अंतरराष्ट्रीय समाचार
बिलावल की टिप्पणी के बाद तनाव के बीच जेयूआई-एफ प्रमुख का भारत दौरा रद्द
नई दिल्ली, 23 दिसंबर : जमीयत उलेमा-ए-इस्लाम (जेयूआई-एफ) के प्रमुख व पाकिस्तान की गठबंधन सरकार के नेता मौलाना फजलुर रहमान ने अपने देश के विदेश मंत्री बिलावल भुट्टो की प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के खिलाफ की गई टिप्पणी से उपजे तनाव के बीच इस सप्ताह प्रस्तावित अपनी भारत यात्रा रद्द कर दी। यह जानकारी एक मीडिया रिपोर्ट में दी गई। हालांकि इसकी आधिकारिक पुष्टि नहीं हुई है। पाकिस्तान डेमोक्रेटिक मूवमेंट (पीडीएम) सरकार के गठबंधन सहयोगी को भारत की चार दिवसीय यात्रा करनी थी।
खबरों के मुताबिक फजल को उत्तर प्रदेश में एक धार्मिक सभा में शामिल होना था। द एक्सप्रेस ट्रिब्यून की रिपोर्ट के अनुसार बिलावल की टिप्पणी के बाद यात्रा रद्द कर दी गई।
जेयूआई-एफ प्रमुख की यात्रा चार वर्षों में किसी प्रमुख पाकिस्तानी राजनेता की पहली यात्रा थी। पिछली बार पूर्व भारतीय प्रधान मंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के निधन पर पाकिस्तान की ओर से शोक व्यक्त करने के लिए एक कार्यवाहक संघीय मंत्री ने 2018 में नई दिल्ली का दौरा किया था।
द एक्सप्रेस ट्रिब्यून की रिपोर्ट के अनुसार फजल ने अतीत में भारत का दौरा किया था, लेकिन हाल के हफ्तों में इस्लामाबाद और नई दिल्ली के बीच नए सिरे से तनाव के मद्देनजर दोनों पड़ोसियों के बीच वर्तमान संबंधों की स्थिति को देखते हुए उनकी यह यात्रा महत्वपूर्ण थी।
पाकिस्तान के प्रमुख कैबिनेट मंत्रियों ने हाल के दिनों में प्रेस कॉन्फ्रेंस कर भारतीय खुफिया एजेंसी पर पाकिस्तान में आतंकवाद को प्रायोजित करने का आरोप लगाया।
इस्लामाबाद ने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद को एक और डोजियर भेजा, जिसमें पाकिस्तान में आतंकवादी गतिविधियों में भारत के शामिल होने का सबूत होने की बात कही गई।
इस हफ्ते की शुरुआत में भारत और पाकिस्तान के विदेश मंत्रियों के बीच छिड़े वाकयुद्ध ने तनाव को और गहरा कर दिया। भारतीय विदेश मंत्री जयशंकर ने पाकिस्तान के डोजियर का जवाब देते हुए कहा कि पाकिस्तान ने ओसामा बिन लादेन को पनाह दी थी।
सूत्रों ने कहा, इस पृष्ठभूमि में जेयूआई-एफ प्रमुख ने अपनी प्रस्तावित भारत यात्रा रद्द कर दी।
एक साप्ताहिक समाचार ब्रीफिंग में पाकिस्तान के विदेश कार्यालय के प्रवक्ता मुमताज जहरा बलूच ने बातचीत के माध्यम से पाकिस्तान और भारत के बीच सभी लंबित मुद्दों के समाधान की आवश्यकता पर बल दिया। उन्होंने कहा कि भारत को क्षेत्र में सकारात्मक माहौल बनाने के लिए कदम उठाने चाहिए।
अंतरराष्ट्रीय समाचार
नेपाल-तिब्बत सीमा पर भूकंप से तबाही, मृतकों की संख्या बढ़कर हुई 53
नई दिल्ली, 7 जनवरी। मंगलवार सुबह नेपाल-तिब्बत सीमा क्षेत्र में 7.1 तीव्रता का शक्तिशाली भूकंप आने से कम से कम 53 लोगों की मौत हो गई और 62 लोग घायल हो गए। मीडिया रिपोट्स में यह दावा किया गया।
नेशनल सेंटर फॉर सीस्मोलॉजी (एनसीएस) ने पुष्टि की है कि भूकंप सुबह 6:35 बजे (आईएसटी) आया, जिसका केंद्र अक्षांश 28.86 डिग्री उत्तर और देशांतर 87.51 डिग्री पूर्व में 10 किलोमीटर की गहराई पर था। स्थान की पहचान नेपाल की सीमा के पास शिज़ांग (तिब्बत स्वायत्त क्षेत्र) के रूप में की गई है।
