अपराध
मीरा भयंदर: कानूनी पचड़े में फंसी 15 जर्जर इमारतों में से छह को ध्वस्त किया गया

मीरा भयंदर: मीरा भयंदर नगर निगम (एमबीएमसी) ने अपने वार्षिक प्री-मानसून अभ्यास के हिस्से के रूप में जुड़वां शहर में 15 इमारतों को खतरनाक और मानव निवास के लिए अनुपयुक्त के रूप में टैग किया था। पिछले साल यह आंकड़ा 16 था। नगर निगम प्रशासन ने नौ इमारतों को खाली कराकर गिराना शुरू कर दिया है। हालाँकि, छह संरचनाएँ कानूनी और अन्य बाधाओं में उलझी हुई हैं। जबकि तीन खाली संरचनाओं के मालिकों ने न्यायपालिका का दरवाजा खटखटाया है, दो ने समीक्षा की मांग करके स्थिरता प्रमाणपत्रों की प्रामाणिकता को चुनौती दी है, इस प्रकार किसी भी प्रकार के कठोर कदम उठाने में कानूनी बाधाएं पैदा हो रही हैं। एक इमारत जिसमें अभी भी निवासी रहते हैं, को वार्ड अधिकारी द्वारा खाली करने का अंतिम नोटिस दिया गया है। बॉम्बे प्रांतीय नगर निगम अधिनियम, 1949 की प्रासंगिक धाराओं के अनुसार, नागरिक प्रशासन ने 30 वर्षों से अधिक समय से मौजूद इमारतों के मालिकों और निवासियों के लिए यह अनिवार्य कर दिया था कि वे अपनी इमारतों का निरीक्षण नागरिक सूची में सूचीबद्ध योग्य संरचनात्मक इंजीनियरों से कराएं। पैनल. इसके बाद, पिछले साल व्यापक सर्वेक्षण के बाद 1108 संरचनाओं को नोटिस जारी किए गए थे। हालाँकि, केवल 184 रहने वालों ने सकारात्मक प्रतिक्रिया दी और संरचनात्मक स्थिरता के लिए आवश्यक सुधारात्मक मरम्मत करने के बाद प्रमाण पत्र जमा किया।
ठंडी प्रतिक्रिया से आहत एमबीएमसी प्रमुख- दिलीप ढोले ने सभी छह वार्ड अधिकारियों को यह सुनिश्चित करने का निर्देश दिया कि 30 अप्रैल तक ऐसी सभी इमारतों की संरचनात्मक स्थिरता सुनिश्चित की जाए, अन्यथा किसी भी आपदा की स्थिति में उन्हें अनुशासनात्मक कार्रवाई का सामना करने के लिए उत्तरदायी ठहराया जाएगा। ऐसी संरचनाओं से संबंधित. स्थिरता सर्वेक्षण रिपोर्ट के अनुसार- 15 इमारतें सी-1 श्रेणी (रहने के लिए सबसे खतरनाक और खाली और ध्वस्त) में आती हैं, 19 सी-2 (ए) श्रेणी में आती हैं (प्रमुख पुनर्निर्माण और मरम्मत कार्य बाद में किया जाना है) निकासी), सी-2 (बी) श्रेणी में 383 (निकासी की आवश्यकता के बिना मरम्मत कार्य) और सी-3 श्रेणी में 13 जिनमें केवल मामूली मरम्मत की आवश्यकता होती है। अधिकांश पुरानी और जीर्ण-शीर्ण संरचनाएँ छोटे भूखंडों पर हैं, जो पहले से ही चार से अधिक एफएसआई का उपभोग कर चुकी हैं, इस प्रकार मौजूदा अनुमति मानदंडों के तहत पुनर्विकास विकल्प कठिन और गैर-व्यवहार्य हैं। हालाँकि, राज्य सरकार द्वारा हाल ही में पारित क्लस्टर विकास योजना ऐसी दुर्भाग्यपूर्ण इमारतों के लिए प्रावधान करने के लिए पूरी तरह तैयार है।
अपराध
ईडी ने 3,000 करोड़ रुपए के यस बैंक लोन धोखाधड़ी मामले में अनिल अंबानी से जुड़ी संस्थाओं पर छापे मारे

नई दिल्ली, 24 जुलाई। प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने गुरुवार को 3,000 करोड़ रुपए के यस बैंक लोन धोखाधड़ी मामले से जुड़ी मनी लॉन्ड्रिंग की जांच के लिए अनिल अंबानी के नेतृत्व वाले रिलायंस समूह से संबंधित 35 से ज्यादा परिसरों, 50 कंपनियों और 25 से अधिक लोगों के कई ठिकानों पर छापे मारे हैं।
केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) द्वारा दर्ज की गई एफआईआर के बाद, ईडी ने धन शोधन निवारण अधिनियम (पीएमएलए) के तहत अनिल अंबानी के नेतृत्व वाले रिलायंस समूह द्वारा मनी लॉन्ड्रिंग के अपराध की जांच शुरू कर दी।
