राष्ट्रीय
आगामी वित्त वर्ष में केंद्र को वित्तीय घाटा कम होने की उम्मीद
केंद्र सरकार को उम्मीद है कि प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष कर संग्रह में अप्रत्याशित बढ़ोतरी होने से वित्त वर्ष 2022-23 में वित्तीय घाटे के लक्ष्य को कम किया जा सकता है।
इसी तरह, उद्योग जगत से जुड़े लोगों ने भी अनुमान लगाया है कि वित्त वर्ष 2023 में वित्तीय घाटे का लक्ष्य 5.8-6.4 प्रतिशत तक निर्धारित किया जा सकता है। वित्त वर्ष 2022 में वित्तीय घाटा 15.06 लाख करोड़ रुपये का रहा है।
एम्के ग्लोबल की मुख्य अर्थशास्त्री माधवी अरोड़ा ने कहा,” इस वर्ष बजट में वित्तीय मजबूती की गति पर विशेष ध्यान दिया जायेगा। अधिक व्यय को संतुलित करने वाले कारक अगले वर्ष विनिवेश लक्ष्य बन सकते हैं। यहां तक कि बीपीसीएल और संभवत: एलआईसी का आईपीओ भी आगामी वित्त वर्ष लाया जा सकता है। ”
उनके मुताबिक उत्तर प्रदेश, पंजाब और गुजरात जैसे प्रमुख राज्यों के विधानसभा चुनाव के मद्देनजर राजस्व व्यय पर संभवत: अगले वित्त वर्ष भी दबाव बना रहेगा तथा उपभोग की गति भी कम होने के प्रारंभिक संकेत दिखेंगे, खासकर ग्रामीण इलाकों में।
महालेखा नियंत्रक, सीजीए द्वारा हाल ही में जारी आंकड़ों के मुताबिक राजस्व और व्यय का अंतर यानी वित्तीय घाटा अप्रैल -नवंबर 2021-22 की अवधि में बजट अनुमान का 46.2 प्रतिशत या 695,614 करोड़ रुपये रहा।
इक्रा की मुख्य अर्थशास्त्री अदिति नायर ने कहा,” भारत सरकार का वित्तीय घाटा वित्त वर्ष 2022 के 16.6 ट्रिलियन रुपये या सकल घरेलू उत्पाद के 7.1 प्रतिशत से कम होकर सकल घरेलू उत्पाद के 5.6 प्रतिशत या 15.2 ट्रिलियन रुपये होने की उम्मीद है।”
उन्होंने कहा,” हमारा अनुमान है कि वित्त वर्ष 2023 में भारत सरकार द्वारा 27 ट्रिलियन रुपये का कर संग्रह होगा, जो वित्त वर्ष 2022 के हमारे अनुमानित स्तर की तुलना में वार्षिक आधार पर 9.3 प्रतिशत अधिक है।”
अप्रैल – नवंबर 2021-22 की अवधि में कुल कर संग्रह में 50.3 प्रतिशत की तेजी दर्ज की गयी।
इंडिया रेटिंग एंड रिसर्च के प्रमुख अर्थशास्त्री सुनील कुमार सिन्हा ने कहा,” हमारा अनुमान है कि इस वित्त वर्ष अधिक कर और गैर कर राजस्व संग्रह विनिवेश से प्राप्त राजस्व में आयी कमी से अधिक होगा, जिससे वित्तीय घाटा वित्त वर्ष 2022 के सकल घरेलू उत्पाद का 6.6 प्रतिशत रह सकता है, जो बजट में अनुमानित से 20 आधार अंक कम है।”
इसके अलावा भी अन्य कारक वित्त वर्ष 2023 में वित्तीय मजबूती के सहायक साबित हो रहे हैं और जिससे यह संभावना है कि एलआईसी का आईपीओ अगले वित्त वर्ष पूरा होगा, जिससे विनिवेश से प्राप्त राजस्व में बढ़ोतरी होगी।
एक्यूट रेटिंग्स एंड रिसर्च की मुख्य विश्लेषण अधिकारी सुमन चौधरी ने कहा,” हमारा मानना है कि वित्त वर्ष 2023 में मुख्य फोकस विकास को गति देने पर होगा और इसमें अधिक राजस्व तथा पूंजी व्यय का खाका भी शामिल होगा। इसी कारण हम अगले साल बजट में अनुमानित वित्तीय घाटे में कोई बड़ी कमी नहीं देख रहे हैं।”
