राजनीति
त्रिपुरा की 4 विधानसभा सीटों पर 23 जून को उपचुनाव
त्रिपुरा में गुरुवार को होने वाले चार विधानसभा क्षेत्रों में राजनीतिक रूप से महत्वपूर्ण उपचुनाव के लिए बुधवार को अंतिम तैयारी चल रही है। त्रिपुरा की 60 सदस्यीय विधानसभा के लिए चुनाव होने में अभी करीब आठ महीने की देरी है। उससे पहले हो रहे इस उपचुनाव को काफी महत्वपूर्ण माना जा रहा है और ‘सेमीफाइनल’ करार दिया जा रहा है। सुचारु ढंग से मतदान के लिए केंद्रीय और राज्य सुरक्षा बलों को तैनात किया गया है।
इस उपचुनाव में भाजपा, माकपा के नेतृत्व वाला वाम मोर्चा, कांग्रेस, तृणमूल कांग्रेस और अन्य स्थानीय दलों ने अपने उम्मीदवार खड़े किए हैं, इसलिए मुकाबले बहुकोणीय होंगे।
सीआरपीसी की धारा 144 के तहत चार विधानसभा क्षेत्रों- अगरतला, टाउन बोरदोवाली, सूरमा, जुबराजनगर, तीन जिलों- पश्चिम त्रिपुरा, उत्तरी त्रिपुरा और धलाई जिले में निषेधाज्ञा लागू की गई है।
कुल 1,89,032 मतदाता भाजपा, माकपा के नेतृत्व वाले वाम मोर्चा, कांग्रेस, तृणमूल कांग्रेस और अन्य स्थानीय दलों के 22 उम्मीदवारों के राजनीतिक भाग्य का फैसला करेंगे।
त्रिपुरा की चार विधानसभा सीटों के लिए एक महीने से अधिक समय से चल रहा चुनाव प्रचार मंगलवार को खत्म हो गया। इन चुनावी क्षेत्रों के कुछ इलाकों में हालांकि स्थिति तनावपूर्ण बनी हुई है।
प्रचार अभियान के दौरान कुछ हिंसक घटनाएं हुई थीं। भाजपा के पूर्व मंत्री सुदीप रॉय बर्मन, जो अब कांग्रेस के टिकट पर अगरतला निर्वाचन क्षेत्र से चुनाव लड़ रहे हैं, उस समय घायल हो गए, जब भाजपा कार्यकर्ताओं ने रविवार देर रात उन पर कथित रूप से हमला किया। राजनीतिक रूप से महत्वपूर्ण अगरतला निर्वाचन क्षेत्र से पांच बार विधायक रहे बर्मन का इस समय अगरतला के एक निजी अस्पताल में इलाज चल रहा है।
उपचुनाव का फोकस टाउन बोरदोवाली विधानसभा क्षेत्र है, जहां कांग्रेसी से भाजपा नेता बने 69 वर्षीय मुख्यमंत्री माणिक साहा चुनाव लड़ रहे हैं। उनका मुकाबला पांच उम्मीदवारों से है।
राज्य पार्टी अध्यक्ष और राज्यसभा सदस्य साहा, जिन्होंने बिप्लब कुमार देब के शीर्ष पद से इस्तीफे के एक दिन बाद 15 मई को पदभार ग्रहण किया था, पहली बार चुनाव लड़ रहे हैं।
मुख्यमंत्री के लिए यह उपचुनाव जीतना बहुत जरूरी है, क्योंकि संवैधानिक बाध्यता के तहत उन्हें छह महीने के भीतर विधानसभा का सदस्य बनना है। भाजपा के तीन विधायकों के इस्तीफे और माकपा विधायक रामेंद्र चंद्र देवनाथ के निधन के बाद उपचुनाव कराना जरूरी हो गया था।
तत्कालीन मुख्यमंत्री देब के खिलाफ भाजपा विधायकों के एक वर्ग के बीच खुली नाराजगी के बीच तीन विधायकों – सुदीप रॉय बर्मन (अगरतला), आशीष कुमार साहा (नगर बोरदोवाली) और आशीष दास (सूरमा) ने भाजपा और विधानसभा छोड़ दी थी।
भाजपा के पूर्व मंत्री रॉय बर्मन और साहा इस साल फरवरी में कांग्रेस में शामिल हुए थे, जबकि दास पिछले साल टीएमसी में शामिल हुए थे। दास ने पिछले महीने टीएमसी से भी इस्तीफा दे दिया था।
जुबराजनगर निर्वाचन क्षेत्र से छह बार चुने गए देबनाथ कई बार विधानसभा अध्यक्ष रहे। किडनी फेल होने के कारण 2 फरवरी को कोलकाता में उनका निधन हो गया।
वोटों की गिनती 26 जून को होगी।
महाराष्ट्र
