राष्ट्रीय
दो संपत्तियों के अधिग्रहण के लिए 2,800 करोड़ रुपये निवेश करेगी रिन्यू पावर

जैविक और अकार्बनिक विस्तार की अपनी रणनीति के तहत अक्षय ऊर्जा क्षेत्र की प्रमुख कंपनी रिन्यू पावर 2,850 करोड़ रुपये (384 मिलियन डॉलर) के संयुक्त उद्यम मूल्य के साथ दो परिसंपत्तियों का अधिग्रहण करेगी, जिससे सालाना ईबीआईटीडीएके 380-400 करोड़ (50.7-53.4 मिलियन डॉलर) रुपये उत्पन्न होने की उम्मीद है।
दोहरे अधिग्रहण के हिस्से के रूप में, रिन्यू एलएंडटी उत्तरांचल हाइड्रोपावर लिमिटेड का अधिग्रहण करेगा, जो एलएंडटी पावर डेवलपमेंट लिमिटेड से सिंगोली भटवारी हाइड्रोइलेक्ट्रिक प्रोजेक्ट (एसबीएचईपी) का मालिक है और यह इंजीनियरिंग और निर्माण फर्म एलएंडटी की पूर्ण स्वामित्व वाली सहायक कंपनी है।
यह तेलंगाना में 260 मेगावाट/330 मेगावाट की परिचालन सौर परियोजनाओं का भी अधिग्रहण करेगा। इसके लिए एक निश्चित समझौते पर हस्ताक्षर किए गए हैं।
लेन-देन के एक हिस्से के रूप में, रिन्यू एसबीएचईपी की परियोजना संचालन टीम को अपनी टीम में जोड़ेगी। यह अधिग्रहण रिन्यू के जलविद्युत क्षेत्र में प्रवेश का प्रतीक है, जो कि रिन्यू के ग्राहकों के लिए नवीन नवीकरणीय ऊर्जा समाधान प्रदान करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा।
रिन्यू फर्म नवीकरणीय ऊर्जा समाधान प्रदान करना चाहता है जो मानक सौर और विंड परियोजनाओं की अंतराल को संबोधित करता है। रिन्यू ने पिछले साल दो ऐसी परियोजनाएं जीती जिनमें एक पीक पावर (पीपी) परियोजना के साथ-साथ एक चौबीस घंटे (आरटीसी) बिजली परियोजना शामिल थी, जिसके लिए रिन्यू ने पिछले सप्ताह एक बिजली खरीद समझौते (पीपीए) पर हस्ताक्षर किए। एसबीएचईपी के जुड़ने से, जिसमें 2-3 घंटे की महत्वपूर्ण पोंडेज क्षमता है, रिन्यू के पोर्टफोलियो में 200-300 मेगावाट कम लागत वाली हाइड्रो स्टोरेज जुड़े हैं। यह स्टोरेज और विश्वसनीय पावर सॉल्यूशंस में रिन्यू की ताकत को और बढ़ाता है।
उत्तराखंड के रुद्रप्रयाग जिले में मंदाकिनी नदी पर स्थित एसबीएचईपी को दिसंबर 2020 में चालू किया गया था और इसके लगभग 35 सालों के अवशिष्ट जीवन की उम्मीद है। इस परियोजना से सालाना 360 मिलियन यूनिट या लगभग 50 प्रतिशत पीएलएफ का बिल उत्पादन होने की उम्मीद है और रिन्यू एनर्जी के मौजूदा ऑपरेटिंग पोर्टफोलियो के समान लाभप्रदता प्रोफाइल है। चूंकि परियोजना 8 मार्च, 2019 के बाद चालू हो गई है, इस परियोजना से उत्पन्न बिजली खरीदार के लिए हाल ही में अधिसूचित हाइड्रो परचेज ऑब्लिगेशन (एचपीओ)अनुपालन की सुविधा प्रदान करेगी।
एक अलग लेनदेन में, रिन्यू पावर ने तेलंगाना में 260 मेगावाट /330 मेगावाटपी ऑपरेटिंग सौर परियोजनाओं के अधिग्रहण के लिए एक निश्चित समझौते पर हस्ताक्षर करने की भी घोषणा की। परियोजनाओं में तेलंगाना लिमिटेड (एनपीडीसीटीएल) की उत्तरी विद्युत वितरण कंपनी (एनपीडीसीटीएल) और तेलंगाना लिमिटेड की दक्षिणी विद्युत वितरण कंपनी (एसपीडीसीटीएल) के साथ 25 साल का पीपीए है और लगभग 4 सालों से काम कर रहा है।
