राजनीति
मायावती बोलीं, सरकार बनने पर बदले की भावना से नहीं रोकी जाएंगी योजनाएं

बहुजन समाज पार्टी (बसपा) मुखिया मायावती ने उत्तर प्रदेश में 2022 में होने वाले विधानसभा चुनाव को लेकर अपने अभियान का आगाज कर दिया है। इस दौरान उन्होंने कहा कि केंद्र और राज्य की जो भी योजनाएं चल रही हैं उन्हें बदले की भावना से रोका नहीं जाएगा। बसपा के संस्थापक कांशीराम की पुण्य तिथि पर आज लखनऊ के कांशीराम स्मारक स्थल में आयोजित श्रद्धांजलि कार्यक्रम में बसपा की राष्ट्रीय अध्यक्ष मायावती संबोधित कर रही थीं। इस दौरान उन्होंने भाजपा के साथ ही सपा तथा कांग्रेस पर जमकर हमला बोला है। उन्होंने कहा कि हमारी सरकार बनने पर इस बार सबसे ज्यादा जोर यहां के गरीब और बेरोजगार नौजवानों को रोटी-रोजी के साधन उपलब्ध कराने पर होगा, इस बार यही हमारी पार्टी का मुख्य चुनावी मुद्दा भी होगा।
कहा कि कोरोना काल में दोनों ने मजदूरों को पलायन करने पर मजबूर कर दिया। केजरीवाल भी कम नहीं निकले और उन्होंने मजदूरों के लिए कोई व्यवस्था नहीं की। अब बिजली पानी फ्री देने की बात कहकर यूपी में पांव जमाने की कोशिश में है और यह बात बिल्कुल झूठी है। नया घोषणा पत्र जारी नहीं कर रहे हैं बल्कि चल रहे कामों को पूरा कराएंगे।
मायावती ने एलान किया कि हम कोई घोषणा पत्र जारी नहीं कर रहे हैं लेकिन हमारी सरकार बनी तो हम अयोध्या, वाराणसी और मथुरा में बसपा की तर्ज पर भाजपा द्वारा शुरू कराए गए विकास कार्यों को रोकेंगे नहीं बल्कि पूरा करेंगे। चाहे सड़क निर्माण हो अथवा पुल निर्माण पहले पुराने कामों को ठीक किया जाएगा।
उन्होंने कहा कि कुछ छोटी पार्टियां अकेले या गठबंधन में रहकर केवल पर्दे के पीछे से सत्ताधारी दल को लाभ पहुंचाने की जुगत में हैं । उनसे सावधान रहना है साथ ही एक पार्टी ऐसी है जो स्वार्थी और टिकटार्थियों को शामिल कर अपना कुनबा बढ़ा रही हैं।
बसपा मुखिया ने कहा कि कुछ लोग बसपा को कमजोर दिखाने की कोशिश कर रहे हैं पर आज इस भीड़ को देखकर उन सभी को यह समझ जाना चाहिए कि बसपा में कितनी ताकत है। उन्होंने कहा कि सर्वे के चक्कर में नहीं पड़ना है। बंगाल में जो सर्वे आया था उसके उलट चुनाव परिणाम आया और ममता बनर्जी की सरकार बन गई।
मायावती ने कहा कि विपक्षी दल हिंदू मुस्लिम सांप्रदायिक रंग देकर राजनीतिक फायदा उठाने का प्रयास करेंगे लेकिन इससे सजग रहना है। अब सरकार में आंदोलित किसानों पर जुल्म इतना बढ़ गया है की अति हो गई है। लखीमपुर खीरी इसका प्रत्यक्ष उदाहरण है।
