राजनीति
चिदंबरम ने 6 लाख करोड़ रुपये के एनएमपी पर केंद्र से पूछे 20 सवाल

कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और पूर्व केंद्रीय वित्त मंत्री पी. चिदंबरम ने शुक्रवार को केंद्र की प्रस्तावित राष्ट्रीय मुद्रीकरण पाइपलाइन (एनएमपी) पर 20 सवाल पूछे, जिसका मकसद कुछ संपत्तियों का ‘मुद्रीकरण’ करना और इस पर अगले चार साल तक 6 लाख करोड़ रुपये का राजस्व अर्जित करना है। यह कहते हुए कि सरकार को सवालों का जवाब देना चाहिए, उन्होंने एनएमपी के उद्देश्यों को जानने की मांग की और पूछा कि क्या यह केवल अगले चार वर्षों में राजस्व बढ़ाने का इरादा है।
पिछली संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन (संप्रग) सरकार के दौरान विनिवेश या निजीकरण किए जाने वाले सार्वजनिक उपक्रमों की पहचान करने के लिए अपनाए गए मानदंडों का उल्लेख करते हुए, चिदंबरम ने सवाल किया कि क्या वर्तमान राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) शासन के साथ भी ऐसा ही है।
कांग्रेस के वरिष्ठ नेता ने देश की व्यावसायिक राजधानी मुंबई में मीडिया को संबोधित करते हुए यह टिप्पणी की।
यह इंगित करते हुए कि सड़कों/राजमार्गों जैसी बुनियादी परियोजनाओं के लिए, एक पीपीपी नीति पहले से मौजूद है, उन्होंने पूछा कि इस (पीपीपी) मॉडल और एनएमपी के तहत केंद्र द्वारा अपनाए जाने वाले मॉडल के बीच आखिर क्या अंतर है।
चिदंबरम ने सवाल पूछा कि इसके अलावा, यदि कोई संपत्ति 30-50 वर्षों के लिए ‘मुद्रीकृत’ है, तो उस कागज के टुकड़े का क्या मूल्य है, जो सरकार को उस संपत्ति का मालिक घोषित करता है और सरकार को किस तरह की संपत्ति वापस की जाएगी।
उन्होंने आगे कहा कि चूंकि एनएमपी इस विषय पर चुप है, क्या सरकार अनुबंध में यह निर्धारित करेगी कि मूल्यह्रास की राशि को मूल्यह्रास आरक्षित खाते में रखा जाना चाहिए।
उन्होंने यह भी जवाब मांगा कि क्या पट्टेदार द्वारा संपत्ति-स्ट्रिपिंग को रोकने के लिए अनुबंध में प्रावधान होगा, यह सुनिश्चित करने के लिए कि मुद्रीकरण प्रक्रिया उस क्षेत्र में एकाधिकार या एकाधिकार नहीं बनाती है।
वित्त विशेषज्ञ ने पूछा कि क्या पट्टेदार मुद्रीकृत संपत्ति में रोजगार के मौजूदा स्तरों और आरक्षण की नीति, या अन्य नीतियों, क्षेत्रीय नियामकों के अधीन् आदि का प्रबंधन करेगा।
रेलवे को ‘रणनीतिक क्षेत्र’ के रूप में पहचाने जाने वाले यूपीए की ओर इशारा करते हुए उन्होंने पूछा कि केंद्र ने ‘कोर’ या ‘रणनीतिक’ के रूप में किन अन्य क्षेत्रों की पहचान की है, जिन्हें एनएमपी के दायरे से बाहर रखा जाएगा।
चिदंबरम ने सवाल पूछा, “क्या सरकार ने संबंधित क्षेत्र/उद्योग में वस्तुओं और सेवाओं की कीमतों पर एनएमपी के कार्यान्वयन के प्रभाव की जांच की है? मुद्रीकृत संपत्ति के पट्टेदार द्वारा कीमतों में वृद्धि की स्थिति में सरकार या नियामक क्या करेंगे।”
चार वर्षों में 6,00,000 करोड़ रुपये के अनुमानित राजस्व के सरकार के रहस्योद्घाटन का उल्लेख करते हुए, उन्होंने पूछा कि क्या सरकार पहचान की गई संपत्ति में कुल पूंजी निवेश पर प्रकाश डालेगी, जिससे उपरोक्त राजस्व प्राप्त होने की उम्मीद है।
कांग्रेस नेता ने आगे सवाल पूछते हुए कहा, “पहचान की गई संपत्ति वर्तमान में हर साल एक निश्चित राजस्व अर्जित कर रही होगी। क्या सरकार ने चार वर्षों की अवधि में वर्तमान राजस्व (अघोषित) और अपेक्षित राजस्व (6,00,000 करोड़ रुपये) के बीच अंतर की गणना की है? यदि हां, तो चार साल की अवधि के दौरान प्रत्येक वर्ष दो राशियों के बीच का अंतर क्या है?”