अधिग्रहित संपत्तियां तेलंगाना में रिन्यू की मौजूदा सौर परियोजनाओं के करीब स्थित हैं, जो उत्पादकता बढ़ाने, संचालन और रखरखाव लागत को कम करने और उत्पादन को और बढ़ावा देने के लिए रिन्यू की मालिकाना निगरानी और विश्लेषणात्मक तकनीक का उपयोग करने के अवसर प्रदान करनी चाहिए।
अधिग्रहण के बारे में बोलते हुए, रिन्यू पावर के संस्थापक, अध्यक्ष और सीईओ सुमंत सिन्हा ने कहा, “हमारा मानना है कि इन परिसंपत्तियों के अधिग्रहण से हमारी लक्षित सीमा के भीतर एक आकर्षक रिटर्न अर्जित करने की उम्मीद है। यह इस बात का सबूत है कि रिन्यू विशिष्ट रूप से एक होने की स्थिति में है। भारत में अक्षय ऊर्जा परिसंपत्तियों के समेकन के बड़े लाभार्थी है। हम अपने उद्योग-अग्रणी निगरानी और विश्लेषिकी प्रौद्योगिकी के ऊध्र्वाधर एकीकरण और उपयोग के माध्यम से पैमाने, बेहतर संचालन के अपने प्रतिस्पर्धी लाभों को ओवरले करने में सक्षम हैं और नवाचार के वित्तपोषण और कम लागत वाली पूंजी तक पहुंच अधिग्रहण के माध्यम से महत्वपूर्ण मूल्य बनाएं। इसके अलावा, जलविद्युत अधिग्रहण ग्रिड को विश्वसनीय और प्रेषण योग्य बिजली प्रदान करने की हमारी क्षमता को मजबूत करता है जो हमारी सौर और पवन संपत्तियों का पूरक है।”
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नवी मुंबई अग्निकांड : रहेजा रेजीडेंसी हादसे में चार की मौत, भाविन ने बचाई छह जिंदगियां

मुंबई, 21 अक्टूबर : महाराष्ट्र के नवी मुंबई के वाशी इलाके में सोमवार देर रात एक दर्दनाक हादसा हुआ। एमजी कॉम्प्लेक्स स्थित रहेजा रेजीडेंसी में आग लग गई, जिसने कुछ ही पलों में पूरे इलाके में दहशत फैला दी। इस हादसे में चार लोगों की मौत हो गई, जबकि कई लोगों को दमकलकर्मियों और स्थानीय निवासियों की मदद से सुरक्षित बाहर निकाला गया।
जानकारी के मुताबिक, घटना रात करीब 1 बजे की है। लोगों को जब तक कुछ समझ आता, कई लोग धुएं के कारण बेहोश हो चुके थे। दमकल विभाग की कई गाड़ियां मौके पर पहुंचीं और घंटों की मशक्कत के बाद आग पर काबू पाया गया।
नवी मुंबई महानगरपालिका आयुक्त कैलाश शिंदे ने घटनास्थल का निरीक्षण किया। उन्होंने कहा कि यह बहुत ही दुखद हादसा है, जिसमें चार लोगों की जान गई। भविष्य में ऐसी घटनाओं को रोकने के लिए पालिका सख्त कदम उठाएगी।
शिंदे ने बताया कि एक बुजुर्ग महिला, जो बिस्तर पर लेटी हुई थीं, उन्हें बचाया नहीं जा सका, जबकि तीन लोगों की मौत दम घुटने से हुई।
इस घटना में भाविन पूनिया नाम के एक व्यक्ति ने इंसानियत की मिसाल पेश की। उन्होंने अपनी जान जोखिम में डालकर लगभग छह लोगों की जिंदगी बचाई। बताया जाता है कि भाविन ने कई घरों के दरवाजे तोड़कर अंदर फंसे लोगों को बाहर निकाला। इस दौरान उन्हें हाथ में चोटें भी आईं, लेकिन उन्होंने हार नहीं मानी। उनके साथ दो पुलिसकर्मी भी राहत कार्य में जुटे रहे।