गोरेगांव RA सिग्नल पर हत्या की कोशिश के आरोप में तीन लोग गिरफ्तार

मुंबई: मुंबई पुलिस ने हत्या की कोशिश के आरोप में तीन लोगों को गिरफ्तार करने का दावा किया है। जानकारी के मुताबिक, 22 नवंबर को शिकायत करने वाला ज़ोहैब नईम बेग, 22, गोरेगांव में RA सिग्नल पर अपनी मोटरसाइकिल से गुज़र रहा था। सिग्नल बंद होने की वजह से, तीन अनजान हमलावरों ने उस पर हमला किया और मोटरसाइकिल की चाबी छीन ली और बिना किसी वजह के उसके पेट में धारदार हथियार से वार कर दिया। जिसके बाद पुलिस ने हत्या की कोशिश का केस दर्ज करके उनकी तलाश शुरू कर दी। शिकायत करने वाले और उसके दोस्त के बयान के मुताबिक, गोरेगांव इलाके से RA के एक आदमी के साथ दो लोगों को गिरफ्तार किया गया है। उनके पास से हत्या की कोशिश में इस्तेमाल की गई मोटरसाइकिल और चाकू भी बरामद कर लिया गया है। आरोपियों की पहचान नईम शहाबुद्दीन धोबी, 26, समीर शहाबुद्दीन धोबी, 30, और विनोद कुमार पडियाजी, 29 के तौर पर हुई है। यह ऑपरेशन मुंबई पुलिस कमिश्नर देवेन भारती के आदेश पर किया गया और आरोपियों को गिरफ्तार कर लिया गया है और हत्या का हथियार भी ज़ब्त कर लिया गया है।
अंतरराष्ट्रीय समाचार
बांग्लादेश: महिला हिंसा में बढ़ोतरी, 9 महीने में 663 रेप केस दर्ज

ढाका, 25 नवंबर: अंतरराष्ट्रीय महिला हिंसा उन्मूलन दिवस पर बांग्लादेश की दर्दनाक हकीकत बयां करती रिपोर्ट सामने आई है। स्थानीय मीडिया ने मंगलवार को एक खौफनाक आंकड़ा पेश किया। बताया कि 2025 के पहले नौ महीनों में ही 663 महिलाओं का रेप हुआ।
हर साल 25 नवंबर को अंतरराष्ट्रीय महिला हिंसा उन्मूलन दिवस मनाया जाता है।
ढाका के ह्यूमन राइट्स सपोर्ट सोसाइटी (एचआरएसएस) ने एक आंकड़ा जारी किया है। इसमें महिला हिंसा की खतरनाक तस्वीर पेश की गई है। बताया गया है कि कैसे कानून-व्यवस्था का गलत इस्तेमाल कर महिला अत्याचार में बढ़ोतरी हो रही है। मोहम्मद यूनुस की अंतरिम सरकार अंतरराष्ट्रीय मानकों के अनुरूप महिला अधिकारों को रोकने में असफल रही है।
ढाका ट्रिब्यून से बात करते हुए सुल्ताना कमाल ने दावा किया कि बताई गई संख्या देश भर में हो रही बड़े पैमाने पर हिंसा का सिर्फ एक हिस्सा है।
उन्होंने कहा, हमें बलात्कार और ज्यादती का पता तभी चल पाता है जब वो मीडिया तक पहुंचती है, ज्यादातर तब जब कोई हत्या होती है या फिर कोई जघन्य अपराध होता है। कई मामले हैं जो सामने आ ही नहीं पाते। अभी जो हम देख पा रहे हैं वो काफी खौफनाक है।
सुल्ताना मानती हैं कि रेप और यौन उत्पीड़न के बढ़ते मामले दर्शाते हैं कि महिला अधिकारों और उनके सम्मान को पूरी तरह से नजरअंदाज किया जा रहा है।
उन्होंने कहा, “एक आजाद मुल्क जहां सबको अपने इतिहास और संस्कृति पर नाज है, वहां मात्र नौ महीनों में 600 से ज्यादा महिलाओं का बलात्कार शर्मनाक है। ये बताता है कि हमारा परिवार, समाज और पूरा देश महिलाओं की कितनी अनदेखी करता है।”
सुल्ताना के अनुसार अपराधी बेखौफ हैं; उन्हें अपराध के बाद दोषी ठहराए जाने का खौफ नहीं है। सजा से बच जाने का भरोसा उन्हें हिम्मत दे रहा है। उन्होंने कहा, “पहले अपराधियों के अंदर खौफ था। उन्हें लगता था कि अगर ऐसे अपराध किए तो सजा तय होगी, लेकिन अब उससे वो आजाद हैं। जब महिलाओं पर अत्याचार करने वालों के खिलाफ ठोस फैसला नहीं लिया जाता तो हिंसा जारी रहती है। ये महिला के सम्मान और उसकी पवित्रता पर सीधा हमला होता है।”
