राजनीति
उमा भारती की पत्थरबाजी पर घिरी भाजपा, हमलावर हुई कांग्रेस
मध्य प्रदेश में शराबबंदी के लिए अभियान का रास्ता पकड़ चुकी पूर्व मुख्यमंत्री उमा भारती के तेवर अचानक तल्ख हो गए है। उन्होंने एक शराब दुकान पर पत्थर फेंककर तोड-फोड़ कर अपना विरोध क्या जताया कांग्रेस ने भाजपा को घेरने में केाई कसर नहीं छोड़ी है।
पूर्व मुख्यमंत्री उमा भारती रविवार को राजधानी के बरखेड़ा पठानी के आजाद नगर पर आम लोगों और महिलाओं के साथ शराब दुकान पर जा पहुंची और वहां पत्थर से शराब की बोतलों को फोड़ दिया।
राजधानी में शराब दुकान पर पत्थर चलाने केा जायज ठहराते हुए उमा भारती ने कई ट्वीट भी किए थे, जिसमें उन्होंने साफ किया था कि जहां शराब दुकान है वह मजदूरों की बस्ती है, उसके पास स्कूल व मंदिर है तो शराबियों की हरकतों से महिलाओं केा परेशान होना पड़ता है।
अब कांग्रेस ने उमा भारती की इस पत्थरबाजी को लेकर कांग्रेस ने भाजपा और सरकार को घेरा है। कांग्रेस के वरिष्ठ नेता के के मिश्रा ने कहा, “मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा था, पत्थरबाजी करने वाले पत्थरबाज, समाज के दुश्मन हैं, यह साधारण अपराध नहीं है। इससे निपटने के लिए सरकार सख्त कानून बनाएगी! ह्यशायद यह एक वर्ग विशेष को डराने के लिए था,भगवा को छूट? कहां है कानून? मात्र एक पत्थर से डर गई सरकार,अभी तक एफआईआर भी नहीं?”
इसी तरह कांग्रेस प्रदेशाध्यक्ष के मीडिया समन्वयक नरेंद्र सलूजा ने कहा, शिवराज सरकार ने पत्थरबाजों के खिलाफ नवंबर-21 में कानून बनाने की घोषणा की थी, इसके तहत पत्थरबाज ने यदि किसी की दुकान तोड़ी तो उसी से वसूली की जाएगी। शायद उमा ,इस कानून में आने वाली पहली प्रदेश की नागरिक होगी। देखना होगा कानून का पालन कब होगा, क्या कार्यवाही होगी?”
वहीं दूसरी ओर कांग्रेस के हमलों के बीच भाजपा का कोई भी नेता आधिकारिक तौर पर बयान देने को तैयार नहीं है। हां इस बयान से पार्टी अपने को अलग करने की कोशिश में जरुर लग गई है।
ज्ञात हो कि उमा भारती लगातार राज्य में शराब बंदी के लिए अभियान चलाने का ऐलान करती आ रही है, पिछले दिनों उन्होंने एक दुकान के सामने विरोध जताया था और रविवार को तो पत्थर ही चला दिए। इससे पहले उमा भारती से मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान मुलाकात कर अभियान की बात कह चुके है।
चुनाव
महाराष्ट्र चुनाव 2024: मुंबई के जोगेश्वरी में यूबीटी और शिंदे सेना कार्यकर्ताओं के बीच झड़प
मुंबई: महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव के लिए तेज़ प्रचार अभियान के बीच मुंबई के जोगेश्वरी ईस्ट में शिवसेना के दो गुटों के कार्यकर्ताओं में झड़प हो गई। बताया जा रहा है कि जोगेश्वर-विक्रोली लिंक रोड के पास शिवसेना (एकनाथ शिंदे) और शिवसेना (यूबीटी) कार्यकर्ताओं के बीच तीखी बहस के बाद हंगामा शुरू हुआ। पुलिस ने मौके पर पहुंचकर स्थिति को काबू में किया।
