राष्ट्रीय समाचार
तिरंगे को देखकर हर भारतीय के दिल में गर्व की अनुभूति होती है: जीत अदाणी

मुंबई, 14 अगस्त। अदाणी एयरपोर्ट्स के डायरेक्टर जीत अदाणी ने बुधवार को कहा कि हमारे तिरंगे को देखकर हर भारतीय के दिल में गर्व की भावना पैदा होती है।
जीत अदाणी ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ‘एक्स’ पर पोस्ट कर कहा, “मुझे यकीन है कि मुंबई एयरपोर्ट से गुजरने वाला हर व्यक्ति भी इसे महसूस करेगा।”
उन्होंने छत्रपति शिवाजी महाराज इंटरनेशनल एयरपोर्ट (सीएसएमआईए) के एक एक्स पोस्ट पर प्रतिक्रिया दी।
छत्रपति शिवाजी महाराज इंटरनेशनल एयरपोर्ट, मुंबई ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर पोस्ट कर कहा कि सीएसएमआईए भारत के 79वें स्वतंत्रता दिवस समारोह को टर्मिनल 1 और 2 पर चमकदार तिरंगे की रोशनी से चिह्नित करता है, जिसके पूरक के रूप में स्वतंत्रता और एकता की भावना को दर्शाने वाले थीम आधारित प्रतिष्ठान हैं।
अगली पीढ़ी के एयरपोर्ट के अनुभव को बनाने के लिए, सीएसएमआईए टर्मिनल 1 के पुनर्विकास, क्षमता विस्तार और डिजिटलीकरण, हवाई क्षेत्र में सुधार, स्मार्ट यात्री तकनीक और स्थिरता प्रतिबद्धताओं जैसी कई परिवर्तनकारी परियोजनाओं को आगे बढ़ा रहा है।
छत्रपति शिवाजी महाराज इंटरनेशनल एयरपोर्ट का संचालक, मुंबई इंटरनेशनल एयरपोर्ट (एमआईएएल), टर्मिनल 1 (टी1) के पुनर्विकास के साथ एक ऐतिहासिक परिवर्तन की शुरुआत करने के लिए तैयार है, जिसकी क्षमता प्रति वर्ष 2 करोड़ यात्रियों को सेवा प्रदान करने की होगी, जो इसकी वर्तमान क्षमता से 42 प्रतिशत अधिक है।
2028-29 में पूरा होने वाला यह नया टर्मिनल, जिसका निर्मित क्षेत्रफल 20 लाख वर्ग फुट से अधिक है, डिजिटलीकरण और उपभोक्ता सुविधा की एक पहचान बनने के लिए तैयार है।
अदाणी एयरपोर्ट होल्डिंग्स लिमिटेड द्वारा प्रबंधित सीएसएमआईए के एक बयान के अनुसार, टर्मिनल 1 के आधुनिकीकरण का पहला चरण इस साल नवंबर में शुरू होगा।
हवाई अड्डे के संचालन में व्यवधान को कम करने के लिए टर्मिनल 1 का पुनर्विकास चरणों में किया जाएगा।
प्रारंभिक चरण में मौजूदा संरचना को ध्वस्त करना शामिल है, जो नवंबर 2025 में शुरू होगा, उसके बाद नए टर्मिनल का निर्माण होगा।
सीएसएमआईए टर्मिनल 2, नवी मुंबई इंटरनेशनल एयरपोर्ट के साथ, जो 2025 में चालू होने वाला है, टर्मिनल 1 के ध्वस्त होने से उत्पन्न क्षमता अंतर को प्रबंधित करेगा।
दोनों एयरपोर्ट मिलकर यात्रियों और उड़ान कार्यक्रमों को समायोजित करेंगे, ताकि मुंबई शहर और मुंबई महानगर क्षेत्र दोनों की बढ़ती मांगों को पूरा किया जा सके।
राजनीति
फर्जी मतदाताओं को लिस्ट से हटाने के लिए एसआईआर महत्वपूर्ण कदम : संजय उपाध्याय

Sanjay Upadhyay
मुंबई, 14 अगस्त। भाजपा विधायक संजय उपाध्याय ने राजद सांसद मनोज झा के बिहार में चुनाव के बहिष्कार के बयान पर पलटवार किया। उन्होंने फर्जी वोटरों को लिस्ट से हटाने के लिए एसआईआर को महत्वपूर्ण कदम करार दिया।
संजय उपाध्याय ने मिडिया से बातचीत के दौरान कहा कि एसआईआर के माध्यम से बिहार में प्रत्येक मतदाता का सत्यापन हो रहा है, फर्जी गतिविधियों पर रोक लग रही है और सुप्रीम कोर्ट ने भी इसे स्वीकार किया है। मतदाता सूची शुद्धिकरण प्रक्रिया फर्जी वोटरों को हटाने का महत्वपूर्ण कदम है। बिहार में एसआईआर के तहत हर मतदाता का सत्यापन हो रहा है, जिससे फर्जी वोटर खत्म हो रहे हैं। उन्होंने सवाल उठाया कि अगर यह सही है तो राजद को आपत्ति क्यों है?
