राजनीति
जस्टिस यशवंत वर्मा के खिलाफ महाभियोग प्रस्ताव लोकसभा में स्वीकार, तीन सदस्यीय समिति गठित
नई दिल्ली, 12 अगस्त। देश के न्यायिक इतिहास में दुर्लभ और संवैधानिक रूप से महत्वपूर्ण घटनाक्रम के तहत, मंगलवार को लोकसभा ने औपचारिक रूप से इलाहाबाद हाईकोर्ट के जज जस्टिस यशवंत वर्मा के खिलाफ महाभियोग प्रस्ताव पढ़कर सुनाया। इसके साथ ही संविधान के अनुच्छेद 124(4), 217 और 218 के तहत उन्हें पद से हटाने की कार्यवाही का रास्ता साफ हो गया है।
लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने सदन में बताया कि उन्हें 31 जुलाई 2025 को यह प्रस्ताव प्राप्त हुआ था, जिस पर पूर्व केंद्रीय मंत्री रविशंकर प्रसाद और विपक्ष के नेता सहित कुल 146 लोकसभा सदस्यों और 63 राज्यसभा सदस्यों के हस्ताक्षर हैं।
यह मामला मार्च 2025 में सामने आए उस विवाद से जुड़ा है, जब दिल्ली स्थित उनके सरकारी आवास पर आग लगने की घटना के दौरान जले हुए नोटों के बंडल बरामद हुए थे। हालांकि, उस समय जस्टिस वर्मा घर पर मौजूद नहीं थे, लेकिन बाद में तीन सदस्यीय आंतरिक न्यायिक जांच ने निष्कर्ष निकाला कि वे इस नकदी पर ‘नियंत्रण’ रखते थे। इस रिपोर्ट के आधार पर भारत के मुख्य न्यायाधीश ने उनकी बर्खास्तगी की सिफारिश की थी।
संसद में प्रस्ताव पढ़ते हुए स्पीकर ओम बिरला ने यह भी घोषणा की कि न्यायाधीश (जांच) अधिनियम, 1968 और संबंधित नियमों के तहत आरोपों की जांच के लिए एक वैधानिक समिति का गठन किया गया है। इस समिति में सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस अरविंद कुमार, मद्रास हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश जस्टिस मनिंदर मोहन श्रीवास्तव और कर्नाटक हाईकोर्ट के वरिष्ठ अधिवक्ता वीवी आचार्य शामिल हैं। समिति शीघ्र ही अपनी रिपोर्ट सौंपेगी, तब तक प्रस्ताव लंबित रहेगा।
जस्टिस वर्मा ने जांच रिपोर्ट को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती देते हुए इसे प्रक्रिया में खामी और संवैधानिक अतिक्रमण बताया था, लेकिन सर्वोच्च न्यायालय ने पिछले सप्ताह उनकी याचिका खारिज कर दी। अदालत ने जांच प्रक्रिया को पारदर्शी और संवैधानिक बताते हुए उनके इस रुख की आलोचना की कि पहले उन्होंने जांच में भाग लिया और बाद में उसकी वैधता पर सवाल उठाए।
अगर समिति आरोपों को सही पाती है, तो महाभियोग प्रस्ताव को संसद के दोनों सदनों में विशेष बहुमत से पारित करना होगा, अर्थात उपस्थित और मतदान करने वाले सदस्यों के दो-तिहाई मत तथा कुल सदस्यों का बहुमत। इसके बाद ही प्रस्ताव राष्ट्रपति के अनुमोदन के लिए भेजा जाएगा।
स्वतंत्र भारत में यह तीसरा मौका है जब किसी कार्यरत न्यायाधीश के खिलाफ महाभियोग की प्रक्रिया शुरू की गई है।
राष्ट्रीय समाचार
जीएसटी सुधार और फेस्टिव सीजन की शुरुआत से भारत में कंज्यूमर सेंटिमेंट में 1.4 प्रतिशत अंकों की बढ़त दर्ज

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नई दिल्ली, 24 अक्टूबर: हाल ही हुए जीएसटी सुधारों और फेस्टिव सीजन की शुरुआत के कारण भारत में कंज्यूमर सेंटिमेंट में इस वर्ष अक्टूबर में 1.4 प्रतिशत अंकों की बढ़ोतरी दर्ज की गई है।
मार्केट रिसर्च फर्म इप्सोस की एक रिपोर्ट में कहा गया है कि फेस्टिव सीजन के साथ-साथ जीएसटी सुधारों से परिवारों को उनकी बचत बढ़ाने में मदद मिली और उनकी खुद की इच्छानुसार खर्च करने की क्षमता भी बढ़ी।
रिपोर्ट के अनुसार, भारत के नेशनल इंडेक्स स्कोर में पॉजिटिव बदलाव देखा गया है। यह बदलाव नौकरियों, पर्सनल फाइनेंस, इन्वेस्टमेंट और इकॉनमी को लेकर बड़े पैमाने पर आशावाद को दिखाता है।
