राजनीति
राष्ट्रीय शिक्षा नीति के कार्यान्वयन पर कुलपतियों का सम्मेलन
केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान राष्ट्रीय शिक्षा नीति-2020 के कार्यान्वयन पर पश्चिमी ज़ोन के कुलपतियों के सम्मेलन में शामिल हुए। गुजरात के मुख्यमंत्री भूपेन्द्र पटेल भी इस अवसर की मौजूद थे। यहां धर्मेंद्र प्रधान ने एनईपी-2020 के जमीनी कार्यान्वयन में तेजी लाने के लिए इस प्रथम जोन-स्तरीय सम्मेलन के आयोजन सराहना की।
उन्होंने कहा कि एनईपी-2020 जो 2022 में काशी में गंगातट पर शिक्षा समागम से शुरू हुई, आज नर्मदा के पठार पर आयोजित क्षेत्रीय सम्मेलन तक पहुंची है। राष्ट्रीय शिक्षा नीति के कार्यान्वयन के लिए दृष्टिकोण, रोडमैप एवं रणनीतियों को स्पष्ट करने की यह यात्रा भारत का उज्जवल भविष्य निर्मित करने में निर्णायक भूमिका निभाएगी। इस एनईपी के प्राथमिकता वाले क्षेत्र भारतीय भाषा, भारतीय ज्ञान परंपरा, कौशल, रोजगार और उद्यमिता शिक्षा हैं।
उन्होंने विश्वास व्यक्त किया कि यह क्षेत्रीय सम्मेलन एक नई संस्कृति के विकास और बहु-विषयक शिक्षा की सर्वोत्तम पद्धतियों, एक से अधिक बार प्रवेश-निकास और प्रभावी एनईपी कार्यान्वयन के जरिए सभी के लिए समान अवसरों की राह बनाएगा।
उन्होंने इस बात पर प्रसन्नता व्यक्त की कि यह क्षेत्रीय सम्मेलन एनईपी के कई प्राथमिकता वाले क्षेत्रों पर विचार-विमर्श कर रहा है, विशेष रूप से शिक्षा की गुणवत्ता, शिक्षा में स्किल प्रदान करने का इकोसिस्टम, अनुसंधान, शिक्षा में नवाचार और उद्यमिता, भारतीय ज्ञान परंपरा तथा अंतर्राष्ट्रीयकरण जैसे क्षेत्रों पर।
उन्होंने उम्मीद जताई कि यहां से निकले दृष्टिकोण, विचार और रोडमैप को सर्वोत्तम पद्धतियों एवं केस स्टडी के एक संग्रह में बदला जाएगा और उसे एनईपी कार्यान्वयन में एक समान दृष्टिकोण लाने के लिए कॉलेज स्तर पर मुहैया कराया जाएगा।
सम्मेलन के दौरान कई तकनीकी सत्र आयोजित किए गए। इन सत्रों में, गुणवत्तापूर्ण शिक्षा और गवर्नेंस – उच्च शिक्षा तक पहुंच, सामाजिक-आर्थिक रूप से वंचित समूहों (एसईडीजी) को समान और समावेशी शिक्षा के मुद्दे, शिक्षा और भविष्य की श्रमशक्ति को कौशल प्रदान करने के बीच तालमेल, कौशल, उद्योग संपर्क और रोजगारप्रदेयता के एकीकरण के माध्यम से समग्र शिक्षा, नवाचार और उद्यमिता, अनुसंधान एवं विकास, शिक्षा का अंतर्राष्ट्रीयकरण और भारतीय ज्ञान प्रणाली आदि पर पैनल चर्चाएं शामिल थीं।
इस कार्यक्रम में यूजीसी के प्रो. एम. जगदीश कुमार व एआईसीटीई के अध्यक्ष प्रोफेसर टी.जी. सीताराम, कुलपति और प्रख्यात शिक्षाविद् उपस्थित थे।
राष्ट्रीय समाचार
आधार कार्ड को लेकर आज से बदल गए नियम, भुगतान की जाने वाली फीस को लेकर भी हुए बदलाव

AADHAAR
नई दिल्ली, 1 नवंबर: नए महीने की शुरुआत के साथ ही भारतीय नागरिकों की पहचान से जुड़े सरकारी डॉक्यूमेंट आधार कार्ड को लेकर भी नियम बदल गए हैं। नियमों में नए बदलाव के साथ अब आधार कार्डधारक को आधार कार्ड में किसी बदलाव के लिए आधार कार्ड सेंटर जाने की जरूरत नहीं होगी।