उन्होंने जोर देकर कहा कि उनकी पार्टी ने सत्ता में रहते हुए, घाटे में चल रही संपत्तियों का मुद्रीकरण किया, जबकि नरेंद्र मोदी सरकार इसके उलट कर रही है। उन्होंने कहा कि कांग्रेस ने कभी सामरिक महत्व वाली संपत्तियों को नहीं बेचा।
चिदंबरम ने जोर देकर कहा, “हमने हमेशा सुनिश्चित किया कि किसी तरह का एकाधिकार नहीं होना चाहिए।” कांग्रेस के वरिष्ठ नेता के अनुसार, सरकार को स्पष्ट करना चाहिए कि छह लाख करोड़ रुपये के राजस्व का उपयोग 2021-22 के दौरान 5.5 लाख करोड़ रुपये के राजकोषीय घाटे के संदर्भ में आंशिक रूप से नहीं होगा।
उन्होंने सरकार से यह बताने का भी आग्रह किया कि एनएमपी के उद्देश्य क्या हैं और छह लाख करोड़ रुपये का राजस्व एकत्र करने का मुख्य लक्ष्य क्या है ?
इसके अलावा, उन्होंने केंद्र से आश्वासन मांगा कि 6,00,000 करोड़ रुपये की अपेक्षित राशि को सामान्य राजस्व में विलय नहीं किया जाएगा या सामान्य व्यय के लिए उपयोग नहीं किया जाएगा।
कांग्रेस नेता ने पूछा कि क्या सरकार ने एनएमपी पर एक परामर्श पत्र जारी किया, श्रमिकों या ट्रेड यूनियनों सहित विभिन्न हितधारकों से परामर्श किया?
उन्होंने यह भी पूछा कि क्या एनएमपी पर संसद में चर्चा हुई थी, और यदि नहीं, तो क्या केंद्र विपक्षी दलों से परामर्श करने या संसद में बहस करने की योजना बना रहा है।
चिदंबरम ने पूछा, “क्या सरकार एनएमपी को लागू करते समय इसी तरह के उपायों को पेश करने का इरादा रखती है।”
इसके साथ ही कांग्रेस नेता चिदंबरम ने कहा, “केंद्र इन सवालों के जवाब देने के लिए बाध्य है और मीडिया को सरकार से जवाब मांगना चाहिए।”
महाराष्ट्र
बिहार की तर्ज पर देशभर में निकाली जाएगी ‘वोटर अधिकार यात्रा’: संजय राउत

पटना, 1 सितंबर : बिहार की राजधानी पटना में ‘वोटर अधिकार यात्रा’ के आखिरी दिन विपक्ष दलों के तमाम नेता पहुंचे। शिवसेना (यूबीटी) सांसद संजय राउत ने इस यात्रा को सफल बताते हुए दावा किया कि इस यात्रा का संदेश बिहार के कोने-कोने तक पहुंचा है और अब बिहार की तर्ज पर देशभर में ये यात्रा निकाली जाएगी।
संजय राउत ने कहा, “यात्रा का संदेश पूरे देश में फैलेगा। ‘वोटर अधिकार यात्रा’ हर राज्य में शुरू होगी। राहुल गांधी और तेजस्वी यादव के नेतृत्व में यह एक ऐतिहासिक पहल है।
उन्होंने कहा कि महाराष्ट्र में, हमने वोटों की हेराफेरी के प्रभावों को व्यक्तिगत रूप से अनुभव किया है। अब, इस क्रांतिकारी यात्रा का उद्देश्य देश भर में ऐसी प्रथाओं को रोकना है।
