अंतरराष्ट्रीय
ऑफ-फील्ड विवाद के बाद ऑस्ट्रेलिया के टिम पेन ने टेस्ट टीम की कप्तानी छोड़ी

एशेज सीरीज शुरू होने से तीन हफ्ते पहले आस्ट्रेलिया क्रिकेट को जोरदार झटका लगा है, क्योंकि टिम पेन ने शुक्रवार को टेस्ट कप्तानी छोड़ने की घोषणआ कर दी। होबार्ट में आयोजित एक संवाददाता सम्मेलन में पेन ने घोषणा की है कि न्यूज कॉर्प द्वारा कथित तौर पर एक ऑफ-फील्ड विवाद को लेकर खबरें चलाने के बाद उन्होंने कप्तानी छोड़ने का फैसला किया।
टेस्ट उपकप्तान पैट कमिंस टीम का नेतृत्व करने को तैयार हैं।
पेन ने शुक्रवार को एक ऑस्ट्रेलिया क्रिकेट वेबसाइट को बताया, “आज मैं ऑस्ट्रेलियाई टेस्ट टीम के कप्तान का पद छोड़ने की घोषणा कर रहा हूं। यह एक अविश्वसनीय रूप से कठिन निर्णय है, लेकिन मेरे लिए, मेरे परिवार और क्रिकेट के लिए सही है।”
पेन ने कहा, “मेरा निर्णय लेने की वजह यह है कि लगभग चार साल पहले, मैं एक तत्कालीन सहयोगी के साथ टेक्स्ट एक्सचेंज में शामिल था। उस समय, एक्सचेंज पूरी तरह से सीए इंटीग्रिटी यूनिट जांच का विषय था, जिसमें मैंने पूरी तरह से समर्थन किया था।”
उन्होंने आगे बताया, “उस जांच में एक क्रिकेट तस्मानिया एचआर और क्रिकेट ऑस्ट्रेलिया ने पाया था कि इसमें कोई आचार संहिता का उल्लंघन नहीं हुआ था। हालांकि, मुझे उस समय इस घटना पर गहरा खेद था, और आज भी है। मैंने इस बारे में उस समय परिवार से बातचीत की थी, जिसके बाद उन्होंने मुझे क्षमा कर दिया था।”
पेन के अनुसार, “हमने सोचा था कि यह घटना खत्म हो चुकी है और मैं पूरी तरह से टीम पर ध्यान दे सकता हूं, जैसा कि मैंने पिछले तीन या चार सालों से किया है। हालांकि, मुझे हाल ही में पता चला कि यह निजी टेक्स्ट एक्सचेंज सार्वजनिक हो गया है। इसके बाद मेरा ऑस्ट्रेलियाई क्रिकेट कप्तान बने रहना उचित नहीं था।”
दक्षिण अफ्रीका में एक विवाद के बाद स्टीव स्मिथ की जगह 2018 में पेन 46वां ऑस्ट्रेलियाई टेस्ट कप्तान नियुक्त किए गए थे।
उन्होंने 2019 एशेज सीरीज के दौरान टीम की कप्तानी की, जहां ऑस्ट्रेलिया ने 18 सालों में पहली बार विदेशी धरती पर प्रतिष्ठित ट्रॉफी को बरकरार रखा।
क्रिकेट ऑस्ट्रेलिया (सीए) के अध्यक्ष रिचर्ड फ्रायडेनस्टीन का कहना है कि बोर्ड ने उनका इस्तीफा स्वीकार कर लिया। “टिम ने महसूस किया कि कप्तान के रूप में पद छोड़ने का यह निर्णय लेना उनके परिवार और ऑस्ट्रेलियाई क्रिकेट के हित में था।”
फ्रायडेनस्टीन ने बताया, “इस तरह का बर्ताव स्वीकार्य नहीं है। इस गलती के बावजूद पेन बेहतरीन कप्तान रहे हैं और उसकी सेवाओं के लिए हम उन्हें धन्यवाद देते हैं। पेन पूरी एशेज सीरीज में चयन के लिए उपलब्ध रहेंगे।
एशेज अगले महीने शुरू होगा, जिसका पहला टेस्ट मैच ऑस्ट्रेलिया के गाबा में 8 दिसंबर को खेला जाएगा।
इस बीच, क्रिकेट तस्मानिया ने भी एक बयान जारी कर कहा, “नवंबर 2017 में हुई घटना के समय कोई शिकायत नहीं की गई थी और न ही महिला कर्मचारी को निकालने से पहले संगठन ने कोई संज्ञान लिया था।”
अंतरराष्ट्रीय
ओबामा ने ईरान को बहुत कुछ दिया, मैं नहीं देने वाला: ट्रंप