भारतीय विशिष्ट पहचान प्राधिकरण के अनुसार, यूजर्स के लिए प्रक्रिया को आसान और सहज बनाने के लिए अब आधार कार्डधारक की डेमोग्राफिक जानकारियों को ऑनलाइन ही अपडेट करवाया जा सकेगा। आधार कार्डधारक अब अपने नाम, एड्रेस, डेथ ऑफ बर्थ और मोबाइल नंबर जैसी जानकारियों को ऑनलाइन ही अपडेट कर सकेंगे।
इसके अलावा, आधार कार्डधारकों को 31 दिसंबर, 2025 से पहले उनका पैन कार्ड आधार से लिंक करवाना आवश्यक होगा।
यूआईडीएआई की आधिकारिक वेबसाइट पर दी गई जानकारी के अनुसार, फिंगरप्रिंट और फोटो के बायोमैट्रिक अपडेट के लिए 125 रुपए फीस के रूप में भुगतान करने होंगे। हालांकि, अगर आधार कार्डधारक की उम्र 5-7 वर्ष है और यह अपडेट पहली बार करवाया जा रहा है तो सर्विस निशुल्क रहेगी। इसी तरह, 15-17 वर्ष के कार्डधारकों को दो बार अपडेट करवाने की स्थिति में भी किसी तरह का कोई भुगतान नहीं करना होगा।
इसके अलावा, अगर कार्डधारक एनरोलमेंट नंबर, जेंडर, डेट ऑफ बर्थ, एड्रेस, मोबाइल और ईमेल एड्रेस को लेकर डेमोग्रैफिक अपडेट करवाता है तो बायोमैट्रिक अपडेट के साथ यह निशुल्क होगा और अलग से करवाने पर 75 रुपए फीस के रूप में भुगतान करनी होगी।
आधार कार्डधारक अपनी पहचान और एड्रेस से जुड़े प्रमाण या नाम, जेंडर और डीओबी के लिए डॉक्यूमेंट को आधार पोर्टल पर बिना किसी शुल्क के सबमिट कर सकता है। हालांकि, यह सुविधा 14 जून 2026 तक ही निशुल्क रहेगी।
आधार रिप्रिंट करवाने के लिए अब 40 रुपए फी के रूप में भुगतान करने होंगे। इसके अलावा, आधार कार्ड के लिए पहले एप्लीकेंट के लिए होम एनरोलमेंट सर्विस का चार्ज 700 रुपए होगा। इसी पते पर अन्य व्यक्तियों के लिए यह चार्ज 350 रुपए प्रति व्यक्ति होगा।
अंतरराष्ट्रीय समाचार
नाइजीरिया में क्यों मचा बवाल? ईसाइयों के ऊपर हिंसा के बाद ट्रंप ने दिया जांच का आदेश

TRUMP
नई दिल्ली, 1 नवंबर: अफ्रीका के सबसे अधिक आबादी वाले देश नाइजीरिया में इस समय अशांति फैली हुई है। हिंसा का आधार बढ़ती धार्मिक असहिष्णुता और कट्टरवाद है। देश में फैली अशांति और हिंसा पर अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने चिंता जताई है।
अमेरिकी राष्ट्रपति ने ट्रूथ सोशल पर एक पोस्ट में लिखा, “नाइजीरिया में ईसाई धर्म का अस्तित्व खतरे में है। हजारों ईसाई मारे जा रहे हैं। इस सामूहिक नरसंहार के लिए कट्टरपंथी इस्लामवादी जिम्मेदार हैं। मैं नाइजीरिया को एक “विशेष चिंता का देश” घोषित कर रहा हूं।”
राष्ट्रपति ट्रंप ने लिखा, “जब ईसाइयों या ऐसे किसी भी समूह का नाइजीरिया की तरह कत्लेआम हो रहा है, तो कुछ तो करना ही होगा! मैं कांग्रेसी रिले मूर, अध्यक्ष टॉम कोल और सदन की विनियोग समिति के साथ मिलकर इस मामले की तुरंत जांच करने और मुझे रिपोर्ट करने का अनुरोध करता हूं। नाइजीरिया और कई अन्य देशों में इस तरह के अत्याचार होते देख अमेरिका चुप नहीं रह सकता। हम दुनिया भर में अपनी विशाल ईसाई आबादी को बचाने के लिए तैयार, इच्छुक और सक्षम हैं!”
