अंतरराष्ट्रीय
भारत के उद्योग 4.0 परिवर्तन को बढ़ावा देने के लिए इंटेल का प्लगइन एलायंस

इंटेल इंडिया ने गुरुवार को देश में उद्योग 4.0 परिवर्तन को तेज करने पर ध्यान देने के साथ-साथ अपनी तरह का पहला उद्योग-प्रौद्योगिकी गठबंधन प्लगिन एलायंस लॉन्च किया है। एलायंस, सोसाइटी फॉर इनोवेशन एंड एंटरप्रेन्योरशिप, आईआईडी बॉम्बे के सहयोग से, बड़े उद्यमों, छोटे और मीयूडीम उद्यमों (एसएमई), प्रौद्योगिकी समाधान प्रदाताओं, सिस्टम इंटीग्रेटर्स, स्टार्टअप्स, स्टार्टअप इकोसिस्टम का प्रतिनिधित्व करने वाले सदस्यों को एक साथ लाने का लक्ष्य है।
प्लगइन एलायंस का उद्देश्य कृत्रिम बुद्धिमत्ता (एआई), मशीन विजन, संवर्धित वास्तविकता और आभासी वास्तविकता (एआर , वीआर), रोबोटिक्स, साइबर सुरक्षा, 5 जी और एज, उन्नत ड्राइवर सहायता प्रणाली (एडीएएस) और गतिशीलता में फैले उभरते प्रौद्योगिकी समाधानों को आगे बढ़ाना है। और अन्य भविष्य की उभरती प्रौद्योगिकियां डिजिटल परिवर्तन में तेजी लाने में मदद करेगी।
इंटेल इंडिया के कंट्री हेड निवृति राय और इंटेल फाउंड्री सर्विसेज के उपाध्यक्ष ने एक बयान में कहा, उद्योगों और व्यवसायों में डिजिटलीकरण केंद्र स्तर पर ले जाने के साथ, इंटेल डिजिटल परिवर्तन को चलाने के लिए भारत पारिस्थितिकी तंत्र के साथ साझेदारी करने के लिए प्रतिबद्ध है। प्लगइन एलायंस पारिस्थितिकी तंत्र के प्रमुख घटकों को एक मंच पर एक साथ लाता है ताकि स्मार्ट औद्योगिक खोजने, नवाचार करने, निर्माण करने, अपनाने और स्केल करने के लिए एक मंच पर लाया जा सके।
वैश्विक स्तर पर, राय ने कहा, जैसा कि भारत स्वतंत्रता के 75 वें वर्ष में प्रवेश करता है, इस तरह की पहली पहल का शुभारंभ प्रौद्योगिकी का लाभ उठाने, भारत को स्मार्ट औद्योगिक समाधानों के लिए एक वैश्विक केंद्र में बदलने और हमारे उद्योगों की प्रतिस्पर्धात्मकता को बढ़ाने के लिए एक यात्रा की शुरूआत का प्रतीक है।
गठबंधन अपने उद्योग के सदस्यों के लिए विशेष रुचि समूहों के गठन को सक्षम करेगा ताकि नवाचार और उभरती प्रौद्योगिकियों को संभावित रूप से अपनाया जा सके। फोकस क्षेत्रों में से एक एलायंस सदस्यों के लिए उनकी रुचि और प्राथमिकताओं के आधार पर उद्योग 4.0 स्टार्टअप्स को क्यूरेट करना होगा।
प्लगइन एक्सेलेरेटर प्रोग्राम, जो अब प्लगइन एलायंस का एक हिस्सा है, उन स्टार्टअप्स के लिए उपलब्ध होगा जो एलायंस के सदस्य हैं। एक्सेलेरेटर एलायंस सदस्य समुदाय के भीतर से डोमेन, तकनीकी और व्यावसायिक सलाहकारों को आकर्षित करेगा और आवश्यकता के आधार पर बाहरी सलाहकारों को देखेगा। एलायंस में वर्तमान में 25 स्टार्टअप सहित 53 सदस्य हैं।