आग लगने के वक्त किरण जैन नामक निवासी अपने परिवार के साथ उसी मंजिल पर थे। उन्होंने बताया कि हम आग लगते ही तुरंत बाहर निकल आए, लेकिन हमारे बगल वाले फ्लैट में रहने वाला परिवार बाहर नहीं निकला। हमने दरवाजा खटखटाया, पर उन्होंने खोला नहीं। कुछ ही देर में वहां से धुआं निकलने लगा और अंदर मौजूद तीनों लोगों की मौत हो गई।
उन्होंने बताया कि उसी फ्लोर पर रहने वाला तीसरा परिवार समय रहते बाहर निकल गया और उनकी जान बच गई।
इस भयावह हादसे ने पूरे वाशी इलाके को झकझोर दिया है। फिलहाल आग लगने के कारणों की जांच की जा रही है। नगर प्रशासन ने सुरक्षा मानकों की समीक्षा के आदेश दिए हैं ताकि ऐसी घटनाएं दोबारा न हों।
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महाराष्ट्र: नवी मुंबई के कामोठे में आग लगने से मां-बेटी की दर्दनाक मौत

नवी मुंबई, 21 अक्टूबर : नवी मुंबई के कामोठे सेक्टर 36 में स्थित आंबे श्रद्धा सहकारी सोसायटी में सोमवार रात एक भीषण अग्निकांड में मां और बेटी की दर्दनाक मौत हो गई। यह हादसा रात करीब 9 बजे के आसपास हुआ, जब बिल्डिंग के दूसरे माले पर एक फ्लैट में अचानक आग भड़क उठी। इस घटना ने पूरे क्षेत्र में सनसनी फैला दी और स्थानीय निवासियों में दहशत का माहौल पैदा कर दिया।
प्रत्यक्षदर्शियों के अनुसार, आग इतनी तेजी से फैली कि फ्लैट में मौजूद लोगों को संभलने का मौका तक नहीं मिला। जानकारी मिलते ही नवी मुंबई अग्निशमन विभाग की टीम तुरंत मौके पर पहुंची और आग बुझाने के प्रयास शुरू किए। अग्निशमन कर्मियों ने कड़ी मशक्कत के बाद आग पर काबू पाया, लेकिन तब तक मां और बेटी की जान जा चुकी थी।
प्राथमिक जानकारी के मुताबिक, फ्लैट में उस समय पांच लोग मौजूद थे। इनमें से तीन लोग समय रहते सुरक्षित बाहर निकल आए, लेकिन मां और बेटी आग की चपेट में आकर फंस गए, जिसके चलते उनकी दम घुटने से मौत हो गई।
अग्निशमन विभाग के एक अधिकारी ने बताया कि आग लगने का सटीक कारण अभी तक स्पष्ट नहीं हो सका है। हालांकि, प्रारंभिक जांच में शॉर्ट सर्किट को आग का संभावित कारण माना जा रहा है।
स्थानीय पुलिस और अग्निशमन विभाग ने घटनास्थल का मुआयना शुरू कर दिया है और मामले की गहन जांच की जा रही है। फोरेंसिक विशेषज्ञों की एक टीम भी मौके पर पहुंची है, जो आग लगने के सही कारणों का पता लगाने में जुटी है।
घटना की सूचना मिलते ही सोसायटी के अन्य रहवासियों को तत्काल सुरक्षित स्थानों पर ले जाया गया। अग्निशमन विभाग की त्वरित कार्रवाई के कारण आग को अन्य फ्लैट्स तक फैलने से रोक लिया गया, जिससे एक बड़ा हादसा टल गया।
स्थानीय लोगों ने बताया कि आग की लपटें और धुआं इतना घना था कि कुछ समय के लिए आसपास का इलाका धुएं से भर गया था।
इस हादसे ने एक बार फिर रिहायशी इमारतों में अग्नि सुरक्षा उपायों की कमी को उजागर किया है। स्थानीय निवासियों ने मांग की है कि प्रशासन ऐसी घटनाओं को रोकने के लिए कड़े कदम उठाए।
पुलिस ने मृतकों के शवों को पोस्टमॉर्टम के लिए भेज दिया है और उनके परिजनों को सूचित कर दिया गया है।
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प्रदूषण में सांस लेना हो रहा मुश्किल : इन चीजों को खाने में करें शामिल और बनाएं फेफड़ों को मजबूत

