राजनीति
सरकारी आवास में काम करने वाले सर्वेंट के लिए केजरीवाल की गारंटी, बीमा समेत अन्य सुविधाएं करवाएंगे मुहैया

नई दिल्ली, 30 जनवरी। आम आदमी पार्टी के राष्ट्रीय संयोजक अरविंद केजरीवाल ने अपनी एक और गारंटी देने की घोषणा की है। इस गारंटी में सरकारी आवास और बंगले में रहने वाले सर्वेंट, जो वहां के स्टाफ क्वार्टर में रहते हैं, उनके लिए भी अब केजरीवाल की गारंटी काम करेगी। जिनमें उनके लिए बीमा योजना, उनके बेरोजगार होने पर उनके रहने के लिए ठिकाना और अन्य जरूरतें पूरी करने के साथ उनके लिए नए नियम-कानून भी बनाए जाएंगे।
अरविंद केजरीवाल ने कहा कि कई सरकारी आवास में, चाहे वह ऑफिसर्स के हों या मंत्रियों के, वहां पर उनके घर में काम करने वाले जो सर्वेंट हैं, जो उनके सर्वेंट क्वार्टर में रहते हैं, उनकी भी ढेर सारी समस्याएं हैं। उन लोगों की एक यूनियन है, जिसके पदाधिकारी आए हुए हैं। उन्होंने कहा कि किसी भी सरकारी अफसर, एमपी, मंत्री को जब बंगला दिया जाता है, तो उसके साथ सर्वेंट क्वार्टर होता है। उस सर्वेंट क्वार्टर में वह उन लोगों को रखते हैं जो उनके घर में काम करते हैं। उनको तनख्वाह मिलनी चाहिए।
अरविंद केजरीवाल ने कहा कि आपको जानकर ताज्जुब होगा कि 70 से 80 प्रतिशत लोगों को तनख्वाह नहीं दी जाती। केवल उनका सर्वेंट क्वार्टर देकर कहते हैं कि तुम्हें सर्वेंट क्वार्टर दे दिया, बस इसी बदले में तुम फ्री में काम करो, और फ्री में वह काम करने के लिए एक तरह से बंधुआ मजदूर बन जाता है। वहीं कई अफसर, एमपी और मंत्रियों ने सर्वेंट क्वार्टर को किराए पर चढ़ाया हुआ है, जो कि क्रिमिनल ऑफेंस है। एक एमपी जब घर खाली कर देता है, तो वहां काम करने वाले जो स्टाफ हैं, सर्वेंट हैं, वह लोग बेघर हो जाते हैं। क्योंकि जब तक कोई नया नहीं आता, उन्हें निकाल दिया जाता है। जब नया एमपी आता है, तो वह उन्हें रखे या ना रखें, तो वह सड़कों पर आ जाते हैं। उन्होंने कहा कि स्थिरता इनकी जिंदगी का हिस्सा नहीं है।
अरविंद केजरीवाल ने कहा कि मैं अपनी एक नई गारंटी इनके लिए लाया हूं। इन लोगों के लिए पहले सर्वेंट रजिस्ट्रेशन पोर्टल बनाया जाएगा, जिसमें इनका रजिस्ट्रेशन होगा और फिर जो नया बंदा आएगा, वह अपनी मैच लिस्ट के हिसाब से इनको रख सकता है। सरकारी सर्वेंट कार्ड, सरकारी स्टाफ, पर्सनल स्टाफ कार्ड बनाया जाएगा और जैसे श्रमिक कार्ड के ऊपर सारी सुविधाएं मिलती हैं कई योजनाओं की, वैसे इन्हें भी वह सारी योजनाओं की सुविधा दी जाएगी। जिनका ट्रांसफर हो गया, वह सड़क पर आ जाते हैं, तो टेंपरेरी कुछ महीने, कुछ साल के लिए उन्हें हॉस्टल में रखा जा सकता है। जब तक उन्हें फ्रेश नौकरी नहीं मिल जाती है। उनके स्वास्थ्य के लिए मोबाइल मोहल्ला क्लीनिक बनाए जाएंगे। उनकी तनख्वाह, इनकी वर्किंग कंडीशन के ऊपर नियम-कानून कायदे बनाए जाएंगे और इसको क्रिमिनल ऑफेंस बनाया जाएगा।
राष्ट्रीय समाचार
शारदा विश्वविद्यालय आत्महत्या मामला: जांच समिति की रिपोर्ट 28 जुलाई को पुलिस को सौंपी जाएगी

ग्रेटर नोएडा, 26 जुलाई। ग्रेटर नोएडा स्थित शारदा विश्वविद्यालय में बीते दिनों छात्रा ज्योति शर्मा की आत्महत्या के मामले में विश्वविद्यालय की तरफ से बनाई गई कमेटी की जांच निर्णायक मोड़ पर पहुंच चुकी है। विश्वविद्यालय की ओर से गठित अंतरिम जांच समिति ने अपनी रिपोर्ट को अंतिम रूप दे दिया है और यह रिपोर्ट आगामी 28 जुलाई को पुलिस को सौंपी जाएगी।
