अपराध
जेएनपीए में 800 करोड़ रुपये की कथित भ्रष्टाचार: सीबीआई ने पूर्व चीफ मैनेजर, निजी कंपनियों पर केस दर्ज किया

सीबीआई ने जवाहरलाल नेहरू पोर्ट अथॉरिटी (जेएनपीए) के पूंजी ड्रेजिंग प्रोजेक्ट में 800 करोड़ रुपये से अधिक के नुकसान के आरोप में जेएनपीटी के तत्कालीन चीफ मैनेजर (पीपी डब्ल्यूडी), मुंबई और चेन्नई स्थित निजी कंपनियों व अन्य के खिलाफ 18 जून 2025 को एफआईआर दर्ज की है। आरोप है कि जेएनपीए अधिकारियों और निजी कंपनियों के बीच आपराधिक साजिश रची गई, जिससे ठेकों में भारी वित्तीय नुकसान हुआ।
यह मामला जेएनपीए के नेविगेशनल चैनल की गहराई बढ़ाने के लिए हुए पूंजी ड्रेजिंग प्रोजेक्ट से जुड़ा है, जिसमें मुंबई की एक निजी कंपनी और चेन्नई की एक अन्य कंपनी को ठेका दिया गया था। टाटा कंसल्टिंग इंजीनियर्स (टीसीई) इस प्रोजेक्ट में प्रोजेक्ट मैनेजमेंट कंसल्टेंट के तौर पर शामिल थी।
आरोप है कि प्रोजेक्ट के पहले फेज में चैनल की मेंटेनेंस के दौरान ठेकेदारों को 365.90 करोड़ रुपये की अतिरिक्त भुगतान की गई। वहीं, दूसरे फेज में, जो पहले फेज की मेंटेनेंस अवधि से ओवरलैप करता था, ठेकेदार को 438 करोड़ रुपये की और अतिरिक्त राशि दी गई, जबकि दावा किया गया कि पहले फेज में कोई ओवर ड्रेजिंग नहीं हुई थी।
सीबीआई ने मुंबई और चेन्नई में जेएनपीए अधिकारियों, कंसल्टिंग कंपनी और आरोपी निजी कंपनियों के पांच ठिकानों पर छापेमारी की। इस दौरान प्रोजेक्ट से जुड़े कई दस्तावेज, डिजिटल डिवाइसेज और सार्वजनिक कर्मचारियों द्वारा किए गए निवेश के दस्तावेज बरामद किए गए हैं। सभी दस्तावेजों की जांच की जा रही है और मामले की जांच जारी है।
एफआईआर में नामजद आरोपी:
श्री सुनील कुमार मदाभावी, तत्कालीन चीफ मैनेजर (पीपी डब्ल्यूडी), जेएनपीटी
श्री देवदत्त बोस, प्रोजेक्ट डायरेक्टर, टाटा कंसल्टिंग इंजीनियर्स
टाटा कंसल्टिंग इंजीनियर्स, मुंबई
बोस्कालिस स्मिट इंडिया एलएलपी, मुंबई
जान डी नुल ड्रेजिंग इंडिया प्रा. लि., चेन्नई
अन्य अज्ञात सरकारी और निजी व्यक्ति
सीबीआई मामले की गहन जांच कर रही है और आगे की कार्रवाई जारी है।
अपराध
दिल्ली दंगा मामला : सुप्रीम कोर्ट ने उमर खालिद, शरजील इमाम की जमानत याचिका पर दिल्ली पुलिस को नोटिस जारी किया

suprim court
नई दिल्ली, 22 सितंबर। सुप्रीम कोर्ट में सोमवार को 2020 दिल्ली दंगा साजिश मामले में जेएनयू के पूर्व छात्र उमर खालिद, शरजील इमाम, मीरान हैदर और गुलफिशा फातिमा की जमानत याचिका पर सुनवाई हुई। इस मामले पर 7 अक्टूबर को अगली सुनवाई होगी।
सुप्रीम कोर्ट ने जेएनयू के पूर्व छात्र उमर खालिद, शरजील इमाम, मीरान हैदर और गुलफिशा फातिमा की जमानत याचिका पर दिल्ली पुलिस को नोटिस जारी किया। याचिकाकर्ताओं की तरफ से कहा गया कि इनमें से अधिकतर लोग छात्र हैं और 5 साल से जेल में बंद हैं।
इससे पहले, इस मामले पर 19 सितंबर को सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई होनी थी, लेकिन किसी कारण टल गई थी। जस्टिस अरविंद कुमार और जस्टिस एन वी अंजारिया की बेंच जमानत याचिका पर सुनवाई कर रही है।
