अपराध
मुंबई से सटे ठाणे के मुर्दाघर में पोस्टमाटर्म करने वाली मेज पर छलकाए जा रहे थे जाम! स्टिंग ऑपरेशन में खुलासा

महाराष्ट्र के ठाणे में एक नागरिक अस्पताल के मुर्दाघर के अंदर कुछ लोगों को पोस्टमाटर्म करने वाली एक मेज पर जन्मदिन की पार्टी करते हुए देखा गया है।
पुलिस ने बताया कि एक स्टिंग ऑपरेशन में व्यक्तियों के एक समूह को मुर्दाघर के अंदर शव परीक्षण कक्ष (पोस्टमार्टम रूम) में उस मेज पर पार्टी करते हुए पकड़ा गया है, जिस पर मृत लोगों के शरीर की चीर-फाड़ यानी पोस्टमार्टम किया जाता है।
भायंदर थाने के वरिष्ठ पुलिस निरीक्षक एम. बी. पाटिल ने बताया कि शुक्रवार की रात करीब 1.30 बजे मुर्दाघर से सटे पोस्टमार्टम कक्ष में धूमधाम से जश्न मनाया गया, जहां उस समय कई शव भी रखे हुए थे।
पाटिल ने आईएएनएस से कहा, “एक पत्रकार की शिकायत के आधार पर हमने प्राथमिकी दर्ज कर ली है और आगे की जांच की जा रही है। अब तक किसी की गिरफ्तारी नहीं हुई है।”
पत्रकार अनिल नौटियाल के अनुसार 18 मार्च की तड़के उन्हें यहां भारत रत्न पंडित भीमसेन जोशी (तेंभा) अस्पताल के शव परीक्षण कक्ष के अंदर खुलेआम शराब पार्टी किए जाने की सूचना मिली थी। यह अस्पताल मीरा भयंदर नगर निगम (एमबीएमसी) द्वारा संचालित है।
नौटियाल ने कहा, “मैं 10 मिनट में वहां पहुंचा और मैंने लगभग 8-9 लोगों को एक शानदार तरीके से मनाई जा रही पार्टी करते हुए देखा। जब मैंने कहा कि ये क्या हो रहा है, तो सुशांत नामक एक व्यक्ति ने दावा किया कि दरअसल उसका जन्मदिन है, इसलिए पार्टी की जा रही है।”
जैसे ही नौटियाल ने इसे फिल्माना शुरू किया और तस्वीरें लेना शुरू किया तो वे लोग उग्र और क्रोधित हो गए और उन्हें नीचे गिराने की कोशिश की और उनके साथ मारपीट की, लेकिन वह किसी तरह उनके चंगुल से छूटने में सफल रहे और मौके से भाग गए।
जब नौटियाल बाहर खड़ी अपनी गाड़ी के पास पहुंचे, तो एक आरोपी ने उनकी कार की चाबियां छीन लीं और उनका पीछा करना जारी रखा।
पत्रकार ने कहा, “मैंने अपनी कार वहीं छोड़ दी और कुछ मिनट बाद सुरक्षित रूप से घर भाग गया और फिर पुलिस को फोन किया। उन्होंने जांच का वादा किया और मुझे शिकायत दर्ज कराने के लिए भी कहा।”
जब तक पुलिस मुर्दाघर के परिसर में पहुंची, तब तक वे लोग वहां से भाग चुके थे। वे वहां से रात के अंधेरे में भाग निकले।
नौटियाल ने दावा किया कि तेंभा अस्पताल कई महीनों से उनके रडार पर था, क्योंकि उन्हें कथित तौर पर वहां चल रही कुछ अप्रिय गतिविधियों की सूचना मिल रही थी, जिसमें नग्न शरीर के साथ सेल्फी क्लिक करना या उनके साथ छेड़छाड़ करना शामिल था।
पार्टी में मौज-मस्ती करने वालों में कुछ आधिकारिक कर्मचारी, एम्बुलेंस चालक या सहायक बताए जा रहे हैं, लेकिन यह स्पष्ट नहीं है कि क्या उन्हें मुर्दाघर परिसर में प्रवेश करने के लिए अधिकृत किया गया था या नहीं, क्योंकि आमतौर पर इस परिसर में कुछ चुनिंदा लोगों को ही जाने की इजाजत होती है।
पाटिल ने कहा कि कम से कम छह आरोपियों के खिलाफ भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) और कड़े महाराष्ट्र मीडियाकर्मी और मीडिया संस्थान (हिंसा और क्षति या संपत्ति के नुकसान) अधिनियम की धाराओं के तहत मामला दर्ज किया गया है।
उन्होंने कहा कि सभी आरोपी अभी भी आसपास ही हैं और कोई भी पुलिस को चकमा देकर फरार नहीं हो पाएगा। उन्होंने दावा किया कि शुरुआती जांच पूरी होने के बाद कई गिरफ्तारियां हो सकती हैं।
