राजनीति
हैदराबाद : बोवेनपल्ली में नूपुर शर्मा के समर्थन में निकाली गई रैली
हैदराबाद के बोवेनपल्ली इलाके में निलंबित भाजपा नेता नूपुर शर्मा के समर्थन में कुछ लोगों ने रैली निकाली। जिसके चलते शहर में तनाव का माहौल बन गया। सोमवार देर रात हसमथपेट इलाके में कुछ लोगों ने नूपुर शर्मा के समर्थन में कैंडल मार्च निकाला और नारेबाजी की।
हाथों में तख्तियां लिए प्रतिभागियों ने निलंबित नेता के समर्थन में नारेबाजी की। यह देखते ही दूसरे गुट ने आपत्ति जताई और जवाबी नारेबाजी की। दोनों गुट आपस में भिड़ गए, जिससे तनाव बढ़ गया।
पुलिस के तुरंत मामले को शांत किया। घटना के बाद, पुलिस ने गश्त तेज कर दी है और कानून व्यवस्था को बनाए रखने के लिए
अंतरराष्ट्रीय समाचार
ऑस्ट्रेलिया : रेडिट ने सरकार के अंडर-16 सोशल मीडिया बैन को हाई कोर्ट में चुनौती दी

कैनबरा, 12 दिसंबर: ग्लोबल ऑनलाइन प्लेटफॉर्म रेडिट ने ऑस्ट्रेलिया की उस नई कानूनी नीति के खिलाफ हाई कोर्ट में चुनौती दी है, जिसमें 16 वर्ष से कम उम्र के बच्चों के लिए सोशल मीडिया पर रोक लगाई गई है।
रेडिट का कहना है कि यह प्रतिबंध गलत तरीके से उस पर लागू किया जा रहा है, क्योंकि यह मंच मुख्य रूप से वयस्कों की चर्चा के लिए है और इसमें वे सामान्य सोशल मीडिया फीचर्स नहीं हैं, जिन पर सरकार आपत्ति जता रही है।
कंपनी ने कहा कि वह कानून का पालन करती रहेगी, लेकिन इस नियम की वजह से वयस्कों और बच्चों दोनों पर बहुत दखल देने वाली और संभावित रूप से असुरक्षित वेरिफिकेशन प्रोसेस लागू की जा रही है।
रेडिट ने यह भी कहा कि यह कानून असरदार नहीं है, क्योंकि 16 साल से कम उम्र के बच्चों को ऑनलाइन नुकसान से बचाने का बेहतर तरीका यह है कि वे निगरानी और सुरक्षा वाले फीचर के साथ अकाउंट चलाएं।
कंपनी ने कहा, “सरकार की नीयत अच्छी है, लेकिन यह कानून बच्चों की ऑनलाइन सुरक्षा को सही तरह से मजबूत नहीं कर पा रहा। इसलिए हम इसका पालन तो करेंगे, पर अदालत से इसकी समीक्षा की मांग भी करेंगे।”
मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, इस नए नियम के तहत उन 10 सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म में रेडिट भी शामिल है जो बुधवार को लागू हुए बैन में शामिल हैं। इन प्लेटफॉर्म को अब यह सुनिश्चित करना होगा कि 16 साल से कम उम्र के बच्चे उनके मंच पर अकाउंट न बना सकें और न ही अकाउंट इस्तेमाल कर सकें। जो कंपनियां इस नियम का गंभीर उल्लंघन करेंगी, उन्हें लगभग 49.5 मिलियन ऑस्ट्रेलियाई डॉलर तक का भारी जुर्माना देना पड़ सकता है।
यह दुनिया का पहला ऐसा कानून है, जिसमें 16 वर्ष से कम उम्र के बच्चों के सोशल मीडिया इस्तेमाल पर राष्ट्रीय स्तर पर रोक लगाई गई है। इसमें फेसबुक, यूट्यूब, टिकटॉक और एक्स जैसे बड़े मंच भी शामिल हैं।
प्रधानमंत्री एंथनी अल्बनीज ने छात्रों से एक वीडियो मैसेज में कहा कि यह बदलाव इसलिए किया गया है ताकि बच्चों को सोशल मीडिया के लगातार चलते रहने वाले दबाव और एल्गोरिदम के असर से राहत मिल सके। उन्होंने बच्चों को सलाह दी कि आने वाली छुट्टियों में मोबाइल पर वक्त गंवाने के बजाय कोई खेल शुरू करें, कोई नया इंस्ट्रूमेंट सीखें या कोई किताब पढ़ें।
उन्होंने कहा, “सबसे जरूरी है कि आप अपने दोस्तों और परिवार के साथ आमने-सामने समय बिताएं।”
अंतरराष्ट्रीय समाचार
बांग्लादेश : अवामी लीग ने चुनाव कार्यक्रम को किया खारिज, यूनुस सरकार पर लगाया पक्षपात का आरोप

