राजनीति
भाजपा आज द्रोणाचार्य की तरह युवाओं का अंगूठा काट रही है: राहुल गांधी

नई दिल्ली, 14 दिसंबर: लोकसभा में शनिवार को संविधान पर चर्चा के दौरान कांग्रेस सांसद राहुल गांधी ने अपनी राय रखी। राहुल गांधी ने संविधान के निर्माण में महात्मा गांधी, डॉ. भीमराव अंबेडकर, पंडित नेहरू जैसे नेताओं के योगदान की बात की। उन्होंने यह भी कहा कि संविधान में दिखने वाले ये विचार कहीं न कहीं भारतीय संस्कृति और प्राचीन विरासत से प्रेरित हैं। राहुल गांधी ने कहा कि हमारा संविधान बिना हमारी प्राचीन विरासत के नहीं बन सकता था। यह विचार भगवान शिव, गुरु नानक, भगवान बासवन्ना और कबीर जैसे महान संतों से आए हैं।
राहुल गांधी ने सावरकर की आलोचना करते हुए कहा कि सावरकर ने अपने लेखों में यह स्पष्ट रूप से लिखा था कि हमारे संविधान में कुछ भी भारतीय नहीं है। लड़ाई मनुस्मृति और संविधान के बीच की है। राहुल गांधी ने यह सवाल उठाया कि अब सवाल यह है कि हम सावरकर की बात को मानते हैं या फिर संविधान को। जब आप संविधान की तारीफ करते हैं, तो आप सावरकर के विचारों का विरोध करते हैं। आरएसएस ने मनुस्मृति को संविधान से बेहतर बताया था और सावरकर ने भी मनुस्मृति को संविधान से ऊपर बताया था।
नेता प्रतिपक्ष ने यह तर्क भी दिया कि जिन लोगों की आप पूजा करते हैं, उन्होंने ही कहा था कि संविधान में कुछ भी भारतीय नहीं है।
राहुल गांधी ने कहा कि संविधान में हमें बाबासाहेब अंबेडकर के आदर्श स्पष्ट रूप से दिखते हैं। इसके बाद उन्होंने हिंदुस्तान के पुराने वक्त और समाज व्यवस्था की ओर इशारा किया। उन्होंने कहा कि जैसे पहले हिंदुस्तान को चलाने का तरीका था, वैसे ही आज भी कुछ लोग उसी तरह से देश को चलाना चाहते हैं।
राहुल गांधी ने आगे कहा कि जब मैं जब छोटा था तब दिल्ली में एम्स के पास ही जंगल था। वैसे ही जंगल में हजारों साल पहले एक बच्चा सुबह उठकर तपस्या करता था। हर रोज सुबह वो धनुष उठाकर तीर कमान चलाता था और घंटे उसने तपस्या की और वर्षों तक तपस्या की। उसका नाम एकलव्य था। जब वह द्रोणाचार्य के पास पहुंचा तो गुरु द्रोणाचार्य ने उसे सिखाने से मना कर दिया कि आप स्वर्ण जाति से नहीं है तो मैं आपको नहीं सिखा सकता। राहुल गांधी ने कहा कि जैसे द्रोणाचार्य ने एकलव्य का अंगूठा काटा, वैसे ही आज भाजपा हिंदुस्तान के युवाओं का अंगूठा काट रही है।
राहुल गांधी ने आरोप लगाया कि देश के कारोबारियों का अंगूठा काटा जा रहा है और भाजपा देश के हुनर और ताकत को छीनना चाहती है। उन्होंने यह भी कहा कि किसानों को लगातार नुकसान हो रहा है और उनकी जगह पर उद्योगपतियों को फायदा पहुंचाया जा रहा है। उन्होंने कहा कि किसान जब एमएसपी की मांग करते हैं, तो उन पर लाठी चलाने और आंसू गैस छोड़ने का काम किया जाता है।
राहुल गांधी ने युवा पीढ़ी को लेकर कहा कि युवाओं की मेहनत और संघर्ष को दरकिनार करते हुए पेपर लीक, लेटरल एंट्री और अग्निवीर जैसी योजनाओं के जरिए उनके हक को छीना जा रहा है। युवाओं की मेहनत को खत्म करने के लिए पेपर लीक जैसी घटनाएं हो रही हैं और अग्निवीर योजना लाकर उनके हक पर कुठाराघात किया जा रहा है। संविधान में कहीं भी यह नहीं लिखा गया है कि किसी वर्ग या समूह का एकाधिकार होना चाहिए, न ही इसमें यह कहा गया है कि देश के युवाओं का अंगूठा काटना चाहिए।
उन्होंने भाजपा और आरएसएस पर आरोप लगाया कि वे संविधान के विपरीत जाकर देश के युवाओं और किसानों का शोषण कर रहे हैं।