उन्होंने आरोप लगाते हुए कहा कि डर उनके फर्जी वोटर प्लान के खुलासे का है। राहुल गांधी के उदाहरण से उन्होंने कांग्रेस और राजद के ‘दोहरापन’ की आलोचना की और विपक्ष पर संवैधानिक संस्थाओं को बदनाम कर अराजकता फैलाने का आरोप लगाया।
भाजपा विधायक ने आरोप लगाया कि राहुल गांधी लगातार वीर सावरकर का अपमान करते रहे हैं और कई मुद्दों पर अदालत से माफी मांग चुके हैं। राहुल गांधी देश को गुमराह करते हैं और खुद की महात्मा गांधी से तुलना करने की कोशिश कर रहे हैं, जबकि दोनों में बड़ा अंतर है, जिसे छोटा बच्चा भी समझ सकता है।
उन्होंने व्यंग्य करते हुए कहा कि अब तो माता-पिता भी अपने बच्चों का नाम राहुल रखने से कतराते हैं। राहुल सिर्फ सुर्खियों के लिए बयान देते हैं, जबकि उनकी सुरक्षा एजेंसियों के पास है। मौजूदा सरकार में सभी सुरक्षित हैं।
उन्होंने ‘तिरंगा यात्रा’ को लेकर कहा कि भाजपा का अर्थ है, ‘भारत माता की जय’ और जो भारत को मां मानता है, वही सच्चा भारतीय है। भाजपा देश के प्रति वफादार है। तिरंगे और राष्ट्र के सम्मान में ‘तिरंगा यात्रा’ निकालती है। उन्होंने सवाल किया कि विपक्ष को इससे क्या आपत्ति है, क्या उन्हें तिरंगे, देश या राष्ट्रभक्ति से दिक्कत है? यदि नहीं, तो उन्हें कौन रोक रहा है? क्या वे पाकिस्तान की यात्रा निकालना चाहते हैं?
छत्तीसगढ़ वक्फ बोर्ड का भाजपा नेता संजय उपाध्याय ने समर्थन किया। उन्होंने कहा कि मस्जिद, मंदिर, घर और गुरुद्वारा देश की संपत्ति हैं। ‘हर घर तिरंगा’ अभियान के तहत हर धर्मस्थल, घर और गुरुद्वारे पर तिरंगा लगाया जाना चाहिए। मस्जिदों को भी इस पर आपत्ति नहीं होनी चाहिए।
राजनीति
’30 सालों से नहीं दिखे महिलाओं के आंसू, माफिया का एनकाउंटर गुजरा नागवार’, पूजा पाल का सपा पर आरोप

लखनऊ, 14 अगस्त। यूपी के कौशांबी की चायल से विधायक पूजा पाल को गुरुवार को समाजवादी पार्टी (सपा) मुखिया अखिलेश यादव ने पार्टी से निष्कासित कर दिया। सपा से निष्कासन के बाद उन्होंने सपा पर आरोप लगाए।
पूजा पाल ने कहा कि 30 साल से महिलाओं के आंसू इन लोगों को नजर नहीं आ रहे थे। माफिया का एनकाउंटर उनको नागवार गुजर रहा है।
विधायक पूजा पाल ने मिडिया से बातचीत में कहा, “मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की मैंने पहले भी तारीफ की थी। मेरे अलावा, प्रयागराज की जनता ने भी भय मुक्त वातावरण के लिए सीएम योगी का आभार व्यक्त किया है। मेरा गुनाह सिर्फ इतना है कि मैंने माफिया अतीक अहमद का नाम लिया और अपने निजी जीवन के बारे में बताया। अतीक के बारे में बात करने पर मेरा निष्कासन किया गया है।”
उन्होंने कहा, “उन्हें कानून व्यवस्था को लेकर योगी सरकार की तारीफ पर पार्टी से निकाला गया। अभी तक ऐसा कदम क्यों नहीं उठाया गया था? मेरे सदन में बोलने के बाद ऐसा कदम उठाया गया है। उन्होंने सदन में किसी पार्टी या राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव का नाम नहीं लिया। मेरे साथ माफिया अतीक ने घटना की थी। इस कारण मैंने उसकी चर्चा की थी। मुख्यमंत्री ने मुझे न्याय दिया। मैंने उनको धन्यवाद दिया था। इसके अलावा तो मैंने कोई अपराध किया नहीं था। अतीक को सजा मिली और इसी कारण मैंने धन्यवाद दिया था।”
विधायक ने कहा, “पूरा यूपी अतीक से परेशान था। उसने न जाने कितनी बहन-बेटियों की मांग सूनी कर दी। उसके बेटे ने दिनदहाड़े हत्या कर दी थी। उसका एनकाउंटर हो गया, जो इन लोगों को नागवार गुजरा। मुझे हटाए जाने का कोई टेंशन नहीं है, जो हुआ सो हुआ। वह जनता के लिए काम करती हैं। जनता हमें समर्थन देती है और समर्थन देती रहेगी। पार्टी को निर्णय लेने से पहले मुझसे बात करनी चाहिए थी। इन लोगों (सपा के लोगों) को गरीबों और महिलाओं के आंसू नहीं दिखे, जो पिछले 30 साल से पीड़ित थीं। इनको माफिया के बच्चे मारे गए, यह नजर आ रहा है।”