विश्वविद्यालय सूत्रों के अनुसार, शुक्रवार शाम मृतका ज्योति शर्मा के माता-पिता और अन्य परिजन विश्वविद्यालय पहुंचे थे, जहां समिति के सदस्यों ने उनसे लंबी पूछताछ की। समिति ने परिजनों के बयान दर्ज किए।
ज्योति के माता-पिता ने बताया कि आत्महत्या से कुछ दिन पहले ही उन्होंने अपनी बेटी से जुड़े मानसिक उत्पीड़न और दुर्व्यवहार की शिकायत संबंधित प्रोफेसर से की थी। परिजनों ने यह भी आरोप लगाया कि विश्वविद्यालय प्रशासन ने शिकायत के बावजूद कोई ठोस कार्रवाई नहीं की, जिससे छात्रा मानसिक दबाव में आ गई थी। जांच में यह भी सामने आया है कि छात्रा के कॉल डिटेल रिकॉर्ड (सीडीआर) में कोई संदेहजनक गतिविधि नहीं पाई गई है। इससे यह स्पष्ट होता है कि आत्महत्या से पहले किसी बाहरी व्यक्ति से कोई संदिग्ध संपर्क नहीं हुआ था।
विश्वविद्यालय की जांच समिति ने इस मामले में कुल मिलाकर कई छात्रों, फैकल्टी सदस्यों और अन्य संबंधित व्यक्तियों से पूछताछ की है। समिति ने अपनी रिपोर्ट में इस बात का उल्लेख किया है कि किन हालातों में छात्रा ने यह कदम उठाया और किन लोगों की भूमिका पर संदेह बना हुआ है। अब सभी की निगाहें 28 जुलाई को पुलिस को सौंपी जाने वाली रिपोर्ट पर टिकी हैं।
माना जा रहा है कि रिपोर्ट के आधार पर पुलिस आगामी कार्रवाई की दिशा तय करेगी और यदि समिति ने किसी की लापरवाही या दोष सिद्ध किया है, तो उनके खिलाफ कड़ी कानूनी कार्यवाही संभव है। यह मामला उच्चतम न्यायालय की निगरानी में है, जिसने पहले ही उत्तर प्रदेश पुलिस से विस्तृत रिपोर्ट तलब की है।
राष्ट्रीय समाचार
सुप्रीम कोर्ट पहुंची दिल्ली सरकार, पुराने वाहनों पर रोक के आदेश पर पुनर्विचार की मांग

नई दिल्ली, 26 जुलाई। दिल्ली सरकार ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाकर दिल्ली-एनसीआर क्षेत्र में चल रहे 10 साल से अधिक पुराने डीजल वाहनों और 15 साल से अधिक पुराने पेट्रोल वाहनों पर लगे प्रतिबंध की समीक्षा करने की मांग की।
दिल्ली सरकार का तर्क है कि मौजूदा पॉलिसी से मध्यम वर्ग पर अनुचित दबाव पड़ रहा है। रेखा गुप्ता सरकार ने 2018 के उस नियम पर पुनर्विचार करने की मांग की है जिसमें पुरानी गाड़ियों पर प्रतिबंध है।
सुप्रीम कोर्ट से अनुरोध किया गया है कि वह केंद्र सरकार या वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग (सीएक्यूएम) को एक व्यापक वैज्ञानिक अध्ययन करने का निर्देश दे। यह अध्ययन वाहनों की उम्र के आधार पर लगाए गए प्रतिबंध के वास्तविक पर्यावरणीय प्रभाव का आकलन करेगा और मूल्यांकन करेगा कि क्या यह कदम राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र (एनसीआर) में वायु गुणवत्ता सुधार में महत्वपूर्ण योगदान देता है।
याचिका में इस बात पर जोर दिया गया है कि सभी वाहनों पर पूर्ण प्रतिबंध को लेकर पड़ने वाले असर और निष्पक्षता की दोबारा जांच की जाए। सरकार एक अधिक सटीक, उत्सर्जन-आधारित नियामक ढांचे की वकालत करती है, जो वाहन की उम्र के बजाय उससे होने वाले वायु प्रदूषण और गाड़ी की फिटनेस को ध्यान में रखे।
मौजूदा नियम सभी वाहनों के लिए एकसमान अनुपालन की मांग करता है, चाहे वे बहुत प्रदूषण फैलाने वाले हों या अच्छी तरह से रखरखाव किए गए, कम उपयोग वाले वाहन हों। यह क्षेत्र में प्रदूषण के स्तर को प्रभावी ढंग से कम करने के व्यापक लक्ष्य के साथ मेल नहीं खाता।