वाशिंगटन, 30 जून। ईरान पर भविष्य में क्या अमेरिका हमला करेगा या नहीं, फिलहाल इसे लेकर अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने स्थिति स्पष्ट नहीं की है। ईरान के उप-विदेश मंत्री अमेरिका के साथ भविष्य में किसी भी कूटनीतिक और न्यूक्लियर वार्ता पर शर्त रख चुके हैं। ऐसे में ट्रंप ने कहा है कि अब वह ईरान से बात नहीं कर रहे हैं।
ट्रंप ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ‘ट्रुथ’ पर लिखा, “मैं ईरान को कुछ भी नहीं दे रहा हूं। ओबामा की तरह, जिन्होंने ‘परमाणु हथियार जेसीपीओए (जो अब समाप्त हो जाएगा) के तहत अरबों डॉलर का भुगतान किया था। इतना ही नहीं, मैं उनसे इस विषय पर बात भी नहीं करने वाला हूं, क्योंकि हमने उनकी न्यूक्लियर फैसिलिटी को पूरी तरह से नष्ट कर दिया है।”
ट्रंप शुक्रवार को उन मीडिया रिपोर्ट्स को खारिज कर चुके थे, जिनमें कहा गया था कि उनके प्रशासन ने सिविलियन एनर्जी प्रोड्यूसिंग न्यूक्लियर प्रोग्राम बनाने के लिए ईरान को 30 बिलियन डॉलर तक की मदद करने की चर्चा की थी।
रविवार को ‘बीबीसी’ से बातचीत में माजिद तख्त-रवांची ने कहा था कि अमेरिका को ईरान के खिलाफ किसी भी हमले से इनकार करना चाहिए। इसके साथ ही उप-विदेश मंत्री ने कहा कि ईरान के खिलाफ भविष्य के हमलों पर ट्रंप प्रशासन की स्थिति स्पष्ट नहीं की गई है।
माजिद ने बताया कि अमेरिका ने मध्यस्थ देशों से कहा है कि वह ईरान के साथ बातचीत करना चाहता है, लेकिन यह स्पष्ट नहीं किया कि वह भविष्य में हमले करेगा या नहीं।
अमेरिका ने ईरान की तीन न्यूक्लियर फैसिलिटी नतांज, फोर्डो और इस्फाहान को नष्ट किया था। इस फैसले के साथ अमेरिका इजरायल-ईरान के बीच संघर्ष में कूद पड़ा था।
इसके जवाब में ईरान ने कतर और इराक में अमेरिकी सैन्य ठिकानों को निशाना बनाया। इसके बाद ट्रंप ने ईरान-इजरायल के बीच युद्ध विराम की घोषणा की थी।
अंतरराष्ट्रीय
ईरान के शीर्ष शिया धर्मगुरु ने ट्रंप-नेतन्याहू के खिलाफ जारी किया ‘फतवा’

तेहरान, 30 जून। अयातुल्ला मकारिम शिराजी ने एक ‘फतवा’ जारी करते हुए अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप और इजरायली प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू को ‘ऊपर वाले का दुश्मन’ बताया है। अयातुल्ला मकारिम शिराजी ईरान के शीर्ष शिया धर्मगुरुओं में से एक हैं।
शीर्ष शिया धर्मगुरु ने अपने फतवे में कहा, “कोई भी व्यक्ति या शासन जो नेता या मरजा को धमकाता है, उसे ऊपर वाले का दुश्मन माना जाता है।”
सेमी-ऑफिशियल मेहर समाचार एजेंसी के अनुसार, “रविवार को अपने ऑफिस के एक बयान में शिराजी ने दुनियाभर के मुसलमानों से ऐसी धमकियों के खिलाफ कड़ा रुख अपनाने को कहा है। शिराजी ने कहा है कि अगर कोई मुस्लिम जो अपने मुस्लिम कर्तव्य का पालन करता है, उसे अपने अभियान में कठिनाई या नुकसान उठाना पड़ता है, तो उसे ऊपर वाले की राह में एक योद्धा के रूप में इनाम से नवाजा जाएगा।”
फतवे में कहा गया है, “मुसलमानों या इस्लामी देशों के जरिए उस दुश्मन को दिया जाने वाला कोई भी सहयोग या समर्थन हराम या निषिद्ध है। दुनियाभर के सभी मुसलमानों के लिए यह जरूरी है कि वह इन दुश्मनों को उनके शब्दों और गलतियों पर पछतावा करवाएं।”
रिपोर्ट्स के अनुसार यह फतवा राष्ट्रपति ट्रंप और इजरायली अधिकारियों के ईरानी सर्वोच्च नेता अयातुल्ला अली खामेनेई के खिलाफ कथित धमकियों के बाद आया है।
