अंतरराष्ट्रीय
विभिन्न देशों को कैसे उचित तरीके से कोरोना वैक्सीन मिल सके

दुनिया के विभिन्न देश कोरोना वैक्सीन खरीदने में सक्रिय हैं। अब 11 अरब से अधिक वैक्सीन का ऑर्डर पूरा हो चुका है, जिसमें करीब 8 अरब टीके मुख्य देशों ने खरीदने के लिए प्रस्तुत किये और अन्य 3.9 अरब आरक्षित हैं या वार्ता में हैं। समय बीतने के चलते यह संख्या तेजी से बढ़ेगी। हालांकि, देखने में ये वैक्सीन दुनिया के अधिकांश लोगों को कवर कर सकते हैं, लेकिन खेद की बात है कि इसमें अधिकांश वैक्सीन पहले ही यूरोपीय संघ, अमेरिका, ब्रिटेन, कनाडा आदि विकसित देशों ने खरीदे हैं। कुछ देशों द्वारा खरीदे गये वैक्सीन की संख्या काफी ज्यादा है, जो पूरी आबादी को 10 बार लगाने के लिए भी पर्याप्त है। लेकिन अन्य देशों के लोगों के लिए वैक्सीन मिलने में और लंबे समय की जरूरत है।
अनुमान है कि अमीर देशों में वर्ष 2021 के वसंत में उच्च जोखिम वाले लोगों को टीका लगाने की संभावना होगी और गर्मियों में सभी लोगों को टीका लगा दिया जाएगा, लेकिन गरीब देशों को शायद एक साल बाद मौका मिलेगा। वैक्सीन की आपूर्ति सुनिश्चित करने के लिए अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप ने कहा था कि अमेरिकी सरकार अपने नागरिकों को वैक्सीन लगाने की प्राथमिकता देगी, फिर अन्य देशों को देने पर विचार करेगी। लगता है कि कौन-सा देश ज्यादा टीके पाएंगे, तो वह पहले महामारी को खत्म कर सकेगा।
अब कोविड-19 महामारी फिर भी पूरी दुनिया में फैल रही है। जल्दी वैक्सीन का अनुसंधान करना और उचित वितरण करना महामारी के फैलाव को रोकने का एकमात्र रास्ता है। इसमें पूरी दुनिया को एकजुट होकर सहयोग करना चाहिए।
कैसे गरीब देशों को भी वैक्सीन मिलने का मौका सुनिश्चित हो सकता है, कोवैक्स ने समाधान का प्रस्ताव प्रस्तुत किया। कोवैक्स की स्थापना सीईपीआई, जीएवीआई, और विश्व स्वास्थ्य संगठन ने की। उद्देश्य है कि कोरोना टीके का अनुसंधान और उत्पादन को तेज किया जाए और सभी सदस्य देशों को उचित से वैक्सीन मिलने को सुनिश्चित किया जाए।
चीन 8 अक्तूबर को कोवैक्स में शामिल हुआ, जो इसमें शामिल सबसे बड़ी आर्थिक शक्ति है। चीनी विदेश मंत्रालय ने कहा था कि चीन वस्तुगत कार्रवाई से वैक्सीन का उचित वितरण बढ़ाना चाहता है और विकासशील देशों को टीका देगा। चीन विभिन्न देशों के साथ दुनिया में महामारी को खत्म करने में योगदान देना चाहता है, ताकि विभिन्न देशों के लोगों की जान, सुरक्षा और स्वास्थ्य बरकरार रखा जा सके।
राष्ट्रीय
लगातार 35वें महीने मासिक शिकायत निपटान 1 लाख के पार: केंद्र

नई दिल्ली, 14 जून। केंद्र सरकार द्वारा दी गई जानकारी के अनुसार मई महीने में केंद्रीय मंत्रालयों और विभागों द्वारा कुल 1,24,101 शिकायतों का निवारण किया गया और लगातार 35वें महीने केंद्रीय सचिवालय में निपटान 1 लाख के पार हो गया।
प्रशासनिक सुधार और लोक शिकायत विभाग (डीएआरपीजी) के अनुसार, 1 से 31 मई तक केंद्रीय मंत्रालयों/विभागों में शिकायतों के निपटान में औसत समय 16 दिन था।
केंद्रीकृत लोक शिकायत निवारण और निगरानी प्रणाली (सीपीजीआरएएमएस) की मई की मासिक रिपोर्ट में लोक शिकायतों के प्रकार और श्रेणियों तथा निपटान की प्रकृति का विस्तृत विश्लेषण दिया गया है।