इसके अलावा, बांग्लादेश महिला परिषद की अध्यक्ष फवजिया मोस्लेम ने भी माना कि लड़कियों के खिलाफ हिंसा में बढ़ोतरी बहुत चिंताजनक है।
उन्होंने कहा, “कई महीनों में, लड़कियों पर ज्यादती बढ़ी है। इससे पता चलता है कि हालात कितने बदतर हैं। लॉ एंड ऑर्डर इतनी तेजी से बिगड़ गया है कि महिला विरोधी सोच आम हो गई है।”
महिला नेताओं पर हमलों से लेकर आम आने-जाने वालों पर हमलों तक की घटनाओं को हाईलाइट करते हुए, फवजिया ने यूनुस के नेतृत्व वाली अंतरिम सरकार की कोई एक्शन न लेने के लिए आलोचना की और कहा कि इससे देश में “महिला विरोधी ताकतों और आतंकियों” को हिम्मत मिली है।
उन्होंने कहा, “पिछले 10 महीनों में महिला विरोधी दुष्प्रचार बहुत बढ़ गया है। समाज, शिक्षा और कल्चरल तरीकों को बदलना होगा। नहीं तो, इन अपराधों को रोकना बहुत मुश्किल होगा।”
राष्ट्रीय समाचार
प्रदूषण पर प्रदर्शन बना बवाल, नक्सलवाद-आतंकवाद समर्थन के आरोप में 22 प्रदर्शनकारी गिरफ्तार

CRIME
नई दिल्ली, 25 नवंबर: दिल्ली के इंडिया गेट पर प्रदूषण के मुद्दे को लेकर हुए प्रदर्शन में खूब हंगामा हुआ और अब दिल्ली पुलिस ने इस मामले में सख्त कार्रवाई शुरू कर दी है। पुलिस ने दो अलग-अलग थानों, कर्तव्यपथ और संसद मार्ग, में एफआईआर दर्ज की है और कुल 22 प्रदर्शनकारियों को गिरफ्तार किया गया है।
जानकारी के अनुसार, कर्तव्यपथ थाना ने छह पुरुष प्रदर्शनकारियों को पकड़ा है, जबकि संसद मार्ग थाने वाली एफआईआर में 17 लोगों की गिरफ्तारी हुई है।
कर्तव्यपथ थाने की एफआईआर में बीएनएस (भारतीय न्याय संहिता) की कई धाराएं लगाई गई हैं। इनमें सार्वजनिक शांति भंग करना, सरकारी आदेशों का उल्लंघन करना और कानून-व्यवस्था से जुड़े अन्य अपराध शामिल हैं। वहीं संसद मार्ग थाने में दर्ज एफआईआर में सार्वजनिक व्यवस्था को बिगाड़ने और सरकारी संपत्ति को नुकसान पहुंचाने सहित विभिन्न धाराओं में मामला दर्ज किया गया है।
पुलिस का कहना है कि यह प्रदर्शन सिर्फ प्रदूषण के मुद्दे पर नहीं था, बल्कि नक्सलवाद और आतंकवाद के समर्थन में भी नारेबाजी हो रही थी। जब पुलिस ने प्रदर्शनकारियों को इंडिया गेट के पास सी हेक्सागन इलाके से हटाया तो वे सीधे संसद मार्ग थाने के बाहर जमा हो गए। वहां जाकर उन्होंने थाने का गेट और डीसीपी ऑफिस का रास्ता तक जाम कर दिया, जिसकी वजह से न कोई अंदर जा पा रहा था और न बाहर निकल पा रहा था।
पुलिस का आरोप है कि जब उन्हें हटाने की कोशिश की गई तो कई प्रदर्शनकारी आक्रामक हो गए। उन्होंने पुलिसकर्मियों पर हमला किया और खुद भी जमीन पर लोट-पोट होकर हाथ-पैर पटकने लगे, जिससे उन्हें खुद चोटें आईं। बाद में जब पुलिस ने उन्हें डिटेन किया और पहचान पूछी, तो किसी ने ठीक से जानकारी नहीं दी। उल्टा, वे पुलिस पर ही गलत आरोप लगाने लगे।
गौरतलब है कि सोमवार को पटियाला हाउस कोर्ट में पुलिस ने 6 आरोपियों को पेश किया था, जहां कोर्ट ने पांच आरोपियों को दो दिन की न्यायिक हिरासत में भेज दिया, जबकि एक आरोपी को सेफ हाउस में रखने का आदेश दिया था।
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