नई दिल्ली, 21 अक्टूबर : दीपावली के बाद देश के कई हिस्सों में वायु प्रदूषण बढ़ने लगता है। आसमान में धुंध छा जाती है, सांस लेना मुश्किल हो जाता है और सबसे ज्यादा असर हमारे फेफड़ों पर पड़ता है। छोटे बच्चों से लेकर बुजुर्गों तक, खांसी, जुकाम और सांस की तकलीफें आम हो जाती हैं।
जब हम प्रदूषित हवा में सांस लेते हैं, तो उस हवा के साथ सूक्ष्म जहरीले कण हमारे शरीर में चले जाते हैं। ये कण शरीर में इन्फ्लेमेशन और ऑक्सीडेटिव स्ट्रेस पैदा करते हैं, जिससे इम्युनिटी कमजोर होती है और सांस की बीमारियों का खतरा बढ़ जाता है। लेकिन अगर हम अपने खाने में कुछ चीजों को शामिल करें, तो इस खतरे से काफी हद तक खुद को सुरक्षित रख सकते हैं।
आयुर्वेद और आधुनिक विज्ञान दोनों ही मानते हैं कि कुछ प्राकृतिक चीजें ऐसी होती हैं जो शरीर की रक्षा प्रणाली को मजबूत बनाकर फेफड़ों की सेहत को बेहतर कर सकती हैं।
हल्दी: हल्दी को आयुर्वेद में ‘हर रोग की दवा’ कहा गया है। हल्दी में ‘करक्यूमिन’ नामक तत्व होता है, जो एक बेहद शक्तिशाली एंटी-इंफ्लेमेटरी और एंटीऑक्सीडेंट है। जब प्रदूषण के कारण हमारे फेफड़ों में सूजन होती है, तो करक्यूमिन उस सूजन को कम करने में मदद करता है। अगर इसे काली मिर्च के साथ लिया जाए तो शरीर इसे बहुत बेहतर तरीके से सोख पाता है। वैज्ञानिक भी मानते हैं कि काली मिर्च करक्यूमिन के अवशोषण को बढ़ाने में मददगार है। यही वजह है कि रात को हल्दी वाला दूध पीना या खाना बनाते समय हल्दी और काली मिर्च का इस्तेमाल करना फेफड़ों के लिए फायदेमंद होता है।
गुड़: गुड़ श्वसन प्रणाली की सफाई में कारगर है। इसमें आयरन और एंटीऑक्सीडेंट्स होते हैं, जो शरीर में खून का बहाव सुधारते हैं और फेफड़ों में ऑक्सीजन की आपूर्ति बढ़ाते हैं। गुड़ शरीर से जहरीले तत्वों को बाहर निकालने में भी मदद करता है। खाना खाने के बाद इसका छोटा सा टुकड़ा लेना या सर्दी-जुकाम के दौरान इसे अदरक के साथ चबाना बहुत लाभकारी माना गया है।
खट्टे फल: संतरा, नींबू और आंवला जैसे खट्टे फल विटामिन-सी के प्रमुख स्रोत हैं। विटामिन-सी एक ऐसा एंटीऑक्सीडेंट है जो फेफड़ों की कोशिकाओं को नुकसान से बचाता है और इम्युनिटी को तेजी से बढ़ाता है। रोज सुबह आंवला जूस पीना, नींबू-पानी में शहद मिलाकर पीना या संतरे को नाश्ते में शामिल करना इन दिनों बेहद जरूरी है।
अदरक और तुलसी: अदरक फेफड़ों में जमी गंदगी और बलगम को बाहर निकालने में सहायक है, वहीं तुलसी को सदियों से फेफड़ों के डिटॉक्स में इस्तेमाल किया जा रहा है। अदरक-तुलसी की चाय या काढ़ा रोज दो बार पीने से न सिर्फ गले को आराम मिलता है बल्कि अंदर से भी शरीर मजबूत बनता है।
हरी पत्तेदार सब्जियां: पालक, मेथी और ब्रोकली जैसी सब्जियां बीटा-कैरोटीन, फोलेट और विटामिन-ई जैसे तत्वों से भरपूर होती हैं, जो फेफड़ों की मरम्मत करने और उनकी कार्यक्षमता को बेहतर बनाने में मदद करते हैं।
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