रिपोर्ट में मई में सीपीजीआरएएमएस पोर्टल के माध्यम से पंजीकृत नए उपयोगकर्ताओं के आंकड़े दिए गए हैं। मई महीने में कुल 60,499 नए उपयोगकर्ता पंजीकृत हुए, जिनमें सबसे अधिक 10,043 पंजीकरण उत्तर प्रदेश से हुए।
कार्मिक, लोक शिकायत और पेंशन मंत्रालय के अनुसार, फीडबैक कॉल सेंटर ने मई 2025 में 65,601 फीडबैक एकत्र किए।
रिपोर्ट में मई में कॉमन सर्विस सेंटर के माध्यम से दर्ज शिकायतों का मंत्रालय/विभागवार विश्लेषण भी दिया गया है।
सीपीजीआरएएमएस को कॉमन सर्विस सेंटर (सीएससी) पोर्टल के साथ इंटीग्रेट किया गया है और यह 5 लाख से अधिक सीएससी पर उपलब्ध है, जो 2.5 लाख ग्राम स्तरीय उद्यमियों (वीएलई) से जुड़ा है।
मई 2025 के महीने में सीएससी के माध्यम से लगभग 5,653 शिकायतें दर्ज की गईं।
मंत्रालय ने बताया कि इसमें उन प्रमुख मुद्दों/श्रेणियों पर भी प्रकाश डाला गया है, जिनके लिए सीएससी के माध्यम से अधिकतम शिकायतें दर्ज की गईं।
रिपोर्ट में समीक्षा बैठक मॉड्यूल का अवलोकन भी प्रस्तुत किया गया है, जिसे केंद्रीय मंत्रालयों और विभागों में क्रियान्वित किया गया है।
यह मॉड्यूल सार्वजनिक शिकायतों की सचिव स्तर की समीक्षा की सुविधा प्रदान करता है, जिससे निवारण तंत्र की दक्षता में वृद्धि होती है और नागरिक संतुष्टि में सुधार होता है।
इस वर्ष मई में केंद्रीय मंत्रालयों और विभागों में कुल 28 समीक्षा बैठकें आयोजित की गई हैं। दूरसंचार विभाग, डाक विभाग और केंद्रीय अप्रत्यक्ष कर और सीमा शुल्क बोर्ड मई के लिए समूह ए (500 से अधिक शिकायतों के बराबर) के भीतर शिकायत निवारण मूल्यांकन और सूचकांक में शीर्ष प्रदर्शन करने वालों में से थे।
व्यापार
ओलेक्ट्रा ग्रीनटेक लिमिटेड के चेयरमैन और एमडी केवी प्रदीप ने दिया इस्तीफा

नई दिल्ली, 9 जून। ओलेक्ट्रा ग्रीनटेक लिमिटेड ने सोमवार को बताया कि निजी कारणों के चलते कंपनी के चेयरमैन और प्रबंध निदेशक (एमडी) केवी प्रदीप ने इस्तीफा दे दिया है।
कंपनी ने स्टॉक एक्सचेंज फाइलिंग में कहा, “उनके इस्तीफे के प्रभावी होने की तारीख आने वाले समय में बताई जाएगी।”
हाल ही में राज्य सरकारों की ओर से दिए गए बड़े ऑर्डर एक के बाद एक रद्द होने के कारण ओलेक्ट्रा ग्रीनटेक मुश्किल में है, जिससे कंपनी को भारी नुकसान हुआ है।
मई के आखिर में महाराष्ट्र सरकार की ओर से कंपनी को दिया गया 5,150 बसों का कॉन्ट्रैक्ट रद्द कर दिया गया है।
सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर एक पोस्ट में, महाराष्ट्र के परिवहन मंत्री प्रताप सरनाईक ने कहा कि कंपनी 22 मई तक सौंपे जाने वाले 1,000 बसों में से एक भी बस देने में विफल रही है। आपूर्तिकर्ता की निष्क्रियता के कारण अधिकारियों को 5,150 बसों के लिए टेंडर रद्द करने का निर्देश दिया गया है।
माना जा रहा है कि इस कॉन्ट्रैक्ट के रद्द होने से कंपनी को 9,000 करोड़ रुपए से ज्यादा का नुकसान हुआ है।
महाराष्ट्र सरकार की ओर से कॉन्ट्रैक्ट रद्द करने के साथ ओलेक्ट्रा ग्रीनटेक की ऑर्डर बुक 10,000 बसों से घटकर लगभग 5,000 रह गई है।
