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आरबीआई विकास को रफ्तार देने के लिए रेपो रेट में कर सकता है 25 आधार अंक की कटौती: रिपोर्ट

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नई दिल्ली, 5 फरवरी। भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) आगामी मौद्रिक नीति में देश की विकास दर को रफ्तार देने के लिए रेपो रेट में 25 आधार अंक की कटौती कर सकता है।

गोल्डमैन सैश में भारत के अर्थशास्त्री, शांतनु सेनगुप्ता ने एक मीडिया रिपोर्ट में कहा कि मौजूदा समय में काफी अनिश्चितता है। नीति निर्माताओं को इस मिश्रण के बीच ही रास्ता निकालना है।

उन्होंने आगे बताया कि दुनियाभर में टैरिफ में हुए बदलाव और वैश्विक अर्थव्यवस्था का ढांचा बदलने के कारण महंगाई में हल्की तेजी देखने को मिल सकती है, लेकिन भारत की अर्थव्यवस्था अन्य देश के मुकाबले कम प्रभावित होगी।

आरबीआई के नए गवर्नर संजय संजय मल्होत्रा की अध्यक्षता में चल रही मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी) की बैठक 5 फरवरी से लेकर 7 फरवरी तक चलेगी।

7 फरवरी को आरबीआई गवर्नर द्वारा एमपीसी के फैसलों का ऐलान किया है।

सेनगुप्ता ने आगे कहा, “पिछले साल के अधिकांश समय में भारत की मुद्रा में बहुत कम अस्थिरता रही। हालिया मूल्यह्रास एक कैच-अप समायोजन है, जो पहले हो जाना चाहिए था। यह एक सकारात्मक समायोजन है।”

बजट में खपत को बढ़ाने के लिए इनकम टैक्स छूट की सीमा 12 लाख रुपये तक करने के बाद इस बैठक को काफी अहम माना जा रहा है। इस बार ब्याज दरों में कटौती होने की संभावना है।

आरबीआई द्वारा आखिरी बार ब्याज दरों में बदलाव फरवरी 2023 में किया गया था। उस समय केंद्रीय बैंक ने रेपो रेट को 25 आधार अंक बढ़ाकर 6.50 प्रतिशत कर दिया है।

कुछ समय पहले आरबीआई ने सिस्टम में लिक्विडिटी बढ़ाने के लिए कई कदम उठाए थे।

इसे लेकर जेफरीज ने अपनी रिपोर्ट में कहा कि बैंकिंग सिस्टम में लिक्विडिटी बढ़ाने के लिए उठाए गए कदम काफी सकारात्मक हैं। हाल ही में आरबीआई द्वारा की गई घोषणा से आने वाले हफ्तों में (फरवरी के अंत तक) बैंकिंग सिस्टम में 1.5 लाख करोड़ की लिक्विडिटी आएगी।

राष्ट्रीय समाचार

जीएसटी सुधारों से उपभोक्ताओं के पास खर्च करने के लिए बचेगा अधिक पैसा : एक्सपर्ट्स

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नई दिल्ली, 16 अगस्त। केंद्रीय उत्पाद एवं सीमा शुल्क बोर्ड (सीबीईसी) के पूर्व अध्यक्ष नजीब शाह ने शनिवार को कहा कि वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) ढांचे में आमूलचूल परिवर्तन से भारतीय उपभोक्ताओं के पास खर्च करने के लिए अधिक पैसा बचेगा, जिससे अर्थव्यवस्था में मांग और समग्र उपभोग को बढ़ावा मिलने की संभावना है।

केंद्र सरकार मौजूदा जीएसटी ढांचे में टैक्स स्लैब की संख्या चार से घटाकर दो ( 5 प्रतिशत और 18 प्रतिशत) करने पर विचार कर रही है, जबकि लग्जरी और सिन गुड्स के लिए 40 प्रतिशत का एक विशेष टैक्स स्लैब पेश किया जाएगा।

यह प्रस्ताव प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा स्वतंत्रता दिवस पर लाल किले से अपने संबोधन के दौरान दिए गए उस बयान के बाद आया है जिसमें उन्होंने कहा था कि जीएसटी में अगली पीढ़ी के सुधारों का अनावरण दिवाली तक किया जाएगा, जिससे आम आदमी को “पर्याप्त” कर राहत मिलेगी और छोटे व्यवसायों को लाभ होगा।

मिडिया के साथ बातचीत में, नजीब शाह ने सुझाव दिया कि “मौजूदा स्लैब को नए स्लैब में मिलाया जा सकता है जैसे 5 प्रतिशत के स्लैब और 12 प्रतिशत के स्लैब को मिलाकर लगभग 7-8 प्रतिशत का एक बीच का स्लैब बनाया जा सकता है।”

उन्होंने आगे कहा, “12 प्रतिशत के स्लैब और 18 प्रतिशत के स्लैब को मिलाकर 15-16 प्रतिशत का स्लैब बनाया जा सकता है, और मार्च 2026 में सेस हटने के बाद 28 प्रतिशत की दर संभवतः 30 प्रतिशत हो जाएगी।”

