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वैश्विक निवेशक चीन को बचाने के लिए अफ्रीका में पैसा डालने का कर रहे इंतजार

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कोविड -19 के बीच 2020 में अफ्रीका में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) की धीमी आमद के बाद, निवेशक एक बार फिर महाद्वीप को गर्म कर रहे हैं। व्यापार और विकास पर संयुक्त राष्ट्र सम्मेलन (यूएनसीटीएडी) के अनुसार, अफ्रीका में एफडीआई का प्रवाह 2020 में 16 प्रतिशत घटकर 40 बिलियन डॉलर हो गया, जो 2019 में 47 बिलियन डॉलर था।

महाद्वीप में प्राथमिक निवेशक चीन ने भी अन्य निवेशकों के लिए अवसर छोड़ते हुए महाद्वीप में अपने निवेश को धीमा कर दिया है।

जबकि अंकटाड ने इस साल अफ्रीका में एफडीआई प्रवाह बढ़ने का अनुमान लगाया, उन्होंने कहा कि धीमी गति से वैक्सीन रोल-आउट कार्यक्रम चिंता का कारण है। अंकटाड के अनुसार, 2021 में महाद्वीप में एफडीआई केवल 5 प्रतिशत बढ़ने का अनुमान है। लेकिन विश्लेषकों का कहना है कि एक निवेश गंतव्य के रूप में अफ्रीका ने अन्य देशों के बीच ‘अभूतपूर्व जिज्ञासा’ पैदा की है, जो महाद्वीप पर अब आक्रामक रूप से चीन के प्रभुत्व को कम करने की कोशिश कर रहे हैं।

एक विश्लेषक ने इंडिया नैरेटिव को बताया कि, “अफ्रीका नए भू-राजनीतिक और भू-आर्थिक रूप में महत्वपूर्ण है। महाद्वीप, अपने विशाल प्राकृतिक संसाधनों के साथ, एक तैयार विकास मंच प्रदान करता है।”

ब्रुकिंग्स इंस्टीट्यूशन द्वारा पिछले सप्ताह प्रकाशित एक अध्ययन के अनुसार, अफ्रीका दुनिया की 17 प्रतिशत आबादी का घर है। हालांकि, 2050 तक, इसकी वैश्विक आबादी का 26 प्रतिशत हिस्सा होगा जिसमें 2.53 अरब लोग शामिल हैं। एक अध्ययन में कहा गया है कि, ‘अगर अफ्रीका को वैश्विक अर्थव्यवस्था में सफलतापूर्वक एकीकृत नहीं किया जाता है, तो वैश्विक समृद्धि और स्थिरता के लिए एक बड़ा खतरा हो सकता है।’ अध्ययन में कहा गया है कि 2050 तक, महाद्वीप में संयुक्त उपभोक्ता और व्यावसायिक खर्च के अनुमानित 16.12 ट्रिलियन डॉलर का घर होगा।

अफ्रीकी महाद्वीपीय मुक्त व्यापार क्षेत्र (एएफसीएफटीए) – मेगा व्यापार अंतर-महाद्वीपीय निवेश को बढ़ावा दे सकता है।

दुनिया में सबसे बड़े व्यापार सौदों में से एक के रूप में जाना जाता है, एएफसीटीए का लक्ष्य लगभग 3.4 ट्रिलियन डॉलर के संयुक्त सकल घरेलू उत्पाद के साथ 1.3 बिलियन लोगों को शामिल करते हुए एक एकल बाजार बनाना है।

इस बीच, अमेरिका भले ही अफ्रीका की क्षमता को पहचानने में देर से जागा हो, लेकिन खोए हुए समय की भरपाई के लिए हर संभव प्रयास कर रहा है।

ग्रुप ऑफ सेवन या जी7 ने पहले ही अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन के ‘बिल्ड बैक बेटर वल्र्ड’ (बी3डब्ल्यू) पहल के तहत एक मेगा इंफ्रास्ट्रक्च र योजना तैयार करने के प्रस्ताव का समर्थन करने का फैसला किया है, जिससे पारदर्शिता और स्थिरता लाने की उम्मीद है। इसके अलावा, स्थानीय समुदायों के परामर्श से ही पहल की जाएगी।

