व्यापार
ग्लोबल रीफर्बिश्ड स्मार्टफोन की बिक्री में 5 प्रतिशत का उछाल, एप्पल का दिखा दम
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नई दिल्ली, 25 फरवरी। टेक कंपनी एप्पल ने ग्लोबल रीफर्बिश्ड स्मार्टफोन की बिक्री में भी बाजी मारी है। 2024 में इसमें 5 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज हुई। बिक्री को लेकर एप्पल की 2023 में 51 प्रतिशत की तुलना में 2024 में 56 प्रतिशत की हिस्सेदारी रही। एक लेटेस्ट रिपोर्ट में यह जानकारी साझा की गई।
इसकी तुलना में, नए स्मार्टफोन के मार्केट ने 2023 के मुश्किल समय से उबरते हुए 3 प्रतिशत की सालाना वृद्धि भी दर्ज की।
काउंटरपॉइंट रिसर्च की ‘सेकेंडरी स्मार्टफोन मार्केट रिपोर्ट’ में कहा गया है कि विभिन्न क्षेत्रों में दो से तीन वर्षों तक लगातार वृद्धि के बाद, 2024 में रीफर्बिश्ड मार्केट मैच्योरिटी तक पहुंच गया और कुछ क्षेत्रों में ठहराव भी आया।
एप्पल ने 2024 में सेकेंडरी मार्केट में लगभग अकेले ही वृद्धि को आगे बढ़ाया। यह 2024 में बिक्री बढ़ाने वाले कुछ ही ओईएम में से एक था, जिसके परिणामस्वरूप कंपनी की हिस्सेदारी बढ़कर 56 प्रतिशत हो गई।
अधिक से अधिक उपभोक्ता किफायती आईफोन खरीदने के लिए सेकेंडरी मार्केट की ओर रुख कर रहे हैं।
वरिष्ठ शोध विश्लेषक ग्लेन कार्डोजा ने कहा, “इस बार एप्पल की वृद्धि मुख्य रूप से आईफोन 11 और 12 सीरीज जैसे पुराने मॉडलों से हुई है। आईफोन 13 और 14 सीरीज के मार्केट में मौजूद होने के बावजूद, कई उपभोक्ताओं ने पुराने डिवाइस को लंबे समय तक अपने पास रखा, जिससे सप्लाई की कमी हो गई।”
नए आईफोन मॉडल की सप्लाई इस हद तक प्रभावित हुई कि ग्लोबल रीफर्बिश्ड एएसपी 2024 में सालाना आधार पर 2023 के 445 डॉलर से 11 प्रतिशत घटकर 394 डॉलर पर पहुंच गया।
इसके विपरीत, सैमसंग का एएसपी अपने फ्लैगशिप ‘गैलेक्सी एस सीरीज’ के लिए बढ़ती प्राथमिकता के कारण बढ़ा, भले ही ब्रांड की वैश्विक हिस्सेदारी कम हो गई हो।
कार्डोजा ने कहा, “अधिक टिकाऊ डिवाइस के कारण बेहतर गुणवत्ता वाले ट्रेड-इन हुए हैं, जिससे रीफर्बिशमेंट की जरूरत कम हुई है। साथ ही, स्पेयर पार्ट्स, लेबर और उपकरणों की बढ़ती लागत का मतलब है कि कई प्लेयर्स मार्जिन बनाए रखने के लिए इस्तेमाल किए गए स्मार्टफोन को ‘जैसा लिया गया वैसा ही’ कहकर बेच रहे हैं।”
इस बीच, 5जी स्मार्टफोन में सभी ब्रांडों में शानदार वृद्धि देखी गई। यह 2024 में ग्लोबल रीफर्बिश्ड स्मार्टफोन मार्केट का 42 प्रतिशत हिस्सा था, जो 2023 में 28 प्रतिशत था।
रिपोर्ट में कहा गया है कि 2024 की हिस्सेदारी बहुत अधिक होती अगर 2024 की दूसरी और चौथी तिमाही के बीच नए आईफोन का स्टॉक कम नहीं होता।
राष्ट्रीय समाचार
सपाट बंद हुआ भारतीय शेयर बाजार, सेंसेक्स 147 अंक चढ़ा, निफ्टी 5 अंक फिसला
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मुंबई, 25 फरवरी। भारतीय शेयर बाजार मंगलवार को मिश्रित मार्केट सेंटिमेंट के बीच सपाट बंद हुआ। कारोबार के अंत में मेटल, पीएसयू बैंक और रियलिटी सेक्टर में बिकवाली देखी गई।
कारोबार के अंत में सेंसेक्स 147.71 अंक या 0.20 प्रतिशत की तेजी के साथ 74,602.12 पर बंद हुआ। इंडेक्स ने 74,785.08 के इंट्रा-डे हाई को छुआ था, लेकिन बंद होने से पहले 74,400.37 का निचला स्तर भी देखा।
