राजनीति
पाकिस्तान दुश्मनी चाहता है तो हम तैयार हैं : फारूक अब्दुल्ला

जम्मू, 30 अप्रैल। जम्मू-कश्मीर नेशनल कॉन्फ्रेंस के राष्ट्रीय अध्यक्ष एवं जम्मू-कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री फारूक अब्दुल्ला ने मंगलवार को पत्रकारों से बात करते हुए पहलगाम आतंकवादी हमले के बाद भारत सरकार को समर्थन देने की बात दोहराई। उन्होंने कहा कि अगर पाकिस्तान दुश्मनी चाहता है तो हम तैयार हैं।
फारूक अब्दुल्ला ने कहा, “हम लोगों ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पूरा समर्थन देने की बात कही है, इसके बाद हमारे साथ कोई सवाल नहीं होना चाहिए। पीएम मोदी जो करना चाहें, वो करें।”
पड़ोसी मुल्क पाकिस्तान की तरफ से न्यूक्लियर हमले की धमकी देने के सवाल पर फारूक अब्दुल्ला ने कहा, “हमारे पास भी न्यूक्लियर पावर है, उनसे पहले है। मुझे वाजपेयी जी का याद आता है, जब मैं पोखरण उनके साथ गया था, तो उन्होंने कहा था कि हम कभी भी इसका इस्तेमाल नहीं करेंगे। जब तक कोई और हम पर पहला हमला नहीं करेगा। हिंदुस्तान ने कभी भी पहले आक्रमण नहीं किया है। हमेशा वहीं से हुआ है और हमने उसका जवाब दिया है। आज भी हम इसका इस्तेमाल नहीं करेंगे, लेकिन अगर वे इसका इस्तेमाल करते हैं, तो हमारे पास भी यह है। भगवान करे कि ऐसी बात न आए।”
देश की मुख्य विपक्षी पार्टी कांग्रेस की तरफ से सोशल मीडिया पर पोस्ट करके पीएम मोदी को गायब होने की बात कहने पर उन्होंने कहा, “वो कहां गायब हैं? मुझे लगता है वो दिल्ली में हैं और अगर कहीं और होंगे तो उसका पता नहीं है।”
जम्मू-कश्मीर को आतंकवाद से जूझने के सवाल पर फारूक अब्दुल्ला ने कहा, “हमने बार-बार कहा है कि हमें आतंकवाद कबूल नहीं है। आतंकवाद उन्हें भी खत्म कर रहा है और हमें भी। अब समय आ गया है कि उन्हें इस पर समझना चाहिए। जब मुंबई पर हमला हुआ तो साबित हुआ कि यह पाकिस्तान प्रायोजित था। पठानकोट, उरी में हमला हुआ, जिसके पीछे उनका हाथ था। कारगिल के समय मैं मुख्यमंत्री था, जब वो हारने लगे तो यूएसए प्रेसिडेंट के पास गए और दो दिन का समय मांगा कि वो अपना सामान निकाल सकें। ऐसे में अब वक्त आ गया है कि अगर वो दोस्ती चाहते हैं, तो ऐसी चीजें नहीं चलेंगी। आतंकवाद को खत्म करना पड़ेगा। वहीं अगर दुश्मनी में रहना चाहते हैं तो हम भी तैयार हैं।”
राजनीति
राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार बोर्ड का पुनर्गठन, पूर्व रॉ चीफ आलोक जोशी बनाए गए अध्यक्ष

नई दिल्ली, 30 अप्रैल। जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में 22 अप्रैल को हुए आतंकी हमले के बाद केंद्र सरकार एक्शन मोड में है। इसी बीच केंद्र सरकार ने बुधवार को राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार बोर्ड का पुनर्गठन किया है। पूर्व रॉ प्रमुख आलोक जोशी को इस बोर्ड की कमान सौंपी गई है।
आलोक जोशी को देश की सुरक्षा से जुड़े मामलों की गहरी समझ और जानकारी है। उन्होंने 2012 से 2014 तक रॉ के प्रमुख के रूप में कार्य किया था। इसके बाद 2015 से 2018 तक एनटीआरओ के चेयरमैन के रूप में भी सेवा दी। उन्होंने पाकिस्तान और नेपाल में कई महत्वपूर्ण ऑपरेशन्स को अंजाम देने में अहम भूमिका भी निभाई है।
