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Tuesday,02-December-2025
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विपक्ष के बहिष्कार के बीच राज्यसभा से एफसीआरए बिल पारित

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राज्यसभा ने बुधवार को विपक्ष के बहिष्कार के बीच विदेशी अभिदाय विनियमन (संशोधन) विधेयक, 2020 (एफसीआरए) को पारित कर दिया, जिसमें विदेशी धन प्राप्त करने वाले संगठनों के पंजीकरण के लिए आधार नंबर को अनिवार्य कर दिया गया, साथ ही सरकार को संगठन को जांच के माध्यम से विदेशी धन के उपयोग को रोकने की शक्तियां भी दी गई। विदेशी अभिदाय (विनियमन) संशोधन विधेयक, 2020, जो विदेशी अभिदाय (विनियमन) अधिनियम, 2010 में संशोधन की मांग के बारे में है, यह ‘लोक सेवकों’ को निषिद्ध श्रेणी में शामिल करने और एक संगठन द्वारा विदेशी धनराशि के माध्यम से प्रशासनिक व्यय को घटाकर 50 प्रतिशत से 20 करने का प्रस्ताव करता है।

गृह राज्य मंत्री नित्यानंद राय ने कहा, “विधेयक सुनिश्चित करता है कि एनजीओ को धन प्राप्त करने के लिए एसबीआई एफसीआरए शाखा में एक खाता खोलना अनिवार्य है और फिर अपनी पसंद के एक अन्य बैंक में एक और खाता खोलना होगा, इसके लिए उन्हें दिल्ली की यात्रा नहीं करनी है लेकिन निकटतम एसबीआई अकाउंट नई दिल्ली में खाता खोलने की सुविधा प्रदान करेगा।”

इसने किसी अन्य संघ या व्यक्ति को विदेशी योगदान के किसी भी हस्तांतरण को प्रतिबंधित करने की मांग के बारे में भी है। अधिनियम की धारा 17 में संशोधन प्रत्येक व्यक्ति जिसे धारा 12 के तहत एक प्रमाण पत्र या पूर्व अनुमति दी गई है, केवल ‘एफसीआरए अकाउंट’ के रूप में चिन्हित खाते में विदेशी योगदान प्राप्त करेगा।

अनुपालन तंत्र को मजबूत करने, रसीद में पारदर्शिता और जवाबदेही बढ़ाने और हर साल हजारों करोड़ रुपये के विदेशी योगदान के उपयोग और पारदर्शिता के साथ ही समाज कल्याण के लिए काम करने वाले वास्तविक गैर-सरकारी संगठनों या संघों को सुविधा प्रदान करने के लिए पहले के अधिनियम के प्रावधानों को सुव्यवस्थित करने की आवश्यकता थी।

उन्होंने 2010 में किए गए संशोधन का उदाहरण दिया जब प्रशासनिक खचरें को घटाकर 50 फीसदी कर दिया गया था, तब इसे 10 फीसदी तक कम करने की भी मांग की गई थी। उन्होंने कहा कि पी. चिदंबरम ने तब उल्लेख किया था कि 10,000 करोड़ के विदेशी अभिदाय का ऑडिट तक नहीं किया गया है।

उन्होंने कहा कि ऐसे दर्जनों गैर-सरकारी संगठनों के खिलाफ भी आपराधिक जांच शुरू की गई, जो विदेशी योगदान का गलत इस्तेमाल करते थे। अधिनियम की धारा 3 की उपधारा (1) के क्लॉज (सी) में संशोधन करने की मांग करते हुए, सरकार ने ‘लोक सेवकों’ को इसके दायरे में शामिल करने का प्रस्ताव दिया है, ताकि यह सुनिश्चित हो सके कि उनके द्वारा कोई विदेशी योगदान स्वीकार नहीं किया जाएगा।

इससे पहले, यह विधायकों, चुनाव उम्मीदवारों, पत्रकारों, प्रिंट और ब्रॉडकास्ट मीडिया, न्यायाधीशों, सरकारी कर्मचारियों या किसी निगम के कर्मचारियों या किसी अन्य निकाय या सरकार के स्वामित्व वाले कर्मचारियों तक सीमित था।

राजनीति

सरकारी क्षेत्र के बैंकों के विनिवेश और विलय का कोई प्रस्ताव विचार में नहीं : केंद्र

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नई दिल्ली, 2 दिसंबर: सरकार ने मंगलवार को संसद में दी जानकारी में कहा कि फिलहाल सरकारी क्षेत्र के बैंकों के विनिवेश और विलय के किसी प्रस्ताव पर कोई विचार नहीं किया जा रहा है।