मीडिया ने बताया कि शिज़ांग शहर में बड़ी तबाही हुई, कई लोगों की मौत हुई जबकि कई अन्य घायल हो गए।
शिगाजे (शिगात्से) में डिंगरी के चांगसुओ टाउनशिप के टोंगलाई गांव में, कथित तौर पर कई घर ढह गए।
भूकंप के झटके पूरे उत्तर भारत में भी महसूस किए गए। बिहार, पश्चिम बंगाल, सिक्किम और दिल्ली-एनसीआर जैसे इलाकों में इसका भूकंप के झटके महसूस किए गए। लोग दहशत में अपने घरों से बाहर निकल आए। भारत में अब तक किसी के हताहत होने या संपत्ति के नुकसान की कोई खबर नहीं है।
शुरुआती भूकंप के बाद दो झटके महसूस किए गए। पहला सुबह 7:02 बजे (आईएसटी) 4.7 तीव्रता का झटका दर्ज किया गया, जिसका केंद्र अक्षांश 28.60 डिग्री उत्तर और देशांतर 87.68 डिग्री पूर्व पर, 10 किलोमीटर की गहराई पर था और दूसरा 4.9 तीव्रता का भूकंप सुबह 7:07 बजे (आईएसटी) आया, जिसका केंद्र अक्षांश 28.68 डिग्री उत्तर और देशांतर 87.54 डिग्री पूर्व पर, 30 किलोमीटर की गहराई पर था।
यूनाइटेड स्टेट्स जियोलॉजिकल सर्वे (USGS) ने भूकंप का स्थान नेपाल-तिब्बत सीमा के पास लोबुचे से 93 किलोमीटर उत्तर-पूर्व में बताया। लोबुचे काठमांडू से लगभग 150 किलोमीटर पूर्व और एवरेस्ट बेस कैंप से 8.5 किलोमीटर दक्षिण-पश्चिम में खुम्बू ग्लेशियर के पास स्थित है।
नेपाल, एक अत्यधिक भूकंपीय रूप से सक्रिय क्षेत्र में स्थित है जहां भारतीय और यूरेशियन टेक्टोनिक प्लेटें मिलती हैं, भूकंप के लिए कोई अजनबी नहीं है। यह टेक्टोनिक गतिविधि, जो हिमालयी क्षेत्र का निर्माण करती है, अक्सर अलग-अलग परिमाण की भूकंपीय घटनाओं का कारण बनती है।
नेपाल और प्रभावित भारतीय क्षेत्रों के अधिकारी सतर्क हैं और स्थिति पर बारीकी से नज़र रख रहे हैं। भूकंप ने ऐतिहासिक रूप से विनाशकारी भूकंपीय गतिविधि के प्रति संवेदनशील क्षेत्र में चिंताओं को फिर से जगा दिया है।
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नेपाल-तिब्बत सीमा पर 7.1 तीव्रता के भूकंप से 32 लोगों की मौत
नई दिल्ली, 7 जनवरी। नेपाल-तिब्बत सीमा पर मंगलवार को आए 7.1 तीव्रता के भूकंप में कम से कम 32 लोगों की मौत हो गई और 38 घायल हो गए। कुछ मीडिया रिपोर्टों के अनुसार, यह जानकारी सामने आई है।
नेशनल सेंटर फॉर सिस्मोलॉजी (एनसीएस) ने बताया कि भूकंप सुबह 6:35 बजे आया। जिसका केंद्र अक्षांश 28.86 डिग्री उत्तर और देशांतर 87.51 डिग्री पूर्व में 10 किलोमीटर की गहराई पर था। भूकंप का केंद्र नेपाल सीमा के पास शिजांग (तिब्बत स्वायत्त क्षेत्र) में स्थित था।
समाचार एजेंसी सिन्हुआ के अनुसार, भूकंप के कारण जिजांग शहर में 32 लोग मारे गए तथा 38 अन्य घायल हो गए।
इसके अतिरिक्त, शिगाजे के डिंगरी के चांगसुओ कस्बे में स्थित टोंगलाई गांव में कई मकान ढहने की खबरें आईं, जिसे शिगात्से के नाम से भी जाना जाता है।
भूकंप से बिहार, पश्चिम बंगाल, सिक्किम और दिल्ली-एनसीआर सहित उत्तर भारत के कई हिस्सों में भी झटके महसूस किए गए।