राहुल गांधी ने आगे कहा कि भाजपा के लोग 24 घंटे संविधान पर आक्रमण करते हैं। संभल हिंसा का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा कि वहां निर्दोष लोग मारे गए, गोली मारकर हत्या कर दी, एक धर्म को दूसरे धर्म से लड़ाते हैं। दलित परिवार को बंद करके घर में रखना है। हाथरस में चार साल पहले हुए सामूहिक दुष्कर्म की घटना का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा कि बीते दिनों मैं हाथरस गया था, जहां पीड़ित परिवार घर में कैद है, उन्हें आज भी धमकियां मिलती है, लेकिन दुष्कर्म करने वाले आरोपी खुलेआम घूम रहे हैं।
राजनीति
सर गंगाराम अस्पताल में भर्ती शिबू सोरेन की हालत स्थिर, राष्ट्रपति ने की मुलाकात

रांची, 26 जून। भारत की राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने गुरुवार को नई दिल्ली में सर गंगा राम हॉस्पिटल पहुंचकर इलाजरत झारखंड मुक्ति मोर्चा के संस्थापक संरक्षक और झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री शिबू सोरेन से मुलाकात की और उनके स्वास्थ्य के बारे में जानकारी ली।
उन्होंने शिबू सोरेन के बड़े पुत्र और झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन और परिवार के अन्य सदस्यों से भी मुलाकात की और उनके इलाज के संबंध में बातचीत की।
राष्ट्रपति के आधिकारिक “एक्स” हैंडल पर इसकी जानकारी दी गई है। राष्ट्रपति के साथ अस्पताल में हेमंत सोरेन से बातचीत की तस्वीर भी साझा की गई है।
एक्स हैंडल पर लिखा गया है, “भारत की राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने सर गंगाराम अस्पताल में इलाजरत झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री शिबू सोरेन से मुलाकात की। उन्होंने शिबू सोरेन के पुत्र और झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन से उनके स्वास्थ्य के बारे में जानकारी ली।”
लंबे समय से अस्वस्थ चल रहे 81 वर्षीय शिबू सोरेन को कुछ दिन पहले नई दिल्ली के सर गंगाराम अस्पताल में दाखिल कराया गया है। बताया गया है कि उनकी हालत स्थिर है। उनके पुत्र झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन भी दो दिन पूर्व दिल्ली पहुंचे। शिबू सोरेन की बहू विधायक कल्पना सोरेन, उनके छोटे पुत्र विधायक बसंत सोरेन सहित परिवार के कई लोग दिल्ली में मौजूद हैं।
बुधवार की रात झारखंड के राज्यपाल संतोष कुमार गंगवार ने भी अस्पताल में शिबू सोरेन से मुलाकात की थी और मौके पर उपस्थित चिकित्सकों से उनके उपचार की प्रगति के संबंध में चर्चा की थी।
राज्यपाल ने उनके शीघ्र स्वस्थ होने की कामना की है। शिबू सोरेन झारखंड अलग राज्य के आंदोलन के प्रमुख नेता रहे हैं। झारखंड के आदिवासी समाज ने दशकों पहले उन्हें ‘दिशोम गुरु’ (देश का गुरु) का दर्जा दिया था। वह आम लोगों के बीच ‘गुरुजी’ के रूप में जाने जाते हैं। सोरेन केंद्र की सरकार में भी मंत्री रह चुके हैं।
महाराष्ट्र
महाराष्ट्र विधानमंडल का मानसून सत्र 30 जून से 18 जुलाई के बीच मुंबई में आयोजित किया जाएगा

मुंबई, 26 जून, 2025 — महाराष्ट्र विधान सभा और विधान परिषद का आगामी मानसून सत्र 30 जून से 18 जुलाई तक मुंबई के विधान भवन में आयोजित किया जाएगा, इसकी घोषणा विधान मंडल कार्य सलाहकार समिति की बैठक में की गई है।
इस सत्र में विभिन्न राज्य मुद्दों, विधायी संशोधनों और सरकारी नीतियों पर महत्वपूर्ण चर्चा होने की उम्मीद है। नेताओं और सदस्यों ने जनता की चिंताओं को ध्यान में रखते हुए विकास योजनाओं को आगे बढ़ाने के लिए इस सत्र में सक्रिय भागीदारी की झलक दी है।