इस मामले को लेकर कड़ी कार्रवाई सुनिश्चित कराने के लिए नौटियाल ने एमबीएमसी प्रशासक और अन्य शीर्ष नागरिक अधिकारियों से मिलने की योजना बनाई है, जो कि मुर्दाघर में कथित तौर पर चल रही भयावह गतिविधियों की श्रृंखला की पूरी जांच करने और दोषियों को पकड़ने की मांग कर रहे हैं।
अपराध
महाराष्ट्र : सपा नेता फहद आजमी पर मारपीट का आरोप, पुलिस ने मामला दर्ज कर जांच शुरू की

FIR
महाराष्ट्र, 15 अक्टूबर: मुंबई के गोवंडी इलाके में बैगनवाड़ी डंपिंग ग्राउंड पर बने एक ओपन जिम के उद्घाटन समारोह में उस समय तनाव पैदा हो गया, जब समाजवादी पार्टी (सपा) के नेता फहद आजमी पर कुछ लोगों ने हमला कर दिया। उस वक्त पार्टी विधायक तथा महाराष्ट्र अध्यक्ष अबू आसिम आजमी भी मौके पर मौजूद थे।
मामला तब शुरू हुआ जब अब्दुल करीम बादशाह खान नामक एक युवक विधायक अबू आजमी के साथ फोटो खिंचवाने गया था। उसी समय वहां पर मौजूद करीम ने आरोप लगाया कि सपा नेता फहद आजमी और उनके साथियों ने उसे धक्का दिया और हमला कर भी किया, जिससे उसे गंभीर चोटें आईं। फिर देखते ही देखते यह घटना दो समूहों के बीच हिंसक झड़प में बदल गई।
इस मामले में मुंबई की शिवाजीनगर पुलिस ने दो अलग-अलग एफआईआर दर्ज की हैं और जांच शुरू कर दी है।
पहली एफआईआर करीम की शिकायत पर दर्ज की गई है, जिसमें समाजवादी पार्टी के नेता फहद आजमी और दो अज्ञात लोगों पर मारपीट करने और जान से मारने की धमकी देने का मामला दर्ज किया गया है।
करीम ने तहरीर में बताया कि 13 अक्टूबर की शाम जब वह अबू आजमी के साथ फोटो खिंचवाने आगे बढ़ा, तो फहद आजमी ने उसे धक्का दिया और कान पर थप्पड़ जड़ा था। इसके बाद फहद के साथ मौजूद दो अज्ञात व्यक्तियों ने भी उसकी पिटाई कर दी।
वहीं, दूसरी एफआईआर सपा कार्यकर्ता की शिकायत पर दर्ज कराई गई है, जिसमें करीम और उसके तीन साथियों पर मारपीट और डकैती का आरोप लगाया गया है। शेख ने बताया कि उद्घाटन समारोह के बाद, बुर्का पहने एक महिला ने विधायक को इलाके में हो रही बदमाशी की शिकायत की थी।
पुलिस ने दोनों मामलों में एफआईआर दर्ज कर जांच शुरू कर दी है। यह घटना विधायक की पुलिस सुरक्षा में चूक को लेकर भी गंभीर चिंताएं पैदा करती है, क्योंकि हिंसा उनके काफिले के ठीक बीच में भड़की थी।
अपराध
मुंबई : 48 साल से फरार हत्या के प्रयास का आरोपी गिरफ्तार, 1977 में दर्ज हुआ था मामला

मुंबई, 15 अक्टूबर: मुंबई पुलिस ने हत्या के प्रयास के एक ऐसे आरोपी को गिरफ्तार किया है, जो पिछले 48 सालों से फरार था। कोलाबा पुलिस ने 71 वर्षीय चंद्रशेखर मधुकर कालेकर को लालबाग से गिरफ्तार किया है, जिसके खिलाफ 1977 में मामला दर्ज किया गया था।
पुलिस के अनुसार, 1977 में, जब वह 23 वर्ष का था, कालेकर को अपनी प्रेमिका पर धोखा देने का शक हुआ और उसने कथित तौर पर कोलाबा में उसे चाकू मार दिया। उस समय उसे गिरफ्तार किया गया, लेकिन बाद में कोर्ट से जमानत मिल गई।
हालांकि, जमानत पर रिहा होने के बाद वह किसी भी अदालती तारीख पर हाजिर नहीं हुआ। इसके चलते अदालत ने उसे भगोड़ा घोषित कर दिया था और पुलिस कई सालों से उसकी तलाश कर रही थी, लेकिन चॉल के पुनर्विकास के कारण वह कई बार ठिकाना बदल चुका था, जिससे पुलिस को कोई सफलता नहीं मिली।
छह महीने पहले कोलाबा पुलिस ने इस पुराने मामले को फिर से खोला। टीम ने लालबाग स्थित उसके पुराने घर का दौरा किया, लेकिन वहां कोई नहीं मिला। पुलिस ने मुंबई के कई इलाकों में उसकी खोज की, मतदाता सूची की जांच की, लेकिन उसका नाम कहीं नहीं मिला।
