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Thursday,09-October-2025
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राजनीति

ओबीसी जनगणना पर राजनीतिक घमासान- आखिर सरकार क्यों नहीं करवा सकती है जातिगत जनगणना?

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जातिगत जनगणना को लेकर समाजवादी पार्टी और राष्ट्रीय जनता दल जैसे विरोधी ही नहीं बल्कि अपना दल और जेडीयू जैसे सहयोगी दल भी लगातार सरकार पर दबाव बना रहे हैं। कानूनी और तकनीकी रूप से सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में भी अपना रूख साफ कर दिया है लेकिन विरोधी दल चुनावी मैदान में इसे जोर-शोर से उठाने की तैयारी कर रहे हैं। खासतौर से उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव में यह एक बड़ा राजनीतिक मुद्दा बनने जा रहा है। इसे लेकर सरकार ने भी अब अपनी तैयारी शुरू कर दी है। तकनीकी और कानूनी तौर पर सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में अपना रूख साफ कर दिया है और अब जमीनी धरातल पर राजनीति के मैदान में भी सरकार ने इस मुद्दें पर विरोधी दलों को घेरने की तैयारी शुरू कर दी है।

आईएएनएस से बातचीत करते हुए सरकार के एक दिग्गज मंत्री ने बताया कि विरोधी दलों को जाति और आरक्षण के मूल आधार की समझ ही नहीं हैं और न ही उन्हे इसके तकनीकी, सामाजिक और कानूनी पहलू की समझ है। विरोधी दलों पर निशाना साधते हुए उन्होने कहा कि ये दल जातियों के आधार पर देश को बांटकर देश तोड़ना चाहते हैं।

आईएएनएस से बातचीत करते हुए भाजपा के एक बड़े नेता ने सवाल उठाया कि मुलायम और लालू परिवार को यह बताना चाहिए पिछले 30 सालों में उन्होंने ओबीसी की किन-किन जातियों का भला किया ? उन्हे यह बताना चाहिए कि लंबे समय तक बिहार और उत्तर प्रदेश में राज करने के बावजूद उन्होने ओबीसी की सभी जातियों को सत्ता में भागीदारी क्यों नहीं दी और उनका सामाजिक न्याय सिर्फ कुछ ही जातियों तक सिमट कर क्यों रह गया ?

दूसरी तरफ , सरकार के दिग्गज मंत्री ने कहा कि भारत में 4 संदर्भों में आरक्षण की व्यवस्था है – जाति , जनजाति , पिछड़ने की वजह से और कमजोर तबकों को।

एससी आरक्षण में जाति महत्वपूर्ण है और ओबीसी आरक्षण में पेशा। उन्होने कहा कि किसी भी वजह से समाज के वो हिस्से जो आर्थिक, शैक्षणिक और सामाजिक तौर पर पिछड़ गए हैं , उनको मौका देने के लिए मंडल आयोग की सिफारिश के आधार पर ओबीसी आरक्षण की व्यवस्था संविधान में की गई। इसलिए क्रीमी लेयर का सिद्धांत सिर्फ ओबीसी आरक्षण में ही लागू है।

उन्होने कहा कि देश में हमेशा से महापुरूषों ने जाति व्यवस्था को तोड़ कर समाज और देश को मजबूत बनाने की कोशिश की लेकिन कुछ विपक्षी दल ओबीसी जातियों की जनगणना का मुद्दा उठाकर देश को तोड़ना चाहते हैं। उन्होने तकनीकी सवाल उठाते हुए पूछा कि अंतजार्तीय विवाह में जाति की गणना किस आधार पर होगी ? जिन धर्मों में जाति की अवधारणा ही नहीं हैं, उसमें जाति की गिनती कैसे होगी?

विरोधी दलों के रवैये पर सवाल उठाते हुए भाजपा आरोप लगा रही है कि क्या ओबीसी जातिगत जनगणना की मांग करने वाले ये दल चाहते हैं कि देश के लगभग 20 प्रतिशत मुसलमानों को इस जनगणना से अलग रखा जाए ?

