अपराध
ईडी ने जंबो कोविड केंद्रों में अनियमितताओं के खिलाफ 75 पेज का आरोपपत्र दायर किया; अभियुक्तों द्वारा व्यक्तिगत उपयोग के लिए कथित धनराशि का उपयोग किया गया

मुंबई: प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने महामारी के दौरान जंबो कोविड केंद्रों में कथित अनियमितताओं के मामले में धन शोधन रोकथाम अधिनियम (पीएमएलए) की एक विशेष अदालत में 75 पन्नों का आरोप पत्र दायर किया है। आरोपपत्र में कई लोगों को आरोपी बनाया गया है, जिनमें लाइफ लाइन हॉस्पिटल एंड मैनेजमेंट सर्विसेज के पार्टनर सुजीत पाटकर और दहिसर जंबो फैसिलिटी के डीन डॉ. किशोर बिसुरे शामिल हैं। आरोप पत्र में केंद्रों पर चिकित्सा कर्मचारियों की कम तैनाती के दौरान चालान बनाने में कथित वित्तीय अनियमितताओं के बारे में विस्तृत जानकारी है और कैसे अपराध की आय से धन को व्यक्तिगत खर्चों या म्यूचुअल फंड में निवेश के लिए आरोपियों के बैंक खातों में स्थानांतरित किया गया था। पाटकर पर फर्जी बिलों को मंजूरी देने के लिए कथित तौर पर नगर निगम के अधिकारियों को रिश्वत देने के अलावा, चिकित्सा कर्मचारियों के फर्जी उपस्थिति रिकॉर्ड जमा करने और उचित रिकॉर्ड के बिना उनके पारिश्रमिक का चालान करने का भी आरोप है।
उन्होंने बीएमसी से मौद्रिक लाभ प्राप्त किया और इनमें से कुछ आय नागरिक अधिकारियों को वितरित की। अपराध की महत्वपूर्ण आय (32.5 करोड़ रुपये) में से एक हिस्सा नवंबर 2020 से अक्टूबर 2022 तक उसके बैंक खाते (2.81 करोड़ रुपये) में भेज दिया गया, जिसका इस्तेमाल उसने कथित तौर पर व्यक्तिगत ऋण और अन्य खर्चों को चुकाने के लिए किया था। महामारी के दौरान जंबो कोविड केंद्रों के कामकाज में कथित अनियमितताओं के मामले में प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने विशेष धन शोधन निवारण अधिनियम (पीएमएलए) अदालत में 75 पेज का आरोपपत्र दायर किया है। आरोप पत्र में कई लोगों को आरोपी के रूप में नामित किया गया है, जिसमें लाइफलाइन हॉस्पिटल एंड मैनेजमेंट सर्विसेज के पार्टनर सुजीत पाटकर के साथ-साथ अन्य पार्टनर हेमंत गुप्ता, संजय शाह, राजीव सालुंखे, अरविंद सिंह और डॉ किशोर बिसुरे (दहिसर जंबो फैसिलिटी के डीन) शामिल हैं। इसमें कथित वित्तीय अनियमितताओं, मनी लॉन्ड्रिंग गतिविधियों और प्रत्येक आरोपी द्वारा निभाई गई भूमिकाओं के बारे में विस्तृत जानकारी है। आरोपपत्र के अनुसार, मेसर्स लाइफलाइन हॉस्पिटल मैनेजमेंट सर्विसेज के भागीदार पाटकर पर कोविड-19 सुविधाओं के लिए चिकित्सा कर्मचारियों की आपूर्ति के लिए सरकारी अनुबंध प्राप्त करने से संबंधित आपराधिक गतिविधियों का आरोप लगाया गया है। यह आरोप लगाया गया है कि उन्होंने अनुबंध हासिल करने के लिए अन्य साझेदारों और अधिकारियों के साथ साजिश रची और बाद में कम मेडिकल स्टाफ की तैनाती की, जिससे मरीजों की जान जोखिम में पड़ गई।