शाह ने कहा कि कम टैक्स स्लैब से उपभोक्ताओं के पास अधिक खर्च करने योग्य आय बचेगी, जिससे अर्थव्यवस्था में मांग और समग्र उपभोग को बढ़ावा मिल सकता है।

विशेषज्ञ ने कहा कि “जीएसटी सुधारों से कीमतें कम होंगी, ऋण प्रवाह सुचारू होगा और विवादों में कमी आएगी, जिससे अंततः उत्पादकों और उपभोक्ताओं दोनों के लिए लागत कम हो जाएगी।”

वहीं, सरकारी संग्रह पर प्रतिकूल प्रभाव नहीं पड़ना चाहिए और साथ ही उपभोक्ताओं को राहत भी मिलनी चाहिए।

उन्होंने आगे कहा कि लघु एवं मध्यम उद्यमों को सरलीकृत कर दरों, कम अनुपालन बोझ और जीएसटी ढांचे के भीतर निर्बाध ऋण तक बेहतर पहुंच से महत्वपूर्ण लाभ होगा।

जीएसटी सुधारों को जरूरी बताते हुए, शाह ने मिडिया को बताया कि वह इसे एक परिवर्तनकारी कदम के रूप में देखते हैं जो कर प्रणाली को मजबूत करेगा, विकास को प्रोत्साहित करेगा और एक प्रमुख निवेश गंतव्य के रूप में भारत की स्थिति को मजबूत करेगा।

सरकार के प्रस्ताव के अनुसार, वर्तमान में 12 प्रतिशत कर वाली लगभग 99 प्रतिशत वस्तुओं के 5 प्रतिशत टैक्स स्लैब में स्थानांतरित होने की संभावना है, जबकि 28 प्रतिशत स्लैब में शामिल 90 प्रतिशत वस्तुएं, जिनमें व्हाइट गुड्स भी शामिल हैं, 18 प्रतिशत कर स्लैब में स्थानांतरित हो जाएंगी।

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राजनीति

भारत की जीडीपी अगले तीन वर्षों में सालाना 6.8 प्रतिशत बढ़ने का अनुमान : एसएंडपी ग्लोबल

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नई दिल्ली, 14 अगस्त। एसएंडपी ग्लोबल ने गुरुवार को कहा कि भारत दुनिया की सबसे अच्छी प्रदर्शन करने वाली अर्थव्यवस्थाओं में से एक बना हुआ है और हमें उम्मीद है कि मध्यम अवधि में विकास की गतिशीलता जारी रहेगी। इसी के साथ, अगले तीन वर्षों में देश की जीडीपी में सालाना 6.8 प्रतिशत की वृद्धि होगी।

भारत राजकोषीय कंसोलिडेशन को प्राथमिकता दे रहा है, जो मजबूत इंफ्रास्ट्रक्चर को बनाए रखते हुए सस्टेनेबल पब्लिक फाइनेंस प्रदान करने के लिए सरकार की राजनीतिक प्रतिबद्धता को दर्शाता है।

ग्लोबल रेटिंग एजेंसी ने एक नोट में कहा, “हमारा अनुमान है कि इस वर्ष भारत की रियल जीडीपी वृद्धि दर 6.5 प्रतिशत रहेगी, जो व्यापक वैश्विक धीमी गति के बीच उभरते बाजारों के समकक्षों की तुलना में अनुकूल है।”

इसमें कहा गया है, “मजबूत आर्थिक विस्तार का भारत के क्रेडिट मेट्रिक्स पर सकारात्मक प्रभाव पड़ रहा है और हमें उम्मीद है कि मजबूत आर्थिक बुनियादी ढांचे अगले दो से तीन वर्षों में विकास की गति को सहारा देंगे। इसके अलावा, मौद्रिक नीति सेटिंग्स मुद्रास्फीति संबंधी अपेक्षाओं के प्रबंधन के लिए तेजी से अनुकूल हो गई हैं।”

पिछले पांच-छह वर्षों में सरकारी खर्च की गुणवत्ता में सुधार हुआ है। वर्तमान प्रशासन ने बजट आवंटन को इंफ्रास्ट्रक्चर पर खर्च करने के लिए तेजी से स्थानांतरित किया है। इसमें कहा गया है कि केंद्र सरकार का पूंजीगत व्यय (कैपेक्स) वित्त वर्ष 2026 में बढ़कर 11.2 ट्रिलियन रुपए या सकल घरेलू उत्पाद का लगभग 3.1 प्रतिशत हो जाएगा।

यह एक दशक पहले के सकल घरेलू उत्पाद के 2 प्रतिशत से ज्यादा है। राज्यों द्वारा किए गए पूंजीगत व्यय को जोड़ने पर इंफ्रास्ट्रक्चर में कुल सार्वजनिक निवेश सकल घरेलू उत्पाद का लगभग 5.5 प्रतिशत होने का अनुमान है, जो अन्य संप्रभु समकक्षों के बराबर या उससे अधिक है।