उन्होंने कहा कि वित्तीय घाटे को लक्ष्य के अनुसार रखना न सिर्फ वित्त वर्ष 2022 के लिए बल्कि आने वाले कुछ वर्षो के दौरान विनिवेश तथा परिसंपत्ति मुद्रीकरण जैसे गैर कर राजस्व प्राप्तियों को बढ़ाने की सरकार की योग्यता पर निर्भर है।
ब्रिकवर्क रेटिंग्स के मुख्य आर्थिक सलाहकार एम गोविंद राव ने कहा, ” विनिवेश प्राप्तियों, परिसंपत्ति के मुद्रीकरण और कर संग्रह में जारी वृद्धि से हमें उम्मीद है कि वित्त वर्ष 2023 में वित्तीय घाटे के 6.3 से 6.5 प्रतिशत के बीच रहेगी।”
उन्होंने कहा कि उम्मीद है कि बजट में पूंजी व्यय में अच्छी खासी बढ़ोतरी होगी और साथ ही वित्त वर्ष 2025-26 तक वित्तीय घाटे के 4.5 प्रतिशत रहने के लक्ष्य को हासिल किया जा सकेगा।
महोत्सव
स्वतंत्रता दिवस 2024: थीम, इतिहास, महत्व और समारोह के बारे में अधिक जानें।
भारत 15 अगस्त, 2024 को अपना 78वाँ स्वतंत्रता दिवस मनाएगा, यह एक महत्वपूर्ण अवसर है जो ब्रिटिश उपनिवेशवाद से मुक्ति के सत्तर से अधिक वर्षों का प्रतीक है। राष्ट्रीय गौरव और गहरी देशभक्ति की भावना के साथ मनाया जाने वाला यह वार्षिक कार्यक्रम स्वतंत्रता सेनानियों के बहादुर कार्यों और स्वायत्तता और विकास की दिशा में राष्ट्र की प्रगति को श्रद्धांजलि देता है। यह लेख 2024 में भारत के स्वतंत्रता दिवस से जुड़े महत्व, ऐतिहासिक पृष्ठभूमि और समारोहों का विस्तृत विवरण प्रस्तुत करता है।
क्या यह स्वतंत्रता दिवस की 77वीं या 78वीं वर्षगांठ है?
2024 में 78वाँ स्वतंत्रता दिवस समारोह 15 अगस्त 1947 को ब्रिटिश शासन से भारत की स्वतंत्रता का प्रतीक होगा। भले ही यह स्वतंत्रता प्राप्त करने के बाद से 77वाँ वर्ष है, लेकिन स्वतंत्रता के बाद से यह दिन 78 बार मनाया जा चुका है। जानकारी का यह दोहरा स्रोत भ्रम पैदा कर सकता है, फिर भी प्रत्येक आंकड़ा अपने संदर्भ में सही है।
4 जुलाई 2024 की थीम
इस वर्ष की थीम, “विकसित भारत” या “विकसित भारत”, 2047 तक भारत को एक विकसित और प्रगतिशील राष्ट्र में बदलने के लक्ष्य को दर्शाती है, जो इसकी स्वतंत्रता की 100वीं वर्षगांठ है।
इतिहास में स्वतंत्रता दिवस का महत्व
इस विशेष दिन पर, भारत ने लगभग दो सौ वर्षों के औपनिवेशिक शासन के बाद ब्रिटिश नियंत्रण से स्वतंत्रता प्राप्त की। ब्रिटिश संसद ने 18 जुलाई, 1947 को भारतीय स्वतंत्रता अधिनियम पारित किया, जिसने ब्रिटिश वर्चस्व को समाप्त करने में मदद की और परिणामस्वरूप भारत और पाकिस्तान का विभाजन हुआ।
स्वतंत्रता दिवस पर महत्वपूर्ण कार्यक्रम
प्रधानमंत्री का भाषण: 15 अगस्त को प्रधानमंत्री मोदी लाल किले से राष्ट्र के नाम भाषण देंगे।