पाटकर पर फर्जी उपस्थिति रिकॉर्ड, उचित रिकॉर्ड के बिना चालान जमा करने और फर्जी बिलों को मंजूरी देने के लिए नगर निगम के अधिकारियों को रिश्वत देने का भी आरोप है। उन्होंने नगरपालिका अधिकारियों से मौद्रिक लाभ प्राप्त किया और इनमें से कुछ आय बीएमसी अधिकारियों को वितरित की। नवंबर 2020 से अक्टूबर 2022 तक अपराध की आय से एक महत्वपूर्ण राशि (कुल 32.5 करोड़ रुपये) उनके व्यक्तिगत बैंक खाते (2.81 करोड़ रुपये) में स्थानांतरित कर दी गई, जिसका उपयोग उन्होंने कथित तौर पर व्यक्तिगत ऋण और अन्य खर्चों को चुकाने के लिए किया था। आरोपपत्र के अनुसार, डॉ. किशोर बिसुरे ने दहिसर जंबो कोविड सुविधा के डीन के रूप में कार्य किया, लेकिन कथित तौर पर व्यक्तिगत वित्तीय लाभ के लिए अपनी जिम्मेदारियों की उपेक्षा की। उन्होंने कथित तौर पर मेसर्स लाइफलाइन हॉस्पिटल मैनेजमेंट सर्विसेज के भागीदारों के साथ मिलीभगत की और अनियमितताएं कीं, जिससे कोविड-19 रोगियों के जीवन को खतरे में डाल दिया गया। उन पर मेसर्स लाइफलाइन द्वारा उपलब्ध कराए गए फर्जी उपस्थिति रिकॉर्ड के आधार पर फर्जी बिलों को मंजूरी देने का आरोप है।
इन अनियमितताओं से अवगत होने के बावजूद, उन्होंने अपने अधीनस्थों को चिकित्सा कर्मचारियों की कम तैनाती के मुद्दे को नजरअंदाज करने का निर्देश दिया। उन पर आरोप है कि उन्हें मेसर्स लाइफलाइन से नकदी और मूल्यवान वस्तुओं के रूप में अपराध की आय प्राप्त हुई, साथ ही उनके ड्राइवर के बैंक खाते में कुल मिलाकर लगभग 20 लाख रुपये मिले, जिसका उपयोग उन्होंने अपने निजी खर्चों के लिए किया। मेसर्स लाइफलाइन के एक भागीदार डॉ. हेमंत गुप्ता पर व्यक्तिगत वित्तीय लाभ के लिए अन्य भागीदारों के साथ मिलकर जंबो कोविड केंद्रों पर कम मेडिकल स्टाफ की तैनाती करने और फर्जी उपस्थिति रिकॉर्ड बनाने की साजिश में भाग लेने का आरोप है। उन पर आरोप है कि वह मरीजों की देखभाल करने में विफल रहे और फर्जी हस्ताक्षरों के साथ उपस्थिति रिकॉर्ड में उनका नाम गलत तरीके से दर्ज किया गया। अपराध की आय का एक हिस्सा उसके निजी बैंक खाते में भेज दिया गया था, जिसका इस्तेमाल वह कथित तौर पर म्यूचुअल फंड और अन्य खर्चों में निवेश करने के लिए करता था। उन्होंने कुछ आय को दूसरी फर्म में भी भेज दिया, लेकिन बाद में धोखाधड़ी की गतिविधियों का खुलासा होने के बाद उन्हें मेसर्स लाइफलाइन को वापस कर दिया। उन पर उन बैठकों में सक्रिय रूप से भाग लेने का आरोप है जहां साझेदारों ने फर्जी उपस्थिति पत्रक के साथ चालान को मंजूरी देने की साजिश रची और कथित तौर पर बीएमसी अधिकारियों को रिश्वत दी। मेसर्स लाइफलाइन के एक अन्य साझेदार संजय शाह की फर्म में 20% हिस्सेदारी थी, और उन्होंने भी साजिश में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
अपराध