निफ्टी इंडेक्स 5.80 अंक या 0.03 प्रतिशत की गिरावट के साथ 22,547.55 पर बंद हुआ। सत्र के दौरान इंडेक्स 22,625.30 और 22,513.90 के बीच कारोबार करता रहा।
एलकेपी सिक्योरिटीज के रूपक दे ने कहा, “निफ्टी इंडेक्स में बंद होने के समय एक छोटे से सुधार को छोड़कर, अधिकांश समय मंदी बनी रही। धारणा मंदी के पक्ष में बनी रही। निचले सिरे पर, सपोर्ट 22,500 पर है, जिसके नीचे धारणा और भी खराब हो सकती है। उच्च सिरे पर, प्रतिरोध 22,650 और 22,750-22,800 पर देखा जा रहा है।”
निफ्टी बैंक 43.60 अंक या 0.09 प्रतिशत की गिरावट के साथ 48,608.35 पर बंद हुआ। निफ्टी मिडकैप 100 इंडेक्स 310.95 अंक या 0.62 प्रतिशत गिरकर 49,702.15 पर बंद हुआ, जबकि निफ्टी स्मॉलकैप 100 इंडेक्स 68.70 अंक या 0.44 प्रतिशत गिरकर 15,408.60 पर बंद हुआ।
एनएसई सेक्टोरल फ्रंट पर ऑटो और एफएमसीजी ने पॉजिटिव मूवमेंट दिखाई।
बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज (बीएसई) पर 1,678 शेयर हरे और 2,253 शेयर लाल निशान में बंद हुए, जबकि 131 शेयरों में कोई बदलाव नहीं हुआ।
सेंसेक्स पैक में एमएंडएम, भारती एयरटेल, बजाज फाइनेंस, जोमैटो, नेस्ले इंडिया, बजाज फिनसर्व, मारुति सुजुकी, टाइटन और हिंदुस्तान यूनिलीवर लिमिटेड और अदाणी पोर्ट्स टॉप गेनर्स थे। वहीं, सनफार्मा, पावरग्रिड, टीसीएस, टेक महिंद्रा, एशियन पेंट्स, टाटा मोटर्स, एलएंडटी और अल्ट्राटेक सीमेंट टॉप लूजर्स थे।
असित सी. मेहता इन्वेस्टमेंट लिमिटेड से ऋषिकेश येदवे ने कहा, “तकनीकी रूप से, डेली चार्ट पर, निफ्टी ने एक इनवर्टेड हैमर कैंडलस्टिक पैटर्न बनाया है, जो 23,500 के स्तर के आसपास खरीदारी की रुचि दर्शाता है। जब तक इंडेक्स 23,500 के स्तर पर नहीं आता, तब तक 22,700-22,800 की ओर वापसी संभव हो सकती है।”
उन्होंने आगे कहा, “हाईर साइड पर, 22,700-22,800 एक सॉलिड प्रतिरोध जोन के रूप में काम करेगा। 22,500 के स्तर से नीचे बने रहने से नए सिरे से बिक्री का दबाव बढ़ सकता है। व्यापारियों को संभावित व्यापारिक अवसरों के लिए इन स्तरों पर नजर रखनी चाहिए।”
व्यापार
सेबी ने डेरिवेटिव्स मार्केट में स्टॉक्स में हेराफेरी को रोकने के लिए दिया नया प्रस्ताव
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मुंबई, 25 फरवरी। भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (सेबी) ने इक्विटी डेरिवेटिव्स मार्केट के ओपन इंटरेस्ट (ओआई) के कैलकुलेशन के तरीके में बड़े बदलाव का प्रस्ताव दिया है।
सेबी की ओर से जारी बयान में कहा गया कि इक्विटी डेरिवेटिव्स मार्केट के ओआई के कैलकुलेशन के लिए मौजूदा ‘नोशनल वैल्यू’ की जगह ‘फ्यूचर इक्विलेंट’ पद्धति पर जाने का सुझाव दिया गया है।
इस बदलाव के पीछे सेबी का उद्देश्य उस प्रथा को रोकना है, जिसके तहत डेरिवेटिव्स शेयरों को हेराफेरी के जरिए बैन में धकेल दिया जाता है।
सेबी ने बताया कि मौजूदा नोशनल वैल्यू मेथड में सभी फ्यूचर्स और ऑप्शंस कॉन्ट्रैक्ट्स की कुल वैल्यू को बिना वास्तविक मार्केट रिस्क को देखे जोड़ा जाता है और इससे लगता है कि स्टॉक में काफी ज्यादा कारोबार हुआ है। इस स्थिति में स्टॉक बैन में चला जाता है, जब रिस्क ज्यादा भी नहीं होता।
वहीं, प्रस्तावित फ्यूचर इक्विलेंट मेथड में ओपन इंटरेस्ट का कैलकुलेशन कुल वैल्यू की जगह स्टॉक के साथ कॉन्ट्रैक्ट कितना चलता है, इस आधार पर की जाएगी।
यह बाजार जोखिम की अधिक सटीक तस्वीर प्रस्तुत करेगा और अनावश्यक ट्रेडिंग प्रतिबंधों को कम करेगा।
