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Wednesday,18-December-2024
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यूपी विधानसभा का घेराव करेगी कांग्रेस, विरोध-प्रदर्शन में तमाम कार्यकर्ता लेंगे हिस्सा

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लखनऊ, 18 दिसंबर। कांग्रेस की ओर से बुधवार को उत्तर प्रदेश विधानसभा घेराव की तैयारी की गई है। इस विरोध-प्रदर्शन में हिस्सा लेने के लिए कई जिलों के कार्यकर्ता लखनऊ पहुंच गए हैं।

उत्तर प्रदेश पुलिस ने घेराव के मद्देनजर सुरक्षा कड़ी कर दी है। वहीं प्रदेश अध्यक्ष अजय राय, निवर्तमान प्रदेश महासचिव संगठन अनिल यादव, दिनेश सिंह सहित दो दर्जन से ज्यादा वरिष्ठ नेताओं को नोटिस भेजा है। कांग्रेस पार्टी के नेता और कार्यकर्ता विधानसभा के घेराव के लिए सड़कों पर उतरने के लिए तैयार हैं, जिससे उत्तर प्रदेश की राजनीतिक हलचल बढ़ने की संभावना है।

यह प्रदर्शन राज्य सरकार की नीतियों और मुद्दों के खिलाफ किया जा रहा है। उत्तर प्रदेश कांग्रेस कमेटी बेरोजगारी, महंगाई, हिन्दु-मुस्लिम की राजनीति, बिजली, स्वास्थ्य व्यावस्था, शिक्षा, संभल सहित तमाम मुद्दों पर योगी सरकार को घेरेगी।

लखनऊ में बड़ी संख्या में पुलिस बल तैनात किया गया है और संवेदनशील स्थानों पर अतिरिक्त सुरक्षा उपाय किए गए हैं। विधानसभा और उसके आसपास के इलाकों में सुरक्षाकर्मी चौकस हैं, ताकि किसी भी अप्रिय घटना से निपटा जा सके। इसके अलावा, पुलिस ने प्रदर्शनकारियों की गतिविधियों पर भी नजर रखने के लिए विशेष इंतजाम किए हैं। पूरे शहर में यातायात व्यवस्था भी प्रभावित हो सकती है, इसलिए लोगों को समय रहते ट्रैफिक और सुरक्षा संबंधी निर्देशों का पालन करने के लिए चेतावनी दी गई है।

विधानमंडल के शीतकालीन सत्र के दूसरे दिन मंगलवार को उत्तर प्रदेश सरकार के वित्त मंत्री सुरेश खन्ना ने 17 हजार 865.72 करोड़ रुपए का दूसरा अनुपूरक बजट पेश किया। मूल बजट 7 लाख 36 हजार 437.71 करोड़ का 2.42 फीसद है। इसमें 790.49 करोड़ के नए प्रस्ताव हैं। इसमें सबसे अधिक कृषि और उद्योग को बजट आवंटित किया गया। इस दौरान मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ भी मौजूद रहे।

विधानसभा का सत्र 17, 18, 19 व 20 दिसंबर को सत्र चलेगा। इस सत्र में राज्य को प्रभावित करने वाले विभिन्न प्रमुख मुद्दों पर चर्चा होने की उम्मीद है। जिसमें संभल हिंसा, अतिक्रमण विरोधी अभियान, महाकुंभ की तैयारी, झांसी अग्निकांड आदि शामिल हैं।

राजनीति

केंद्र सरकार ने एमएसपी पर की 6 लाख मीट्रिक टन से ज्यादा दालों की खरीद

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नई दिल्ली, 18 दिसंबर। केंद्र सरकार द्वारा 2023-24 के रबी सीजन में एमएसपी पर 6.41 लाख मीट्रिक टन दालों की खरीद गई है और इसके लिए 2.75 लाख किसानों को 4,820 करोड़ रुपये का भुगतान किया गया है। यह जानकारी कृषि और किसान कल्याण मंत्रालय द्वारा बुधवार को दी गई।

किसानों से सरकार द्वारा खरीदी गई दालों में 2.49 लाख मीट्रिक टन मसूर, 43,000 मीट्रिक टन चना और 3.48 लाख मीट्रिक टन मूंग शामिल है।

इसके अलावा सरकार ने 5.29 लाख किसानों से एमएसपी मूल्य पर 6,900 करोड़ रुपये की 12.19 लाख मीट्रिक टन तिलहन की खरीद की है।

सरकार ने बयान में आगे कहा कि चालू खरीफ सीजन की शुरुआत में सोयाबीन का बाजार भाव एमएसपी से काफी नीचे चल रहा था, जिससे किसानों को काफी समस्याएं हो रही थी। पीएसएस योजना (पीएम आशा योजना का एक घटक) के तहत केंद्र के हस्तक्षेप से इस साल 11 दिसंबर तक एमएसपी मूल्य पर 2,700 करोड़ रुपये की वैल्यू की 5.62 लाख मीट्रिक टन सोयाबीन की खरीद की गई है, जिससे 2.42 लाख किसानों को लाभ हुआ है। यह अब तक खरीदी गई सोयाबीन की सबसे अधिक मात्रा भी है।