नासिक : धार्मिक स्थल को लेकर उड़ी अफवाह के बाद बवाल, पथराव में कई घायल

नासिक, 16 अप्रैल। नासिक के काठे गली इलाके में मंगलवार रात पुलिस पर पथराव किया गया। यह घटना तब हुई जब क्षेत्र में बिजली कट गई और इसी अंधेरे का फायदा उठाकर भीड़ ने अचानक पुलिस और आसपास खड़े वाहनों पर पत्थर बरसाने शुरू कर000000 दिए। इस हिंसक घटनाक्रम में तीन से चार पुलिसकर्मी घायल हो गए, जबकि पांच वाहन भी क्षतिग्रस्त हो गए हैं। हंगामे की वजह एक धार्मिक स्थल को लेकर उड़ी अफवाह बताई जा रही है।
स्थिति को नियंत्रण में लाने के लिए पुलिस को तत्काल कार्रवाई करनी पड़ी। रात में करीब 500 पुलिसकर्मियों को मौके पर तैनात किया गया ताकि हालात और न बिगड़ें। बताया जा रहा है कि हंगामे के समय करीब 400 से 500 लोग मौजूद थे। पुलिस ने किसी भी अप्रिय स्थिति से बचने के लिए इलाके में ट्रैफिक मार्गों में बदलाव भी कर दिए हैं। प्रशासनिक और पुलिस अधिकारियों ने मिलकर हालात पर कड़ी नजर रखी और रात भर गश्त जारी रही।
सूत्रों ने बताया कि इस पूरे मामले की जड़ एक विवादास्पद धार्मिक स्थल है, जिस पर पिछले कुछ दिनों से तनाव की स्थिति बनी हुई थी। नगरपालिका ने 1 अप्रैल को अदालत के आदेश के बाद एक अनधिकृत निर्माण पर नोटिस दिया था, जिसमें कहा गया था कि यदि निर्माण को स्वयं नहीं हटाया गया तो प्रशासन उचित कार्रवाई करेगा। इस चेतावनी के बावजूद धार्मिक स्थल को नहीं हटाया गया, जिससे स्थानीय लोगों में असंतोष और तमाम तरह की अफवाह फैल गई।
अधिकारियों ने बताया कि इस क्षेत्र में कुछ धार्मिक स्थलों का निर्माण बिना अनुमति के किया गया था और इन्हें हटाने के लिए नोटिस दिया गया था, जिसके बाद यह घटना हुई है। अगले दो दिनों में ऐसे सभी अनधिकृत धार्मिक स्थलों को हटाया जाएगा। नासिक पुलिस का कहना है पुलिस पूरे इलाके में शांति बनाए रखने के लिए कार्रवाई कर रही है। पुलिस और प्रशासनिक अमले की मौजूदगी अब भी इलाके में बनी हुई है और स्थिति पर नजर रखी जा रही है।
अपराध
जयपुर: ईडी ने पूर्व मंत्री प्रताप सिंह खाचरियावास के आवास पर छापेमारी की

जयपुर, 15 अप्रैल। केंद्रीय प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने मंगलवार को जयपुर में बड़ी कार्रवाई करते हुए पूर्व मंत्री प्रताप सिंह खाचरियावास के आवास पर छापेमारी शुरू की। प्रताप सिंह राजस्थान की पूर्ववर्ती अशोक गहलोत सरकार में कैबिनेट मंत्री रह चुके हैं।
यह कार्रवाई प्रदेश के चर्चित 2,850 करोड़ रुपये के पीएसीएल घोटाले से जुड़ी बताई जा रही है। कांग्रेस नेता प्रताप सिंह पर आरोप है कि घोटाले की कुछ राशि उनके पास भी है।
सुप्रीम कोर्ट ने 2 फरवरी 2016 को सेवानिवृत्त सीजेआई आरएम लोढ़ा की अध्यक्षता में कमेटी का गठन किया था। कोर्ट ने कमेटी से कहा था कि पीएसीएल की संपत्तियों को नीलाम करके 6 माह में लोगों को ब्याज सहित भुगतान करें। सेबी के आकलन के अनुसार, पीएसीएल की 1.86 लाख करोड़ रुपये की संपत्ति है, जो निवेशकों की जमा राशि की तुलना में 4 गुना है।