राष्ट्रपति ट्रंप ने हाल ही में कहा था कि उन्होंने खामेनेई को ‘एक बहुत ही भयावह और अपमानजनक मौत’ से बचाया है। इसके साथ ही ट्रंप ने ईरानी सर्वोच्च नेता के ऊपर इजरायल पर जीत के बारे में गलत बयान देने का आरोप लगाया।
हाल ही में इजरायल के रक्षा मंत्री इजरायल कैट्ज ने एक इंटरव्यू में कहा कि ईरान के साथ अपने 12-दिवसीय संघर्ष के दौरान, इजरायल ने खामेनेई को खत्म करने की कोशिश की, लेकिन इस ऑपरेशन को अंजाम देने का मौका कभी नहीं आया।
कैट्ज ने इजराइल के ‘चैनल 13’ को दिए एक इंटरव्यू में कहा, “अगर वह हमारी नजर में होते, तो हम उन्हें मार गिराते। हम खामेनेई को खत्म करना चाहते थे, लेकिन कोई ऑपरेशनल मौका नहीं था।”
इजरायल ने 13 जून को ‘ऑपरेशन राइजिंग लॉयन’ शुरू किया, जिसमें ईरान की प्रमुख सैन्य और न्यूक्लियर एसेट्स को निशाना बनाया गया। इसके बाद दोनों देशों के बीच संघर्ष बढ़ गया।
जवाबी कार्रवाई में, ईरान ने इजरायली शहरों और बाद में कतर और इराक में अमेरिकी सैन्य ठिकानों पर मिसाइल हमले किए। तेहरान के इस कदम से पहले फोर्डो, नतांज और इस्फाहान में उसकी न्यूक्लियर फैसिलिटी पर अमेरिकी हमले हुए थे।
संघर्ष के बारह दिन बाद ट्रंप ने दोनों देशों के बीच युद्धविराम की घोषणा की।
अंतरराष्ट्रीय
सीजफायर की उम्मीदों के बीच गाजा में इजरायली सैनिक की मौत

यरूशलम, 30 जून। उत्तरी गाजा पट्टी में एक इजरायली सैनिक की मौत की सूचना सामने आई है, जिसकी जानकारी इजरायली सेना ने दी है।
‘सिन्हुआ समाचार एजेंसी’ के अनुसार सेना ने बताया है कि 401वीं ब्रिगेड की 601वीं कॉम्बैट इंजीनियरिंग बटालियन के सार्जेंट यिसरायल नतन रोसेनफेल्ड (20) लड़ाई के दौरान मारे गए।
इजरायल के सरकारी स्वामित्व वाले ‘कान टीवी’ ने बताया कि रोसेनफेल्ड की मौत जबालिया में एक विस्फोटक उपकरण की वजह से हुई। यह एक ऐसा क्षेत्र है जहां सेना ने उत्तरी गाजा में एक नियोजित बफर जोन के हिस्से के रूप में चौकियों के निर्माण की तैयारी में इमारतों को ध्वस्त करना शुरू कर दिया था।
जून की शुरुआत से गाजा पट्टी में 21 इजरायली सैनिक मारे गए हैं। आधिकारिक आंकड़ों के अनुसार, अक्टूबर 2023 तक सैनिकों की मौत का आंकड़ा 880 तक पहुंच चुका था।
इससे पहले रविवार को, फिलिस्तीनी सूत्रों ने उत्तरी गाजा में भारी बमबारी की सूचना दी। गाजा स्वास्थ्य अधिकारियों के अनुसार, इजरायली हमलों में करीब 88 लोग मारे गए और 365 घायल हो गए।
इजरायली डिफेंस फोर्सेज ने गाजा के भीड़भाड़ वाले रिहायशी इलाकों के अलावा स्कूल, स्टेडियम और शरणार्थी टेंट को निशाना बनाया।
यह हमला तब हुआ जब इजरायली सेना ने नई इवैक्युएशन वॉर्निंग जारी की। इस चेतावनी में गाजा शहर और जबालिया के निवासियों से तुरंत अल-मवासी क्षेत्र की ओर जाने को कहा गया।
यह हमले ऐसे समय पर हुए, जब एक दिन पहले ही अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने अगले हफ्ते तक सीजफायर का संकेत दिया था, लेकिन इजरायल की इस कार्रवाई ने इन उम्मीदों को धूमिल कर दिया है।
इस बीच, गाजा के स्वास्थ्य अधिकारियों ने रविवार को बताया कि अक्टूबर 2023 से इजरायली सैन्य अभियानों में मरने वाले फिलिस्तीनियों की संख्या कम से कम 56,500 हो गई है।
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