राष्ट्रीय
एक हजार से ज्यादा भारतीयों के पास 1 हजार करोड़ से अधिक रुपये की कुल संपत्ति: हुरुन इंडिया
हुरुन इंडिया के मुताबिक भारत ने 1,000 करोड़ रुपये की कुल संपत्ति वाले 1,000 से अधिक व्यक्तियों के होने का गौरव हासिल किया है।
आईआईएफएल वेल्थ हुरुन इंडिया की रिच लिस्ट 2021 से खुलासा हुआ है कि 119 शहरों में 1,007 व्यक्तियों की कुल संपत्ति 1,000 करोड़ रुपये है।
रिपोर्ट में कहा गया है कि संचयी संपत्ति में 51 प्रतिशत की वृद्धि हुई, जबकि औसत संपत्ति में 25 प्रतिशत की वृद्धि हुई।
इसके अलावा, रिपोर्ट में यह दर्शाया गया है कि 894 व्यक्तियों ने अपनी संपत्ति में वृद्धि देखी या वही बने रहे, जिनमें से 229 नए चेहरे हैं, जबकि 113 ने अपनी संपत्ति में गिरावट देखी और 51 ड्रॉपआउट थे।
वर्तमान में, भारत में 237 अरबपति हैं, जो पिछले वर्ष की तुलना में 58 अधिक है।
रिपोर्ट में कहा गया है कि ‘रसायन’ और ‘सॉ़फ्टवेयर’ क्षेत्रों ने सूची में सबसे बड़ी संख्या में नए प्रवेशकों को जोड़ा है। फार्मा अभी भी नंबर एक पर है और उसने सूची में 130 प्रवेशकों का योगदान दिया है। सूची में सबसे छोटा 23 वर्ष की आयु का है, जो पिछले साल सबसे कम आयु के प्रवेशक से तीन साल छोटा है।”
इसके अलावा, रिपोर्ट में बताया गया है कि रिलायंस इंडस्ट्रीज के अध्यक्ष और प्रबंध निदेशक मुकेश अंबानी 7,18,000 करोड़ रुपये की संपत्ति के साथ लगातार 10वें वर्ष भारत के सबसे अमीर व्यक्ति बने रहे।
“आईएनआर 5,05,900 करोड़ रूपये के साथ, गौतम अडानी और परिवार आईआईएफएल वेल्थ हुरुन इंडिया रिच लिस्ट 2021 में दो स्थान ऊपर दूसरे स्थान पर पहुंच गए।”
अडानी समूह का संयुक्त बाजार पूंजीकरण 9 लाख करोड़ रुपये है। अडानी पावर को छोड़कर सभी सूचीबद्ध कंपनियों का मूल्य एक लाख करोड़ रुपये से अधिक है।
हुरुन इंडिया के एमडी और चीफ रिसर्चर अनस रहमान जुनैद ने कहा, “गौतम अडानी एक नहीं, बल्कि पांच 1 लाख करोड़ रुपए की कंपनियां बनाने वाले अकेले भारतीय हैं।”
इसके अलावा, एचसीएल के शिव नादर ने तीसरी रैंक बरकरार रखी, क्योंकि यात्रा, खुदरा और आतिथ्य जैसे कोविड प्रभावित क्षेत्रों में एचसीएल के सीमित जोखिम के परिणामस्वरूप उनकी संपत्ति में 67 प्रतिशत की वृद्धि के साथ 2,36,600 करोड़ रुपये हो गए।
दिसंबर 2020 में समाप्त हुए 12 महीनों के लिए, एचसीएल 10 बिलियन डॉलर के राजस्व के निशान को तोड़ने वाली केवल तीसरी भारतीय आईटी कंपनी बन गई है।
राजनीति
अमृतसर में पीआरटीसी और पनबस कर्मचारियों का प्रदर्शन, पांच जिलों में किया चक्का जाम

अमृतसर, 23 अक्टूबर : पंजाब रोडवेज ट्रांसपोर्ट कॉर्पोरेशन (पीआरटीसी) और पनबस के कर्मचारियों ने गुरुवार को अमृतसर सहित पांच जिलों में चक्का जाम कर सरकार के खिलाफ विरोध प्रदर्शन किया। उन्होंने सरकार पर उनकी मांगें पूरी न करने का आरोप लगाया।
कर्मचारियों ने विभिन्न मांगों को लेकर अमृतसर के गोल्डन गेट पर ही बैठकर विरोध प्रदर्शन शुरू कर दिया, जिससे हाईवे पर लंबा जाम लग गया और यातायात पूरी तरह ठप हो गया।
प्रदर्शन की सूचना मिलते ही पुलिस प्रशासन मौके पर पहुंचा। पुलिस ने कर्मचारियों को समझाने का प्रयास किया, जिसके बाद दोनों के बीच धक्का-मुक्की भी हुई। मौके पर मौजूद कुछ पत्रकारों ने आरोप लगाया कि पुलिस अधिकारियों ने उनसे बदसलूकी की।