पीएसीएल कंपनी की योजनाओं को अवैध मानते हुए सेबी ने 22 अगस्त 2014 को कंपनी के कारोबार बंद कर दिए थे, जिसके चलते निवेशकों की पूंजी कंपनी के पास जमा रह गई। इसके बाद कंपनी और सेबी के बीच सुप्रीम कोर्ट में केस चला और सेबी केस जीत गई। 17 साल तक राज्य में रियल एस्टेट में निवेश का काम करने वाली पीएसीएल में प्रदेश के 28 लाख लोगों ने करीब 2,850 करोड़ और देश के 5.85 करोड़ लोगों ने कुल 49,100 करोड़ का निवेश किया था।
कंपनी पर बिहार, महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश, असम, कर्नाटक, जयपुर ग्रामीण, उदयपुर, आंध्र प्रदेश, पंजाब, छत्तीसगढ़ समेत आधे से ज्यादा राज्यों में मुकदमे दर्ज हैं। इस घोटाले का पहला खुलासा जयपुर में ही हुआ था, जब 2011 में चौमू थाने में ठगी और चिट फंड एक्ट के तहत पहला केस दर्ज किया गया। मामले में प्रताप सिंह की भागीदारी 30 करोड़ के आसपास बताई जा रही है, जिसको लेकर अब ईडी जांच कर रही है।
अपराध
सलमान खान को फिर मिली जान से मारने की धमकी

मुंबई: फिल्म अभिनेता सलमान खान को एक बार फिर जान से मारने की धमकी मिली है। सलमान खान लॉरेंस बिश्नोई गैंग के निशाने पर हैं और लॉरेंस गैंग सलमान को जान से मारने की धमकी भी दे चुका है, जिसके बाद से सलमान खान को सोशल मीडिया पर लगातार जान से मारने की धमकियां मिल रही हैं। मुंबई ट्रैफिक कंट्रोल रूम को एक व्हाट्सएप संदेश मिला जिसमें सलमान खान को उनके घर में घुसकर जान से मारने और उनकी कार को बम से उड़ाने की धमकी दी गई है। यह धमकी भरा संदेश मिलने के बाद वर्ली पुलिस ने ट्रैफिक पुलिस की शिकायत पर अज्ञात व्यक्ति के खिलाफ धमकी का मामला दर्ज कर लिया है।
मुंबई पुलिस अब इस बात की जांच कर रही है कि सलमान खान को धमकी देने वाला शख्स किसी गिरोह से जुड़ा है या फिर किसी ने शरारत में यह धमकी दी है। धमकी भरे संदेश के बाद पुलिस भी अलर्ट पर है। सलमान खान के घर के आसपास सुरक्षा के कड़े इंतजाम किए गए हैं। इसके साथ ही सलमान खान को वाई प्लस सुरक्षा भी प्राप्त है। ऐसे में पुलिस ने भी इस धमकी को गंभीरता से लिया है।
मुंबई पुलिस आयुक्त विवेक पंचालकर ने भी पुलिस को धमकी भरे फोन कॉल, व्हाट्सएप या सोशल मीडिया पर धमकी भरे संदेशों को लेकर सतर्क रहने का आदेश दिया है। मुंबई पुलिस और क्राइम ब्रांच भी इस मामले की जांच कर रही है। सलमान खान की जान को खतरा है, इसलिए पुलिस किसी भी तरह की लापरवाही नहीं बरतना चाहती है और पुलिस ने इस मामले में जांच भी शुरू कर दी है। सलमान खान को इससे पहले भी कई बार जान से मारने की धमकियां मिल चुकी हैं। पुलिस ने इस मामले में तीन लोगों को गिरफ्तार भी किया है।
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