इसके अलावा बोर्ड में 7 सदस्यों को शामिल किया गया है, जिसमें तीन सेना से रिटायर अधिकारी, दो रिटायर आईपीएस अधिकारी और एक भारतीय विदेश सेवा से रिटायर अधिकारी हैं।
इसमें वेस्टर्न एयर कमान के पूर्व चीफ एयर मार्शल पीएम सिन्हा, सदर्न आर्मी कमान के पूर्व चीफ लेफ्टिनेंट जनरल एके सिंह और रिटायर रियर एडमिरल मॉन्टी सन्ना को सदस्य नियुक्त किया गया है।
वहीं, भारतीय पुलिस सेवा से रिटायर राजीव रंजन वर्मा और मनमोहन सिंह को भी इस बोर्ड में शामिल किया गया है। इसके साथ ही विदेश सेवा के पूर्व अधिकारी बी. वेंकटेश वर्मा को भी इसका सदस्य बनाया गया है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में बुधवार को उनके आवास पर सुरक्षा मामलों की कैबिनेट समिति (सीसीएस) की बैठक हुई। सूत्रों के अनुसार, दोपहर 3 बजे एक प्रेस ब्रीफिंग होगी, जिसमें सीसीएस की बैठक में लिए गए बड़े फैसलों की घोषणा की संभावना है।
यह महत्वपूर्ण बैठक 22 अप्रैल को पहलगाम में हुए आतंकी हमले के बाद सुरक्षा स्थिति और भविष्य की कार्रवाई पर चर्चा के लिए बुलाई गई थी। राष्ट्रीय सुरक्षा पर निर्णय लेने वाली शीर्ष समिति की बैठक प्रधानमंत्री के आवास पर दूसरी बार बुलाई गई थी।
सीसीएस की बैठक में रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह, गृह मंत्री अमित शाह, विदेश मंत्री एस. जयशंकर और वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण शामिल थे। इस बैठक के बाद राजनीतिक मामलों की मंत्रिमंडल समिति (सीसीपीए) और आर्थिक मामलों की मंत्रिमंडल समिति (सीसीईए) की बैठकें हुईं। सरकार दोपहर 3 बजे मीडिया से मुलाकात करेगी।
राजनीति
‘प्रधानमंत्री उज्ज्वला योजना’ के 9 वर्ष, देश में स्वच्छ ईंधन से बेहतर हुई करोड़ों जिंदगियां

नई दिल्ली, 30 अप्रैल। पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस मंत्रालय (एमओपीएनजी) ने ग्रामीण और वंचित परिवारों को एलपीजी जैसे स्वच्छ खाना पकाने के ईंधन को उपलब्ध कराने के उद्देश्य से प्रधानमंत्री उज्ज्वला योजना (पीएमयूवाई) शुरू की थी, जिसके 9 वर्ष पूरे हो रहे हैं।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस योजना की शुरुआत 1 मई 2016 को उत्तर प्रदेश के बलिया जिले से की थी। पारंपरिक खाना पकाने के ईंधन के इस्तेमाल से ग्रामीण महिलाओं के स्वास्थ्य के साथ-साथ पर्यावरण पर भी हानिकारक प्रभाव पड़ता है। ऐसे में यह योजना उन ग्रामीण और वंचित परिवारों के लिए एक वरदान बनी है, जो खाना पकाने के लिए ईंधन के रूप में जलावन, लकड़ी, कोयला, गोबर के उपलों, का इस्तेमाल करते थे।
पीएमयूवाई का उद्देश्य गरीब परिवारों की वयस्क महिलाओं को बिना डिपॉजिट के एलपीजी कनेक्शन उपलब्ध करवाना है। इस योजना के साथ केंद्र सरकार स्वास्थ्य, पर्यावरण संरक्षण और महिला सशक्तीकरण को बढ़ावा दे रही है।
पीएमयूवाई योजना के पहले चरण में मार्च 2020 तक वंचित परिवारों को 8 करोड़ एलपीजी कनेक्शन जारी करने का लक्ष्य रखा गया था। हालांकि, इस लक्ष्य को समय से पहले ही प्राप्त कर लिया गया। पीएम मोदी ने महाराष्ट्र के औरंगाबाद में 7 सितंबर 2019 को 8 करोड़वां एलपीजी कनेक्शन सुपुर्द किया।
