राजनीति
बजट पेश करने से पहले राष्ट्रपति मुर्मू ने वित्त मंत्री को खिलाई दही-चीनी, जानिए क्या है इस परंपरा का महत्व

नई दिल्ली, 1 फरवरी। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के तीसरे कार्यकाल का पहला पूर्ण बजट वित्तीय वर्ष 2025-26 के लिए लोकसभा में आज पेश किया जाएगा। केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण लगातार आठवां आम बजट आज पेश करेंगी। बजट पेश करने से पहले वित्त मंत्री ने राष्ट्रपति भवन में राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू से मुलाकात की। इस दौरान राष्ट्रपति मुर्मू ने वित्त मंत्री को दही-चीनी भी खिलाई।
लोकसभा के पटल पर बजट पेश करने से पहले केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण और वित्त राज्य मंत्री पंकज चौधरी ने राष्ट्रपति भवन में राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू से मुलाकात की। इस दौरान वित्त मंत्री ने राष्ट्रपति मुर्मू से बजट पेश करने के लिए मंजूरी मांगी। राष्ट्रपति ने बजट को अपनी मंजूरी देते हुए वित्त मंत्री को दही-चीनी खिलाकर शुभकामनाएं दीं।
राष्ट्रपति कार्यालय ने एक्स अकाउंट पर कुछ फोटो भी शेयर की। उन्होंने लिखा, “केंद्रीय वित्त एवं कॉरपोरेट मामलों की मंत्री निर्मला सीतारमण ने वित्त राज्य मंत्री पंकज चौधरी और वित्त मंत्रालय के वरिष्ठ अधिकारियों के साथ केंद्रीय बजट पेश करने से पहले राष्ट्रपति भवन में राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू से मुलाकात की। बजट पेश करने के लिए केंद्रीय वित्त मंत्री और उनकी टीम को शुभकामनाएं दीं।”
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, भारत में किसी भी शुभ काम से पहले दही-चीनी खिलाने की परंपरा है। माना जाता है कि दही-चीनी खाने से काम में सफलता प्राप्त होती है।
दरअसल, दही को शुद्धता और पवित्रता का प्रतीक माना जाता है, जबकि चीनी को मिठास और सौहार्द का प्रतीक माना जाता है। भारतीय संस्कृति में दही और चीनी का विशेष महत्व है। इसलिए केंद्रीय बजट पेश करने से पहले वित्त मंत्री राष्ट्रपति से मुलाकात करते हैं और इसके बाद राष्ट्रपति द्वारा वित्त मंत्री को दही-चीनी खिलाकर बजट के लिए उन्हें शुभकामनाएं दी जाती हैं। इस परंपरा के पूरा होने से बजट पेश करने की औपचारिक अनुमति भी दी जाती है।
केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण 1 फरवरी को वित्त वर्ष 2025-26 के लिए लगातार आठवां बजट लोकसभा में पेश करेंगी। इससे पहले वह लगातार सात बार बजट पेश कर इतिहास रच चुकी हैं। वह छह पूर्णकालिक और दो अंतरिम बजट पेश कर चुकी हैं।
सीतारमण ने लगातार आठों बजट प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सरकार में ही पेश किए हैं। सीतारमण साल 2019 में देश की दूसरी वित्त मंत्री बनी थीं। इससे पहले इंदिरा गांधी पहली महिला वित्त मंत्री थीं, जिन्होंने वित्त मंत्री के तौर पर 1970-71 का बजट पेश किया था।
अपराध
मुंबई: जोगेश्वरी में नाबालिग लड़की से गैंगरेप, 5 आरोपी गिरफ्तार

मुंबई, 6 मार्च। मुंबई के जोगेश्वरी इलाके में एक नाबालिग लड़की के साथ गैंगरेप और छेड़खानी का मामला सामने आया है। पुलिस ने इस मामले में पांच आरोपियों को गिरफ्तार किया है।
