राजनीति
प्रतिनिधिमंडल में कौन जाएगा, यह सरकार का नहीं बल्कि पार्टी का होना चाहिए फैसला : अभिषेक बनर्जी
कोलकाता, 19 मई। केंद्र सरकार द्वारा विभिन्न देशों में सांसदों के प्रतिनिधिमंडल को भेजने के फैसले को लेकर सियासत तेज हो गई है। कांग्रेस के बाद अब टीएमसी ने भी प्रतिनिधिमंडल में शामिल सदस्यों के चुने जाने को लेकर सवाल उठाए हैं। टीएमसी के राष्ट्रीय महासचिव और सांसद अभिषेक बनर्जी ने कहा कि हमारी पार्टी का कौन सदस्य प्रतिनिधिमंडल में जाएगा, यह हमारी पार्टी का फैसला है। केंद्र सरकार एकतरफा फैसला नहीं कर सकती है।
टीएमसी के राष्ट्रीय महासचिव अभिषेक बनर्जी से सोमवार को कोलकाता एयरपोर्ट पर मीडिया ने सवाल पूछा कि क्या टीएमसी ने पाकिस्तान प्रायोजित आतंकवाद का मुकाबला करने के उद्देश्य से केंद्र के बहुदलीय राजनयिक मिशन से बाहर निकलने का विकल्प चुना है। इसका जवाब देते हुए अभिषेक बनर्जी ने कहा, “मुझे नहीं पता कि आपको यह जानकारी कहां से मिली। मैं यह बहुत स्पष्ट रूप से कह रहा हूं कि केंद्र सरकार जो भी निर्णय लेगी, जिसका उद्देश्य देश के राष्ट्रीय हितों की रक्षा के लिए आतंकवाद का मुकाबला करना है, टीएमसी केंद्र के साथ कंधे से कंधा मिलाकर खड़ी रहेगी। हमें किसी भी प्रतिनिधिमंडल के जाने से कोई समस्या नहीं है। हालांकि, हमारी पार्टी का कौन सदस्य प्रतिनिधिमंडल में जाएगा, यह हमारी पार्टी का फैसला है। केंद्र सरकार एकतरफा फैसला नहीं कर सकती कि किस पार्टी से कौन जाएगा।”
उन्होंने कहा, “अगर कोई प्रतिनिधिमंडल जा रहा है, तो हमें कोई आपत्ति नहीं है। जिस तरह से पाकिस्तान भारत में शांति को बाधित करने के लिए आतंकवाद को बढ़ावा दे रहा है, हम उसकी कड़ी निंदा करते हैं। इसे वैश्विक मंच पर उठाया जाना चाहिए। लेकिन, हमारी पार्टी से कौन जाएगा, यह तय करना हमारी पार्टी का काम है। मैं आज विदेश मामलों की स्थायी समिति की बैठक में भाग लेने के लिए दिल्ली जा रहा हूं। मुझे पार्टी ने उस समिति में नामित किया था। जैसे भाजपा तय कर सकती है कि उनकी तरफ से कौन जाएगा, वैसे ही तृणमूल तय करेगी कि हमारी तरफ से कौन जाएगा। इसके अलावा डीएमके, कांग्रेस, आम आदमी पार्टी (आप) और समाजवादी पार्टी का कौन सदस्य प्रतिनिधिमंडल में जाएगा, यह पार्टी को ही तय करना चाहिए।”
अभिषेक बनर्जी ने कहा कि मुझे लगता है कि सरकार को इस मुद्दे पर सभी पार्टियों से बात करनी चाहिए थी और उसके बाद ही प्रतिनिधिमंडल को तय करना चाहिए था। हालांकि, मैं साफ कर देना चाहता हूं कि टीएमसी ने ‘ऑपरेशन सिंदूर’ से संबंधित किसी भी तरह के विषय का कोई बायकॉट नहीं किया है। मेरा मानना है कि जब देश की बात आती है तो वहां राजनीति नहीं होनी चाहिए।
केंद्र सरकार ने विदेश जाने वाले सात सर्वदलीय संसदीय प्रतिनिधिमंडलों में शामिल सभी सदस्यों के नाम तय कर दिए हैं। इस प्रतिनिधिमंडल में तृणमूल कांग्रेस के सांसद यूसुफ पठान को भी जगह मिली है।
सात सर्वदलीय संसदीय प्रतिनिधिमंडलों की कमान सात अलग-अलग नेताओं को दी गई है, ये प्रतिनिधिमंडल संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के सदस्य देशों और अन्य प्रमुख साझेदार देशों का दौरा करेंगे और देश की आतंकवाद विरोधी नीति, सैन्य कार्रवाइयों और ऑपरेशन सिंदूर की जानकारी देंगे।
राष्ट्रीय समाचार