शेष गरीब परिवारों तक इस योजना के जरिए मदद पहुंचाने के लिए सरकार ने अगस्त 2021 में दूसरा चरण ‘उज्ज्वला 2.0’ लॉन्च किया था। योजना के दूसरे चरण ‘उज्ज्वला 2.0’ में प्रवासी परिवारों को विशेष सुविधा के साथ पीएमयूवाई योजना के तहत 1.6 करोड़ एलपीजी कनेक्शन के अतिरिक्त आवंटन का लक्ष्य रखा गया।
‘उज्ज्वला 2.0’ के तहत कनेक्शन की लक्ष्य संख्या दिसंबर 2022 के दौरान हासिल की गई, इस प्रकार योजना के तहत कुल कनेक्शन 9.6 करोड़ हो गए। इसके अलावा, भारत सरकार ने पीएमयूवाई योजना के तहत अतिरिक्त 75 लाख कनेक्शन जारी करने की मंजूरी दी है, जिससे योजना के तहत कुल लक्ष्य अब 10.35 करोड़ हो गया है।
सरकारी आंकड़ों के अनुसार, इस वर्ष 1 मार्च तक पूरे भारत में 10.33 करोड़ पीएमयूवाई कनेक्शन मौजूद हैं। इसके अलावा, 1 अप्रैल 2022 तक जारी किए गए 8.99 करोड़ कनेक्शनों में से 8.34 करोड़ लाभार्थियों ने अप्रैल 2022 और मार्च 2024 के बीच पिछले दो वित्त वर्ष के दौरान कम से कम एक रिफिल का लाभ उठाया है।
महाराष्ट्र
वक्फ संशोधन अधिनियम के खिलाफ आज “बत्ती गुल विरोध”, विद्वानों और मशाइखों की मजबूत अपील

मुंबई, 30 अप्रैल। देशभर के मुस्लिम धार्मिक, राष्ट्रीय और सामाजिक संगठनों के सहयोग से आज, 30 अप्रैल को “बत्ती गुल आंदोलन” मनाया जाएगा। इस विरोध प्रदर्शन का उद्देश्य सरकार द्वारा प्रस्तुत विवादास्पद वक्फ संशोधन अधिनियम का विरोध करना है, जिसे मुस्लिम नेतृत्व ने वक्फ संपत्तियों पर हमला बताया है।
प्रसिद्ध इस्लामी नेता और रजा अकादमी के प्रमुख अल्हाजी मुहम्मद सईद नूरी ने दो टूक शब्दों में कहा, “हम किसी भी हालत में वक्फ संशोधन कानून को स्वीकार नहीं करेंगे, जो इस समय सुप्रीम कोर्ट में विचाराधीन है।”
इस संबंध में गोवंडी स्थित खानकाह शाह बुखारी में एक महत्वपूर्ण बैठक हुई, जिसमें विद्वानों ने विरोध प्रदर्शन को सफल बनाने की रणनीति पर विचार-विमर्श किया। हजरत पीर मौलाना वलीउल्लाह शरीफी ने देश भर की सभी मस्जिदों, मदरसों, खानकाहों और विश्वविद्यालयों के प्रमुखों से इस विवादास्पद अधिनियम के खिलाफ एकजुट होने की अपील की।
हजरत मौलाना एजाज अहमद कश्मीरी ने भावुक अंदाज में कहा, ”मुसलमानों की वक्फ संपत्तियों को लूटने की कोशिश हो रही है। अगर हम आज चुप रहे तो हमारी आने वाली पीढ़ियां हमें माफ नहीं करेंगी।”
बैठक में भाग लेने वाले प्रमुख विद्वानों में शामिल थे:
हज़रत मौलाना अलाउद्दीन रिज़वी
हजरत मौलाना जहांगीर अल-कादरी
हजरत कारी मुहम्मद तौफीक आजमी मिस्बाही
हज़रत मौलाना रिज़वान अहमद अलीमी
हजरत कारी मुहम्मद सईद अशरफी
हजरत मौलाना तवक्कल हुसैन शरीफी
हज़रत मौलाना मुहम्मद अली सनाई
हजरत मौलाना महमूद अली अशरफी
हजरत मौलाना रदी अल्लाह शरीफी
हज़रत हाफ़िज़ जुनैद रज़ा रशीदी
इसके अलावा शाहिद भाई, मुख्तार भाई, रिजवान भाई व अन्य मित्र भी मौजूद थे।
विद्वानों ने इस बात पर जोर दिया कि वक्फ संपत्तियां मुसलमानों की सामूहिक अमानत हैं और उनमें किसी भी प्रकार का सरकारी कब्जा या हस्तक्षेप बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। “बती गुल विरोध” ने सरकार को एक शांतिपूर्ण और प्रभावी संदेश दिया कि मुस्लिम लोग अपने धार्मिक, शैक्षिक और धर्मार्थ संस्थानों की रक्षा के लिए किसी भी हद तक जाने के लिए तैयार हैं।
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