जानकारी के मुताबिक, जोगेश्वरी ईस्ट में रहने वाली नाबालिग लड़की घर में झगड़े के बाद नाराज होकर स्टेशन की ओर चली गई थी। वहां उसे कुछ परिचित लोग मिले, जो उसे बहला-फुसलाकर अपने घर ले गए। वहां 26 फरवरी की रात तीन युवकों ने उसके साथ दुष्कर्म किया। अगली सुबह, 27 फरवरी को लड़की वहां से भाग निकली और घाटकोपर पहुंच गई।
घाटकोपर में दो अन्य युवकों ने उसे झांसे में लिया और पहले मरीन ड्राइव, फिर दादर ले गए।
पीड़िता के बयान के अनुसार, इन दोनों ने उसके साथ छेड़खानी और बदसलूकी की।
इस बीच, लड़की के परिवार ने जोगेश्वरी पुलिस में उसकी गुमशुदगी की शिकायत दर्ज कराई। मुंबई पुलिस ने पूरे शहर में उसकी तलाश शुरू की और आखिर में वो दादर स्टेशन में मिली।
पुलिस ने दादर में मौजूद दोनों युवकों को गिरफ्तार किया, जो उसके साथ बदसलूकी कर रहे थे।
इसके बाद पीड़िता के बयान के आधार पर गैंगरेप के तीन अन्य आरोपियों को भी गिरफ्तार कर लिया गया।
इससे पहले तीन फरवरी को मुंबई के बांद्रा टर्मिनल से एक महिला से रेप का मामला सामने आया था। पुलिस ने इस मामले में एक आरोपी को गिरफ्तार किया था।
पुलिस अधिकारी ने इस संबंध में बयान जारी किया था। पुलिस ने अपने बयान में बताया कि एक महिला और उसका दामाद रात को ट्रेन से बांद्रा टर्मिनल पहुंचे थे। ये दोनों मुंबई घूमने आए थे।
उन्होंने बांद्रा टर्मिनल के प्लेटफार्म नंबर 6/7 पर रात बिताने का फैसला किया था, क्योंकि उनके रिश्तेदार के पास रहने के लिए कोई जगह नहीं थी।
इसी का फायदा आरोपी ने उठाया और ट्रेन में ले जाकर महिला के साथ दुष्कर्म किया। पीड़ित का दामाद सो रहा था। इसी बीच, खाली प्लेटफॉर्म का फायदा उठाकर आरोपी ने इस कृत्य को अंजाम दिया था।
वहीं, महिला ने बांद्रा जीआरपी पुलिस स्टेशन में शिकायत दर्ज करवाई थी। रेलवे पुलिस ने स्टेशन पर लगे सीसीटीवी कैमरों को खंगाला और आरोपी को गिरफ्तार किया।
महाराष्ट्र
महाराष्ट्र: समाजवादी पार्टी के विधायक अबू आसिम आज़मी ने अपने निलंबन को ‘मनमाना’ बताया, ‘जीवन और परिवार’ को खतरा बताया

मुंबई: मुगल बादशाह औरंगजेब पर टिप्पणी करने के कारण महाराष्ट्र के चालू बजट सत्र की पूरी अवधि के लिए निलंबित किये जाने के बाद समाजवादी पार्टी (सपा) के विधायक अबू आजमी ने निलंबन को “मनमाना” बताया तथा अपने और अपने परिवार के जीवन को खतरा बताया।
आज़मी ने अपनी चिंताओं को व्यक्त करने के लिए सोशल मीडिया प्लेटफ़ॉर्म एक्स का सहारा लिया, जिसमें कहा गया, “मेरा निलंबन सरकार की ओर से मनमाना है, मेरे और मेरे परिवार के जीवन को खतरा है। महाराष्ट्र में दो कानून लागू हैं, अगर महाराष्ट्र में लोकतंत्र समाप्त हो गया है तो सरकार जनता और जनता के चुने हुए प्रतिनिधियों के साथ कुछ भी कर सकती है।”
इससे पहले उन्होंने निलंबन पर निराशा व्यक्त करते हुए कहा था, “सदन चलता रहे, यह सुनिश्चित करने के लिए मैंने अपना बयान वापस लेने की बात कही थी। मैंने कुछ भी गलत नहीं कहा। फिर भी विवाद हो रहा है और सदन की कार्यवाही बाधित हो रही है। यह सुनिश्चित करने के लिए कि सदन चलता रहे और बजट सत्र के दौरान कुछ काम हो…मैंने सदन में नहीं, बल्कि विधानसभा के बाहर दिया गया अपना बयान वापस लिया। फिर भी मुझे निलंबित कर दिया गया है।”
आज़मी को समाजवादी पार्टी के प्रमुख और उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव का भी समर्थन प्राप्त हुआ, जिन्होंने दावा किया कि निलंबन अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का उल्लंघन है।