किसान नेता बलजीत सिंह ने आईएएनएस से बात करते हुए कहा कि सरकार हमारी मांग नहीं मान रही है। इसलिए हम लोग विरोध प्रदर्शन करने के लिए मजबूर हो गए हैं। हम लोगों ने इससे पहले भी सरकार को आगाह किया था कि हमारी मांग नहीं मानी जाएगी तो हम लोग सड़क पर उतर सकते हैं। जब बात नहीं सुनी गई तब हम उतरे। अब विरोध प्रदर्शन के बाद सरकार और मैनेजमेंट के साथ उनकी सहमति बन गई है।
उन्होंने कहा कि मैनेजमेंट ने एडीसीपी हरपाल सिंह की टीम के साथ बातचीत के बाद 31 अक्टूबर तक टेंडर प्रक्रिया को स्थगित करने का निर्णय लिया है। इसके साथ ही 28 अक्टूबर को यूनियन के साथ विशेष बैठक रखने का भी ऐलान किया गया। बैठक के बाद इसमें अंतिम फैसला लिया जाएगा।
बलजीत सिंह ने कहा कि यदि सरकार से उसके बाद भी समाधान नहीं हुआ, तो अगली रणनीति का ऐलान किया जा सकता है। सरकार पर निशाना साधते हुए उन्होंने कहा कि सरकार की नाकामियों के कारण कर्मचारियों को बार-बार सड़कों पर उतरने के लिए मजबूर होना पड़ रहा है।
एडीसीपी जगजीत सिंह वालिया ने मीडिया से बातचीत करते हुए बताया कि गोल्डन गेट पर लगा जाम अब खोल दिया गया है और यातायात सुचारू रूप से शुरू हो गया है। सरकार की ओर से कर्मचारियों के साथ बातचीत कर अगली तारीख तय कर दी गई है और शांतिपूर्ण समाधान की दिशा में कदम उठाए जा रहे हैं।
राजनीति
बिहार विधानसभा चुनाव : छठ के बाद कैसे रूकेंगे प्रवासी मतदाता? भाजपा ने बनाया पूरा प्लान

पटना, 23 अक्टूबर : बिहार में चुनावी बिगुल बजने के बाद भाजपा की टेंशन इस बात को लेकर बढ़ गई है कि आखिर छठ पूजा के संपन्न होने के बाद यहां प्रवासी मतदाताओं को कैसे रोका जाए? क्योंकि, छठ पूजा का त्योहार मनाने के लिए देश के कोने-कोने में रहने वाले बिहारवासी अपने प्रदेश का रुख करते हैं।
बिहार में दो चरणों में 6 और 11 नवंबर को मतदान होगा। वहीं, छठ पूजा 25 अक्टूबर से शुरू होकर 28 अक्टूबर तक चलेगी। लेकिन इससे पहले भाजपा के सामने सबसे बड़ी चुनौती यहां के प्रवासी मतदाताओं को छठ पूजा के बाद रोकना है।
एक सरकारी आंकड़े के मुताबिक, 48 लाख से ज्यादा प्रवासी बिहार छठ पूजा मनाने के लिए अपने प्रदेश का रुख करते हैं। इसमें से 45.78 लाख घरेलू प्रवासी और 2.17 लाख विदेश में काम करने वाले बिहार के लोग शामिल हैं।
यह सभी लोग प्रतिवर्ष छठ का त्योहार मनाने के लिए अपने प्रदेश का रुख करते हैं। इसके बाद अपने-अपने कर्मभूमि की ओर रवाना हो जाते हैं। आमतौर पर छठ पूजा के बाद लोग बिहार में रुकने से गुरेज करते हैं।
वहीं, अब जब बिहार में छठ के बाद चुनाव होना है, तो भाजपा ने ऐसे सभी प्रवासी लोगों को रोकने के लिए पूरा प्लान बना लिया है। भाजपा के एक सूत्र के मुताबिक, पार्टी की तरफ से प्रदेश के सभी जिलों में बूथ-स्तरीय अभियान की शुरुआत की गई है। इसके तहत पार्टी कार्यकर्ता घर-घर जाकर लोगों को मतदान के लिए प्रेरित कर रहे हैं। उनसे आग्रह कर रहे हैं कि वो मतदान समाप्त होने तक यहीं रहें। इसके बाद ही कहीं जाएं।
भाजपा के मुताबिक, हम इस बात को भलीभांति समझते हैं कि छठ के बाद किसी भी आम बिहारी के लिए अपने प्रदेश में रुकना मुश्किल हो जाता है। उन्हें अक्सर नौकरी गंवाने का डर रहता है। लेकिन, हम ऐसे सभी लोगों के बीच में जाकर उन्हें मतदान के लिए प्रेरित कर रहे हैं। इसके अलावा, हम उन्हें मतदान का महत्व भी समझा रहे हैं। हम उन्हें यह समझाने की कोशिश कर रहे हैं कि एक लोकतांत्रिक व्यवस्था में मतदान का क्या मूल्य होता है?