जांच के दौरान, पुलिस ने आरटीओ और अदालती मामलों की जानकारी के लिए आवेदनों की जांच की, जिसमें रत्नागिरी जिले के दापोली पुलिस स्टेशन में उसके खिलाफ दर्ज 2015 के एक आपराधिक मामले का रिकॉर्ड मिला, जिसमें गाड़ी चलाते समय एक व्यक्ति को घायल करने के आरोप में उसकी गिरफ्तारी हुई थी।
दापोली पुलिस स्टेशन से मिली जानकारी के आधार पर, कोलाबा पुलिस की एक टीम उसके घर पहुंची और उसे गिरफ्तार कर लिया। 48 साल बाद पुलिस को अपने दरवाजे पर देखकर 71 वर्षीय कालेकर हैरान रह गया और लगभग उस मामले को भूल चुका था।
पुलिस अधिकारी के अनुसार, पुरानी तस्वीरों से उसे पहचानना मुश्किल था, लेकिन पूछताछ करने पर उसने अपराध स्वीकार कर लिया। आरोपी को कोर्ट में पेश किया गया, जहां से उसे न्यायिक हिरासत में भेज दिया गया है।
अपराध
सिंडिकेट बैंक धोखाधड़ी मामला: सुप्रीम कोर्ट के निर्देश पर ईडी ने घर खरीदारों को लौटाई संपत्ति

नई दिल्ली, 14 अक्टूबर: प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने सिंडिकेट बैंक (अब केनरा बैंक) धोखाधड़ी मामले में जब्त की गई ‘रॉयल राजविलास’ परियोजना की संपत्तियों को लौटाने की प्रक्रिया शुरू कर दी है। यह कदम सुप्रीम कोर्ट के 10 अक्टूबर को दिए गए आदेश के बाद उठाया गया है।
यह मामला 2011 से 2016 के बीच सिंडिकेट बैंक से मुख्य आरोपी भरत बंब और अन्य द्वारा की गई 1267.79 करोड़ रुपए की बड़ी धोखाधड़ी से संबंधित है। सीबीआई ने इस संबंध में प्राथमिकी और आरोपपत्र दायर किए थे। ईडी ने इस धोखाधड़ी की आय को ‘रॉयल राजविलास’ परियोजना के अधिग्रहण और विकास में लगाने के आरोप में मनी लॉन्ड्रिंग निवारण अधिनियम 2002 के तहत जांच शुरू की थी।
जांच के दौरान, ईडी ने 2 अप्रैल 2019 को एक अनंतिम कुर्की आदेश जारी किया था, जिसके तहत 365 बिना बिके फ्लैट, 17 वाणिज्यिक इकाइयां और 2 प्लॉट कुर्क किए गए थे। इस कुर्की की पुष्टि एडजुडिकेटिंग अथॉरिटी ने भी की थी।
इसके बाद, याचिकाकर्ता कंपनी को कॉर्पोरेट देनदार के रूप में दिवाला और दिवालियापन संहिता 2016 के तहत कॉर्पोरेट दिवाला समाधान प्रक्रिया (सीआईआरपी) में लाया गया। सीआईआरपी के तहत, मुंबई स्थित एनसीएलटी ने 24 फरवरी 2022 को न केवल समाधान योजना को मंजूरी दी, बल्कि ईडी के कुर्की आदेश को भी रद्द कर दिया।
ईडी ने एनसीएटी के इस आदेश को यह कहते हुए राजस्थान उच्च न्यायालय, जयपुर में चुनौती दी कि एनसीएलटी के पास पीएमएलए के तहत पारित कुर्की आदेश को रद्द करने का अधिकार क्षेत्र नहीं है। यह कानूनी लड़ाई उच्च न्यायालय की एकल पीठ और खंडपीठ दोनों में चली। उच्च न्यायालय की खंडपीठ ने 28 मार्च 2025 को अपने निर्णय में एकल पीठ के आदेश को रद्द कर दिया।
इसके बाद मामला मेसर्स उदयपुर वर्ल्ड एंटरटेनमेंट प्राइवेट लिमिटेड की ओर से दायर एक एसएलपी के माध्यम से सुप्रीम कोर्ट तक पहुंचा। सुप्रीम कोर्ट ने घर खरीदारों के हितों को सर्वोपरि मानते हुए ईडी को निर्दोष घर खरीदारों को संपत्ति वापस करने का निर्देश दिया।
सुप्रीम कोर्ट ने 10 अक्टूबर के अपने आदेश में निदेशालय के इस प्रयास की सराहना करते हुए निपटारा कर दिया। हालांकि, ईडी ने यह स्पष्ट किया है कि पीएमएलए के तहत सिंडिकेट बैंक धोखाधड़ी मामले में उसकी जांच अभी भी जारी है और यदि किसी घर खरीदार द्वारा किए गए भुगतान की राशि भविष्य की जांच में अपराध की आय से जुड़ी पाई जाती है, तो निदेशालय कानून के अनुसार उचित कदम उठाने का हकदार होगा।
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