पूजा पाल को पार्टी से निकाले जाने पर सपा विधायक संग्राम सिंह यादव ने कहा, “उनको बहुत पहले पार्टी से निकाला जाना चाहिए था। ऐसे लोग न जनता के सगे हैं, न ही पार्टी के। अखिलेश यादव के कारण उन्हें वोट मिले थे। बहुत पहले उन्हें पार्टी से निकाला जाना चाहिए था।”
समाजवादी पार्टी (सपा) की बागी विधायक पूजा पाल को पार्टी विरोधी गतिविधियों और अनुशासनहीनता के आरोप में पार्टी से निष्कासित कर दिया गया है। विधायक पूजा पाल ने कानून-व्यवस्था के मुद्दे पर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की प्रशंसा की थी।
उन्होंने एक बयान में कहा था कि अपराध के प्रति जीरो टॉलरेंस की नीति से उन्हें भी न्याय मिला है।
राष्ट्रीय समाचार
जम्मू-कश्मीर को राज्य का दर्जा: सुप्रीम कोर्ट बोला, जमीनी हकीकत पर होगा फैसला

नई दिल्ली, 14 अगस्त। जम्मू-कश्मीर को राज्य का दर्जा देने की मांग वाली याचिका पर गुरुवार को सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई। इस दौरान कोर्ट ने यह साफ कर दिया कि इस मुद्दे पर फैसला लेते समय जमीनी हकीकत को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता।
मुख्य न्यायाधीश (सीजेआई) जस्टिस बीआर गवई की अध्यक्षता वाली पीठ ने हाल ही में हुए पहलगाम आतंकी हमले का उल्लेख करते हुए कहा कि ऐसी घटनाएं गंभीर चिंता का विषय हैं और इन्हें ध्यान में रखना आवश्यक है।
इस मामले में पेश हुए सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि केंद्र सरकार जम्मू-कश्मीर को राज्य का दर्जा देने की दिशा में कदम उठा रही है, लेकिन वर्तमान में वहां कुछ अजीबोगरीब परिस्थितियां बनी हुई हैं। उन्होंने याद दिलाया कि चुनावों के बाद राज्य का दर्जा बहाल करने का आश्वासन पहले ही दिया जा चुका है, परंतु मौजूदा हालात को देखते हुए यह प्रश्न अभी क्यों उठाया जा रहा है, यह स्पष्ट नहीं है।
मेहता ने कोर्ट से आग्रह किया कि सरकार की आधिकारिक राय प्रस्तुत करने के लिए उन्हें 8 हफ्ते का समय दिया जाए। सुप्रीम कोर्ट ने इस अनुरोध को स्वीकार करते हुए मामले की अगली सुनवाई आठ हफ्ते बाद तय करने का निर्देश दिया। अदालत ने यह भी संकेत दिया कि इस मुद्दे पर कोई भी फैसला लेते समय सुरक्षा और स्थिरता के पहलुओं को प्राथमिकता दी जाएगी।
जहूर अहमद भट और कार्यकर्ता खुर्शीद अहमद मलिक की ओर से दायर याचिका में कहा गया है कि राज्य का दर्जा बहाल करने में लगातार हो रही देरी”जम्मू और कश्मीर के नागरिकों के अधिकारों को गंभीर रूप से प्रभावित कर रही है और संघवाद की अवधारणा का भी उल्लंघन कर रही है। आवेदकों का तर्क है कि समयबद्ध सीमा के भीतर राज्य का दर्जा बहाल न करना संघवाद का उल्लंघन है, जो संविधान के मूल ढांचे का हिस्सा है।
पहले की सुनवाई में एसजी मेहता ने अदालत को बताया था कि केंद्रीय गृह मंत्रालय कोई विशिष्ट समय-सीमा नहीं बता सकता और राज्य का दर्जा बहाल करने में “कुछ समय” लगेगा। मई 2024 में, सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले को चुनौती देने वाली पुनर्विचार याचिकाओं को यह कहते हुए खारिज कर दिया कि “रिकॉर्ड में कोई त्रुटि स्पष्ट नहीं है” और मामले को खुली अदालत में सूचीबद्ध करने से इनकार कर दिया।
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