राजनीति

‘बसपा को कमजोर करने के लिए रची गई साजिश’, मायावती ने लगाए बड़े आरोप

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लखनऊ, 9 अक्टूबर : बहुजन समाज पार्टी (बसपा) प्रमुख मायावती ने गुरुवार को पार्टी के संस्थापक कांशीराम के ‘परिनिर्वाण दिवस’ पर लखनऊ स्थित कांशीराम स्मारक स्थल पर आयोजित महारैली को संबोधित किया। इस दौरान उन्होंने विरोधी दलों पर तीखा हमला बोला।

रैली को संबोधित करते हुए बसपा सुप्रीमो मायावती ने कहा कि उनकी पार्टी को केंद्र की सत्ता तक पहुंचने से रोकने के लिए कांग्रेस, भाजपा और सपा जैसे जातिवादी दलों ने मिलकर षड्यंत्र रचा। इन दलों ने न सिर्फ राजनीतिक रूप से बसपा को कमजोर करने की कोशिश की, बल्कि दलित वोटों को बांटने के लिए बिकाऊ लोगों को खरीदकर साजिश की।

मायावती ने कहा कि साल 2007 में जब उत्तर प्रदेश में बसपा की पूर्ण बहुमत की सरकार बनी, तब इन जातिवादी पार्टियों के चेहरे बेनकाब हो गए। उन्होंने कहा, “कांग्रेस, भाजपा और सपा ने मिलकर षड्यंत्र किया कि बसपा को केंद्र की सत्ता तक न पहुंचने दिया जाए। रही-सही कसर ईवीएम ने पूरी कर दी।”

बसपा सुप्रीमो मायावती ने आरोप लगाया कि इन दलों ने बैलेट पेपर की जगह ईवीएम का इस्तेमाल कर लोकतंत्र के साथ खिलवाड़ किया, जबकि चुनाव बैलेट पेपर से भी शांति और पारदर्शिता के साथ कराए जा सकते हैं।

बसपा प्रमुख ने अपने संबोधन में कांग्रेस पर सबसे पहले निशाना साधा। उन्होंने कहा कि कांग्रेस ने आपातकाल लगाकर देश के संविधान और बाबा साहेब डॉ. भीमराव आंबेडकर के सिद्धांतों का अपमान किया था। मायावती ने तंज कसते हुए कहा, “कांग्रेस ने कभी भी डॉ. आंबेडकर और दलित समाज का सच्चा सम्मान नहीं किया। आज वही कांग्रेस नेता संविधान की कॉपी लेकर नाटकबाजी कर रहे हैं।”

उन्होंने सपा पर भी तीखा हमला बोला और कहा कि सपा के शासन में दलितों और पिछड़ों का उत्पीड़न हुआ। मायावती बोलीं, “सपा सरकार में कानून व्यवस्था चरमरा गई थी। गुंडों और अराजक तत्वों को संरक्षण दिया गया। प्रदेश में भय और अराजकता का माहौल था।”

उत्तर प्रदेश की पूर्व मुख्यमंत्री मायावती ने सवाल उठाते हुए कहा, “अभी मैंने सुना कि अखिलेश यादव कह रहे थे कि अगर उनकी सरकार बनी तो कांशीराम जी के नाम पर स्मारक बनाएंगे, लेकिन जब वे सत्ता में थे तो ऐसा क्यों नहीं किया? जब सत्ता से बाहर होते हैं, तभी इन्हें बसपा के नेता और दलित समाज के संतों की याद आती है। सत्ता में आते ही सब भूल जाते हैं।”

मायावती ने कहा कि बसपा की सरकार में जिन स्मारकों और संस्थानों का नाम कांशीराम जी के नाम पर रखा गया था, उन्हें सपा सरकार ने बदलने का काम किया। उन्होंने आगे कहा कि डॉ. आंबेडकर का सपना था कि दलितों और पिछड़ों को एकजुट होकर सत्ता की मास्टर चाबी अपने हाथ में लेनी चाहिए।

बसपा सुप्रीमो ने आगे कहा, “डॉ. आंबेडकर का यह सपना मान्यवर कांशीराम जी के जीवनकाल में तो पूरा नहीं हो सका, लेकिन हमने इसे पूरा किया। हमने तीन बार गठबंधन सरकार और एक बार पूर्ण बहुमत की सरकार बनाकर इतिहास रचा। हमने दलितों, पिछड़ों और समानतावादी विचारधारा रखने वाले लोगों को साथ लेकर ‘सर्वजन हिताय, सर्वजन सुखाय’ की नीति पर काम किया।”