नाइजीरिया में हो रही इस धार्मिक हिंसा को लेकर पहले भी अमेरिकी कांग्रेस सदस्यों ने चिंता जाहिर की है। बता दें, हिंसा का एक कारण इस्लामिक समूह बोको हरम और इस्लामिक स्टेट वेस्ट अफ्रीका प्रोविन्स जैसे समूह भी हैं। ऐसे चरमपंथी इस्लामिक समूह ईसाइयों को निशाना बना रहे हैं।
अकॉर्ड की रिपोर्ट के अनुसार नाइजीरिया में ईसाई धर्म के लोगों के खिलाफ इस तरह से हिंसा फैलाने का आधार धार्मिक असहिष्णुता और कट्टरवाद है।
नाइजीरिया में ईसाई धर्म या इस्लाम धर्म के लोगों की तादाद ज्यादा है। 47 से 54 फीसदी लोग यहां इस्लाम को मानते हैं। उत्तरी हिस्से में मुसलमानों की आबादी ज्यादा है। इस हिस्से में गरीबी भी ज्यादा है। वहीं दक्षिण-पूर्वी इलाके में ईसाई धर्म को मानने वाले लोगों की संख्या ज्यादा है। यहां लोगों की जीवनशैली भी काफी बेहतर है।
नाइजीरिया में दोनों धर्मों के बीच लंबे समय से संघर्ष जारी है। मीडिया रिपोर्ट्स में यह भी दावा किया जा रहा है कि ईसाइयों के विरोध के बावजूद वहां उत्तरी राज्यों में इस्लामी शरिया कानून को माना जा रहा है। दोनों धार्मिक समूहों की आपसी लड़ाई अब हिंसक रूप ले चुकी है।
राष्ट्रीय समाचार
यूपीआई ट्रांजैक्शन की संख्या में अक्टूबर में 25 प्रतिशत का जबरदस्त उछाल, 27.28 लाख करोड़ रुपए का हुआ लेनदेन

UPI
नई दिल्ली, 1 नवंबर: नेशनल पेमेंट कॉरपोरेशन (एनपीसीआई) ने नए महीने की शुरुआत के साथ शनिवार को यूनिफाइड पेमेंट इंटरफेस (यूपीआई) ट्रांजैक्शन के आंकड़े जारी किए हैं।
लेटेस्ट आंकड़ों के अनुसार, बीते महीने अक्टूबर में यूपीआई ट्रांजैक्शन की संख्या में 25 प्रतिशत का उछाल दर्ज किया गया है। यूपीआई ट्रांजैक्शन को लेकर यह उछाल फेस्टिव सीजन और जीएसटी 2.0 सुधार के बीच दर्ज किया गया है।
एनपीसीआई द्वारा साझा की गई जानकारी के अनुसार, अक्टूबर में यूपीआई ट्रांजैक्शन काउंट सालाना आधार पर 25 प्रतिशत बढ़कर 20.70 अरब दर्ज किए गए हैं।
इसके अलावा, ट्रांजैक्शन अमाउंट भी सालाना आधार पर 16 प्रतिशत बढ़कर 27.28 लाख करोड़ रुपए दर्ज किया गया है। एवरेज डेली ट्रांजैक्शन काउंट 668 मिलियन और एवरेज डेली ट्रांजैक्शन अमाउंट 87,993 करोड़ रुपए रिकॉर्ड किया गया है।
इससे पहले महीने सितंबर के आंकड़ों पर नजर डालें तो सितंबर में यूपीआई ट्रांजैक्शन काउंट सालाना आधार पर 31 प्रतिशत बढ़कर 19.63 अरब दर्ज किए गए हैं। जबकि ट्रांजैक्शन अमाउंट सालाना आधार पर 21 प्रतिशत की शानदार बढ़त के बाद 24.90 लाख करोड़ रुपए दर्ज किया गया है। सितंबर में एवरेज डेली ट्रांजैक्शन काउंट 654 मिलियन और एवरेज डेली ट्रांजैक्शन अमाउंट 82,991 करोड़ रुपए देखा गया था।
इसके अलावा, एनपीसीआई द्वारा जारी किए गए इमीडिएट पेमेंट सर्विस (आईएमपीएस) के आंकड़े बताते हैं कि ट्रांजैक्शन की संख्या सितंबर के 394 मिलियन से बढ़कर अक्टूबर में 404 मिलियन हो गए। यह वृद्धि लेनदेन की राशि में भी दर्ज की गई है, जो कि सितंबर के 5.97 लाख करोड़ रुपए से बढ़कर अक्टूबर में 6.42 लाख करोड़ हो गई है।
इस बीच, बैंक ऑफ बड़ौदा की हालिया रिपोर्ट बताती है कि बीते महीने फेस्टिव सीजन में यूपीआई के जरिए खर्च भी बढ़कर 17.8 लाख करोड़ रुपए हो गया है, जो कि बीते वर्ष के 15.1 लाख करोड़ रुपए के मुकाबले 17 प्रतिशत से ज्यादा की वृद्धि को दर्शाता है। यूपीआई के जरिए खर्च का यह आंकड़ा दिवाली से दशहरा तक की अवधि के लिए जारी किया गया था।
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