जमानत के लिए याचिका दायर करने वालों पर गैरकानूनी गतिविधि (रोकथाम) अधिनियम (यूएपीए) के तहत आरोप हैं, जो फरवरी 2020 में उत्तर-पूर्वी दिल्ली में हुई सांप्रदायिक हिंसा के पीछे कथित बड़ी साजिश से जुड़ा है।
इससे पहले, दिल्ली हाई कोर्ट ने 2 सितंबर को इमाम, खालिद और मीरान हैदर, गुलफिशा फातिमा, अतर खान, शिफा-उर-रहमान, मोहम्मद सलीम खान, शादाब अहमद और खालिद सैफी समेत 7 अन्य आरोपियों को जमानत देने से इनकार कर दिया था। एक अन्य आरोपी, तस्लीम अहमद, को भी अलग बेंच ने जमानत देने से इनकार कर दिया था।
दिल्ली पुलिस ने जमानत याचिका का कड़ा विरोध किया है। पुलिस का दावा है कि 2020 में हुए दंगे पूर्व नियोजित और सुनियोजित साजिश का नतीजा थे। पुलिस के अनुसार, आरोपियों ने हिंसा भड़काने में सक्रिय भूमिका निभाई थी।
आरोपियों को जमानत देने से इनकार करते हुए हाईकोर्ट ने कहा था कि प्रथम दृष्टया उमर खालिद और शरजील इमाम की गंभीर संलिप्तता प्रतीत होती है। कोर्ट ने उन पर लगाए गए आरोपों का हवाला दिया, जिसमें कहा गया था कि उन्होंने जो भाषण दिए, वे सांप्रदायिक प्रकृति के थे और उनका मकसद बड़ी भीड़ इकट्ठा करना था।
2020 की हिंसा नागरिकता संशोधन अधिनियम (सीएए) और नेशनल रजिस्टर ऑफ सिटिजन्स (एनआरसी) के खिलाफ देश भर में हो रहे विरोध प्रदर्शनों के बीच शुरू हुई थी। इस हिंसक घटना में 53 लोगों की मौत हो गई और 700 से अधिक लोग घायल हो गए।
अपराध
मुंबई: पैसे न देने पर पति ने पत्नी की हत्या की, पुलिस ने आरोपी को दबोचा

CRIME
मुंबई, 22 सितंबर। मुंबई के चारकोप इलाके से एक दिल दहला देने वाली वारदात सामने आई है। दरअसल, एक मजदूर ने अपनी पत्नी को केवल इसलिए मौत के घाट उतार दिया, क्योंकि उसने गांव जाने के लिए पैसे देने से इनकार कर दिया था। पुलिस ने आरोपी को गिरफ्तार कर लिया है।
चारकोप पुलिस के बयान के मुताबिक आरोपी की पहचान दसा राणा (41) के रूप में हुई है। वह पेशे से मजदूर है। उसकी पत्नी का नाम हिमांद्री था। दोनों कांदिवली स्थित एक निर्माणाधीन इमारत में पिछले एक साल से काम कर रहे थे।
पुलिस ने बताया कि रविवार दोपहर करीब 2:30 बजे दसा राणा और उसकी पत्नी के बीच पैसों को लेकर विवाद शुरू हुआ। आरोपी ओडिशा स्थित अपने गांव जाना चाहता था और पत्नी से पैसे मांग रहा था। लेकिन, जब पत्नी ने इनकार कर दिया तब दोनों के बीच तीखी बहस हुई। गुस्से में आकर आरोपी ने पहले पत्नी की बुरी तरह पिटाई की और फिर चादर से गला घोंटकर उसकी हत्या कर दी।
झगड़े के दौरान शोर सुनकर वहां मौजूद अन्य मजदूरों ने जब कमरे का दरवाजा खटखटाया तो राणा ने दरवाजा खोलने से इनकार कर दिया। कुछ देर बाद जब दरवाजा खोला गया तो हिमांद्री अचेत अवस्था में जमीन पर पड़ी थी। तुरंत उसे अस्पताल ले जाया गया, जहां डॉक्टरों ने उसे मृत घोषित कर दिया।