इसके कुछ ही समय बाद इस क्षेत्र में दो और भूकंप के झटके दर्ज किए गए। सुबह 7:02 बजे 4.7 तीव्रता का भूकंप दर्ज किया गया, जिसका केंद्र अक्षांश 28.60 डिग्री उत्तर और देशांतर 87.68 डिग्री पूर्व में 10 किलोमीटर की गहराई पर था।
कुछ ही मिनट बाद, सुबह 7:07 बजे 4.9 तीव्रता का एक और भूकंप 28.68 डिग्री उत्तरी अक्षांश और 87.54 डिग्री पूर्वी देशांतर पर 30 किलोमीटर की गहराई पर दर्ज किया गया।
बिहार के कई इलाकों में भूकंप के झटके महसूस किए गए, जिससे लोग घबराकर अपने घरों और अपार्टमेंट से बाहर निकल आए। हालांकि, अभी तक किसी के हताहत होने या संपत्ति के नुकसान की खबर नहीं है।
नेपाल भूकंपीय दृष्टि से सक्रिय क्षेत्र है, जहां भारतीय और यूरेशियाई टेक्टोनिक प्लेट आपस में टकराती हैं। हिमालय में टेक्टोनिक गतिविधि के कारण देश में अक्सर भूकंप आते रहते हैं।
यूनाइटेड स्टेट्स जियोलॉजिकल सर्वे के अनुसार, भूकंप नेपाल-तिब्बत सीमा के पास लोबुचे से 93 किलोमीटर उत्तर-पूर्व में आया। खुंबू ग्लेशियर के पास स्थित लोबुचे, काठमांडू से लगभग 150 किलोमीटर पूर्व में और एवरेस्ट बेस कैंप से 8.5 किलोमीटर दक्षिण-पश्चिम में स्थित है।
भूकंपीय गतिविधि ने इस क्षेत्र में चिंता बढ़ा दी है। नेपाल और भारत के प्रभावित हिस्सों में अधिकारी स्थिति पर बारीकी से नजर रख रहे हैं।
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गाजा संघर्ष में दो इजरायली सैनिक मारे गए, दो घायल
यरूशलम, 7 जनवरी। उत्तरी गाजा में आतंकवादियों के साथ संघर्ष में एक इजरायली डिप्टी कंपनी कमांडर और एक अन्य सैनिक की मौत हो गई। इजरायली सेना ने बताया कि दो अन्य घायल भी हुए हैं।
सेना ने सोमवार को मृतकों में से एक की पहचान 24 वर्षीय ईतान इजराइल शिकनाजी के रूप में की, जो पश्चिमी तट के एली बस्ती का निवासी था। वह इन्फेंट्री नाहल ब्रिगेड के 932वें बटालियन में डिप्टी कंपनी कमांडर था। दूसरे मृतक का नाम जारी नहीं किया गया है, क्योंकि उसके परिवार को अभी तक सूचित नहीं किया गया है।
सेना ने आगे बताया कि दो घायल सैनिक भी 932वीं बटालियन के थे। मीडिया ने इजरायल के एक सरकारी चैनल के हवाले से बताया कि जिस इमारत में सैनिक रह रहे थे, वहां आतंकवादियों द्वारा दागी गई टैंक रोधी मिसाइल से चार सैनिक घायल हो गए।
दो सैनिकों की मौत के बाद अक्टूबर 2023 में युद्ध की शुरुआत के बाद से मारे गए इजरायली सैनिकों की कुल संख्या 827 हो गई है। इससे पहले इजरायली सेना ने एक बयान में कहा कि इजरायली लड़ाकू विमानों और ड्रोनों ने वीकेंड में गाजा पट्टी में 100 से ज्यादा स्थानों पर बमबारी की, जिसमें फिलिस्तीनी स्वास्थ्य अधिकारियों ने लगभग 200 लोगों के मारे जाने की सूचना दी थी।
मीडिया के अनुसार, सेना ने रविवार को बयान में कहा था कि हवाई हमले आतंकवादियों के ठिकानों पर किए गए, जिनमें वे प्रक्षेपण स्थल भी शामिल हैं, जिनका इस्तेमाल शुक्रवार को इजरायल की तरफ तीन रॉकेट दागने के लिए किया गया था।
इजरायली रक्षा बलों और शिन बेट के अनुसार, हमलों में कथित तौर पर कई हमास लड़ाके मारे गए थे।
सोमवार को गाजा स्वास्थ्य अधिकारियों ने बताया था कि संघर्ष के बाद से इजरायली हमलों में फिलिस्तीनी क्षेत्र में 45,854 लोग मारे गए और 109,139 अन्य घायल हुए हैं।
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