सूत्रों के अनुसार, इस मामले में नेशनल हाउसिंग बैंक, सेबी, नेशनल फाइनेंशियल रिपोर्टिंग अथॉरिटी (एनएफआरए), बैंक ऑफ बड़ौदा जैसी अन्य एजेंसियों और संस्थानों ने भी ईडी के साथ जानकारी साझा की।
ईडी की प्रारंभिक जांच में बैंकों, शेयरधारकों, निवेशकों और अन्य सार्वजनिक संस्थानों के साथ धोखाधड़ी करके जनता के पैसों को इधर-उधर करने/निपटाने की एक सुनियोजित और सोची-समझी योजना का खुलासा हुआ है। साथ ही, यस बैंक लिमिटेड के प्रमोटर सहित बैंक अधिकारियों को रिश्वत देने का अपराध भी जांच के दायरे में है।
प्रारंभिक जांच में यस बैंक से (2017 से 2019 तक) लगभग 3,000 करोड़ रुपए के अवैध लोन डायवर्जन का पता चला है। ईडी ने पाया है कि लोन स्वीकृत होने से ठीक पहले, यस बैंक के प्रमोटरों को पैसा दिया गया था। एजेंसी रिश्वतखोरी और लोन के इस गठजोड़ की भी जांच कर रही है।
नियामक ने अनिल अंबानी से जुड़ी कंपनियों को यस बैंक द्वारा दिए गए लोन में कई नियमों का करते हुए उल्लंघन पाया है, जैसे कि क्रेडिट अप्रूवल मैमोरेंडम (सीएएम) पिछली तारीख के थे, बैंक की लोन नीति का उल्लंघन करते हुए बिना किसी उचित जांच/लोन विश्लेषण के निवेश प्रस्तावित किए गए थे।
लोन शर्तों का उल्लंघन करते हुए, इन लोन को आगे कई समूह कंपनियों और मुखौटा कंपनियों में डायवर्ट किया गया।
जानकारी के मुताबिक, सेबी ने आरएचएफएल मामले में अपने निष्कर्ष ईडी के साथ साझा किए हैं। आरएचएफएल द्वारा कॉर्पोरेट लोन में नाटकीय वृद्धि भी ईडी की जांच के घेरे में है। आरएचएफएल के कॉर्पोरेट लोन वित्त वर्ष 2017-18 में 3,742.60 करोड़ रुपए से एक ही साल में बढ़कर वित्त वर्ष 2018-19 में 8,670.80 करोड़ रुपए हो गए थे।
सूत्रों के अनुसार, जांच फिलहाल चल रही है। ईडी यस बैंक के अधिकारियों, समूह की कंपनियों और अनिल अंबानी की कंपनियों से जुड़ी वित्तीय अनियमितताओं के बीच संबंधों का पता लगाने की कोशिश कर रहा है।
अपराध
सांगली ड्रग्स फैक्ट्री केस: मुंबई क्राइम ब्रांच ने केमिकल सप्लायर को गुजरात से किया गिरफ्तार

CRIME
मुंबई, 24 जुलाई। 256 करोड़ रुपए के ड्रग्स मामले में मुंबई क्राइम ब्रांच ने बड़ी कार्रवाई करते हुए केमिकल सप्लायर को गिरफ्तार किया है। क्राइम ब्रांच का दावा है कि यह आरोपी मुस्तफा और ताहिर डोला को ड्रग्स बनाने के लिए रसायन सप्लाई करता था। यह मामला महाराष्ट्र के सांगली जिले में पकड़ी गई ड्रग्स फैक्ट्री से जुड़ा है।
मुंबई क्राइम ब्रांच ने केमिकल सप्लाई करने वाले आरोपी को गुजरात से गिरफ्तार किया है। आरोपी की पहचान 34 वर्षीय बृजेश के रूप में हुई है। क्राइम ब्रांच के अनुसार, बृजेश ही डोला और कुब्बावाला को ड्रग्स बनाने के लिए जरूरी रसायन मुहैया कराता था। वह सिंथेटिक ड्रग्स के निर्माण में उपयोग होने वाले रॉ मटेरियल की आपूर्ति कर रहा था।
फिलहाल आरोपी बृजेश को 29 जुलाई तक पुलिस कस्टडी में रखा गया है। इस दौरान कड़ी पूछताछ में कई राज खुलने की संभावनाएं हैं।
पिछले साल सांगली जिले में ड्रग्स बनाने वाली एक फैक्ट्री पकड़ी गई थी। क्राइम ब्रांच टीम ने खुफिया जानकारी के आधार पर छापेमारी कर इस फैक्ट्री का भंडाफोड़ किया था। मुंबई पुलिस मामले में अब तक 13 लोगों को गिरफ्तार कर चुकी है, जबकि 126.14 किलोग्राम एमडी ड्रग्स जब्त किया। इसकी अंतरराष्ट्रीय बाजार में कीमत लगभग 256 करोड़ रुपए बताई गई।