इस घोषणा का राजनीतिक दलों ने स्वागत किया है, और आशा व्यक्त की जा रही है कि इस दौरान संवादपूर्ण बहस और निर्णय लिए जाएंगे। समिति ने इस बात पर जोर दिया कि यह सत्र सुचारू कार्य संचालन और विधायी विमर्श के लिए महत्वपूर्ण है।
अधिकारियों ने आगामी सत्र के एजेंडा और कार्यक्रम के बारे में जानकारी जल्द ही साझा करने का आश्वासन दिया है, और सभी सदस्यों से आग्रह किया है कि वे संसदीय नियमों का पालन करते हुए सहयोगपूर्ण माहौल बनाए रखें।
महाराष्ट्र
महाराष्ट्र के उपमुख्यमंत्री अजित पवार ने मुंबई में मस्जिद लाउडस्पीकर विवाद को लेकर मुस्लिम नेताओं और वरिष्ठ पुलिस अधिकारियों से मुलाकात की

मुंबई: महाराष्ट्र के उपमुख्यमंत्री और एनसीपी नेता अजित पवार ने बुधवार को मुंबई में मस्जिदों से लाउडस्पीकर हटाने पर बढ़ती चिंताओं को दूर करने के लिए सह्याद्री गेस्ट हाउस में एक महत्वपूर्ण बैठक की अध्यक्षता की। बैठक में राज्य की पुलिस महानिदेशक रश्मि शुक्ला, मुंबई पुलिस आयुक्त देवेन भारती और कई प्रमुख मुस्लिम नेता और विधायक शामिल हुए, जिनमें नवाब मलिक, जीशान सिद्दीकी, अबू आज़मी, वारिस पठान, सना मलिक, जलाल उद्दीन और सिद्धार्थ कांबले शामिल थे।
प्रतिनिधिमंडल ने इस बात पर चिंता जताई कि पुलिस ने मस्जिदों के लाउडस्पीकर हटाने में लापरवाही बरती है, जो कथित तौर पर एक पूर्व भाजपा सांसद द्वारा शुरू किए गए अभियान के दबाव में किया गया है। नेताओं ने तर्क दिया कि अज़ान का मुद्दा नया नहीं है और पीढ़ियों से शांतिपूर्ण तरीके से चला आ रहा है। बैठक के बाद समाजवादी पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष अबू आज़मी ने कहा, “किसी सोमैया ने मुंबई में दबाव बनाया है। एक व्यक्ति की वजह से मुसलमानों को परेशान किया जा रहा है।” उन्होंने कहा, “सभी पक्षों की बात सुनी गई और कमिश्नर और डीजीपी दोनों मौजूद थे।”
एआईएमआईएम नेता वारिस पठान ने भी यही बात दोहराते हुए कहा कि प्रतिनिधिमंडल में मुस्लिम विधायक, सामाजिक कार्यकर्ता और समुदाय के प्रतिनिधि शामिल थे। पठान ने कहा, “हमने पुलिस द्वारा मस्जिदों से जबरन लाउडस्पीकर हटाने और बिना उचित प्रक्रिया के नोटिस जारी करने का मुद्दा उठाया। इससे शहर में अनावश्यक तनाव पैदा हो रहा है।”
दक्षिण मुंबई के मुस्लिम संगठनों ने पहले पवार से मुलाकात की थी और अपनी चिंताएं बताई थीं। उन्होंने आरोप लगाया कि पुलिस मस्जिद समितियों को परेशान कर रही है, जबकि वे उच्च न्यायालय द्वारा तय किए गए 45 से 56 डेसिबल के बीच स्वीकार्य ध्वनि स्तर का पालन कर रहे हैं। संगठनों ने कहा, “लाउडस्पीकरों को पूरी तरह हटाने का कोई अदालती आदेश नहीं है।” उल्लंघन साबित होने पर ही कार्रवाई की जानी चाहिए, जैसे नोटिस जारी करना या लाइसेंस रद्द करना। लेकिन इसके बजाय, पुलिस उचित सत्यापन के बिना सिस्टम को खत्म कर रही है, संगठनों ने मांग की।
कहा जाता है कि यह विवाद गोवंडी जैसे इलाकों में भाजपा नेता के दौरे के बाद और गहरा गया, जहां उन्होंने कथित तौर पर स्थानीय पुलिस पर लाउडस्पीकर का इस्तेमाल करने वाली मस्जिदों के खिलाफ कार्रवाई करने का दबाव बनाया। मुस्लिम नेताओं ने सांप्रदायिक विद्वेष को रोकने के लिए निष्पक्ष और पारदर्शी समाधान की मांग की है और सरकार से राजनीतिक दबाव के बजाय कानूनी मापदंडों के आधार पर कानून प्रवर्तन को स्पष्ट निर्देश जारी करने का आग्रह किया है।
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