उन्होंने फिर से आरोप लगाया कि जब बसपा सरकार मजबूत होती गई, तब कांग्रेस और भाजपा की केंद्र सरकारों ने सीबीआई और आयकर विभाग जैसी एजेंसियों का इस्तेमाल कर उनकी छवि को धूमिल करने की कोशिश की। हम पर झूठे केस लगाए गए, ताकि बसपा का मनोबल टूट जाए। लेकिन हमने कभी हार नहीं मानी और न्याय पाने के लिए अदालतों का दरवाजा खटखटाया।

इस मौके पर मायावती ने कांशीराम जी को श्रद्धांजलि अर्पित की और बड़ी संख्या में पहुंचे कार्यकर्ताओं का आभार व्यक्त किया। उन्होंने कहा कि बसपा महज एक राजनीतिक दल नहीं बल्कि एक आंदोलन है, जो समाज के दबे-कुचले वर्गों को सम्मान और अधिकार दिलाने के लिए सतत संघर्षरत है।

उन्होंने कहा कि हमारे विरोधी चाहे कितनी भी साजिशें रच लें, बसपा का आंदोलन न कभी झुका है, न झुकेगा।

रैली के लिए रमाबाई अंबेडकर मैदान में बसपा कार्यकर्ताओं और पदाधिकारियों के ठहरने की व्यवस्था की गई। रैली में प्रदेशभर से बड़ी संख्या में कार्यकर्ता पहुंचे। बसपा संगठन ने करीब पांच लाख लोगों के जुटान का दावा किया है।

सुरक्षा के लिए कई हजार से अधिक पुलिसकर्मी तैनात किए गए, जबकि ट्रैफिक पुलिस ने वैकल्पिक मार्ग भी निर्धारित किए। यह रैली सिर्फ श्रद्धांजलि कार्यक्रम नहीं, बल्कि राजनीतिक शक्ति प्रदर्शन के रूप में भी देखी जा रही है।

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राजनीति

कांग्रेस सांसद ने ‘जल जीवन मिशन’ के तहत मणिपुर में घोटाले का लगाया आरोप, जांच की मांग

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नई दिल्ली/इंफाल, 8 अक्टूबर: कांग्रेस ने बुधवार को आरोप लगाया कि मणिपुर में केंद्र प्रायोजित योजना जल जीवन मिशन के तहत कई सौ करोड़ रुपए का घोटाला हुआ है। कांग्रेस ने अदालत की निगरानी में जांच की मांग की।

आंतरिक मणिपुर संसदीय क्षेत्र से कांग्रेस के लोकसभा सांसद अंगोमचा बिमोल अकोईजाम ने दावा किया कि जल शक्ति मंत्रालय के आंकड़े दावा करते हैं कि मणिपुर के लगभग 80 प्रतिशत ग्रामीण घरों में नल का पानी पहुंचाया जा चुका है, लेकिन जमीनी स्तर पर कुछ भी नहीं है।

अकोईजाम ने कहा कि उन्होंने मणिपुर उच्च न्यायालय में एक जनहित याचिका (पीआईएल) दायर की है, जिसमें राज्य में जल जीवन मिशन के कार्यान्वयन की अदालत की निगरानी में जांच की मांग की गई है। उन्होंने कहा कि जनहित याचिका में जल जीवन मिशन के तहत स्वीकृत और उपयोग की गई धनराशि का जिलावार व्यापक ऑडिट, सरकार द्वारा किए गए घरेलू नल जल कनेक्शन के दावों का सत्यापन और संविधान के अनुच्छेद 21 के तहत जीवन के मौलिक अधिकार के तहत सुरक्षित पेयजल तक पहुंच को मान्यता देने की मांग की गई है, जिसमें राज्य भर में प्रत्येक घर को प्रतिदिन कम से कम दो घंटे नल के पानी की आपूर्ति की गारंटी हो।

कांग्रेस सांसद ने नई दिल्ली स्थित एआईसीसी मुख्यालय में मीडिया से बात करते हुए खुलासा किया कि उन्होंने कई गांवों का दौरा करके सरकारी रिकॉर्ड में किए गए दावों की व्यक्तिगत रूप से जांच और सत्यापन करने का प्रयास किया था।

उन्होंने आधिकारिक दावों और हकीकत में भारी अंतर होने पर हैरानी जताई और दावा किया कि पाइप भी नहीं बिछाए गए थे, और यह भी कहा कि उनके द्वारा मामला उठाए जाने के बाद ही प्रशासन ने पाइप बिछाने का काम शुरू किया।