2018-19 से खरीद के आंकड़ों से पता चलता है कि केंद्र सरकार की प्रधानमंत्री अन्नदाता आय संरक्षण अभियान (पीएम-आशा) योजना के तहत एमएसपी मूल्य पर 10.74 लाख करोड़ रुपये वैल्यू की लगभग 195.39 लाख मीट्रिक टन दलहन, तिलहन और खोपरा की खरीद की गई है। इससे 99.3 लाख किसानों को फायदा हुआ है।

सरकार ने आगे कहा कि पीएम आशा का एक महत्वपूर्ण घटक बाजार हस्तक्षेप योजना (एमआईएस) है। यह योजना जल्दी खराब होने वाली फसलों जैसे टमाटर, प्याज और आलू के लिए है। इस योजना को राज्य/केंद्र शासित प्रदेश सरकार के अनुरोध पर तब लागू की जाती है, जब राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों में पिछले सामान्य मौसम की दरों की तुलना में बाजार में कीमतों में कम से कम 10 प्रतिशत की कमी होती है।

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ईयर एंडर 2024: ‘अकाय’ से ‘इलई’ तक, चर्चा में बने रहे सेलेब्स के बच्चों के नाम

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लखनऊ,18 दिसंबर। भारतीय परंपरा में पतित पावनी, मोक्षदायिनी मानी जाने वाली मां गंगा को अविरल, निर्मल और प्रदूषण मुक्त बनाने के लिए योगी सरकार इसके अधिग्रहण क्षेत्र में बड़े पैमाने पर प्राकृतिक खेती और वनीकरण को बढ़ावा दे रही है।

सरकार की योजना है कि प्रदेश में गंगा जिन जिलों से गुजरती है उनके दोनों किनारों पर 10 किलोमीटर के दायरे में प्राकृतिक खेती को प्रोत्साहन दिया जाए। ऐसी खेती जिसमें रासायनिक खादों और जहरीले कीटनाशकों की जगह उपज बढ़ाने और फसलों के सामयिक संरक्षण के लिए पूरी तरह जैविक उत्पादों का प्रयोग हो ताकि रिसाव के जरिए रासायनिक खादों एवं कीटनाशकों का जहर गंगा में न घुल सके। गंगा के तटवर्ती 27 जनपदों में ‘नमामि गंगे योजना’ चलाई जा रही है जिसके अंतर्गत रसायन मुक्त खेती को बढ़ावा दिया जा रहा है।

अद्यतन आंकड़ों के अनुसार गंगा के किनारे के 1000 से अधिक गांवों में प्राकृतिक खेती हो रही है। प्राकृतिक खेती को बढ़ावा देने के लिए प्रदेश के 54 जनपदों में परंपरागत कृषि विकास योजना संचालित की जा रही है। सरकार की मंशा निराश्रित गोवंश के नाते सबसे प्रभावित बुंदेलखंड को प्राकृतिक खेती के लिहाज से उत्तर प्रदेश का हब बनाना है। फिलहाल वहां करीब 24 हजार हेक्टेयर भूमि में प्राकृतिक खेती हो रही है।

योगी सरकार-1 से ही यह सिलसिला शुरू हो चुका है। जिन करीब 5,000 क्लस्टर्स में 18,000 से अधिक किसान लगभग 10 हजार हेक्टेयर में प्राकृतिक खेती कर रहे हैं, उनमें नमामि गंगा योजना के तहत करीब 3300 क्लस्टर्स में 6 लगभग 6500 हेक्टेयर में प्राकृतिक खेती हो रही है। इस खेती से जुड़े किसानों की संख्या एक लाख से अधिक है। इस तरह देखा जाए तो जैविक खेती का सर्वाधिक रकबा गंगा के मैदानी इलाके का ही है। इंडो-गंगेटिक मैदान का यह इलाका दुनिया की सबसे उर्वर भूमि में शुमार होता है।

इसी नाते ऑर्गेनिक फार्मिंग एसोसिएशन ऑफ इंडिया की ओर से नवंबर 2017 में इंडिया एक्सपो सेंटर एंड मार्ट ग्रेटर नोएडा में आयोजित जैविक कृषि कुंभ में विशेषज्ञों ने यह संस्तुति की थी गंगा के मैदानी इलाकों को जैविक खेती के लिए आरक्षित किया जाए। चूंकि हर साल आने वाली बाढ़ के कारण इस क्षेत्र की मिट्टी बदलकर उर्वर हो जाती है, इस नाते पूरे क्षेत्र में जैविक खेती की बहुत संभावना है। यही वजह है कि योगी सरकार-2 में गंगा के किनारे के सभी जिलों में जैविक खेती को विस्तार दिया गया।