पनवेल-कर्जत रेलवे लाइन का काम पूरा होने के करीब, मार्च 2026 तक खुलने की उम्मीद

ठाणे : बहुप्रतीक्षित पनवेल-कर्जत उपनगरीय रेलवे कॉरिडोर, जो मुंबई शहरी परिवहन परियोजना (एमयूटीपी) के तीसरे चरण के अंतर्गत एक प्रमुख बुनियादी ढांचा परियोजना है, धीरे-धीरे पूरा होने के करीब है। मुंबई रेलवे विकास निगम (एमआरवीसी) द्वारा ₹2,782 करोड़ की अनुमानित लागत से विकसित, 29.6 किलोमीटर लंबे इस कॉरिडोर का उद्देश्य मध्य रेलवे लाइन पर भीड़भाड़ को कम करना और नवी मुंबई और कर्जत के बीच संपर्क में सुधार करना है।
एमआरवीसी अधिकारियों और हालिया रिपोर्टों के अनुसार, परियोजना का लगभग 79% कार्य पूरा हो चुका है, तथा पुलों, सुरंगों और स्टेशन संरचनाओं सहित प्रमुख सिविल कार्य अब अपने अंतिम चरण में हैं।
इस कॉरिडोर में पाँच स्टेशन होंगे: पनवेल, चिखले, मोहपे, चौक और कर्जत। मिडिया रिपोर्ट के अनुसार, इसके चालू होने पर, पनवेल और कर्जत के बीच यात्रा का समय लगभग 30 मिनट कम हो जाएगा, जिससे कर्जत, भिवपुरी, नेरल और खोपोली से मुंबई और नवी मुंबई काम के सिलसिले में आने-जाने वाले हज़ारों दैनिक यात्रियों को राहत मिलेगी।
इस परियोजना में नौ बड़े पुल, 35 छोटे पुल, 15 अंडरपास, एक रेल फ्लाईओवर और तीन सुरंगें शामिल हैं, जिनकी खुदाई पहले ही हो चुकी है। ट्रैक बिछाने का काम शुरू हो गया है, जो परियोजना की प्रगति में एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर है। एमआरवीसी के अधिकारियों ने बताया है कि हालाँकि परियोजना का प्रारंभिक लक्ष्य दिसंबर 2025 था, अब यह लाइन मार्च 2026 तक जनता के लिए खुलने की संभावना है।
इस कॉरिडोर से मुख्य सेंट्रल लाइन पर यात्री भार कम करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने की उम्मीद है, जहाँ गैर-व्यस्त घंटों में भी भीड़भाड़ एक बढ़ती हुई चिंता का विषय बन गई है। चालू होने के बाद, यह मार्ग के साथ-साथ उभरते आवासीय और व्यावसायिक क्षेत्रों में विकास और कनेक्टिविटी को भी बढ़ावा देगा।
राजनीति
सरदार पटेल की जयंती : ‘रन फॉर यूनिटी’ में हिस्सा लेने के लिए पीएम मोदी ने देशवासियों से की खास अपील

pm modi
नई दिल्ली, 27 अक्टूबर: देश के लौह पुरुष सरदार वल्लभभाई पटेल की जयंती इस वर्ष विशेष रूप से मनाई जा रही है। उनके 150वें जन्म वर्ष के उपलक्ष्य में देशभर में ‘रन फॉर यूनिटी’ का आयोजन 31 अक्टूबर को किया जाएगा। इस अवसर पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने देशवासियों से इसमें हिस्सा लेने के लिए अपील की है।
पीएम मोदी ने एकता दिवस पर ‘एकता दिवस भारत’ के आधिकारिक ‘एक्स’ अकाउंट द्वारा पोस्ट किए गए एक वीडियो को रिपोस्ट करते हुए लिखा, “31 अक्टूबर को ‘रन फॉर यूनिटी’ में शामिल हों और एकजुटता की भावना का जश्न मनाएं! आइए, सरदार पटेल के अखंड भारत के सपने का सम्मान करें।”
‘रन फॉर यूनिटी’ हर वर्ष राष्ट्रीय एकता दिवस पर आयोजित किया जाता है। ‘एकता दिवस भारत’ के आधिकारिक ‘एक्स’ अकाउंट से एक वीडियो संदेश पोस्ट किया गया।
पोस्ट में कहा गया, “हमारी विविधता ही भारत की आत्मा है और सरदार पटेल ने इस विविधता को एकता में पिरोया। प्रधानमंत्री मोदी उसी दृष्टि को आगे बढ़ा रहे हैं। सरदार पटेल की 150वीं जयंती मनाएं, ‘रन फॉर यूनिटी’ में शामिल हों और ‘एक भारत श्रेष्ठ भारत’ की भावना को और सशक्त बनाएं।”