सीपीआई (एम) नेता एमए बेबी ने कहा, “पूरे बिहार के युवाओं और आम लोगों ने वोटर अधिकार यात्रा का समर्थन किया है। संविधान में जो अधिकार लोगों को मिला है, उस अधिकार को बचाने की लड़ाई है। विधानसभा चुनाव में भाजपा की विदाई तय है।
टीएमसी नेता ललितेश त्रिपाठी ने कहा कि चुनाव आयोग के सामने विपक्ष ने वोटर लिस्ट में हुई गड़बड़ी को लेकर कई सवाल पूछे हैं, लेकिन किसी भी सवाल का जवाब नहीं मिला है। मार्च में टीएमसी प्रमुख ममता बनर्जी ने चुनाव आयोग के सामने डुप्लीकेट मतदाता की सूची सामने रखी, लेकिन जवाब नहीं मिला। राहुल गांधी ने वोटर लिस्ट में गड़बड़ी को लेकर देश को जगाने का काम किया है। हमारा धर्म है कि संविधान और लोकतंत्र को बचाएं।
कांग्रेस नेता के. सुरेश ने कहा कि बिहार की जनता ने वोटर अधिकार यात्रा में भरपूर प्यार दिया है। चुनाव आयोग लगातार भाजपा के साथ मिलकर लोगों के अधिकारों से वंचित करने की साजिश रच रहा है, लेकिन हम ऐसा नहीं होने देंगे। इस यात्रा का असर आगामी विधानसभा चुनाव में देखने को मिलेगा।
एनसीपी (एसपी) नेता जितेंद्र आव्हाड ने कहा कि यह यात्रा वाकई उल्लेखनीय रही है। पूरा देश जाग उठा है। लोग देख रहे हैं कि कैसे कुछ लोग वोटों की हेराफेरी करके, संविधान को नष्ट करके और उसे रौंदकर सत्ता में आए हैं। वे गणतंत्र को कमजोर कर रहे हैं।
उन्होंने कहा कि जब भी बिहार ने अपनी आवाज उठाई है, देश ने उसका जवाब दिया है, चाहे वह महात्मा गांधी के समय का चंपारण आंदोलन हो, लोहिया का समाजवादी आंदोलन हो, या जयप्रकाश नारायण का ‘संपूर्ण क्रांति’ का आह्वान हो। जब भी बिहार ने आवाज उठाई है, देश ने उसका समर्थन किया है।
यात्रा के दौरान हुई कुछ घटनाओं पर कहा कि भाजपा चाहती थी कि इस यात्रा को बदनाम किया जाए।
अंतरराष्ट्रीय समाचार
आईटी शेयरों में तेजी से सेंसेक्स 330 अंक चढ़ा, निफ्टी 24,500 स्तर के ऊपर

मुंबई, 1 सितंबर: भारतीय बेंचमार्क सूचकांकों ने सोमवार को सप्ताह की शुरुआत बढ़त के साथ की। शुरुआती कारोबार में आईटी और पब्लिक सेक्टर बैंक के शेयरों में तेजी रही।
अमेरिकी कोर्ट के एक फैसले से मार्केट सेंटीमेंट को बल मिला, जिसमें कहा गया था कि अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के टैरिफ अवैध थे, लेकिन अक्टूबर के मध्य तक उन्हें बरकरार रखा जाएगा। इसके अलावा, जून तिमाही के अनुमान से बेहतर जीडीपी आंकड़ों से भी बाजार में तेजी आई।
सुबह के कारोबार में सेंसेक्स 335 अंक या 0.42 प्रतिशत बढ़कर 80,144 पर पहुंच गया, जबकि निफ्टी 50 इंडेक्स 104.30 अंक या 0.43 प्रतिशत बढ़कर 24,531 पर पहुंच गया।