दिल्ली सरकार ने बताया कि बीएस-6 वाहन, जो स्वच्छ उत्सर्जन मानक के तहत लाए गए हैं, बीएस-4 वाहनों की तुलना में काफी कम प्रदूषण फैलाते हैं। सरकार ने तर्क दिया कि वर्तमान में प्रतिबंध से प्रभावित कई वाहन अच्छी तरह से रखरखाव किए हुए हैं और जरूरी मानदंडों का पालन करते हैं।
विभिन्न अध्ययनों का हवाला देते हुए सरकार ने कहा है कि कम इस्तेमाल होने वाली पुरानी गाड़ियों से प्रदूषण बहुत कम होता है। यह प्रतिबंध मध्यम वर्ग के लोगों पर अनावश्यक बोझ डाल रहा है, जो इन गाड़ियों का इस्तेमाल सीमित लेकिन जरूरत के अनुसार करते हैं। सरकार चाहती है कि प्रदूषण नियंत्रण के लिए अधिक वैज्ञानिक और निष्पक्ष उपाय किए जाएं।
राष्ट्रीय समाचार
मुंबई लोकल ट्रेन अपडेट: मध्य रेलवे ने 27 जुलाई को मेगा ब्लॉक की घोषणा की; मुख्य और हार्बर लाइनों पर सेवाएं प्रभावित

मध्य रेलवे, मुंबई मंडल 27 जुलाई यानि रविवार को विभिन्न इंजीनियरिंग और रखरखाव कार्यों के लिए अपने उपनगरीय खंडों पर मेगा ब्लॉक संचालित करेगा।
ठाणे और कल्याण स्टेशनों के बीच अप और डाउन धीमी लाइनें सुबह 11.00 बजे से शाम 4.00 बजे तक
सुबह 10.43 बजे से दोपहर 3.53 बजे तक मुलुंड से छूटने वाली डाउन स्लो/सेमी फास्ट सेवाएं मुलुंड और कल्याण स्टेशनों के बीच डाउन फास्ट लाइन पर डायवर्ट की जाएंगी, जो ठाणे, कलवा, मुंब्रा, दिवा और डोंबिवली स्टेशनों पर रुकेंगी और अपने गंतव्य पर 10 मिनट देरी से पहुंचेंगी।
सुबह 10.36 बजे से अपराह्न 3.51 बजे तक कल्याण से छूटने वाली अप स्लो/सेमी फास्ट सेवाएं कल्याण और मुलुंड स्टेशनों के बीच अप फास्ट लाइन पर डायवर्ट की जाएंगी, जो डोंबिवली, दिवा, मुंब्रा, कलवा और ठाणे स्टेशनों पर रुकेंगी और मुलुंड स्टेशन पर अप स्लो लाइन पर पुनः डायवर्ट की जाएंगी तथा अपने गंतव्य पर 10 मिनट देरी से पहुंचेंगी।
ठाणे लोकल उचित डाउन धीमी लाइन पर चलेगी।
11.00 बजे से शाम 5.00 बजे के बीच सीएसएमटी मुंबई से प्रस्थान/पहुंचने वाली सभी अप और डाउन धीमी सेवाएं निर्धारित समय से 10 मिनट देरी से पहुंचेंगी/प्रस्थान करेंगी।
पनवेल-वाशी अप और डाउन हार्बर लाइनें सुबह 11.05 बजे से शाम 4.05 बजे तक
(पोर्ट लाइन को छोड़कर)*& पनवेल में सुबह 11.05 बजे से शाम 5.05 बजे तक एमआरवीसी ब्लॉक के लिए
सुबह 10.33 बजे से शाम 5.07 बजे तक पनवेल से सीएसएमटी मुंबई के लिए छूटने वाली अप हार्बर लाइन सेवाएं और सुबह 9.45 बजे से दोपहर 3.44 बजे तक सीएसएमटी मुंबई से पनवेल/बेलापुर के लिए छूटने वाली डाउन हार्बर लाइन सेवाएं रद्द रहेंगी।
सुबह 11.02 बजे से शाम 4.26 बजे तक पनवेल से ठाणे की ओर छूटने वाली अप ट्रांस-हार्बर लाइन सेवाएं और सुबह 10.01 बजे से शाम 4.24 बजे तक ठाणे से पनवेल की ओर छूटने वाली डाउन ट्रांस-हार्बर लाइन सेवाएं रद्द रहेंगी।
ब्लॉक अवधि के दौरान सीएसएमटी-वाशी सेक्शन पर विशेष लोकल ट्रेनें चलेंगी।
ब्लॉक अवधि के दौरान ठाणे-वाशी/नेरुल स्टेशनों के बीच ट्रांस-हार्बर लाइन सेवाएं उपलब्ध रहेंगी।
ब्लॉक अवधि के दौरान पोर्ट लाइन सेवाएं उपलब्ध रहेंगी।
मध्य रेलवे के एक अधिकारी ने कहा, “ये रखरखाव मेगा ब्लॉक बुनियादी ढांचे के रखरखाव और सुरक्षा के लिए आवश्यक हैं। यात्रियों से अनुरोध है कि वे रेलवे प्रशासन को होने वाली असुविधा के लिए धैर्य रखें।”
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