राज्यसभा में पूछे गए सवाल – क्या सरकार चार सरकारी बैंकों के विनिवेश या विलय के जरिए 2026 तक बड़े सरकारी बैंक बनाने की तैयार कर रही है, का जवाब देते हुए पंकज चौधरी ने कहा, “मौजूदा समय में केंद्र किसी भी सरकारी बैंक के विलय या विनिवेश के किसी प्रस्ताव पर विचार नहीं कर रही है।”

हाल ही में कई रिपोर्ट्स में दावा किया गया था कि सरकार एक पीएसबी कंसोलिडेशन ब्लूप्रिंट पर काम कर रही है, जिससे वित्त वर्ष 27 में सरकारी बैंकों की संख्या 12 से घटकर सिर्फ चार हो सकती है। इस प्रस्ताव का उद्देश्य सरकारी बैंकों की बैलेंस शीट को मजबूत करना, ऑपरेशनल एफिशिएंसी में सुधार करना और वैश्विक स्तर के प्रतिस्पर्धी बैंक बनाना है।

केंद्रीय राज्य मंत्री ने बताया कि सरकारी बैंकों का ग्रॉस नॉन-परफॉर्मिंग एसेट्स (एनपीए) रेश्यो जून 2025 तक कम होकर 2.51 प्रतिशत हो गया है, जो कि मार्च 2016 में 9.27 प्रतिशत के स्तर पर था।

केंद्रीय मंत्री ने आगे कहा कि राइट-ऑफ किए जाने वाले लोन की रिकवरी एक लगातार चलने वाली प्रक्रिया है और उधार न चुकाने वालों के खिलाफ बैंक लगातार एक्शन ले रहे हैं।

इससे पहले सरकार ने कहा था कि भारतीय बैंकों ने बीते तीन वर्षों में 10,000 करोड़ रुपए से अधिक के अनक्लेम्ड डिपॉजिट लोगों को वापस कर दिए हैं।

केंद्रीय मंत्री ने बताया कि 30 जून, 2025 तक, सरकारी बैंकों ने इस फंड में 58,000 करोड़ रुपए से अधिक की राशि ट्रांसफर की है, जिसमें अकेले स्टेट बैंक ऑफ इंडिया (एसबीआई) की हिस्सेदारी 19,330 करोड़ रुपए है।

निजी बैंकों की ओर से इस फंड में 9,000 करोड़ रुपए ट्रांसफर किए गए हैं। इसमें आईसीआईसीआई बैंक, एचडीएफसी बैंक और एक्सिस बैंक की हिस्सेदारी सबसे अधिक है।

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राजनीति

विपक्षी दलों ने की थी मतदाता सूची में गड़बड़ी की शिकायत तो अब एसआईआर का विरोध क्‍यों : संजय निरुपम

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मुंबई, 2 दिसंबर: संसद के शीतकालीन सत्र के दौरान विपक्ष एसआईआर का विरोध कर रहा है। शिवसेना के प्रवक्ता संजय निरुपम ने एसआईआर के विरोध को गलत बताया है। उन्‍होंने कहा कि विपक्षी दलों ने मतदाता सूची में गड़बड़ी की शिकायत की थी। अब इस विरोध का क्‍या मतलब है।

शिवसेना के प्रवक्ता संजय निरुपम ने मीडिया से बातचीत में कहा कि एसआईआर के खिलाफ विपक्ष का विरोध पूरी तरह से गलत है। यह एक सही और जरूरी काम है जिसके जरिए वोटर लिस्ट में गड़बड़ियों, नकली वोटरों और गैरकानूनी एंट्री की पहचान करके उन्हें हटाया जाता है। विपक्ष ने खुद भी वोटर लिस्ट में गलतियों के बारे में बार-बार शिकायतें की हैं और इसे एक बड़ा चुनावी मुद्दा भी बनाया है।

कभी कहते हैं जरूरत से ज्‍यादा वोट हैं तो कभी कहते हैं कि एक ही व्‍यक्ति के कई जगह वोट हैं और इसके आधार पर कहते हैं कि वोट चोरी हो रहे हैं।इसको बड़ा मुद्दा बनाते हुए वोटर अधिकार यात्राएं की जा रही हैं। जब आपको लगता है कि मतदाता सूची में अनियमितताएं हैं तो ऐसे में चुनाव आयोग को अधिकार है कि वह सूची का शुद्धीकरण करे।

इस दौरान सभी राजनीतिक दलों का कर्तव्‍य बनता है कि चुनाव आयोग का समर्थन करें। जिस तरह से संसद में विपक्ष एसआईआर का विरोध कर रहा है, ऐसे में वह अपने पैरों पर खुद कुल्‍हाड़ी मार रहा है, क्‍योंकि जन सामान्‍य को यह विरोध नागवार गुजरेगा।