ढाका, 12 दिसंबर: बांग्लादेश की अवामी लीग पार्टी ने देश के चुनाव आयोग द्वारा घोषित चुनाव कार्यक्रम को अस्वीकार कर दिया है। पार्टी का कहना है कि मुहम्मद यूनुस की अगुवाई वाली अंतरिम सरकार के दौरान स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनाव कराना संभव नहीं है।
चुनाव आयोग ने गुरुवार शाम घोषणा की थी कि देश का 13वां राष्ट्रीय संसदीय चुनाव और जुलाई चार्टर रेफरेंडम अगले वर्ष 12 फरवरी को होंगे।
अवामी लीग ने एक बयान जारी कर कहा कि उसने “ग़ैरकानूनी और पक्षपाती यूनुस गुट के अवैध चुनाव आयोग” द्वारा जारी कार्यक्रम को ध्यान से देखा है। पार्टी का आरोप है कि वर्तमान अंतरिम शासन पूरी तरह पक्षपाती है और उनके नियंत्रण में पारदर्शी और निष्पक्ष माहौल में चुनाव होना संभव नहीं।
पार्टी ने कहा कि बांग्लादेश की आज़ादी की लड़ाई का नेतृत्व करने वाली अवामी लीग, अन्य राजनीतिक दलों और जनता के बड़े हिस्से को चुनाव प्रक्रिया से अलग करके मतदान कराना देश को गंभीर संकट की ओर धकेलने जैसा है।
मौजूदा संकट को बढ़ने से रोकने के लिए, अवामी लीग ने मांग की कि पार्टी पर लगाई गई सभी पाबंदियां हटा दी जाएं, देश की पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना, पॉलिटिकल नेताओं और हर तरह के लोगों के खिलाफ सभी “मनगढ़ंत केस” वापस ले लिए जाएं, और सभी पॉलिटिकल कैदियों को बिना शर्त रिहा किया जाए।
पार्टी ने यह भी कहा कि मौजूदा “धोखेबाज और कब्जा करने वाली सरकार” की जगह एक निष्पक्ष कार्यवाहक सरकार बनाई जाए, ताकि स्वतंत्र और सबको शामिल करने वाला चुनाव हो सके।
बयान में पार्टी ने कहा कि चुनाव जनता की लोकप्रियता का आकलन होते हैं। अवामी लीग एक चुनाव-आधारित पार्टी है और उसके पास जनता के सामने खड़े होने की क्षमता और साहस है। पार्टी ने अब तक 13 में से 9 चुनाव जीते हैं। इसलिए वह ऐसे चुनाव कार्यक्रम को स्वीकार नहीं करती जिसमें जनता के बहुमत के प्रतिनिधियों को ही बाहर कर दिया गया हो।
राजनीति
ममता बनर्जी को भाजपा सांसद का जवाब- ‘उन्हें चुनाव में हार का डर, इसलिए फर्जी वोटरों को हटाने का विरोध’

दिल्ली, 12 दिसंबर: भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के सांसद जगन्नाथ सरकार ने शुक्रवार को पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के बयान पर पलटवार किया। उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के आरोप कम्युनिस्ट विचारधारा से प्रभावित हैं।
मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने पिछले दिन आरोप लगाया कि भाजपा के नेता इतिहास और स्वतंत्रता सेनानियों के प्रति असम्मानजनक भाषा का इस्तेमाल करते हैं। इस पर जवाब देते हुए भाजपा सांसद जगन्नाथ सरकार ने कहा, “भाजपा में नेताजी सुभाष चंद्र बोस का बहुत सम्मान है, इसीलिए उनका स्टैच्यू लगाया गया। नेताजी सुभाष चंद्र बोस, बंकिमचंद्र चट्टोपाध्याय, मास्टर दा सूर्य सेन और खुदीराम बोस के खिलाफ बोलने वाले कम्युनिस्ट थे।”
मीडिया से बातचीत में सांसद जगन्नाथ सरकार ने कहा, “हार के डर से ममता बनर्जी का दिमाग सही नहीं है। इसलिए वह बेबुनियाद आरोप लगा रही हैं। उन्हें जो आरोप कम्युनिस्टों पर लगाना चाहिए था, वह भाजपा पर लगा रही हैं।”
जगन्नाथ सरकार ने कहा, “रोहिंग्या और बांग्लादेशी मुस्लिम वोटरों के नाम बीएलओ पर दबाव डालकर गलत तरीके से जुड़वाए गए। उन्हें हटाना पूरी तरह से सही है। मतदाता सूची सौ प्रतिशत साफ और शुद्ध होनी चाहिए, जिसके लिए सभी राजनीतिक दलों को भी अपना सहयोग देना चाहिए।”
भाजपा सांसद ने आरोप लगाया कि ममता बनर्जी को इस बार चुनाव में हार का डर है, इसलिए वह इन गैरकानूनी बांग्लादेशी और रोहिंग्या वोटरों को हटाने का विरोध कर रही हैं।
उन्होंने भाजपा नेता सुवेंदु अधिकारी के उस बयान का समर्थन किया, जिसमें उन्होंने कहा कि पश्चिम बंगाल में डिटेंशन सेंटर की जरूरत नहीं है। बांग्लादेशी जिस रास्ते आए, उसी रास्ते वापस भेजेंगे।
जगन्नाथ सरकार ने कहा, “सुवेंदु अधिकारी ने बिल्कुल सही बोला है। बांग्लादेश बॉर्डर इलाकों पर, खासकर अब कड़ी नजर रखी जा रही है। इसलिए, डिटेंशन सेंटर की कोई जरूरत नहीं है। एसआईआर की प्रक्रिया के बाद सजा के डर से सभी बांग्लादेशी और रोहिंग्या भाग जाएंगे। इससे डिटेंशन सेंटर की जरूरत नहीं है। सुवेंदु अधिकारी ने जो कहा वह बिल्कुल सही था।”
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