जी7 ने जून में अपनी बैठक में यह भी घोषणा की कि वह इंडो पैसिफिक और अफ्रीका को अपना समर्थन बढ़ाएगा। एक बयान में कहा गया है, “हम सभी की भलाई के लिए इन साझा मूल्यों को सक्रिय रूप से बढ़ावा देने के लिए हिंद-प्रशांत और अफ्रीका सहित दुनिया भर के भागीदारों के साथ सहयोग करने का संकल्प लेते हैं।”

भारत ने भी इस क्षेत्र में निवेश पर जोर दिया है। सूत्रों ने कहा कि एशिया और अफ्रीका को जोड़ने के लिए 2017 में शुरू किए गए एशिया अफ्रीका ग्रोथ कॉरिडोर-मेगा इंफ्रास्ट्रक्च र प्रोजेक्ट को पुनर्जीवित किया जाना चाहिए।

कानेर्गी एंडोमेंट फॉर इंटरनेशनल पीस ने उल्लेख किया कि चीनी फाइनेंसरों ने 2000 और 2019 के बीच अफ्रीकी सार्वजनिक क्षेत्र के उधारकतार्ओं के लिए 153 बिलियन डॉलर की प्रतिबद्धता जताई। उन्होंने कहा कि, “2000 के दशक में तेजी से विकास के बाद, अफ्रीका के लिए वार्षिक ऋण प्रतिबद्धता 2013 में चरम पर पहुंच गई, जिस वर्ष बीआरआई लॉन्च किया गया था। 2019 तक, हालांकि , नई चीनी ऋण प्रतिबद्धताओं की राशि महाद्वीप के लिए केवल 7 बिलियन डॉलर है, जो 2018 में 9.9 बिलियन डॉलर से 30 प्रतिशत कम है।”

(यह कंटेंट इंडियनैरेटिवडॉटकॉम के साथ एक व्यवस्था के तहत किया जा रहा है)

व्यापार

सीबीडीटी ने सीपीसी बेंगलुरु को कर सुधार और रिफंड में तेजी लाने का अधिकार दिया

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बेंगलुरु, 10 नवंबर: इनकम टैक्स प्रोसेसिंग की गति और सटीकता में सुधार लाने के लिए केन्द्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड (सीबीडीटी) ने केन्द्रीयकृत प्रसंस्करण केन्द्र (सीपीसी), बेंगलुरु के आयकर आयुक्त को गलतियों को सुधारने और आयकर अधिनियम के तहत डिमांड नोटिस जारी करने का अधिकार दिया है।

नए निर्देश के साथ, सीबीडीटी ने बेंगलुरु में सीपीसी को आयकर अधिनियम, 1961 की धारा 120(1) और 120(2) के तहत दी गई शक्तियों का प्रयोग करने के लिए अधिकृत किया है, जिससे कम्प्यूटेशन एरर या रिफंड मिसमैच से उत्पन्न करदाता शिकायतों का तेज समाधान सुनिश्चित हो सकेगा।

वित्त मंत्रालय द्वारा हाल ही में जारी एक अधिसूचना के अनुसार, आयकर आयुक्त, सीपीसी, बेंगलुरु को अब अधिनियम की धारा 156 के तहत डिमांड नोटिस जारी करने और धारा 154 के तहत रिकॉर्ड्स में पाई गई गलतियों को ठीक करने का अधिकार है।

इनमें गलत रिफंड कम्प्यूटेशन को ठीक करना, टीडीएस, टीसीएस या एडवांस टैक्स जैसे प्रीपेड टैक्स क्रेडिट को बाहर करना और डबल टैक्सेशन एग्रीमेंट या धारा 244ए के तहत ब्याज कम्प्यूटेशन के तहत रिफंड पर विचार न करना शामिल है।

यह निर्देश प्राधिकृत आयुक्त को अतिरिक्त या संयुक्त आयकर आयुक्तों को मूल्यांकन अधिकारियों को विशिष्ट सुधार या अनुवर्ती कार्य सौंपने का लिखित अधिकार भी देता है। इसका उद्देश्य जवाबदेही में सुधार लाना और समाधान प्रक्रिया में तेजी लाना है।