उन्होंने कहा कि यूपी की जनता अब बसपा शासन को याद कर रही है। यहां पर जनता ने भाजपा के साथ ही सपा तथा कांग्रेस का नाटक देख लिया है। हमारी पार्टी के लोग भी इनके नाटकों तथा हथकंडों से सावधान रहें। उन्होंने कहा कि प्रदेश में 2007 में बसपा की बहुमत की सरकार थी। हमने यूपी को बेहतरीन कानून व्यवस्था दी थी। भाजपा, सपा तथा कांग्रेस वोट के लिए जनता से वादे कर रही हैं जो हवा हवाई है। उनमें रत्तीभर भी दम नहीं है। सभी विरोधी पार्टियां चुनावी घोषणापत्रों में प्रलोभन भरे चुनावी वादे करने वाली हैं।
राष्ट्रीय समाचार
मानसिक स्वास्थ्य हमारे समग्र कल्याण का एक मूलभूत अंगः प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी

नई दिल्ली, 10 अक्टूबर: हर साल 10 अक्टूबर को पूरी दुनिया में ‘विश्व मानसिक स्वास्थ्य दिवस’ (वर्ल्ड मेंटल हेल्थ डे) मनाया जाता है। इस बार की थीम ‘आपदा या आपातकाल की स्थिति में मानसिक स्वास्थ्य सेवाओं तक पहुंच’ है। वर्ल्ड मेंटल हेल्थ डे पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस क्षेत्र में काम करने वालों को बधाई दी है।
प्रधानमंत्री मोदी ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर लिखा कि विश्व मानसिक स्वास्थ्य दिवस एक पावरफुल रिमाइंडर है कि मानसिक स्वास्थ्य हमारे समग्र कल्याण का एक मूलभूत अंग है। इस तेज-तर्रार दुनिया में, यह दिन दूसरों के प्रति करुणा दिखाने और उन्हें बढ़ाने के महत्व पर जोर देता है।
पीएम मोदी ने कहा कि आइए हम सामूहिक रूप से ऐसा वातावरण बनाने के लिए काम करें जहां मानसिक स्वास्थ्य पर बातचीत मुख्यधारा में आए। इस क्षेत्र में काम करने वाले और दूसरों को स्वस्थ होने और खुशी पाने में मदद करने वाले सभी लोगों को मेरी बधाई।
हर साल 10 अक्टूबर को मनाए जाने वाले विश्व मानसिक स्वास्थ्य दिवस का उद्देश्य लोगों में मानसिक स्वास्थ्य के प्रति जागरूकता बढ़ाना और यह समझाना है कि मानसिक समस्याएं भी उतनी ही गंभीर होती हैं जितनी शारीरिक बीमारियां। चिंताजनक बात यह है कि आज के युवा तेजी से डिप्रेशन, एंग्जायटी और स्ट्रेस जैसी मानसिक समस्याओं से जूझ रहे हैं।
तेज रफ्तार जीवनशैली, सोशल मीडिया का दबाव, करियर की अनिश्चितता और रिश्तों में अस्थिरता, ये सब युवाओं के मानसिक स्वास्थ्य पर गहरा असर डाल रहे हैं। आज का युवा लगातार खुद की तुलना दूसरों से करता है।
इंस्टाग्राम पर परफेक्ट लाइफ दिखाने की होड़ में वह अंदर से खालीपन महसूस करने लगता है। नौकरी का तनाव, पढ़ाई का दबाव, परिवार की अपेक्षाएं और असफलता का डर उसकी सोच को घेर लेते हैं। यही कारण है कि 16 से 30 वर्ष की उम्र के बीच डिप्रेशन के मामले सबसे अधिक बढ़ रहे हैं।
इसके अलावा, नींद की कमी, खराब खान-पान, शारीरिक गतिविधियों का अभाव, और डिजिटल लत भी इस समस्या को बढ़ा देते हैं। दिन-रात मोबाइल और लैपटॉप स्क्रीन में डूबे रहना न सिर्फ आंखों बल्कि दिमाग को भी थका देता है।