राय ने कहा, प्लगइन एलायंस का विचार बेहतर समय पर नहीं आ सकता था, जब विभिन्न कार्यक्षेत्रों के व्यवसाय प्राथमिकता के आधार पर डिजिटलीकरण को अपना रहे हैं। उद्योग, शिक्षा और स्टार्टअप को एक ही मंच पर लाकर, व्यवसायों और स्टार्टअप के पारस्परिक लाभ के लिए प्रक्रिया में तेजी आएगी।
अंतरराष्ट्रीय
अमेरिकी टैरिफ के बीच भारत ने शीर्ष 40 देशों में निर्यात बढ़ाने की कोशिशों को तेज किया

नई दिल्ली, 27 अगस्त : अमेरिका की ओर से भारतीय निर्यात पर 50 प्रतिशत टैरिफ लगाने के बाद, भारत ने 40 देशों में निर्यात बढ़ाने के लिए कोशिशों को तेज कर दिया है। इन देशों में यूके, स्पेन, फ्रांस, जर्मनी और इटली का नाम शामिल है। यह जानकारी एक वरिष्ठ अधिकारी की ओर से दी गई।
इन प्रयासों में ट्रेड फेयर, वायर-सेलर मीट्स और सेक्टर-विशेष प्रमोशन कैंपेन शामिल हैं।
अन्य देशों में नीदरलैंड, पोलैंड, कनाडा, मैक्सिको, रूस, बेल्जियम, तुर्की, संयुक्त अरब अमीरात और ऑस्ट्रेलिया शामिल हैं।
वरिष्ठ अधिकारी ने आगे बताया कि वाणिज्य मंत्रालय भारत के निर्यात में विविधता लाने और वैश्विक बाजारों में अपनी उपस्थिति को मजबूत करने के लिए नए सिरे से प्रयास के तहत इस सप्ताह निर्यातकों के साथ परामर्श की एक श्रृंखला आयोजित करने वाला है।
सूत्रों ने कहा कि इन बैठकों में कपड़ा, केमिकल और जेम्स एवं ज्वेलरी सहित प्रमुख क्षेत्रों के उद्योग प्रतिनिधि एक साथ आएंगे।
इन बैठकों में चर्चाएं सीमित उत्पादों और बाजारों पर निर्भरता कम करने की रणनीतियों और नए भौगोलिक क्षेत्रों में प्रवेश के लिए एक रोडमैप तैयार करने पर केंद्रित रहने की उम्मीद है।
यह कदम ऐसे समय उठाया गया है जब सरकार प्रस्तावित एक्सपोर्ट प्रमोशन मिशन पर काम तेज कर रही है, जिसका उद्देश्य निर्यातकों को लक्षित समर्थन और बाजार संबंधी जानकारी प्रदान करना है।
वाणिज्य सचिव सुनील बर्थवाल ने इस महीने की शुरुआत में कहा था कि अमेरिका द्वारा घोषित शुल्कों में भारी वृद्धि के बाद, सरकार देश के निर्यात को अन्य देशों में विविधता लाने के प्रयास कर रही है।
सरकार मुक्त व्यापार समझौतों को तेजी से लागू करने और यूरोपीय संघ, ब्रिटेन, ओमान, आसियान, न्यूजीलैंड, पेरू और चिली जैसे मौजूदा समझौतों की समीक्षा करने की कोशिश कर रही है।
उन्होंने कहा कि एक्सपोर्ट प्रमोशन स्कीम के लिए विदेशों में मिशनों को संगठित करके शीर्ष 50 आयातक देशों पर अधिक ध्यान केंद्रित करने के लिए कदम उठाए जा रहे हैं। आगे कहा कि विभिन्न एक्सपोर्ट प्रमोशन स्कीम्स पर भी प्रयास तेज किए जा रहे हैं।
वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालय ने निर्यात केंद्रित उद्योगों की सहायता के लिए 25,000 करोड़ रुपए की योजानओं का प्रस्ताव तैयार किया है, जिसका मुख्य उद्देश्य छह वर्ष की अवधि के लिए एक्सपोर्ट प्रमोशन मिशन के तहत कपड़ा, रत्न एवं आभूषण और समुद्री उत्पादों जैसे श्रम-प्रधान क्षेत्रों में छोटे निर्यातकों की फंडिंग करने में सहायता करना है।