डेरिवेटिव्स मार्केट में कोई स्टॉक तभी बैन में जाता है, जब उसकी ट्रेडिंग लिमिट टूट जाती है। इस स्थिति में ट्रेडर अपनी मौजूदा पॉजिशन को समाप्त कर सकता है, लेकिन फ्यूचर्स और ऑप्शंस में नई पॉजिशन नहीं ले सकता है।
सेबी का मानना है कि कैलकुलेशन पद्धति बदलने से शेयरों के प्रतिबंध अवधि में प्रवेश करने की आवृत्ति कम हो जाएगी, जिससे छोटे निवेशकों के लिए व्यापार करना आसान हो जाएगा।
सेबी ने मार्केट-वाइड पॉजिशन लिमिट (एमडब्ल्यूपीएल) में भी बदलाव का प्रस्ताव दिया है, जो किसी स्टॉक के लिए अधिकतम ट्रेडिंग की अनुमति निर्धारित करता है।
वर्तमान में एमडब्ल्यूपीएल स्टॉक के फ्री-फ्लोट बाजार पूंजीकरण के 20 प्रतिशत पर निर्धारित है।
इसके अलावा मार्केट मॉनिटरिंग को सशक्त करने के लिए सेबी ट्रेडिंग सत्र के दौरान कम से कम चार बार एमडब्ल्यूपीएल ब्रीच चेक करने की योजना बना रहा है।
व्यापार
मारुति सुजुकी इंडिया ने हरियाणा के खरखौदा प्लांट में कमर्शियल प्रोडक्शन किया शुरू
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नई दिल्ली, 25 फरवरी। घरेलू विनिर्माण को बढ़ावा देते हुए मारुति सुजुकी इंडिया ने मंगलवार को कहा कि उसने हरियाणा के खरखौदा प्लांट में कमर्शियल प्रोडक्शन शुरू कर दिया है।
इस प्लांट की आधारशिला प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अगस्त 2022 में वर्चुअल मोड के जरिए रखी थी।
ऑटोमेकर ने एक बयान में कहा कि शुरुआत में खरखौदा प्लांट की सालाना उत्पादन क्षमता 250,000 यूनिट होगी और यहां कॉम्पैक्ट एसयूवी ब्रेजा का उत्पादन किया जाएगा।
कंपनी ने बताया, “इसके साथ ही मारुति सुजुकी, जिसमें मारुति सुजुकी की पूर्ण स्वामित्व वाली सहायक कंपनी सुजुकी मोटर गुजरात प्राइवेट लिमिटेड भी शामिल है, की कुल सालाना उत्पादन क्षमता 2.6 मिलियन यूनिट हो जाएगी।”
पिछले हफ्ते मारुति सुजुकी इंडिया की मूल कंपनी सुजुकी मोटर कॉरपोरेशन ऑफ जापान ने अपनी रणनीति में ‘रिथिंक’ के साथ एक नए मिड-टर्म प्लान की घोषणा की, क्योंकि “भारत में बाजार हिस्सेदारी में गिरावट” और बढ़ते इलेक्ट्रिक वाहन सेगमेंट के कारण कंपनी के कारोबारी माहौल में बदलाव आया है।
मारुति सुजुकी का लक्ष्य भारत में 50 प्रतिशत बाजार हिस्सेदारी हासिल करने और देश को वैश्विक निर्यात केंद्र के रूप में इस्तेमाल करने के लिए सालाना 4 मिलियन कारों का उत्पादन करने की विनिर्माण क्षमता बनाना है।
2025-30 के लिए अपने नए मिड-टर्म प्लान में कंपनी ने भारत को अपना “सबसे महत्वपूर्ण बाजार” के रूप में पहचाना है।
ऑटो प्रमुख ने ई-विटारा से शुरू कर अपने ईवी लाइनअप का विस्तार करने की योजना बनाई है। कंपनी ने वित्त वर्ष 2030 तक चार नए ईवी मॉडल लॉन्च करने का लक्ष्य रखा है। कंपनी के प्रतिद्वंद्वियों टाटा मोटर्स और महिंद्रा एंड महिंद्रा के पास भारत में पहले से ही अलग-अलग ईवी पोर्टफोलियो हैं।
मारुति सुजुकी वर्तमान में भारत से सालाना तीन लाख वाहनों का निर्यात कर रही है। इस दशक के अंत तक, यह प्रति वर्ष 7.5-8 लाख इकाइयों के निर्यात का लक्ष्य बना रही है।
सुजुकी मोटर ने प्रोडक्शन, नए मॉडल उत्पादन और गुणवत्ता उपायों के लिए पूंजीगत व्यय के रूप में 1,200 बिलियन येन (लगभग 7,000 करोड़ रुपये) का निवेश करने की योजना बनाई है।
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