ताहिर डोला अंडरवर्ल्ड डॉन दाऊद इब्राहिम के करीबी सहयोगी सलीम का बेटा है, जबकि मुस्तफा उसका भांजा है। मुस्तफा को संयुक्त अरब अमीरात (यूएई) से गिरफ्तार कर भारत लाया गया था और ताहिर डोला को भी गिरफ्तार किया गया। पुलिस के मुताबिक, सलीम दाऊद के उस विश्वसनीय सर्कल का हिस्सा है, जो भारत में ड्रग्स तस्करी का नेटवर्क संभालता है। अवैध कारोबार में सलीम का बेटा ताहिर और भांजा मुस्तफा भी मदद करते थे। इसी कारण उन्हें आरोपी बनाया गया।
सलीम डोला का नाम ड्रग्स केस में पहले भी आया था, जब मुंबई क्राइम ब्रांच की एंटी नारकोटिक्स सेल ने सांताक्रुज में 100 किलोग्राम फेंटानिल ड्रग्स जब्त की थी। हालांकि, सांगली मामले में सलीम अभी फरार है।
अपराध
इंदौर में 4.80 करोड़ का सोना लेकर ड्राइवर फरार, पुलिस ने दर्ज किया मामला

इंदौर, 23 जुलाई। मध्य प्रदेश की व्यापारिक नगरी इंदौर में गुजरात के एक कारोबारी का 4 करोड़ 80 लाख से ज्यादा का सोना लेकर ड्राइवर चंपत हो गया है। पुलिस ने 12 दिन बाद इस मामले में प्रकरण दर्ज कर आरोपी वाहन चालक की तलाश शुरू कर दी है।
यह मामला इंदौर के छत्रीपुरा क्षेत्र का है, जहां के एक होटल के बाहर से सोने के जेवरात एक ड्राइवर लेकर फरार हो गया। गुजरात के अहमदाबाद में रहने वाले व्यापारी धमेंन्द्र भाई बीती रात को अपराध शाखा पहुंचे और शिकायत दर्ज कराई। उनकी शिकायत पर ड्राइवर मसरू रबारी, निवासी बनासकांठा, गुजरात के खिलाफ 4 किलो 800 ग्राम सोना कार में चोरी कर ले जाने के मामले में एफआईआर की गई है।
धर्मेन्द्र भाई की अंकित गोल्ड ज्वेलरी नाम से अहमदाबाद में दुकान है। शिकायत के अनुसार, ड्राइवर इंदौर के गंगवाल बस स्टेंड की शिवानी होटल के यहां कार में रखे दो थैले लेकर फरार हो गया। आठ जुलाई को उन्होंने अपने एक कर्मचारी (सौरभ) को इंदौर भेजा था। वह अपनी कार से ड्राइवर को लेकर सोने के जेवर लेकर इंदौर आया था, इससे पहले वह लुनावाडा पहुंचा। यहां से व्यापारियों को माल दिखाकर संतरामपुर होते हुए झाबुआ और फिर वहां से देर शाम इंदौर पहुंचे।
इंदौर में देर से आने के चलते वह गंगवाल बस स्टैंड क्षेत्र की होटल शिवानी में रुक गए। गाड़ी में बड़ी मात्रा में सोना होने पर सुरक्षा को लेकर ड्राइवर मसरू रबारी को गाड़ी के पास ही रहने दिया और खुद शेविंग कराने चला गया। कुछ देर बाद जब कर्मचारी वहां पहुंचा तो ड्राइवर और कार दोनों नहीं थे। उसे फोन किया तो मोबाइल भी बंद था।
शिकायत में आगे बताया गया कि चालक और वाहन दोनों के गायब होने पर सौरभ ने मालिक धर्मेन्द्र भाई को फोन कर जानकारी दी। इसके बाद ड्राइवर को खोजने के प्रयास शुरू किए गए। इस बारे में स्थानीय पुलिस को जानकारी दी गई। व्यापारी अपने स्तर पर तमाम प्रयास करने के बाद मंगलवार को क्राइम ब्रांच पहुंचे और जानकारी दी।
जानकारी के मुताबिक, चुराए गए सोने की कीमत करीब 4 करोड़ 80 लाख के पास है। इस मामले में क्राइम ब्रांच की टीम सीसीटीवी फुटेज और फोटो के आधार पर आरोपी की तलाश में जुट गई है। अपराध शाखा के डीसीपी राजेश त्रिपाठी के अनुसार गुजरात के व्यापारी द्वारा दर्ज कराई गई शिकायत के आधार पर पुलिस ने कई दल बनाकर आरोपी की तलाश तेज कर दी है। प्रकरण भी दर्ज किया जा चुका है। आरोपी जल्दी ही पुलिस की गिरफ्त में होगा।
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