जानकारी के मुताबिक, बिहार विधानसभा चुनाव में प्रवासी लोगों की अहमियत को देखते हुए बूथ कार्यकर्ताओं और जिला अध्यक्षों तक को सक्रिय रहने का निर्देश दिया गया है।
सरकारी आंकड़ों के मुताबिक, प्रवासी मतदाताओं की सबसे अधिक संख्या पूर्वी चंपारण (6.14 लाख), पटना (5.68 लाख), सीवान (5.48 लाख), मुजफ्फरपुर (4.31 लाख) और दरभंगा (4.3 लाख) जैसे जिलों में है। यह सभी जिले पहले चरण के मतदान के तहत कवर कर दिए जाएंगे।
राष्ट्रीय
ताज होटल के अधिकारियों ने योरस्टोरी की फाउंडर का किया अपमान, बैठने का सीखा रहे थे सलीका

नई दिल्ली, 22 अक्टूबर : योरस्टोरी की फाउंडर और सीईओ श्रद्धा शर्मा ने ताज होटल के अधिकारियों पर उनके फाइन डाइनिंग रेस्टोरेंट हाउस ऑफ मिंग में पद्मासन में बैठने पर उन्हें अपमानित करने के आरोप लगाए हैं।
सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर एक पोस्ट में एक वीडियो के साथ जानकारी देते हुए शर्मा ने बताया कि उनके साथ यह वाक्या तब घटा जब वे दिवाली के दौरान अपनी बहन के साथ हाउस ऑफ मिंग में डिनर करने गई थीं।
उन्होंने बताया कि वे वहां पद्मासन की मुद्रा में बैठीं थी और अचानक मैनेजर ने उन्हें उनके बैठने के तरीके को लेकर फटकार लगा दी। उन्हें ठीक से बैठने की हिदायत दी गई क्योंकि वहां मौजूद दूसरे गेस्ट को शर्मा के इस तरह बैठने के तरीके से परेशानी हो रही थी।
शर्मा ने एक्स पर लिखा, “एक साधारण व्यक्ति, जो कड़ी मेहनत से अपनी कमाई करता है और अपनी गरिमा के साथ ताज होटल में आता है उसे आज भी, इस देश में जलील और अपमानित होना पड़ता है। मेरा गलती क्या है? बस इतनी कि मैं रेगुलर पद्मासन में बैठ गई? क्या यह मेरी गलती है कि ताज मुझे सीखा रहा है कि कैसे बैठना चाहिए और क्या करना चाहिए?
इतना ही नहीं, मैनेजर ने उनके कपड़ों पारंपरिक सलवार कमीज और फुटवियर कोल्हापुरी चप्पल के चुनाव को लेकर भी उनका अपमान किया।
उन्होंने कहा कि उन्होंने कड़ी मेहनत की और पैसे कमाकर फाइन डाइनिंग में जगह ली, लेकिन होटल समृद्धि, संस्कृति और क्लास से भरा हुआ है।
मैनेजर ने उनसे कहा कि यह फाइन डाइनिंग है और यहां बहुत से अमीर लोग आते हैं। इसलिए, आपको सही तरीके से बैठना चाहिए।
मैनेजर ने उन्हें क्लोज्ड शू पहनने की हिदायत तक दे डाली।
इस पर नाराज शर्मा ने कहा, “मैं कोल्हापुरी चप्पल पहनती हूँ, वो मैंने अपनी मेहनत से खरीदा है और यहां आई हूं। लेकिन यहां आकर स्टाफ का ये कहना कि आप पैर नीचे कर बैठो पूरी तरह से गलत है।”
उन्होंने कहा कि वह उद्योगपति रतन टाटा का बहुत सम्मान करती हैं, लेकिन इस घटना ने उन्हें ताज से निराश कर दिया।
रतन टाटा को लेकर उन्होंने बताया कि वे शर्मा की कंपनी में निवेशक भी रह चुके थे।
ताज ने अभी तक इन आरोपों का जवाब नहीं दिया है, लेकिन इस पोस्ट पर शर्मा के सपोर्ट और होटल समूह की आलोचना करते हुए कई कमेंट्स आ रहे हैं।
एक एक्स हैंडल यूजर ने लिखा, “बोल देना चाहिए कि जिस गेस्ट को प्रॉब्लम हो वह आकर मिले। उससे भी ज्यादा ठीक रहता कि आप वहां से खड़े होकर बाहर निकल जाते, हम पैसा देकर जाते है, हम कस्टमर हैं और वो हमारा अपमान करने आएं तो क्यों सहन करना है?
वो हमसे हैं, हम उनसे नही। उन्हें जरूरत नही लगती तो हमे बाहर निकल जाना चाहिए।”
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