एक वरिष्ठ अधिकारी ने पुष्टि की कि प्रस्ताव को मंजूरी के लिए वित्त मंत्रालय के पास भेज दिया गया है, जिसके बाद इसे कैबिनेट की मंजूरी के लिए भेजा जाएगा और फिर यह लागू होगा।
इन योजनाओं को विश्व व्यापार संगठन (डब्ल्यूटीओ) के नियमों के अनुरूप तैयार किया गया है और यह ट्रे़ड फाइनेंस और निर्यातकों के लिए बाजार पहुंच में सुधार पर ध्यान केंद्रित करेंगी।
राजनीति
भारत की जीडीपी अगले तीन वर्षों में सालाना 6.8 प्रतिशत बढ़ने का अनुमान : एसएंडपी ग्लोबल

नई दिल्ली, 14 अगस्त। एसएंडपी ग्लोबल ने गुरुवार को कहा कि भारत दुनिया की सबसे अच्छी प्रदर्शन करने वाली अर्थव्यवस्थाओं में से एक बना हुआ है और हमें उम्मीद है कि मध्यम अवधि में विकास की गतिशीलता जारी रहेगी। इसी के साथ, अगले तीन वर्षों में देश की जीडीपी में सालाना 6.8 प्रतिशत की वृद्धि होगी।
भारत राजकोषीय कंसोलिडेशन को प्राथमिकता दे रहा है, जो मजबूत इंफ्रास्ट्रक्चर को बनाए रखते हुए सस्टेनेबल पब्लिक फाइनेंस प्रदान करने के लिए सरकार की राजनीतिक प्रतिबद्धता को दर्शाता है।
ग्लोबल रेटिंग एजेंसी ने एक नोट में कहा, “हमारा अनुमान है कि इस वर्ष भारत की रियल जीडीपी वृद्धि दर 6.5 प्रतिशत रहेगी, जो व्यापक वैश्विक धीमी गति के बीच उभरते बाजारों के समकक्षों की तुलना में अनुकूल है।”
इसमें कहा गया है, “मजबूत आर्थिक विस्तार का भारत के क्रेडिट मेट्रिक्स पर सकारात्मक प्रभाव पड़ रहा है और हमें उम्मीद है कि मजबूत आर्थिक बुनियादी ढांचे अगले दो से तीन वर्षों में विकास की गति को सहारा देंगे। इसके अलावा, मौद्रिक नीति सेटिंग्स मुद्रास्फीति संबंधी अपेक्षाओं के प्रबंधन के लिए तेजी से अनुकूल हो गई हैं।”
पिछले पांच-छह वर्षों में सरकारी खर्च की गुणवत्ता में सुधार हुआ है। वर्तमान प्रशासन ने बजट आवंटन को इंफ्रास्ट्रक्चर पर खर्च करने के लिए तेजी से स्थानांतरित किया है। इसमें कहा गया है कि केंद्र सरकार का पूंजीगत व्यय (कैपेक्स) वित्त वर्ष 2026 में बढ़कर 11.2 ट्रिलियन रुपए या सकल घरेलू उत्पाद का लगभग 3.1 प्रतिशत हो जाएगा।
यह एक दशक पहले के सकल घरेलू उत्पाद के 2 प्रतिशत से ज्यादा है। राज्यों द्वारा किए गए पूंजीगत व्यय को जोड़ने पर इंफ्रास्ट्रक्चर में कुल सार्वजनिक निवेश सकल घरेलू उत्पाद का लगभग 5.5 प्रतिशत होने का अनुमान है, जो अन्य संप्रभु समकक्षों के बराबर या उससे अधिक है।
ग्लोबल रेटिंग एजेंसी ने कहा, “हमारा मानना है कि भारत में इंफ्रास्ट्रक्चर और कनेक्टिविटी में सुधार से वे रुकावटें दूर होंगी, जो दीर्घकालिक आर्थिक विकास में बाधा बन रही हैं।”
