझोर दिया है। हालांकि, कोई भी धमकी या हिंसा उन्हें भारत के लोगों के लिए खड़े होने और संविधान की रक्षा करने से नहीं रोक पाएगी।
कांग्रेस ने अपने आधिकारिक ‘एक्स’ अकाउंट से पोस्ट करते हुए मांग की कि पिंटू महादेव के खिलाफ तुरंत कार्रवाई की जाए। साथ ही, भाजपा नेतृत्व की ओर से इसकी कड़ी निंदा और सार्वजनिक रूप से माफी मांगी जाए।
अपराध
बरेली विवाद : तौकीर रजा समेत अब तक 8 आरोपी भेजे गए जेल, पुलिस ने 10 एफआईआर दर्ज कीं

बरेली, 27 सितंबर। बरेली में शुक्रवार को हुए हंगामे के बाद पुलिस ने 10 एफआईआर दर्ज की हैं। मामले में 39 लोगों को हिरासत में लिया जा चुका है। बरेली पुलिस ने इत्तेहाद-ए-मिल्लत काउंसिल (आईएमसी) के अध्यक्ष मौलाना तौकीर रजा को भी गिरफ्तार किया, जिन्हें अब 14 दिनों की न्यायिक हिरासत में भेजा गया है।
डीआईजी अजय साहनी ने मिडिया को बताया कि मामले में तौकीर रजा की भूमिका को देखते हुए उन्हें न्यायिक हिरासत में भेजा गया है। उन्होंने कहा कि अभी तक सामने आए तख्तों के आधार पर पता चला है कि इसमें तौकीर रजा की अहम भूमिका है। उनकी तरफ से एक हफ्ते पहले धरना प्रदर्शन की सूचना थी। पुलिस लगातार तौकीर रजा से संपर्क में रही।
डीआईजी के अनुसार, हंगामे को लेकर तौकीर रजा के संगठन के कुछ लोगों का नाम भी सामने आया है। उनके खिलाफ कुछ सबूत भी हैं। इन लोगों के नाम एफआईआर में भी दर्ज किए गए हैं।
उन्होंने बताया कि शुक्रवार की घटना के संबंध में अब तक कुल 10 प्राथमिकी दर्ज की गई हैं। डीआईजी ने यह भी बताया कि घटनास्थल से हथियार, खाली खोखे, कुछ बोतलें और घटना में इस्तेमाल की गई अन्य सामग्री बरामद की गई है। कुल 22 पुलिसकर्मी घायल हुए हैं और उनका इलाज चल रहा है।
बरेली के एसएसपी अनुराग आर्य ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा कि जुमे की नमाज के बाद कुछ जगहों पर हिंसक प्रदर्शन किया गया। हम पहले ही स्पष्ट कर चुके हैं कि इस मामले में कठोर कार्रवाई सुनिश्चित की जाएगी।
एफआईआर को लेकर एसएसपी ने बताया कि घटनाओं को लेकर थाना कोतवाली में 5 एफआईआर दर्ज की गई हैं, जबकि थाना बारादरी में दो और किला, प्रेम नगर और कैंट पुलिस थानों में एक-एक एफआईआर दर्ज की गई है।
उन्होंने बताया कि कुल 8 अपराधियों को गिरफ्तार करके जेल भेजा जा चुका है। इसमें मौलाना तौकीर रजा भी शामिल हैं। कोर्ट के आदेश के बाद सभी 8 आरोपियों को जेल में भेजा गया है।
राष्ट्रीय समाचार
‘आई लव मोहम्मद’ पोस्टर विवाद, दिल्ली हाईकोर्ट में गिरफ्तारियों के खिलाफ याचिका दाखिल

नई दिल्ली, 27 सितंबर। ‘आई लव मोहम्मद’ पोस्टर प्रकरण में दर्ज एफआईआर और की गई गिरफ्तारियों का मामला दिल्ली हाईकोर्ट पहुंच गया। मुस्लिम संगठनों ने हाईकोर्ट में एफआईआर और गिरफ्तारियों के खिलाफ याचिका दाखिल की है।
