व्यापार
‘आरबीआई’ को सेंट्रल बैंकिंग, लंदन ने डिजिटल ट्रांसफॉर्मेशन अवार्ड 2025 के लिए चुना

मुंबई, 15 मार्च। भारतीय रिजर्व बैंक को सेंट्रल बैंकिंग, लंदन द्वारा डिजिटल ट्रांसफॉर्मेशन अवार्ड 2025 से सम्मानित किया गया है।
आरबीआई को ‘प्रवाह’ और ‘सारथी’ डिजीटल पहल के लिए चुना गया है। इससे केंद्रीय बैंक में पेपर का इस्तेमाल कम हुआ है।
सेंट्रल बैंकिंग ने एक प्रेस बयान में कहा कि ये दोनों पहल इस काम के लिए महत्वपूर्ण रही हैं।
सारथी पहल के साथ आरबीआई के सभी इंटरनल वर्कफ्लो डिजिटल हो गए हैं। जनवरी 2023 में लाइव होने वाली इस पहल के साथ कर्मचारियों को डॉक्यूमेंट्स को सुरक्षित रूप से स्टोर और शेयर करने की सुविधा मिली। साथ ही रिकॉर्ड मैनेजमेंट में भी सुधार हुआ।
डिजिटल ट्रांसफॉर्मेशन का दूसरा चरण मई 2024 में ‘प्रवाह’ के रूप में शुरू किया गया, जिसने एक्सटर्नल यूजर्स के लिए आरबीआई को विनियामक आवेदन प्रस्तुत करने के लिए एक डिजिटल माध्यम बनाया।
प्रवाह पोर्टल के जरिए सबमिट और प्रोसेस्ड डॉक्यूमेंट्स को फिर सारथी डेटाबेस में प्लग किया जाता है, जहां उन्हें सेंट्रलाइज्ड साइबर सिक्योरिटी सिस्टम और डिजिटल ट्रैकिंग के साथ आरबीआई के ऑफिस में डिजिटल रूप से संभाला जा सकता है।
सारथी को सफलतापूर्वक अपनाना आंशिक रूप से आवश्यक समर्थन संरचनाओं को स्थापित करने में टीम के काम के कारण है।
आईटी टीम ने सिस्टम बनाने से पहले कर्मचारियों की जरूरतों को समझने के लिए उनके साथ एक लंबी सहयोगी प्रक्रिया में भाग लिया और अपग्रेड को बढ़ावा देने के लिए प्रत्येक विभाग से वरिष्ठ ‘नोडल अधिकारी’ नियुक्त किए।
ऑनलाइन सारथी पाठशाला (‘स्कूल’) यूजर्स को सिस्टम से परिचित होने में मदद करती है और पाठशाला को इन-पर्सन ट्रेनिंग के साथ शुरू किया गया था।
इसके अलावा, सारथी मित्र (‘मित्र’) प्रत्येक आरबीआई ऑफिस में ऐसे लोग होते हैं जो सिस्टम को अच्छी तरह से जानते हैं और किसी भी मुद्दे पर सहकर्मियों की मदद कर सकते हैं।
आरबीआई ने अपने एक्स हैंडल पर घोषणा की कि केंद्रीय बैंक को डिजिटल ट्रांसफॉर्मेशन अवॉर्ड 2025 के लिए चुना गया है।
केंद्रीय बैंक ने पोस्ट में लिखा, “आरबीआई को इन-हाउस डेवलपर टीम द्वारा डेवलप किए गए ‘प्रवाह’ और ‘सारथी’ सिस्टम सहित अपनी पहलों के लिए सम्मानित और मान्यता दी गई है। पुरस्कार समिति ने इस बात पर गौर किया कि दोनों डिजिटल पहलों ने पेपर-बेस्ड सबमिशन के इस्तेमाल को कम किया है, जिससे आरबीआई की आंतरिक और बाहरी प्रक्रियाओं में बदलाव आया है।”
व्यापार
न्यू इंडिया कोऑपरेटिव बैंक घोटाला: EOW ने मुख्य आरोपियों द्वारा उच्च ब्याज दर पर ऋण धोखाधड़ी का पर्दाफाश किया

मुंबई: मुंबई पुलिस की आर्थिक अपराध शाखा (ईओडब्ल्यू) न्यू इंडिया कोऑपरेटिव बैंक में हुए 122 करोड़ रुपये के घोटाले में चौंकाने वाले खुलासे कर रही है। ताजा जांच में पता चला है कि मुख्य आरोपी हितेश मेहता ने 2020 में कोविड-19 अवधि के दौरान जमाकर्ताओं को अवैध रूप से बैंक फंड को उच्च ब्याज दर पर ऋण के रूप में वितरित किया।