इसके अलावा तेलंगाना सरकार की ओर से दिए 50 इंटरसिटी बसों के कॉन्ट्रैक्ट को छोटा किए जाने से कंपनी को करीब 70 करोड़ रुपए का नुकसान हुआ है। जानकारी के मुताबिक, यह कॉन्ट्रैक्ट 6 मार्च, 2023 को कंपनी को दिया गया था और इसे जुलाई 2024 तक पूरा किया जाना था। लेकिन, इस ऑर्डर के तहत केवल 10 बसों की ही डिलीवरी हो पाई, जिसके कारण राज्य सरकार ने ऑर्डर में बसों की संख्या को घटाने का फैसला किया।
ओलेक्ट्रा ग्रीनटेक का शेयर 0.22 प्रतिशत की बढ़त के साथ नेशनल स्टॉक एक्सचेंज (एनएसई) पर 1,224.60 पर बंद हुआ। मौजूदा समय में शेयर अपने 52 हफ्तों के उच्चतम स्तर 1,960 रुपए से करीब 37.5 प्रतिशत नीचे है।
राष्ट्रीय
करण अदाणी ने विझिनजाम में दुनिया के सबसे बड़े कंटेनर जहाज का स्वागत किया

तिरुवनंतपुरम, 9 जून। अदाणी पोर्ट्स एंड स्पेशल इकोनॉमिक जोन लिमिटेड (एपीएसईजेड) के प्रबंध निदेशक करण अदाणी ने सोमवार को कहा कि उन्हें 24,346 टीईयू (ट्वेंटी-फुट इक्विवेलेंट यूनिट्स) की क्षमता वाले दुनिया के सबसे बड़े कंटेनर जहाज एमएससी इरिना का अदाणी समूह के विझिनजाम अंतरराष्ट्रीय बंदरगाह पर स्वागत करते हुए गर्व हो रहा है।
एमएससी इरिना का विझिनजाम अंतरराष्ट्रीय बंदरगाह पर पहुंचना एक बड़ी ऐतिहासिक उपलब्धि है। यह मंगलवार तक यहां खड़ा रहेगा।
करण अदाणी ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ‘एक्स’ पर एक पोस्ट में कहा, “24,346 टीईयू की क्षमता वाले दुनिया के सबसे बड़े कंटेनर जहाज एमएससी इरिना का हमारे विझिनजाम बंदरगाह पर स्वागत करते हुए गर्व हो रहा है।”
अदाणी पोर्ट्स के प्रबंध निदेशक ने कहा, “यह जहाज दक्षिण एशियाई तटों पर पहली बार आया है, जो इसे न केवल विझिनजाम के लिए बल्कि वैश्विक ट्रांसशिपमेंट में भारत के एक प्रमुख खिलाड़ी के रूप में उभरने के लिए एक मील का पत्थर बनाता है।”
399.9 मीटर की लंबाई और 61.3 मीटर की चौड़ाई के साथ यह जहाज एक स्टैंडर्ड फीफा फुटबॉल मैदान से लगभग चार गुना लंबा है। इसे एशिया और यूरोप के बीच बड़ी मात्रा में कंटेनरों के परिवहन की सुविधा के लिए विशेष रूप से डिजाइन किया गया है। एमएससी इरिना व्यापार मार्गों और रसद दक्षता को बढ़ाने में महत्वपूर्ण है। यह आगमन बंदरगाह के लिए एक महत्वपूर्ण उपलब्धि है, जिसे 2 मई को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने राष्ट्र को समर्पित किया था।
एमएससी इरिना को मार्च 2023 में लॉन्च किया गया था और उसी वर्ष अप्रैल में इसने अपनी पहली यात्रा शुरू की थी। यह एक लाइबेरियाई जहाज है और कंटेनरों को 26 स्तरों तक ऊंचा रखने के लिए डिजाइन किया गया है।
अदाणी पोर्ट्स ने वित्त वर्ष 2024-25 में 450 मिलियन मीट्रिक टन (एमएमटी) कार्गो संभाला था, जो पिछले वित्त वर्ष के मुकाबले 7 प्रतिशत की वृद्धि को दिखाता है। एपीएसईजेड के प्रमुख बंदरगाह मुंद्रा ने एक ही वित्त वर्ष में 200 एमएमटी कार्गो मार्क को पार करके ऐतिहासिक उपलब्धि हासिल की, जो किसी भी भारतीय बंदरगाह के लिए पहली बार है। एपीएसईजेड का लक्ष्य 2030 तक दुनिया का सबसे बड़ा बंदरगाह संचालक बनना, 2025 तक कार्बन न्यूट्रल होना और 2040 तक नेट जीरो उत्सर्जन प्राप्त करना है।
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