ग्लोबल रेटिंग एजेंसी ने कहा, “हमारा मानना है कि भारत में इंफ्रास्ट्रक्चर और कनेक्टिविटी में सुधार से वे रुकावटें दूर होंगी, जो दीर्घकालिक आर्थिक विकास में बाधा बन रही हैं।”

पिछले तीन वर्षों में, वैश्विक ऊर्जा कीमतों में उतार-चढ़ाव और आपूर्ति-पक्ष के झटकों के बावजूद, उपभोक्ता मूल्य सूचकांक की वृद्धि दर औसतन 5.5 प्रतिशत रही। हाल के महीनों में, यह भारतीय रिजर्व बैंक के 2 प्रतिशत-6 प्रतिशत के लक्ष्य की निचली सीमा पर रही।

ये घटनाक्रम, घरेलू पूंजी बाजार की मजबूती के साथ, मौद्रिक परिदृश्य के लिए एक अधिक स्थिर और सहायक वातावरण को दर्शाते हैं।

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राष्ट्रीय समाचार

तिरंगे को देखकर हर भारतीय के दिल में गर्व की अनुभूति होती है: जीत अदाणी

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मुंबई, 14 अगस्त। अदाणी एयरपोर्ट्स के डायरेक्टर जीत अदाणी ने बुधवार को कहा कि हमारे तिरंगे को देखकर हर भारतीय के दिल में गर्व की भावना पैदा होती है।

जीत अदाणी ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ‘एक्स’ पर पोस्ट कर कहा, “मुझे यकीन है कि मुंबई एयरपोर्ट से गुजरने वाला हर व्यक्ति भी इसे महसूस करेगा।”

उन्होंने छत्रपति शिवाजी महाराज इंटरनेशनल एयरपोर्ट (सीएसएमआईए) के एक एक्स पोस्ट पर प्रतिक्रिया दी।

छत्रपति शिवाजी महाराज इंटरनेशनल एयरपोर्ट, मुंबई ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर पोस्ट कर कहा कि सीएसएमआईए भारत के 79वें स्वतंत्रता दिवस समारोह को टर्मिनल 1 और 2 पर चमकदार तिरंगे की रोशनी से चिह्नित करता है, जिसके पूरक के रूप में स्वतंत्रता और एकता की भावना को दर्शाने वाले थीम आधारित प्रतिष्ठान हैं।

अगली पीढ़ी के एयरपोर्ट के अनुभव को बनाने के लिए, सीएसएमआईए टर्मिनल 1 के पुनर्विकास, क्षमता विस्तार और डिजिटलीकरण, हवाई क्षेत्र में सुधार, स्मार्ट यात्री तकनीक और स्थिरता प्रतिबद्धताओं जैसी कई परिवर्तनकारी परियोजनाओं को आगे बढ़ा रहा है।

छत्रपति शिवाजी महाराज इंटरनेशनल एयरपोर्ट का संचालक, मुंबई इंटरनेशनल एयरपोर्ट (एमआईएएल), टर्मिनल 1 (टी1) के पुनर्विकास के साथ एक ऐतिहासिक परिवर्तन की शुरुआत करने के लिए तैयार है, जिसकी क्षमता प्रति वर्ष 2 करोड़ यात्रियों को सेवा प्रदान करने की होगी, जो इसकी वर्तमान क्षमता से 42 प्रतिशत अधिक है।

2028-29 में पूरा होने वाला यह नया टर्मिनल, जिसका निर्मित क्षेत्रफल 20 लाख वर्ग फुट से अधिक है, डिजिटलीकरण और उपभोक्ता सुविधा की एक पहचान बनने के लिए तैयार है।

अदाणी एयरपोर्ट होल्डिंग्स लिमिटेड द्वारा प्रबंधित सीएसएमआईए के एक बयान के अनुसार, टर्मिनल 1 के आधुनिकीकरण का पहला चरण इस साल नवंबर में शुरू होगा।

हवाई अड्डे के संचालन में व्यवधान को कम करने के लिए टर्मिनल 1 का पुनर्विकास चरणों में किया जाएगा।

प्रारंभिक चरण में मौजूदा संरचना को ध्वस्त करना शामिल है, जो नवंबर 2025 में शुरू होगा, उसके बाद नए टर्मिनल का निर्माण होगा।

सीएसएमआईए टर्मिनल 2, नवी मुंबई इंटरनेशनल एयरपोर्ट के साथ, जो 2025 में चालू होने वाला है, टर्मिनल 1 के ध्वस्त होने से उत्पन्न क्षमता अंतर को प्रबंधित करेगा।

दोनों एयरपोर्ट मिलकर यात्रियों और उड़ान कार्यक्रमों को समायोजित करेंगे, ताकि मुंबई शहर और मुंबई महानगर क्षेत्र दोनों की बढ़ती मांगों को पूरा किया जा सके।

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