यह फ्रेमवर्क सीपीसी-बेंगलुरु को डिजिटल इंटरफेस के माध्यम से सुधार संबंधी मुद्दों को सीधे हल करने का अधिकार देता है, जिन्हें पहले सीपीसी और क्षेत्रीय मूल्यांकन अधिकारियों द्वारा संभाला जाता था। यह कदम प्रशासनिक प्राधिकरण का विकेंद्रीकरण और डिजिटलीकरण करके प्रभावी करदाता सेवाएं प्रदान करने के प्रति सरकार की प्रतिबद्धता की पुष्टि करता है।

यह अधिसूचना आधिकारिक राजपत्र में प्रकाशन के साथ ही तत्काल प्रभावी हो जाएगी।

पिछले महीने की शुरुआत में, सीबीडीटी ने आयकर अधिनियम, 1961 की धारा 139 की उप-धारा (1) के अंतर्गत आने वाले करदाताओं के लिए आयकर रिटर्न जमा करने की समय सीमा 31 अक्टूबर से बढ़ाकर 10 दिसंबर करने का निर्णय लिया था।

इसके अतिरिक्त, अधिनियम की धारा 139 की उप-धारा (1) के स्पष्टीकरण 2 के खंड (क) में सूचीबद्ध करदाताओं के लिए, आयकर अधिनियम, 1961 के प्रावधानों के तहत पिछले वर्ष 2024-25 (कर निर्धारण वर्ष 2025-26) के लिए ऑडिट रिपोर्ट प्रस्तुत करने की आखिरी तारीख को 30 सितंबर, 2025 से बढ़ाकर 31 अक्टूबर, 2025 कर दिया गया है।

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व्यापार

भारतीय शेयर बाजार तेजी के साथ खुला, मेटल और फार्मा स्टॉक्स में खरीदारी

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मुंबई, 10 नवंबर: भारतीय शेयर बाजार सोमवार के कारोबारी सत्र में तेजी के साथ खुला। शुरुआती कारोबार में बाजार के ज्यादातर सूचकांक हरे निशान में थे। सुबह 9:37 पर सेंसेक्स 248 अंक या 0.30 प्रतिशत की तेजी के साथ 83,469 और निफ्टी 78 अंक या 0.31 प्रतिशत की बढ़त के साथ 25,570 पर था।

शुरुआती कारोबार में बाजार में तेजी का नेतृत्व मेटल और फार्मा सेक्टर के शेयर कर रहे थे। निफ्टी मेटल (0.81 प्रतिशत), निफ्टी फार्मा (0.79 प्रतिशत), निफ्टी एनर्जी (0.69 प्रतिशत), निफ्टी रियल्टी (0.57 प्रतिशत), निफ्टी आईटी (0.45 प्रतिशत) और निफ्टी प्राइवेट बैंक (0.30 प्रतिशत) की तेजी के साथ हरे निशान थे।

सेंसेक्स पैक में बीईएल, एशियन पेंट्स, एलएंडटी, इन्फोसिस, टाइटन, बजाज फाइनेंस, बजाज फिनसर्व, एक्सिस बैंक, एचसीएल टेक, आईटीसी, एचयूएल, आईसीआईसीआई बैंक, सन फार्मा और टीसीएस टॉप गेनर्स थे। ट्रेंट, पावर ग्रिड, एमएंडएम, अल्ट्राटेक सीमेंट, इटरनल (जोमैटो), टाटा स्टील, एसबीआई, मारुति सुजुकी और कोटक महिंद्रा बैंक लूजर्स थे।

लार्जकैप के साथ मिडकैप और स्मॉलकैप भी तेजी के साथ कारोबार हो रहे थे। निफ्टी मिडकैप 100 इंडेक्स 211 अंक या 0.35 प्रतिशत की तेजी के साथ 60,054 अंक पर और निफ्टी स्मॉलकैप 100 इंडेक्स 80 अंक या 0.45 प्रतिशत की बढ़त के साथ 18,156 अंक पर था।