एक तरफ जहां योगी सरकार का जोर प्राकृतिक खेती के प्रोत्साहन पर है तो वहीं गंगा की गोद को हरा भरा करने के लिए सरकार पौधरोपण अभियान के दौरान इस क्षेत्र में अधिक से अधिक पौधारोपण भी करवा रही है। उल्लेखनीय है कि अपने दूसरे कार्यकाल के शुरुआत में ही मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने छह महीने में गंगा के किनारे 6,759 हेक्टेयर में वनीकरण का लक्ष्य रखा है। इसके लिए जिन जिलों से गंगा गुजरती है उनमें से 503 जगहों का चयन किया गया था। अब ये सिलसिला और आगे तक बढ़ चुका है।

गंगा के किनारे सभी जिलों में गंगा वन लगाए जाने हैं। कासगंज और कई और जगहों पर इसकी शुरुआत भी हो चुकी है। प्रयास यह है कि ये वन बहुपयोगी हों और इनमें संबंधित जिले के कृषि जलवायु क्षेत्र के अनुसार परंपरागत से लेकर दुर्लभ और औषधीय प्रजाति के पौधे लगाए जाएं। कुछ ऐसी ही परिकल्पना गंगा सहित अन्य नदियों के किनारे बनने वाले बहुउद्देश्यीय तालाबों के किनारे भी होने वाले पौधरोपण के बारे में की गई है। मकसद एक है पर्यावरण संरक्षण। इससे होने वाले अन्य लाभ बोनस होंगे।

गंगा के अधिग्रहण क्षेत्र में हरियाली बढ़ाने के उद्देश्य से सरकार पहले से ही गंगा वन, गंगा तालाब और सिर्फ गंगा ही नहीं, गंगा की सहायक नदियों और अपेक्षाकृत प्रदूषित नदियों के किनारों पर भी सरकार की योजना सघन पौधरोपण की है। इससे न सिर्फ हरियाली बढ़ेगी, बल्कि प्राकृतिक तरीके से संबंधित नदियों का प्रदूषण भी दूर होगा। साथ ही कटान रुकने से उन क्षेत्रों में बाढ़ की समस्या या विकरालता भी कम होगी।

मालूम हो कि गंगा के मैदानी इलाके का अधिकांश इलाका उत्तर प्रदेश में ही है। गंगा की कुल लंबाई बांग्लादेश को शामिल करते हुए 2,525 किलोमीटर है। इसमें से भारत और उत्तर प्रदेश के क्रमशः 2,971 एवं 1,140 किलोमीटर का सफर गंगा नदी तय करती है। कुल मिलाकर गंगा नदी प्रदेश के बिजनौर, बदायू, अमरोहा, मेरठ, बुलंदशहर, अलीगढ़, फर्रुखाबाद, कन्नौज, कानपुर शहर, कानपुर देहात, फतेहपुर, प्रयागराज, मीरजापुर, वाराणसी, गाजीपुर, बलिया आदि से होकर गुजरती है।

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राजनीति

तकनीक से मौसम का पूर्वानुमान जान सकते हैं : सम्राट चौधरी

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पटना, 18 दिसंबर। बिहार के उप मुख्यमंत्री सम्राट चौधरी ने बुधवार को कहा कि मौसम जीवन का अंग है। एक जमाना था, जब हमारे पूर्वज बिना घड़ी देखे समय बता देते थे, लेकिन अब समय बदल गया है। अब तकनीक के माध्यम से मौसम का पूर्वानुमान पता कर लिया जाता है।

पटना में भारत मौसम विज्ञान विभाग के ‘मौसम और जलवायु सेवा’ पर हितधारकों के साथ आयोजित बैठक को संबोधित करते हुए उप मुख्यमंत्री ने कहा कि एनडीए सरकार के दौरान मौसम विभाग में नवीनतम तकनीकों के समावेश के बाद अनेक उपलब्धियां हासिल हुई हैं। तकनीक और व्यवस्था के माध्यम से हम दुनिया में एक्यूरेट सिस्टम पर आ गए हैं। अब हमें पता चल जाता है कि कब बाढ़ आने वाली है, कब मौसम बदलने वाला है।

उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के नेतृत्व में हमने बहुत काम किया है। बिहार में हमारी पूरी सिस्टम है। हमारे पास एनडीआरएफ है। हम पंचायत तक मौसम की जानकारी प्राप्त कर सकते हैं। अगर पंचायत में मौसम की जानकारी होती है तो उस हिसाब से किसान काम करते हैं। इस क्षेत्र में भारत सरकार जो कर रही है, वह करे, बिहार सरकार से जो भी मदद होगी, वह किया जाएगा।

उन्होंने कहा कि प्रदेश में पूरी तरह एक्यूरेट मौसम की जानकारी प्राप्त करना हमारी प्राथमिकता है। उन्होंने कमांड सिस्टम पर जोर देते हुए कहा कि इससे बहुत लाभ होता है। बिहार में 12 विभाग हैं, जिसके पास अपना कमांड है। इस साल हम लोगों ने बाढ़ को भी कमांड करके देखा है। बिजली 400 मेगावाट खपत करते थे, अब काफी बढ़ गया है। मौसम विभाग का सहयोग होगा तो हम और आगे बढ़ सकते हैं। कृषि में भी मौसम के पूर्वानुमान से काफी सहयोग दिया जा सकता है।

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