ईओडब्ल्यू सूत्रों के अनुसार, महामारी के दौरान कई छोटे व्यापारियों को भारी आर्थिक नुकसान हुआ और उन्हें तत्काल धन की आवश्यकता थी। उनकी कमजोरी का फायदा उठाते हुए, मेहता ने कानूनी बैंकिंग प्रक्रियाओं को दरकिनार करते हुए उन्हें अत्यधिक ब्याज दरों पर करोड़ों रुपये का ऋण प्रदान किया।
ईओडब्ल्यू अब उन व्यापारियों की सही संख्या की जांच कर रहा है जिन्हें ये अनधिकृत ऋण मिले और कुल कितनी राशि वितरित की गई। ईओडब्ल्यू के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि वाणिज्य स्नातक मेहता 1987 में बैंक में शामिल हुए और बाद में 2002 में उन्हें महाप्रबंधक और मुख्य लेखाकार के पद पर पदोन्नत किया गया। उन्हें इस साल अक्टूबर में सेवानिवृत्त होना था, लेकिन उनके बड़े पैमाने पर धोखाधड़ी का खुलासा पहले ही हो गया।
सूत्रों से पता चला है कि EOW की एक टीम जल्द ही भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) के वरिष्ठ अधिकारियों से मिलने के लिए जाएगी। इस बैठक का उद्देश्य यह समझना है कि RBI ने 12 फरवरी को बैंक का अचानक निरीक्षण क्यों किया और अचानक ऑडिट क्यों किया गया।
इसके अलावा, ईओडब्ल्यू के अधिकारी आरबीआई से विस्तृत रिपोर्ट मांगेंगे और पूछेंगे कि 2019 से वित्तीय अनियमितताएं होने के बावजूद पहले कोई कार्रवाई क्यों नहीं की गई। जांच जारी है और आने वाले दिनों में और खुलासे होने की उम्मीद है।
राजनीति
केंद्र ने वित्त वर्ष 2024-25 में राज्य उपभोक्ता कल्याण कोष के लिए 32.68 करोड़ रुपये किए जारी

नई दिल्ली, 15 मार्च। उपभोक्ता मामले, खाद्य एवं सार्वजनिक वितरण मंत्रालय ने विश्व उपभोक्ता अधिकार दिवस से पहले जानकारी दी कि केंद्र सरकार ने वित्त वर्ष 2024-25 में राज्य उपभोक्ता कल्याण (कॉर्पस) कोष के लिए 32.68 करोड़ रुपये जारी किए हैं।
हर साल 15 मार्च को मनाया जाने वाला विश्व उपभोक्ता अधिकार दिवस ‘उपभोक्ता अधिकारों’ और ‘संरक्षण’ को बनाए रखने की जरूरत को याद दिलाता है।
यह दिन सभी उपभोक्ताओं के मूल अधिकारों को बढ़ावा देने और उनके अधिकारों के सम्मान और संरक्षण को प्रोत्साहित करने के रूप में मनाया जाता है।
मंत्रालय ने कहा, “वित्त वर्ष 2024-25 के दौरान, केंद्र सरकार की ओर से अलग-अलग राज्यों को उनके राज्य उपभोक्ता कल्याण (कॉर्पस) कोष की स्थापना और वृद्धि के लिए 32.68 करोड़ रुपये जारी किए गए हैं।”
इसमें कहा गया है कि इस अवधि के दौरान, 24 राज्यों और 1 केंद्र शासित प्रदेश ने उपभोक्ता कल्याण (कॉर्पस) कोष की स्थापना की है।
इसके अलावा, सरकार ने कहा कि इसका उद्देश्य एक सुरक्षित, पारदर्शी और उपभोक्ता-अनुकूल अर्थव्यवस्था बनाना है।
मंत्रालय ने कहा, “जैसा कि भारत विश्व उपभोक्ता अधिकार दिवस 2025 मना रहा है, हमारा ध्यान एक सुरक्षित, अधिक पारदर्शी और उपभोक्ता-अनुकूल अर्थव्यवस्था सुनिश्चित करने पर है।”