जोगेश्वरी पूर्व विधानसभा क्षेत्र में सेना बनाम सेना का कड़ा मुकाबला देखने को मिल रहा है। शिवसेना (एकनाथ शिंदे) ने मौजूदा विधायक और सांसद रविंद्र वाईकर की पत्नी मनीषा वाईकर को शिवसेना यूबीटी के पूर्व पार्षद अनंत (बाला) नर के खिलाफ मैदान में उतारा है।
बताया जा रहा है कि शिवसेना कार्यकर्ताओं ने आरोप लगाया कि शिवसेना यूबीटी के कार्यकर्ता शिवसेना की महिला कार्यकर्ताओं का वीडियो बना रहे थे। जब महिलाओं ने शिवसेना यूबीटी कार्यकर्ताओं को वीडियो बनाने से रोका तो उन्होंने बदसलूकी की। बहस इतनी बढ़ गई कि दोनों पार्टियों के कार्यकर्ता आपस में भिड़ गए। हालांकि, मुंबई पुलिस ने इस घटना पर कोई टिप्पणी नहीं की है और हंगामे के पीछे की वजह की पुष्टि नहीं हुई है।
घटना का जो वीडियो सामने आया है, उसमें देखा जा सकता है कि मुंबई पुलिस तुरंत मौके पर पहुंची और भीड़ को नियंत्रित करने की कोशिश की। पुलिस ने स्थिति को नियंत्रण में कर लिया।
चुनाव में एक सप्ताह शेष
महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव में एक सप्ताह शेष रह गया है, राज्य भर में हाई-वोल्टेज चुनाव प्रचार अभियान चल रहा है। मंगलवार शाम को भाजपा नेता अमित शाह ने मुंबई में घाटकोपर और जोगेश्वरी में दो मेगा रैलियां कीं। भारी संख्या में लोगों की मौजूदगी में गृह मंत्री ने लोगों से महाराष्ट्र के विकास को गति देने के लिए महायुति के पक्ष में मतदान करने का आग्रह किया।
महाराष्ट्र की 288 विधानसभा सीटों के लिए बुधवार 20 नवंबर को एक चरण में मतदान होगा। नतीजे 23 नवंबर को घोषित किए जाएंगे।
चुनाव
महाराष्ट्र चुनाव 2024: उद्धव ठाकरे ने कहा, ‘राज्य विधानसभा में संविधान नहीं बदला जा सकता’
शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे ने केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह पर तीखा हमला किया, जो महाराष्ट्र के धाराशिव जिले में चुनाव प्रचार के लिए आए हैं।
शाह की इस टिप्पणी पर कड़ी प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए कि उद्धव कांग्रेस के साथ बैठे हैं, जिसने जम्मू-कश्मीर में अनुच्छेद 370 को निरस्त करने का विरोध किया था, यूबीटी नेता ने कहा, “मुझे उनके साथ बैठना पड़ा क्योंकि आपने मुझे धोखा दिया। मैं पूछूंगा कि अनुच्छेद 370 और महाराष्ट्र चुनाव का क्या संबंध है? क्या यह महाराष्ट्र में सोयाबीन और कपास की फसलों को एमएसपी देगा? क्या यह महाराष्ट्र से गुजरात जाने वाले उद्योगों को रोक देगा?”