ब्रॉड-कैप सूचकांकों ने बेंचमार्क से बेहतर प्रदर्शन किया। निफ्टी मिडकैप 100 में 0.85 प्रतिशत और निफ्टी स्मॉलकैप 100 में 0.70 प्रतिशत की बढ़त दर्ज की गई।
सेक्टोरल फ्रंट पर, निफ्टी आईटी सूचकांक 1.59 प्रतिशत की बढ़त के साथ शीर्ष प्रदर्शन करने वाला सूचकांक रहा। निफ्टी कंज्यूमर ड्यूरेबल्स सूचकांक में 0.98 प्रतिशत की तेजी आई। निफ्टी मेटल और पीएसयू बैंक सूचकांक क्रमशः 0.78 और 0.79 प्रतिशत की बढ़त में रहे। दूसरी ओर, निफ्टी एफएमसीजी सूचकांक ने 0.24 प्रतिशत की गिरावट दर्ज की।
निफ्टी पैक में टेक महिंद्रा, टीसीएस, हीरो मोटोकॉर्प, एचसीएल टेक और ट्रेंट टॉप गेनर्स रहे। इस बीच, जियो फाइनेंशियल 1.14 प्रतिशत की गिरावट के साथ टॉप लूजर रहा, इसके बाद टॉप लूजर्स की लिस्ट में रिलायंस, एचयूएल, मारुति सुजुकी और टाटा कंज्यूमर प्रोडक्ट्स का स्थान रहा।
चॉइस ब्रोकिंग के मंदार भोजने ने कहा, “निफ्टी 50 अपने 100-डीईएमए से नीचे कारोबार कर रहा है, जो एक कमजोर रुझान दर्शाता है और अगर यह 24,350 से नीचे चला जाता है तो और अधिक गिरावट का जोखिम है। मुख्य समर्थन 24,350 और 24,150 पर हैं, जबकि प्रतिरोध 24,600-24,800 पर है।”
विश्लेषकों को यह भी उम्मीद है कि ट्रंप के मनमाने व्यवहार के जवाब में चीन, भारत और रूस एकजुट होंगे, जिससे वैश्विक शक्ति समीकरण और व्यापार प्रभावित होंगे।
जियोजित इन्वेस्टमेंट्स लिमिटेड के मुख्य निवेश रणनीतिकार डॉ. वीके विजयकुमार ने कहा कि अमेरिकी अदालत का यह फैसला कि ट्रंप के टैरिफ अवैध हैं, एक बड़ी घटना है और इस मुद्दे पर सुप्रीम कोर्ट का अंतिम फैसला बेहद अहम है।
उन्होंने आगे कहा, “घरेलू स्तर पर, भारत की पहली तिमाही की जीडीपी वृद्धि दर 7.8 प्रतिशत रही, जो उम्मीद से कहीं बेहतर है। ऐसा प्रतीत होता है कि बजट में दिए गए राजकोषीय प्रोत्साहन और एमपीसी द्वारा दिए गए मौद्रिक प्रोत्साहन का असर अब दिखने लगा है। प्रस्तावित जीएसटी सुधार आने वाली तिमाहियों में विकास को गति दे सकते हैं।”
शुक्रवार को अमेरिकी बाजार लाल निशान में बंद हुए, जहां डॉव जोन्स इंडस्ट्रियल एवरेज में 0.2 प्रतिशत की गिरावट आई, जबकि नैस्डैक में 1.15 प्रतिशत और एसएंडपी 500 में 0.64 प्रतिशत की गिरावट आई।
एशियाई बाजारों में सप्ताह की शुरुआत मिली-जुली रही। चीन का शंघाई सूचकांक 0.48 प्रतिशत और शेन्जेन सूचकांक 0.52 प्रतिशत की बढ़त में रहे। जापान का निक्केई 2.03 प्रतिशत की गिरावट में रहा, जबकि हांगकांग का हैंगसेंग सूचकांक 2.02 प्रतिशत की तेजी में रहा। दक्षिण कोरिया का कोस्पी 0.83 प्रतिशत की गिरावट में रहा।