अखिलेश यादव ने कहा, “यदि निलंबन का आधार विचारधारा से प्रभावित होने लगे तो अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता और परतंत्रता में क्या अंतर रह जाएगा? हमारे विधायक हों या सांसद, उनकी निर्भीकता बेजोड़ है। अगर कुछ लोग सोचते हैं कि ‘निलंबन’ से उन पर लगाम लग जाएगी तो यह उनकी नकारात्मक सोच का बचकानापन है।”
इससे पहले बुधवार को महाराष्ट्र विधानसभा अध्यक्ष राहुल नार्वेकर ने मुगल सम्राट औरंगजेब पर टिप्पणी करने के कारण समाजवादी पार्टी के विधायक अबू आजमी को बजट सत्र की पूरी अवधि के लिए निलंबित कर दिया था।
आज महाराष्ट्र विधानसभा में आज़मी की टिप्पणी के खिलाफ प्रस्ताव लाया गया।
संसदीय कार्य मंत्री चंद्रकांत पाटिल ने सदन में कहा कि आज़मी के आपत्तिजनक बयान से सदन की गरिमा को ठेस पहुंची है, जिसके चलते इस सत्र के लिए उनकी सदस्यता निलंबित करने का प्रस्ताव रखा गया, जिसे स्पीकर ने पारित कर दिया। आज़मी ने कथित तौर पर कहा था कि औरंगज़ेब “क्रूर प्रशासक” नहीं था और उसने “कई मंदिर बनवाए थे”।
उन्होंने कहा कि मुगल सम्राट और छत्रपति संभाजी महाराज के बीच लड़ाई राज्य प्रशासन के लिए थी, न कि हिंदू और मुस्लिम के लिए।
राजनीति
शिवसेना-यूबीटी नेता अनिल परब ने कहा, ‘नीलम गोरहे के खिलाफ औपचारिक रूप से अविश्वास प्रस्ताव पेश किया गया है।’

मुंबई: शिवसेना नेता अनिल परब ने बुधवार को घोषणा की कि विपक्ष ने महाराष्ट्र विधान परिषद की उपसभापति नीलम गोरहे के खिलाफ औपचारिक रूप से अविश्वास प्रस्ताव पेश किया है।
मोशन के बारे में
विधान परिषद के 11 सदस्यों (एमएलसी) द्वारा समर्थित प्रस्ताव विधान सचिव जितेंद्र भोले को सौंपा गया, जिसकी एक प्रति परिषद के अध्यक्ष राम शिंदे को भेजी गई। यह नोटिस विपक्ष के नेता अंबादास दानवे के लेटरहेड पर जारी किया गया और इसमें भारतीय संविधान के अनुच्छेद 183 (जी) और महाराष्ट्र विधान परिषद के नियम 11 को इसका आधार बताया गया।
पिछले महीने दिल्ली में एक मराठी साहित्यिक कार्यक्रम में गोरहे ने आरोप लगाया था कि उद्धव ठाकरे के नेतृत्व वाली अविभाजित शिवसेना में प्रमुख पद भ्रष्टाचार के ज़रिए हासिल किए गए थे, जिसमें दो मर्सिडीज़ कारें उपहार में देना भी शामिल है। परब ने कहा कि यह प्रस्ताव सदन में गोरहे के विश्वास की कमी को दर्शाता है।
सेना (यूबीटी) एमएलसी सुनील शिंदे ने पुष्टि की कि सभी 11 विपक्षी सदस्यों ने नोटिस पर हस्ताक्षर किए हैं। इस मामले पर बोलते हुए ठाकरे ने टिप्पणी की, “हम वास्तव में गोरहे के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लाने में देर कर चुके हैं। आदर्श रूप से, यह पहले किया जाना चाहिए था, और उन्हें अब तक निलंबित कर दिया जाना चाहिए था।
हालांकि, इसके पूरे कारण समय के साथ स्पष्ट हो जाएंगे, लेकिन उनमें से एक कारण दलबदल भी है। हमें उम्मीद है कि इस प्रस्ताव पर मौजूदा सत्र में चर्चा होगी।”
ठाकरे ने गोरहे की पिछली टिप्पणियों को भी खारिज करते हुए कहा, “महिला पार्टी कार्यकर्ताओं ने पहले ही उन्हें कड़ी प्रतिक्रिया दे दी है, और मुझे उनके दावों पर आगे टिप्पणी करने की आवश्यकता महसूस नहीं होती है।”
चार बार एमएलसी रह चुकीं गोरहे कभी ठाकरे की भरोसेमंद सहयोगी हुआ करती थीं। हालांकि, 2022 में शिवसेना के विभाजन के बाद उन्होंने शुरुआत में ठाकरे का समर्थन किया, लेकिन बाद में एकनाथ शिंदे के नेतृत्व वाले गुट में शामिल हो गईं। तब से शिवसेना (यूबीटी) नेताओं के साथ उनके रिश्ते तनावपूर्ण बने हुए हैं।
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