उद्धव अपने उम्मीदवार प्रवीण स्वामी के समर्थन में धाराशिव में थे, जहां उन्हें सुनने के लिए हजारों लोग मौजूद थे। धाराशिव से सांसद ओमराजे निंबालकर भी वहां मौजूद थे।
अयोध्या राम मंदिर न जाने के पीएम मोदी के आरोप पर प्रतिक्रिया देते हुए उन्होंने कहा, “मोदीजी अपनी रैलियों में मुझसे लगातार पूछ रहे हैं कि ‘उद्धव ठाकरे अभी तक अयोध्या राम मंदिर क्यों नहीं गए?’ मैं लीक वाले मंदिरों में नहीं जाता। बारिश के मौसम में यह लीक होता है। मैं दो बार अयोध्या गया हूं। एक बार कांग्रेस विधायकों के साथ जब मैं सीएम था।”
उद्धव ने केंद्रीय अल्पसंख्यक आयोग में दलितों और बौद्धों को शामिल न करने के लिए भी मोदी और शाह पर निशाना साधा। उन्होंने कहा, “आप हमेशा संविधान और बाबा साहब की बात करते हैं, लेकिन अल्पसंख्यक आयोग में दलित और बौद्ध समुदाय से एक भी सदस्य क्यों नहीं है? आपको बाबा साहब अंबेडकर का नाम लेने का कोई अधिकार नहीं है।”
प्रधानमंत्री पर कटाक्ष करते हुए उद्धव ने कहा, “मोदी आरोप लगा रहे हैं कि एमवीए संविधान को बदल देगा। मैं आपको बताना चाहता हूं कि राज्य विधानसभा में संविधान नहीं बदला जा सकता। कल मोदी स्थानीय नगरपालिका और जिला परिषद चुनावों के दौरान भी यही बयान देंगे,” उद्धव ने कहा।
उद्धव ने एमवीए शासन के दौरान अपने प्रभावशाली काम को याद करते हुए कहा, “हमने कोविड-19 के दौरान लोगों की जान बचाई, जब गुजरात में गंगा नदी में लाशें बह रही थीं और खुले मैदान में जलाई जा रही थीं।
घोषणापत्र पर बोलते हुए पूर्व सीएम ने कहा, “हम महिलाओं को 3,000 रुपये देंगे और उनकी सुरक्षा सुनिश्चित करेंगे और सभी को मुफ्त शिक्षा देंगे।”
राष्ट्रीय समाचार
सुप्रीम कोर्ट ने ‘बुलडोजर न्याय’ को झटका दिया, अब 15 दिन का नोटिस जरूरी
भारत के सर्वोच्च न्यायालय ने बुधवार (13 नवंबर) को सरकारी अधिकारियों द्वारा दोषी अपराधियों या यहां तक कि आरोपियों के घरों को ध्वस्त करने के लिए अक्सर की जाने वाली मनमानी बुलडोजर कार्रवाई की कड़ी आलोचना की। शीर्ष अदालत ने अब कहा है कि अगर किसी भी कारण से संपत्ति को ध्वस्त किया जाना है तो संपत्ति के मालिक को 15 दिन का नोटिस देना होगा। नोटिस पंजीकृत डाक से भेजना होगा और संरचना के बाहरी हिस्से पर भी चिपकाया जाएगा।
सुप्रीम कोर्ट ने आगे कहा कि ध्वस्तीकरण नोटिस में अधिकारी द्वारा अनाधिकृत माने गए भवन के हिस्से के बारे में विवरण होना चाहिए और यह भी कि उसे ध्वस्त करने के क्या आधार हैं। ध्वस्तीकरण की प्रक्रिया की वीडियोग्राफी करनी होगी।
सर्वोच्च न्यायालय ने कहा है कि दिशानिर्देशों का उल्लंघन करने पर न्यायालय की अवमानना की कार्रवाई की जाएगी।
यह निर्णय सर्वोच्च न्यायालय के न्यायमूर्ति बी.आर. गवई और न्यायमूर्ति के.वी. विश्वनाथन की पीठ ने सुनाया।
अतिरिक्त-कानूनी सज़ा
सर्वोच्च न्यायालय इस मामले की सुनवाई कर रहा था, क्योंकि विभिन्न याचिकाएं दायर कर शीर्ष अदालत से इस प्रथा पर गौर करने का अनुरोध किया गया था, जिसके बारे में याचिकाकर्ताओं ने कहा था कि यह कानून से बाहर की सजा के समान है।
याचिकाओं में कहा गया है कि सरकारी अधिकारियों द्वारा की गई अवैध तोड़फोड़ एक खतरनाक मिसाल कायम कर रही है क्योंकि ऐसी कई कार्रवाइयां संपत्ति के मालिक के खिलाफ अपराध के संदेह के आधार पर की जाती हैं। याचिकाओं में यह भी कहा गया है कि ऐसी कार्रवाइयां एक आम बात बन गई हैं और खतरनाक मिसाल कायम कर रही हैं।
कई राज्यों, विशेषकर उत्तर प्रदेश के अधिकारियों की आलोचना हुई है कि ध्वस्तीकरण अभियान लक्षित तरीके से चलाया गया तथा सभी ढांचों में अवैध निर्माण नहीं था।
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