क्षेत्रीय स्तर पर एशिया-पैसिफिक में कंज्यूमर सेंटीमेंट सकारात्मक देखा गया, जहां इंडोनेशिया में सबसे ज़्यादा 6.5 प्रतिशत अंकों की बढ़ोतरी देखी गई। इसके बाद थाईलैंड में 3.6 अंक, दक्षिण कोरिया में 2.6 अंक, मलेशिया में 2.1 अंक भारत में 1.4 अंकों की बढ़ोतरी हुई। इसके उलट, ऑस्ट्रेलिया और जापान में कंज्यूमर सेंटिमेंट में गिरावट आई, जो क्रमशः 2.1 और 2.0 प्रतिशत अंक कम हो गया।
ये नतीजे इप्सोस द्वारा अपने ग्लोबल एडवाइजर ऑनलाइन सर्वे प्लेटफॉर्म और भारत में अपने इंडियाबस प्लेटफॉर्म पर हर महीने 30 देशों में किए गए सर्वे के डेटा पर आधारित हैं।
रिपोर्ट में कहा गया है कि सर्वे किए गए 30 देशों में इंडोनेशिया का नेशनल इंडेक्स स्कोर 58.8 है, जो कि सबसे अधिक है, जो कंज्यूमर सेंटिमेंट में मासिक आधार पर 6.5 प्रतिशत पॉइंट्स की मजबूत बढ़त को दिखाता है। वहीं, भारत 58.4 के नेशनल इंडेक्स स्कोर के साथ दूसरे स्थान पर है, जो पिछले महीने के मुकाबले 1.4 पॉइंट्स की बढ़ोतरी को दर्शाता है।
रिपोर्ट के अनुसार, सर्वे में शामिल कुल देशों में से 11 देशों ने 50 या उससे ज़्यादा का नेशनल इंडेक्स स्कोर दर्ज किया है, जो कंज्यूमर्स के मजबूत कॉन्फिडेंस को दिखाता है। इन देशों में भारत के अलावा, मलेशिया, स्वीडन, ब्राजील, मेक्सिको, थाईलैंड, यूनाइटेड स्टेट्स, नीदरलैंड्स, सिंगापुर, ऑस्ट्रेलिया और पोलैंड का नाम शामिल है।
राजनीति
मध्य प्रदेश सरकार ने बहनों के साथ विश्वासघात किया : जीतू पटवारी

JITU PATWARI
भोपाल, 24 अक्टूबर: कांग्रेस की मध्य प्रदेश इकाई के अध्यक्ष जीतू पटवारी ने मोहन यादव सरकार पर बहनों के साथ विश्वासघात करने का आरोप लगाया है।
जीतू पटवारी ने मुख्यमंत्री मोहन यादव को पत्र लिखकर कहा कि मध्य प्रदेश की जनता को आप पर विश्वास था कि सत्ता में आने वाला व्यक्ति संवेदनशीलता और सत्यनिष्ठा से शासन करेगा। लेकिन, जिस तरह आपकी सरकार किसानों और महिलाओं के साथ व्यवहार कर रही है, उसने यह विश्वास पूरी तरह से ध्वस्त कर दिया है।
मीडिया रिपोर्ट्स का हवाला देते हुए जीतू पटवारी ने कहा, ”आपकी सरकार ने भावांतर भुगतान योजना के लिए मंडी बोर्ड से 1500 करोड़ की मांग की है, तो कृषि मंत्री एंदल सिंह कंसाना ने यह साफ कह दिया कि मंडी बोर्ड के पास इतनी आय नहीं है। तब समाधान के नाम पर मंडी शुल्क एक प्रतिशत बढ़ाकर किसानों पर ही अतिरिक्त बोझ डालने का “सुझाव” सामने आया। यह वही भाजपा सरकार है, जो मंचों पर किसानों को राहत देने का दावा करती है, लेकिन हर बार निर्णय किसान की जेब खाली करने का लेती है।”
राज्य सरकार पर भर्ती कर्ज का जिक्र करते हुए जीत पटवारी ने कहा कि केवल जुलाई 2023 से सितंबर 2025 के बीच आपकी सरकार ने कुल 1.12 लाख करोड़ रुपए से अधिक का नया कर्ज लिया है। औसतन हर महीने 5,000 से 5,500 करोड़ का कर्ज लेकर भी यदि सरकार के खजाने में रकम नहीं है, तो यह स्पष्ट है कि प्रदेश की वित्तीय स्थिति अव्यवस्था और अराजकता के चरम पर पहुंच चुकी है।
उन्होंने आगे कहा कि दूसरी ओर, ‘लाड़ली बहना योजना’ को लेकर सरकार का दोहरापन फिर सामने आ चुका है। आपने भाईदूज पर लाड़ली बहनों के खाते में 250 भेजने की घोषणा की थी। प्रदेशभर से महिलाओं को राजधानी बुलाया भी गया, लेकिन वित्त विभाग की मंजूरी नहीं मिलने और बजट के संकट के चलते बहनों के खाते खाली रह गए।
कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष ने कुछ सवाल किए, साथ ही तंज भी कसा और कहा कि क्या यही मध्य प्रदेश में “आत्मनिर्भर महिला” बनाने का “सरकारी-संकल्प” है? क्या अब भाजपा सरकार दीपावली और भाई दूज जैसे पर्व पर भी केवल भाषणों से ही “समृद्धि” के सपने दिखाएगी? क्या आप भी पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान की तरह रजिस्टर्ड-झूठ बोलने का नया रिकॉर्ड बनाएंगे?
कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष जीतू पटवारी ने आगे अपने पत्र में लिखा है कि अब तो जनता भी पूछने लगी है कि जब हर महीने हजारों करोड़ का कर्ज लिया जा रहा है, तो जनता की योजनाओं में धनराशि क्यों रुक रही है? किसानों के लिए राहत की योजनाएं क्यों राजनीतिक घोषणाएं बनकर रह गई हैं? महिलाओं के स्वाभिमान की “लाड़ली बहन योजना” क्यों बजट की कमी का शिकार हो रही है?
उन्होंने चेतावनी दी है कि यदि सरकार किसानों के ‘भावांतर योजना’ और ‘लाड़ली बहना योजना’ में तुरंत पारदर्शिता और धनराशि की गारंटी नहीं देती, तो कांग्रेस प्रदेश के हर गांव-कस्बे और हर मंडी-बाजार में जाकर जनता को सरकार की खुली एवं खाली तिजोरी दिखाएगी।
राष्ट्रीय समाचार
त्योहारी सीजन में बिक्री का ऑल-टाइम हाई पर पहुंचना, सकारात्मक बाजार धारणा का संकेत : वित्त मंत्री सीतारमण

MANTRI SITARAMAN
नई दिल्ली, 24 अक्टूबर: केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने शुक्रवार को कहा कि भारत में त्योहारी सीजन में खुदरा बिक्री इस साल अपने ऑल-टाइम हाई पर पहुंच गई है, जो जीएसटी दरों को कम करने सहित हालिया आर्थिक नीतियों के प्रभाव को दर्शाता है।
गाजियाबाद में नए सीजीएसटी भवन के उद्घाटन समारोह में बोलते हुए, वित्त मंत्री सीतारमण ने कहा कि अगली पीढ़ी के जीएसटी सुधार इस प्रणाली को और भी अधिक कुशल, न्यायसंगत और विकास केंद्रीय बनाएंगे।
वित्त मंत्री ने कहा, “मुझे विश्वास है कि निरंतर सुधारों, समर्पण और टीम वर्क के साथ, हम राजस्व, अनुपालन और सेवा वितरण में नई ऊंचाइयों को छुएंगे।”
कॉन्फेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया ट्रेडर्स (कैट) के अनुसार, इस दीपावली के दौरान खुदरा बिक्री 6.05 लाख करोड़ रुपए तक पहुंच गई – जो पिछले साल के 4.25 लाख करोड़ रुपए से 25 प्रतिशत अधिक है।
कुल बिक्री में से लगभग 5.40 लाख करोड़ रुपए वस्तुओं पर और 65,000 करोड़ रुपए सेवाओं पर खर्च किए गए, जिससे यह भारत के व्यापारिक इतिहास में सबसे बड़ा दीपावली कारोबार सीजन बन गया।
वित्त मंत्री सीतारमण ने कहा, “ये आंकड़े हमें क्या बताते हैं कि हमारी आर्थिक नीतियों – जिसमें हाल ही में जीएसटी दरों को कम करना भी शामिल है – का सार्थक प्रभाव पड़ रहा है।”
वित्त मंत्री ने आगे कहा, “अच्छे काम करते रहें, सुधारों की गति बनाए रखें और हमेशा याद रखें कि हमारा अंतिम लक्ष्य ईमानदार करदाताओं का जीवन आसान बनाना है।”
वित्त मंत्री सीतारमण ने आगे कहा कि अगली पीढ़ी का जीएसटी करदाताओं को अलग महसूस होना चाहिए। उन्हें यह महसूस होना चाहिए कि उनके साथ सम्मानजनक व्यवहार किया जा रहा है, क्योंकि वे देश के करदाता हैं।
केंद्रीय मंत्री ने कहा, “प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा शुरू किया गया ‘जीएसटी बचत उत्सव’ वास्तव में ‘डबल दीपावली’ था।”
ई-कॉमर्स ने भी अच्छा प्रदर्शन किया, जिसमें वॉल्यूम में सालाना आधार पर 24 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की गई, जबकि सकल व्यापारिक मूल्य में 23 प्रतिशत की वृद्धि हुई।
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