भारतीय मुस्लिम छात्र संगठन और रजा अकादमी ने दिल्ली हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया है। इस याचिका में कहा गया है कि उनकी आस्था की अभिव्यक्ति को सांप्रदायिक बताकर मुकदमे दर्ज किए जा रहे हैं और गिरफ्तारी की जा रही है, जो उनके मौलिक अधिकारों का हनन है।
याचिका में मांग की गई है कि जिन लोगों के खिलाफ मुकदमे दर्ज किए गए हैं, उन्हें वापस लिया जाए और गिरफ्तार किए गए लोगों को तत्काल रिहा किया जाए। यह भी दलील दी गई है कि बड़े पैमाने पर मुस्लिम समुदाय के लोगों के खिलाफ जो शांतिपूर्वक अपना त्योहार मना रहे थे, उन पर दंगा करने, आपराधिक धमकी देने और शांति भंग करने का झूठा आरोप लगाकर मुकदमे दर्ज कर दिए गए।
हाईकोर्ट में दायर याचिका के अनुसार, यह जनहित याचिका भारतीय संविधान के अनुच्छेद 226 के तहत दायर की गई है। इसमें याचिकाकर्ताओं के संवैधानिक अधिकारों की रक्षा के लिए तत्काल न्यायिक हस्तक्षेप की मांग की गई है। ये सभी अल्पसंख्यक मुस्लिम समुदाय से हैं और इन्हें 20 सिबंतर की एफआई में झूठे तरीके से फंसाया गया है। यह एफआईआर पुलिस स्टेशन काइसरगंज, जिला बहराइच में भारतीय न्याय संहिता, 2023 (बीएनएस) की धारा 187 (जानबूझकर चोट पहुंचाने की सजा), 351 (आपराधिक धमकी), 187(2)/188 (दंगा/गैरकानूनी जमावड़ा) और 356 (शांति भंग करने के इरादे से जानबूझकर अपमान) के तहत दर्ज की गई है।
याचिकाकर्ता साधारण लोग हैं, जो दिहाड़ी मजदूर, छात्र और परिवार वाले हैं। उनका एकमात्र अपराध यह है कि उन्होंने पोस्टर, बैनर और शांतिपूर्ण सभाओं के माध्यम से अपने त्योहार मनाए। अनुच्छेद 25 और 26 के तहत धार्मिक अभिव्यक्ति के उनके अधिकार का सम्मान करने के बजाय, उन्हें बहुसंख्यक समुदाय के सदस्यों द्वारा बिना किसी ठोस सबूत के बदनाम किया गया, निशाना बनाया गया और झूठे आरोप लगाए गए। सर्वोच्च न्यायालय ने बिजॉय इमानुएल बनाम केरल राज्य मामले (1986) 3 एससीसी 615 में कहा था कि धार्मिक आस्था के कारण राष्ट्रगान न गाने जैसे निष्क्रिय धार्मिक अभिव्यक्ति भी संविधान द्वारा संरक्षित है। इसी तरह त्योहार के हिस्से के रूप में पोस्टर और बैनर लगाने का याचिकाकर्ताओं का शांतिपूर्ण कार्य झूठी एफआईआर के माध्यम से अपराध नहीं हो सकता।
याचिकाकर्ता ने कहा कि अल्पसंख्यक समुदाय के सदस्यों को झूठे मामले में फंसाना न सिर्फ अनुच्छेद 21 के तहत उनके जीवन और स्वतंत्रता के अधिकार का उल्लंघन है, बल्कि यह अनुच्छेद 14 और 15 द्वारा गारंटीकृत भारत के धर्मनिरपेक्ष ढांचे को भी नुकसान पहुंचाता है।
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