उपभोक्ताओं को सशक्त बनाने, शिकायतों के समाधान की व्यवस्था को मजबूत करने और एक पारदर्शी और निष्पक्ष बाजार सुनिश्चित करने के लिए उपभोक्ता मामलों के विभाग ने कई नई पहल और नीतियां शुरू की हैं।
मंत्रालय ने कहा, “2024 में ई-कॉमर्स रेगुलेशन, डिजिटल कंज्यूमर प्रोटेक्शन, उत्पाद सुरक्षा मानकों और सस्टेनेबल कंजंप्शन पहलों में सुधार के साथ कई बड़े विकास कार्य किए गए।”
विश्व उपभोक्ता अधिकार दिवस पहली बार 1983 में मनाया गया था। यह दिन 15 मार्च, 1962 को अमेरिकी कांग्रेस को राष्ट्रपति जॉन एफ कैनेडी के संबोधन की याद दिलाता है, जहां वे औपचारिक रूप से उपभोक्ता अधिकारों को मान्यता देने वाले पहले ग्लोबल लीडर बने थे।
इस वर्ष का विषय ‘स्थायी जीवन शैली के लिए एक उचित बदलाव’ है।
मंत्रालय ने कहा, “यह थीम सभी उपभोक्ताओं के लिए सस्टेनेबल और स्वस्थ जीवन शैली विकल्पों को उपलब्ध, सुलभ और किफायती बनाने की तत्काल जरूरत को दर्शाती है। साथ ही यह भी सुनिश्चित करना है कि ये बदलाव लोगों के बुनियादी अधिकारों और जरूरतों को बनाए रखें।”
मंत्रालय ने कहा, “इस साल का अभियान सस्टेनेबल लाइफस्टाइल हासिल करने के लिए जरूरी कदमों को उठाए जाने पर प्रकाश डालता है और दुनिया भर में मजबूत उपभोक्ता संरक्षण और सशक्तिकरण का आह्वान करता है।”
अंतरराष्ट्रीय
चीन में 6जी का तेज विकास

बीजिंग, 13 मार्च। इस साल चीन की सरकारी कार्य रिपोर्ट में ‘6जी’, ‘एआई मोबाइल फोन’ और ‘एआई कंप्यूटर’ आदि नए शब्द सामने आए। 6जी का मतलब छठी पीढ़ी की मोबाइल संचार प्रौद्योगिकी है। यह डिजिटल और बुद्धिमत्ता युग में महत्वपूर्ण बुनियादी संस्थापन है।
बताया जाता है कि 6जी में टेराहर्ट्ज़ बैंड जैसे उच्च आवृत्ति स्पेक्ट्रम संसाधनों का उपयोग होने की उम्मीद है। ऐसे में उच्चतर बैंडविड्थ और तीव्र ट्रांसमिशन गति मिलेगी। 6जी तकनीक एक साथ अधिक डिवाइसों को कनेक्ट करने में सहायक होगी।
6जी से लोगों की जीवन शैली में प्रणालीगत परिवर्तन आएगा। चीनी मोबाइल अनुसंधान संस्थान के उपाध्यक्ष तिंग हाईयू ने कहा कि उदाहरण के लिए भविष्य में सुदूर सम्मेलन में होलोग्राफिक छवियां प्रदान की जा सकेंगी। इससे उपस्थित व्यक्ति सम्मेलन कक्ष में मौजूद होने का अहसास कर पाएंगे। उच्च गति और कम देरी की श्रेष्ठता से 6जी तकनीक रोबोट और एआई को जोड़ेगा, जिससे बेहतर सेवा प्रदान की जाएगी।
अब दुनिया में 6जी प्रौद्योगिकी का अनुसंधान और विकास संकल्पना अन्वेषण से प्रमुख प्रौद्योगिकी अनुसंधान के चरण में प्रवेश हो चुका है। विभिन्न देश वर्ष 2030 में 6जी के व्यावसायिक प्रयोग के लक्ष्य की ओर तेजी से आगे बढ़ रहे हैं। चीन में 6जी व्यवसाय का विकास भी तेज हो रहा है।
अनुमान है कि वर्ष 2040 तक 6जी टर्मिनल कनेक्शनों की संख्या वर्ष 2022 की तुलना में 30 गुना से अधिक बढ़ जाएगी। औसत मासिक ट्रैफ़िक में 130 गुना से अधिक की वृद्धि होगी।
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