चॉइस ब्रोकिंग के मुताबिक, निफ्टी इंडेक्स के 25,500 के स्तर से ऊपर न टिक पाने के बाद हल्का दबाव देख रहा है, जो संभावित रूप से साइडवेज कंसोलिडेशन के संकेत देता है। नीचे की ओर, सपोर्ट 25,400 और 25,300 पर है, जो गिरावट पर खरीदारी के अवसर प्रदान करता है। ऊपर की ओर, रुकावट का स्तर 25,600 और 25,700 पर है, जबकि 25,800 से ऊपर का ब्रेकआउट होने पर यह 26,000-26,200 की रेंज की ओर जा सकता है।

लगातार छह सत्रों की बिकवाली के बाद, एफआईआई 7 नवंबर को फिर से खरीदार बन गए थे और इस दौरान उन्होंने 4,581 करोड़ रुपए मूल्य की इक्विटी खरीदी, जबकि डीआईआई ने 11वें सत्र के लिए अपनी खरीदारी जारी रखी और 6,674 करोड़ रुपए का निवेश किया।

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व्यापार

एफपीआई ने अक्टूबर में भारतीय शेयर बाजारों में की वापसी, फ्रांस रहा सबसे आगे

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मुंबई, 7 नवंबर: एनएसडीएल के डेटा के अनुसार, विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों (एफपीआई) ने अक्टूबर में भारतीय शेयर बाजारों में अपनी जोरदार वापसी दर्ज करवाई है, जो कि उनकी तीन महीनों की लगातार बिकवाली के बाद एक महत्वपूर्ण बदलाव है।

एफपीआई द्वारा भारतीय शेयर बाजारों में निवेश को लेकर फ्रांस सबसे आगे रहा है, जिसने 2.58 अरब डॉलर का निवेश भारतीय शेयरों और 152 मिलियन डॉलर का निवेश डेट इंस्ट्रूमेंट में किया है।

एफपीआई की ओर से संयुक्त रूप से भाारतीय शेयरों में बीते महीने 1.66 अरब डॉलर का निवेश किया गया है। जबकि इससे पहले सितंबर में एफपीआई की ओर से 2.7 अरब डॉलर की बिकवाली दर्ज की गई थी।

फ्रांस के अलावा, अमेरिका और जर्मनी भी भारतीय शेयरों में निवेश करने को लेकर आगे रहे हैं। दोनों ही देशों में प्रत्येक ने भारतीय शेयरों में 520 मिलियन डॉलर का निवेश किया है।

इसके अलावा, अमेरिका की ओर से डेट इंस्ट्रूमेंट में 765 मिलियन डॉलर और जर्मनी की ओर से 309 मिलियन डॉलर का निवेश दर्ज किया गया है।

कुछ और देशों का भारतीय शेयर बाजारों की ओर सकारात्मक रुख दर्ज किया गया। आयरलैंड ने 400 मिलियन डॉलर इक्विटी में और 138 मिलियन डॉलर का निवेश डेट इंस्ट्रूमेंट में किया। मलेशिया की ओर से 342 मिलियन डॉलर इक्विटी में और 68 मिलियन डॉलर का निवेश डेट इंस्ट्रूमेंट में किया।

हांग कांग ने भारतीय इक्विटी में 177 मिलियन डॉलर का निवेश किया और डेनमार्क और नॉर्वे दोनों की ओर से करीब 100 मिलियन डॉलर का निवेश भारतीय इक्विटी में किया गया।

मजबूत कॉर्पोरेट अर्निंग, यूएस फेडरल द्वारा ब्याज दरों में कटौती और भारत-अमेरिका के बीच संभावित व्यापार वार्ता जैसे कारकों के कारण एफपीआई की ओर से खरीदारी दर्ज की गई।

हालांकि, सिंगापुर की ओर से इस महीने इक्विटी से 98 मिलियन डॉलर की बिकवाली दर्ज की गई है, जबकि 260 मिलियन डॉलर का निवेश डेट मार्केट में किया गया है। जिससे सिंगापुर की नेट पॉजिशन सकारात्क दर्ज की गई। इसके अलावा, अन्य देशों की ओर से 3 अरब डॉलर की बिकवाली रही।

विदेशी निवेशकों की वापसी के साथ बीते महीने अक्टूबर में भारतीय बेंचमार्क सूचकांकों सेंसेक्स और निफ्टी में प्रत्येक ने 4.5 प्रतिशत की बढ़त दर्ज करवाई।

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