विदेशी संस्थागत निवेशकों (एफआईआई) ने अगस्त में भारतीय शेयरों से 34,993 करोड़ रुपए निकाले, जो इस वर्ष की उनकी सबसे बड़ी गिरावट थी, क्योंकि अमेरिकी टैरिफ झटकों और जून तिमाही की कमजोर आय से सेंटीमेंट प्रभावित हुआ था।
राजनीति
दिल्ली में आम लोगों की सुरक्षा भगवान भरोसे है : आम आदमी पार्टी

नई दिल्ली, 30 अगस्त। दिल्ली की कानून-व्यवस्था को लेकर सियासत तेज हो गई है। शुक्रवार रात कालकाजी मंदिर में सेवादार योगेंद्र सिंह की हत्या कर दी गई। वारदात का वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल होने के बाद आम आदमी पार्टी (आप) ने भाजपा पर हमला बोला है।
इस घटना को लेकर आम आदमी पार्टी (आप) के राष्ट्रीय संयोजक अरविंद केजरीवाल ने सोशल मीडिया पर लिखा, ”अब मंदिर के अंदर भी हत्या होने लगी है। छह-सात महीने में भाजपा की चारों इंजन की सरकारों ने दिल्ली का क्या हाल कर दिया है? कालकाजी मंदिर के अंदर सेवादार की निर्मम हत्या करने से पहले क्या बदमाशों के हाथ नहीं कांपे? क्या दिल्ली में कोई सुरक्षित है भी या नहीं?”
दिल्ली प्रदेश संयोजक सौरभ भारद्वाज ने पुलिस पर लापरवाही का आरोप लगाते हुए कहा कि सेवादार को सिर्फ प्रसाद में चुन्नी नहीं देने पर मौत के घाट उतार दिया गया।
उन्होंने कहा, ”दिल्ली में हालात बद से बदतर होते जा रहे हैं। पुलिस सिर्फ राजनीतिक कामों में व्यस्त है और चोर-गुंडे, गैंगस्टर पुलिस से बिल्कुल नहीं डरते। हम पुलिस कमिश्नर से मुलाकात कर इस मामले पर जवाब मांगेंगे।”
वहीं, दिल्ली विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष आतिशी ने भी भाजपा सरकार पर सीधा हमला बोलते हुए कहा, ”कालकाजी मंदिर में सेवादार योगेंद्र सिंह की हत्या ने साफ कर दिया है कि दिल्ली में कानून-व्यवस्था पूरी तरह ध्वस्त हो चुकी है। अपराधियों को न पुलिस का डर है, न कानून का। आज दिल्ली जंगलराज में बदल चुकी है, जहां आम लोगों की सुरक्षा भगवान भरोसे है।”
गौरतलब है कि आम आदमी पार्टी (आप) लंबे समय से दिल्ली की कानून-व्यवस्था को लेकर सवाल उठा रही है। पार्टी नेताओं का कहना है कि सरेआम हत्या, लूट, छिनतई, अपहरण और दुष्कर्म जैसी घटनाएं लगातार बढ़ रही हैं। लेकिन, सरकार और दिल्ली पुलिस की ओर से कोई ठोस कदम नहीं उठाए गए।
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