स्वतंत्रता सेनानियों का सम्मान: स्वतंत्रता दिवस पर, हम उन कई लोगों को याद करते हैं जिन्होंने भारत की स्वतंत्रता के लिए अपने प्राणों की आहुति दी।
नागरिक और सांस्कृतिक जुड़ाव: परेड, सांस्कृतिक कार्यक्रम, पारंपरिक नृत्य प्रदर्शन और देशभक्तिपूर्ण शैक्षिक पहल देशभक्ति गतिविधियों के उदाहरण हैं।
ध्वजारोहण: सरकारी भवनों और स्कूलों जैसे सार्वजनिक स्थानों पर राष्ट्रीय ध्वज फहराया जाता है।
राष्ट्रीय
शेयर बाजारों में सुबह के कारोबार में उतार-चढ़ाव
भारतीय शेयर बाजारों में बुधवार को सुबह के कारोबार में उतार-चढ़ाव रहा।
हरे निशान में खुलने के बाद सेंसेक्स एक समय 337.63 अंक यानि 0.47 प्रतिशत टूटकर 71.674.42 अंक तक तक लुढ़क गया था। हालाँकि बाद में वापसी करते हुए 124.73 अंक की तेजी के साथ 72,136.78 अंक पर पहुँच गया।
निफ्टी भी 107.25 अंक टूटकर एक समय 21,710.20 अंक तक उतर गया था। लेकिन दोपहर होते-होते यह 39.50 अंक की बढ़त से साथ 21,852.80 अंक तक चढ़ गया।
निफ्टी50 में एशर मोटर के शेयर चार प्रतिशत और मारुति सुजुकी के तीन प्रतिशत की बढ़त में थे। वहीं, टाटा कंज्यूमर और टाटा मोटर्स में करीब ढाई-ढाई फीसदी की गिरावट रही।
जियोजित फाइनेंशियल सर्विसेज के मुख्य निवेश रणनीतिकार वी.के. विजयकुमार ने कहा कि अमेरिकी फेडरल रिजर्व नीतिगत दरों पर निर्णय बुधवार को जारी करेगी। इससे अमेरिकी बाजार में रुझान तय होगा।
एचडीएफसी सिक्योरिटीज के रिटेल रिसर्च प्रमुख दीपक जसानी ने कहा कि फेडरल रिजर्व इस साल दर में कटौती के धीमे रुख का संकेत दे सकता है। इस चिंता के कारण बुधवार को एशियाई शेयरों में नरमी रही।
राष्ट्रीय
सेंसेक्स 600 अंक टूटा, एफएमसीजी शेयर हुए धड़ाम
फास्ट मूविंग कंज्यूमर गुड्स (एफएमसीजी) स्टॉक मंगलवार को सेक्टोरल इंडेक्स में 1.9 फीसदी की गिरावट के साथ कमजोर कारोबार कर रहे हैं। एफएमसीजी इंडेक्स टॉप सेक्टर लूजर्स में से एक है। नेस्ले में 3 फीसदी से ज्यादा की गिरावट है।
कोलगेट पामोलिव करीब 4 फीसदी नीचे है। होनासा कंज्यूमर 3.7 फीसदी, टाटा कंज्यूमर 3.4 फीसदी, पतंजलि फूड्स 3.2 फीसदी, यूनाइटेड ब्रुअरीज 3 फीसदी, गोदरेज कंज्यूमर 2 फीसदी से ज्यादा और ब्रिटानिया 2 फीसदी से ज्यादा नीचे है।
बिकवाली के कारण बीएसई सेंसेक्स 600 अंक से अधिक नीचे है। ज्यादातर सेक्टोरल इंडेक्स लाल निशान में कारोबार कर रहे हैं।
एमके ग्लोबल फाइनेंशियल सर्विसेज ने एक हालिया रिपोर्ट में कहा था कि वित्त वर्ष 2024 की चौथी तिमाही में एफएमसीजी सेक्टर में मांग सुस्त है।
रिटेल डेटा पर नज़र रखने वाली नील्सन ने इस सेक्टर के लिए 4.5-6.5 प्रतिशत वृद्धि का अनुमान लगाया है।
एमके ग्लोबल फाइनेंशियल सर्विसेज ने कहा, अल-नीनो का प्रभाव मई तक रहने के कारण कृषि क्षेत्र में वृद्धि कम रहेगी जिससे खपत में कोई महत्वपूर्ण बदलाव होने की संभावना नहीं है।
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