पिछले तीन वर्षों में, वैश्विक ऊर्जा कीमतों में उतार-चढ़ाव और आपूर्ति-पक्ष के झटकों के बावजूद, उपभोक्ता मूल्य सूचकांक की वृद्धि दर औसतन 5.5 प्रतिशत रही। हाल के महीनों में, यह भारतीय रिजर्व बैंक के 2 प्रतिशत-6 प्रतिशत के लक्ष्य की निचली सीमा पर रही।
ये घटनाक्रम, घरेलू पूंजी बाजार की मजबूती के साथ, मौद्रिक परिदृश्य के लिए एक अधिक स्थिर और सहायक वातावरण को दर्शाते हैं।
व्यापार
आरबीआई 2025 की चौथी तिमाही में रेपो रेट में कर सकता है 25 आधार अंक की कटौती: एचएसबीसी

नई दिल्ली, 13 अगस्त। जून से जारी हाई-फ्रीक्वेंसी डेटा में अगर नरमी कायम रहती है तो भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) इस वर्ष की चौथी तिमाही में रेपो रेट में 25 आधार अंक की कटौती कर सकता है। यह जानकारी बुधवार को जारी रिपोर्ट में दी गई।
एचएसबीसी ग्लोबल इन्वेस्टमेंट रिसर्च की रिपोर्ट के अनुसार,अगर हाई-फ्रीक्वेंसी इंटीकेटर्स आने वाले महीनों में कमजोर रहते हैं तो आरबीआई विकास दर का अनुमान घटा सकता है। ऐसे में केंद्रीय बैंक द्वारा 2025 की चौथी तिमाही में रेपो रेट को 0.25 प्रतिशत घटाकर 5.25 प्रतिशत किया जा सकता है।
आरबीआई की ओर से अगस्त की मौद्रिक नीति में रेपो रेट को 5.5 प्रतिशत पर रख गया था। इससे पहले जून की मौद्रिक नीति में केंद्रीय बैंक ने रेपो रेट में 0.50 प्रतिशत की कटौती की थी।
जुलाई में खुदरा महंगाई दर सालाना आधार पर 1.55 प्रतिशत रही है। यह महंगाई का आठ वर्ष का निचला स्तर था। खाद्य उत्पादों की कीमतों में मामूली बढ़ोतरी है, लेकिन ऊर्जा की कीमतों और मुख्य महंगाई दर में नरमी जारी है।
रिपोर्ट में बताया गया कि वित्त वर्ष 26 में महंगाई औसत 3.2 प्रतिशत पर रहने की उम्मीद है। इसकी वजह कम आधार होना, अनाज का अच्छा भंडार, खरीफ फसलों की अच्छी बुआई और कमोडिटी की कीमतों का कमजोर होना है।
रिपोर्ट में कहा गया है कि सब्जियों की कीमतें, जो पहले छह महीने तक अवस्फीति में थीं, उम्मीद से ज्यादा तेजी से बढ़ी हैं, जिसके कारण आंकड़े अप्रत्याशित रहे।
सब्जियों को छोड़कर, मुख्य महंगाई दर घटकर 3.6 प्रतिशत रह गई, जो पहले 3.8 प्रतिशत थी।
खाद्य पदार्थों की कीमतें छह महीने बाद अपस्फीति से उबरीं, जिनमें 0.2 प्रतिशत की वृद्धि हुई। 9.7 प्रतिशत भार वाले भारी अनाजों में लगातार दूसरे महीने गिरावट जारी रही।
रिपोर्ट में आगे कहा गया है, “दालों, चीनी और फलों की गिरती कीमतों ने खाद्य तेल, अंडे, मांस, मछली और सब्जियों की कीमतों में वृद्धि की आंशिक रूप से भरपाई कर दी। वार्षिक महंगाई लाल निशान में रही, जिससे मुख्य आंकड़े आठ साल के निचले स्तर पर आ गए।”
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