वहीं, मानसिक स्वास्थ्य को लेकर समाज में अभी भी कलंक बना हुआ है। लोग मनोवैज्ञानिक या मनोचिकित्सक के पास जाने से कतराते हैं, जिससे स्थिति और बिगड़ जाती है। ऐसे में एक बात ध्यान देने वाली है कि भले ही व्यक्ति शारीरिक रूप से स्वस्थ दिख रहा है, तो जरूरी नहीं कि वह मानसिक रूप से भी स्वस्थ हो।
अपराध
मुंबई क्राइम ब्रांच ने हाई-प्रोफाइल अपहरण और जबरन वसूली मामले में 1,900 पन्नों का आरोपपत्र दाखिल किया

मुंबई: मुंबई क्राइम ब्रांच ने एक हाई-प्रोफाइल अपहरण और जबरन वसूली मामले में 14 गिरफ्तार और 5 वांछित आरोपियों के खिलाफ महाराष्ट्र संगठित अपराध नियंत्रण अधिनियम (मकोका) के तहत 1,900 पन्नों का आरोपपत्र दाखिल किया है। विशेष मकोका अदालत में पेश किए गए आरोपपत्र में 45 गवाहों के बयान शामिल हैं।
जाँच के अनुसार, शिकायतकर्ता शब्बीर हुसैन मुबारक सिद्दीकी (45) ने आरोप लगाया कि उसके दोस्त साजिद इलेक्ट्रिकवाला ने 31 मार्च, 2025 को सरवर खान से एक अवैध एमडी (मेफेड्रोन) दवा निर्माण इकाई स्थापित करने के लिए ₹50 लाख लिए थे। जब साजिद ने दवाइयाँ नहीं दीं और पैसे वापस नहीं किए, तो सरवर खान ने यूनुस थाईचारपिल और अन्य साथियों के साथ मिलकर 12 जून, 2025 को अंधेरी (पश्चिम) स्थित होटल अलीबाबा से सिद्दीकी और साजिद का अपहरण कर लिया। दोनों को नेरल के एक कमरे में ले जाया गया, जहाँ उनके साथ मारपीट की गई और उन्हें बंधक बना लिया गया।
14 जून, 2025 को सुबह लगभग 2:30 बजे, सिद्दीकी पीछे की खिड़की से भागने में कामयाब रहा, लेकिन साजिद बंदी बना रहा। अपने दोस्त की जान को खतरा होने पर, सिद्दीकी ने ओशिवारा पुलिस से संपर्क किया और शिकायत दर्ज कराई। भारतीय न्याय संहिता (बीएनएस) 2023 की धारा 111, 115(2), 127, 140(1), 140(2), 189(2) और 190 के तहत मामला दर्ज किया गया।
बाद में, वरिष्ठ अधिकारियों के निर्देश पर, मामला अपराध शाखा के जबरन वसूली निरोधक प्रकोष्ठ (यूनिट 3) को स्थानांतरित कर दिया गया, जहाँ इसे पुनः पंजीकृत किया गया। जाँच के दौरान, पुलिस ने 14 आरोपियों को गिरफ्तार किया और गिरोह के सरगना के रूप में मोहम्मद तौसीफ उर्फ तौसीफ मचांडी की पहचान की। साक्ष्यों से पता चला कि आरोपियों ने जबरन वसूली और मादक पदार्थों की तस्करी में शामिल एक संगठित अपराध गिरोह बनाया था।
आरोपियों के खिलाफ मकोका अधिनियम, 1999 की धारा 3(1)(ii), 3(2) और 3(4) के तहत आरोप लगाए गए। 9 अक्टूबर को दायर आरोपपत्र में बीएनएस 2023 की धारा 111, 115(2), 127, 140(1), 140(2), 189(2), 189(4), 190, 305(5), 61(2) के साथ-साथ आर्म्स एक्ट की धारा 3(25), मुंबई पुलिस अधिनियम की धारा 37(1)(ए), 135, मकोका अधिनियम की धारा 3(1)(ii), 3(2), 3(4) और एनडीपीएस अधिनियम की धारा 27ए के तहत आरोप शामिल हैं।