दंपति का नाबालिग बेटा इस घटना का गवाह बन गया। बेटे ने पुलिस को बताया कि उसके पिता ने किस तरह मां की जान ली। पुलिस के मुताबिक, बेटे का बयान इस मामले की अहम कड़ी बना। चारकोप पुलिस ने आरोपी दसा राणा को गिरफ्तार कर लिया है। राणा के खिलाफ भारतीय न्याय संहिता (बीएनएस) की धारा 103(1) (हत्या) के तहत मामला दर्ज कर लिया गया है।
मुंबई पुलिस का कहना है कि यह मामला पूरी तरह से घरेलू विवाद और गुस्से का परिणाम है। आगे की जांच जारी है।
अपराध
मुंबई क्राइम न्यूज़: मलाड पुलिस ने 2 करोड़ रुपये के विदेशी नौकरी घोटाले में 34 वर्षीय महिला को पकड़ा

CRIME
मुंबई: मलाड पुलिस ने 15 सितंबर को एक 34 वर्षीय महिला को गिरफ्तार किया, जो करोड़ों रुपये की विदेशी नौकरी धोखाधड़ी के सिलसिले में पिछले चार महीनों से वांछित थी।
आरोपी की पहचान एकता अविनाश आयरे के रूप में हुई है, जिसे दृष्टि या मनीषा के नाम से भी जाना जाता है, उसने कथित तौर पर मलाड शॉपिंग मॉल में एक फर्जी कंपनी स्थापित की और विदेश में नौकरी दिलाने का वादा करके कम से कम 38 बेरोजगार पुरुषों से लगभग 2 करोड़ रुपये की ठगी की।
पुलिस अधिकारियों के अनुसार, आयरे और उसके दो फरार साथियों, अमन कमलामिया शेख और जिग्नेशकुमार राठवा ने मलाड में एक कार्यालय खोला और सोशल मीडिया पर बड़े पैमाने पर विज्ञापन दिया, जिसमें खाड़ी देशों में प्रतिष्ठित होटलों में रसोई कर्मचारी, ड्राइवर, हाउसकीपिंग स्टाफ, स्टोरकीपर और सुरक्षा गार्ड जैसे पदों पर नौकरियों की पेशकश की गई।
गिरोह ने ऑनलाइन फर्जी सकारात्मक समीक्षाएं पोस्ट कीं और आवेदकों को पंजीकरण के लिए एक लिंक दिया। मुंबई, नवी मुंबई, ठाणे, पुणे और अन्य शहरों के कई नौकरी चाहने वालों ने ऑनलाइन या व्यक्तिगत रूप से आवेदन किया, पंजीकरण शुल्क, वीज़ा, मेडिकल टेस्ट और अन्य शुल्कों के साथ अपने पासपोर्ट जमा किए।
कुछ ही दिनों में, पीड़ितों को ईमेल के ज़रिए नियुक्ति पत्र और वीज़ा मिल गए। हालाँकि, सत्यापन के बाद, दस्तावेज़ फ़र्ज़ी पाए गए। जब कुछ पीड़ित मलाड कार्यालय पहुँचे, तो उन्हें पता चला कि कंपनी बंद हो चुकी है और आरोपी भाग गए हैं। कथित तौर पर प्रत्येक उम्मीदवार ने 4.5 लाख रुपये से 5 लाख रुपये के बीच भुगतान किया था। लगभग 38 पीड़ितों की शिकायत के बाद, मलाड पुलिस ने आरोपियों के खिलाफ धोखाधड़ी और गबन का मामला दर्ज किया।
वरिष्ठ पुलिस निरीक्षक द्रुश्यंत चव्हाण ने बताया कि उन्होंने अपराध टीम को फरार संदिग्धों का पता लगाने के निर्देश दिए थे। एक विशेष अभियान के दौरान, आयरे का पता लगाकर उसे गिरफ्तार कर लिया गया। पूछताछ में पता चला कि ठगी की गई कुछ रकम उसके बैंक खाते में ट्रांसफर की गई थी, जिससे अपराध में उसकी सीधी संलिप्तता की पुष्टि हुई।
आयरे ने पहले सत्र न्यायालय में अग्रिम ज़मानत के लिए आवेदन किया था, लेकिन उनकी याचिका खारिज कर दी गई थी। उन्हें बोरीवली मजिस्ट्रेट अदालत में पेश किया गया और न्यायिक हिरासत में भेज दिया गया। यह मामला मई 2025 में दर्ज किया गया था।
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