बता दें कि पीएम मोदी ने रविवार को लोकप्रिय रेडियो कार्यक्रम ‘मन की बात’ के 127वें एपिसोड में कहा था, “सरदार पटेल आधुनिक काल में राष्ट्र की सबसे महान विभूतियों में से एक रहे हैं। उनके विराट व्यक्तित्व में अनेक गुण एक साथ समाहित थे।”
प्रधानमंत्री ने लोगों से अपील करते हुए कहा था, “मेरा आप सबसे आग्रह है कि 31 अक्टूबर को सरदार साहब की जयंती पर देशभर में होने वाली ‘रन फॉर यूनिटी’ में आप भी जरूर शामिल हों।”
पीएम मोदी ने कहा था कि गांधी जी से प्रेरित होकर सरदार पटेल ने खुद को स्वतंत्रता आंदोलन में पूरी तरह समर्पित कर दिया। ‘खेड़ा सत्याग्रह’ से लेकर ‘बोरसद सत्याग्रह’ तक अनेक आंदोलनों में उनके योगदान को आज भी याद किया जाता है।
राष्ट्रीय समाचार
शौर्य दिवस 2025 : सेना प्रमुख ने तीन पुस्तकों का अनावरण किया, शौर्य और नवाचार का प्रतीक बताया

नई दिल्ली, 26 अक्टूबर: शौर्य दिवस 2025 समारोह के अवसर पर थल सेना प्रमुख जनरल उपेंद्र द्विवेदी ने वीरता, नवाचार और बलिदान को रेखांकित करते हुए तीन विशिष्ट पुस्तकों का अनावरण किया। ये पुस्तकें भारतीय सेना के गौरवशाली इतिहास, आत्मनिर्भरता और सैनिकों के अदम्य साहस को दर्शाती हैं।
समारोह में सेना के शौर्य और मातृभूमि के लिए समर्पण को सम्मानित किया गया।
पहली पुस्तक, ‘सर्प विनाश’, 2003 में जम्मू-कश्मीर के सुरनकोट में रोमियो फोर्स द्वारा संचालित ऐतिहासिक आतंकवाद-रोधी अभियान, ऑपरेशन सर्प विनाश की कहानी बयान करती है। तत्कालीन मेजर जनरल लिद्दर की कमान में यह अभियान आतंकवाद के खिलाफ भारतीय सेना की रणनीतिक कुशलता का प्रतीक है। जयश्री लक्ष्मीकांत द्वारा लिखित, यह पुस्तक एक अनुभवी सैनिक की संचालन संबंधी अंतर्दृष्टि और लेखिका की कहानी कहने की कला का शानदार मिश्रण है। यह पुस्तक सेना के दृढ़ संकल्प और जटिल परिस्थितियों में उनकी सफलता को उजागर करती है।
दूसरी पुस्तक, ‘बिटिंग द सिल्वर बुलेट’, गोला-बारूद के विज्ञान और डिजाइन पर केंद्रित है। संजय सोनी द्वारा लिखित और चैताली बाग द्वारा संपादित यह पुस्तक भारत की ‘आत्मनिर्भर भारत’ और ‘मेक इन इंडिया, मेड फॉर द वर्ल्ड’ पहल को रेखांकित करती है। यह रक्षा क्षेत्र में स्वदेशी तकनीक और नवाचार के महत्व को दर्शाती है, जो भारत को वैश्विक रक्षा उत्पादन का केंद्र बनाने की दिशा में एक कदम है। पुस्तक में गोला-बारूद के डिजाइन और उत्पादन में तकनीकी प्रगति को सरल भाषा में समझाया गया है।
तीसरी पुस्तक, ‘पैरा कमांडो’, दीपक सुराना द्वारा लिखित, 9 पैराशूट बटालियन (विशेष बल) के कैप्टन अरुण सिंह को भावभीनी श्रद्धांजलि है। कैप्टन सिंह, जो थल सेना प्रमुख के पूर्व सहायक कमांडिंग ऑफिसर (एडीसी) थे, ने कश्मीर में अपने साथियों के साथ फिर से जुड़ने का फैसला किया। एक भीषण मुठभेड़ में उन्होंने सर्वोच्च बलिदान दिया और मरणोपरांत अशोक चक्र से सम्मानित हुए। यह पुस्तक उनके साहस, नेतृत्व और देश के प्रति समर्पण को जीवंत करती है।
जनरल द्विवेदी ने इन पुस्तकों को सेना के शौर्य और नवाचार का प्रतीक बताया। उन्होंने कहा, “ये पुस्तकें न केवल हमारे सैनिकों की वीरता को दर्शाती हैं, बल्कि आत्मनिर्भर भारत के सपने को भी साकार करती हैं।” समारोह में उपस्थित सैन्य अधिकारियों और गणमान्य व्यक्तियों ने इन रचनाओं की सराहना की।
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