राजनीति
देश में दलितों के खिलाफ अन्याय, अत्याचार और हिंसा का सिलसिला भयावह: प्रियंका गांधी

नई दिल्ली, 10 अक्टूबर : कांग्रेस महासचिव और सांसद प्रियंका गांधी ने हरियाणा आईपीएस आत्महत्या मामले में भाजपा पर निशाना साधा है। कांग्रेस सांसद ने शुक्रवार को सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर लिखा कि जातीय प्रताड़ना से परेशान होकर हरियाणा के आईपीएस अधिकारी वाई पूरन कुमार की आत्महत्या से पूरा देश स्तब्ध है। देश भर में दलितों के खिलाफ जिस तरह अन्याय, अत्याचार और हिंसा का सिलसिला चल रहा है, वह भयावह है।
उन्होंने कहा कि पहले रायबरेली में हरिओम वाल्मीकि की हत्या, फिर मुख्य न्यायाधीश का अपमान और अब एक वरिष्ठ अधिकारी की आत्महत्या यह साबित करती है कि भाजपा राज दलितों के लिए अभिशाप बन गया है। चाहे कोई आम नागरिक हो या ऊंचे पद पर हो, अगर वह दलित समाज से है तो अन्याय और अमानवीयता उसका पीछा नहीं छोड़ते। जब ऊंचे ओहदे पर बैठे दलितों का यह हाल है तो सोचिए आम दलित समाज किन हालात में जी रहा होगा।
इससे पहले कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने भी हरियाणा आईपीएस सुसाइड मामले की निंदा की थी। उन्होंने एक्स पर लिखा कि भाजपा का मनुवादी तंत्र इस देश के एससी, एसटी, ओबीसी और कमजोर वर्गों के लिए एक अभिशाप बन चुका है। हरियाणा के वरिष्ठ दलित आईपीएस अधिकारी, एडीजीपी, वाई. पूरन कुमार की मजबूरन आत्महत्या की खबर न केवल स्तब्ध करने वाली है, बल्कि सामाजिक अन्याय, अमानवीयता और संवेदनहीनता का भयावह प्रमाण है। परिवार के प्रति मेरी गहरी संवेदनाएं।
उन्होंने आगे लिखा, “पिछले 11 वर्षों में इस देश में भाजपा ने मनुवादी मानसिकता इतनी गहरी कर दी है कि एडीजीपी रैंक के दलित अधिकारी को भी न्याय और सुनवाई नहीं मिलती है। जब सुप्रीम कोर्ट में सरेआम माननीय मुख्य न्यायाधीश (सीजेआई) पर हमला हो सकता है और उसे भाजपा का इकोसिस्टम जातिवाद और धर्म का हवाला देकर डिफेंड कर सकता है, तो हमें ये समझ लेना चाहिए कि ‘सबका साथ’ का नारा एक भद्दा मजाक था।”
उन्होंने लिखा कि हजारों वर्षों से मनुवादी मानसिकता का शोषण करने की आदत इतनी जल्दी तो नहीं बदल सकती। तभी हरिओम वाल्मीकि जैसे निहत्थे दलित की मॉब लिंचिंग से नृशंस हत्या हो जाती है और प्रधानमंत्री मोदी निंदा के दो शब्द भी नहीं बोलते! यह सिर्फ कुछ व्यक्तियों की त्रासदी नहीं, यह उस भाजपा और संघ द्वारा पोषित अन्यायपूर्ण व्यवस्था का आईना है, जो दलित, आदिवासी, पिछड़े व अल्पसंख्यक वर्गों के आत्मसम्मान को बार-बार कुचलती रही है। ये संविधान और लोकतंत्र के लिए घातक है।
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