कांग्रेस सांसद शशि थरूर के कांग्रेस मीटिंग में शामिल न होने पर संजय निरुपम ने कहा कि शशि थरूर के कांग्रेस की एक स्ट्रेटेजिक मीटिंग में शामिल न होने पर बेवजह हंगामा किया गया। थरूर ने पहले ही साफ कर दिया था कि वह शामिल नहीं हो सकते क्योंकि उन्हें उस समय अपनी मां के साथ रहना था।

थरूर कांग्रेस के काम करने के तरीके से नाखुश हैं और जब वह सत्ताधारी सरकार के अच्छे फैसलों की तारीफ करते हैं तो पार्टी अक्सर असहज महसूस करती है। लेकिन मुझे नहीं लगता कि किसी बैठक में नहीं जाना कोई बड़ा मुद्दा है। हालांकि यह शशि थरूर और कांग्रेस पार्टी का अंदरूनी विषय है, इस बारे में वहीं ठीक से समझ सकते हैं।

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अंतरराष्ट्रीय समाचार

संयुक्त राष्ट्र के प्रमुख ने प्रशासनिक ढांचा बदलने का दिया प्रस्ताव, खर्चों में बड़ी कटौती का लक्ष्य

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संयुक्त राष्ट्र, 2 दिसंबर: संयुक्त राष्ट्र के महासचिव एंटोनियो गुटेरेस ने कामकाज को अधिक कुशल और कम खर्चीला बनाने के लिए एक बड़े प्रशासनिक सुधार की घोषणा की है। उन्होंने प्रस्ताव दिया है कि संयुक्त राष्ट्र सचिवालय की विभिन्न इकाइयों को अलग-अलग तरीके से मिलने वाली प्रशासनिक सेवाओं को अब एक कॉमन एडमिनिस्ट्रेटिव प्लेटफॉर्म के तहत जोड़ा जाए। इससे काम की गति बढ़ेगी और खर्चों में भारी कटौती होगी।

गुटेरेस ने संयुक्त राष्ट्र महासभा की पांचवीं समिति को बताया कि इसे न्यूयॉर्क और बैंकॉक स्टेशनों से शुरू किया जाएगा। उन्होंने 2026 के लिए प्रस्तावित प्रोग्राम बजट और 2025/26 की अवधि के लिए पीसकीपिंग ऑपरेशन के सपोर्ट अकाउंट से जुड़ी एक रिवाइज्ड एस्टिमेट रिपोर्ट पेश की

मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक संयुक्त राष्ट्र महासचिव ने कहा कि अभी अलग-अलग इकाइयां एक जैसा काम करती हैं, जिससे समय और धन दोनों की अधिक खपत होती है। ये नया मॉडल हमारी दक्षता को काफी बढ़ाएगा।

यूएन प्रमुख ने पूरे यूएन सिस्टम की पेरोल प्रोसेसिंग को एक ग्लोबल टीम के तहत लाने का एक महत्वपूर्ण कदम उठाया है। यह टीम तीन प्रमुख केंद्रों से काम करेगी, जिनमें यूएन मुख्यालय (न्यूयॉर्क), रीजनल सर्विस सेंटर, एंटेब्बे (युगांडा) यूएन ऑफिस, नैरोबी (केन्या) शामिल हैं। इससे प्रक्रिया सरल होगी और खर्च भी कम होगा।

उन्होंने पेरोल प्रोसेसिंग को एक सिंगल ग्लोबल टीम में कंसॉलिडेट करने का भी प्रस्ताव रखा, जो तीन सेंटर्स — UN हेडक्वार्टर, एंटेबे में रीजनल सर्विस सेंटर और नैरोबी में यूनाइटेड नेशंस ऑफिस में काम करेगी।

इसके अलावा, गुटेरेस ने न्यूयॉर्क और जिनेवा में एंटिटीज द्वारा उन कामों की की व्यवस्थित समीक्षा करने का प्रस्ताव रखा, जिन्हें कम लागत वाले ड्यूटी स्टेशनों में प्रभावी ढंग से किया जा सकता है। उन्होंने कहा कि यह हमारे कमर्शियल फुटप्रिंट को कम करने और लंबे समय में लागत में कमी लाने की एक बड़ी रणनीति का हिस्सा है।

यूएन प्रमुख के अनुसार, 2017 से न्यूयॉर्क में व्यावसायिक लीज खत्म करने और दफ्तरों के समेकन के जरिए यूएन सचिवालय ने 126 मिलियन डॉलर की बचत की है।

अब दो और इमारतों की लीज 2027 तक समाप्त की जाएगी, जिससे 2028 से हर साल 24.5 मिलियन डॉलर की अतिरिक्त बचत होने का अनुमान है।

गुटेरेस द्वारा पेश रिपोर्ट के अनुसार, यूएन का 2026 का नियमित बजट 3.238 बिलियन डॉलर प्रस्तावित है, जो 2025 की तुलना में 15.1 प्रतिशत कम है।

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