अकोईजाम ने बताया कि यह सरकार के अपने ही दावों को झूठा साबित करता है। एक ओर, सरकार दावा करती है कि काम पूरा हो गया है और लोगों को नल का पानी उपलब्ध कराया जा रहा है, जबकि सरकार ने पाइप बिछाने का काम शुरू कर दिया है। जबकि असल में, पाइप बिछाने का काम अभी शुरू ही हुआ है।

कांग्रेस सांसद ने कहा कि यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि राज्य को ऐसे समय में लूटा गया जब वह एक दुखद दौर से गुजर रहा था, जहां हर जगह हिंसा हो रही थी।

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महाराष्ट्र

गाजा पर इजरायली आक्रमण के खिलाफ 10 अक्टूबर को विरोध प्रदर्शन पुलिस अलर्ट पर है और सभी स्थितियों पर नजर रख रही है।

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मुंबई: गाजा में इजरायली आक्रामकता और फिलिस्तीनियों पर लगातार बमबारी के खिलाफ मुंबई के आजाद मैदान में विरोध प्रदर्शन किया गया है। इस विरोध प्रदर्शन को देखते हुए मुंबई पुलिस भी अलर्ट पर है। मुंबई में फिलिस्तीनियों के समर्थन में हो रहे विरोध प्रदर्शन के चलते बैठकों का दौर शुरू हो गया है। विधायक अबू आसिम आजमी, रईस शेख और नेताओं ने विरोध प्रदर्शन में शामिल होने की अपील की है। इतना ही नहीं, विरोध प्रदर्शन के लिए कई इलाकों में नुक्कड़ सभाएं और एनजीओ की बैठकें भी शुरू हो गई हैं।

शुक्रवार, 10 अक्टूबर को भारत-फिलिस्तीन एकजुटता मंच के बैनर तले एक विरोध प्रदर्शन का आयोजन किया गया है। पूर्व सांसद और पत्रकार कुमार किटकर, फिरोज मेथी बोरवाला, कॉमरेड शैलेंद्र कांबले, कॉमरेड अजीत पाटिल, एम.ए. खालिद और सईद खान इस विरोध प्रदर्शन को संबोधित करेंगे। फिलिस्तीन में हुए नरसंहार के खिलाफ दुनिया भर में विरोध प्रदर्शनों का एक लंबा सिलसिला चल रहा है, लेकिन इजरायल की हठधर्मिता अभी भी कायम है और आक्रमण व बमबारी जारी है।

मुंबई में हो रहे विरोध प्रदर्शन के चलते पुलिस हालात पर नज़र रख रही है। इतना ही नहीं, पुलिस ने आज़ाद मैदान की सुरक्षा व्यवस्था और सोशल मीडिया पर भी नज़र रखनी शुरू कर दी है। मुंबई में फ़िलिस्तीन के समर्थन में हो रहे विरोध प्रदर्शन में बड़ी संख्या में प्रदर्शनकारियों के शामिल होने की उम्मीद है, इसलिए पुलिस भी अलर्ट पर है। सिर्फ़ मुंबई ही नहीं, बल्कि आसपास के इलाकों और उपनगरों से भी मुसलमान और इंसाफ़ पसंद लोग इस विरोध प्रदर्शन में शामिल होंगे।

गाज़ा में लगातार हो रहे इसराइली आक्रमण के ख़िलाफ़ अब मुस्लिम देश भी एकजुट हो गए हैं। ऐसे में मुंबई में हो रहे विरोध प्रदर्शन पर भी पुलिस की नज़र है। इसके साथ ही, भड़काऊ और विवादित बयानों से लेकर विवादित और भड़काऊ बैनर-पोस्टर तक, हर चीज़ पर पुलिस की नज़र है।

शुक्रवार को फ़िलिस्तीन के विरोध प्रदर्शन के दौरान बरेली में हुई हिंसा के बाद मुसलमानों के घरों पर बुलडोज़र चलाने, हिंसा के बाद मुसलमानों को गिरफ़्तार करने और मौलाना तौकीर रज़ा की गिरफ़्तारी और रिहाई की मांग की संभावना है। ऐसे में पुलिस ने आज़ाद मैदान में विरोध प्रदर्शन की इजाज़त दे दी है। नेता और राष्ट्रीय दल भी इस विरोध प्रदर्शन में भाग लेने के लिए सोशल मीडिया पर अपील जारी कर रहे हैं, जिससे बड़ी संख्या में प्रतिभागियों के आकर्षित होने की संभावना है।

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