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Sunday,13-July-2025
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पाकिस्तान ने कराची में हनुमान मंदिर, हिंदू घरों को किया ध्वस्त

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Pakistan-Demolishes-Hanuman

जब तुर्की की सरकार द्वारा इस्तांबुल में स्थित ऐतिहासिक चोरा चर्च को एक मस्जिद के रूप में परिवर्तित किया जा रहा था, ठीक उसी वक्त पाकिस्तान भी कराची के ल्यारी में स्थित एक प्राचीन हनुमान मंदिर को ध्वस्त करने की राह पर था। सिर्फ इतना ही नहीं, पाकिस्तान ने हनुमान मंदिर के पास रहने वाले करीब 20 हिंदू परिवारों के घरों को भी ध्वस्त कर दिया।

प्राचीन मंदिर के मलबे के चारों ओर इकट्ठा हुए इलाके के हिंदुओं के विरोध प्रदर्शन के बाद पुलिस ने जांच की और इलाके को सील कर दिया। पाकिस्तानी अखबार द एक्सप्रेस ट्रिब्यून की रिपोर्ट के अनुसार, ल्यारी के सहायक आयुक्त अब्दुल करीम मेमन ने मंदिर को ध्वस्त करने वाले बिल्डर के खिलाफ जांच के आदेश दिए हैं।

स्थानीय लोगों का कहना कि बिल्डर ने कथित रूप से मंदिर के आसपास की जमीन खरीदी थी और वह वहां आवासीय परिसर का निर्माण करना चाहता था। हालांकि उसने हिंदुओं से वादा किया था कि वह मंदिर को कुछ नहीं होने देगा, लेकिन उसने कोरोनावायरस के कारण हुए लॉकडाउन के बीच मंदिर के साथ हिंदुओं के घरों को भी ध्वस्त कर दिया।

एक स्थानीय निवासी मोहम्मद इरशाद बलूच ने द एक्सप्रेस ट्रिब्यून को बताया, “यह अन्याय है, उन्होंने पूजा स्थल को ध्वस्त कर दिया। यह एक पुराना मंदिर था। हम जब बच्चे थे, तब से इसे देखते आ रहे हैं।”

एक अन्य निवासी हर्ष ने कहा, “लॉकडाउन के दौरान किसी को भी मंदिर में जाने की अनुमति नहीं थी। उसने (बिल्डर) स्थिति का फायदा उठाया और हमारे पूजा स्थल को ध्वस्त कर दिया।” उन्होंने कहा कि मंदिर के जीर्णोद्धार की मांग की जा रही है। साथ ही यह भी कहा कि बिल्डर ने इसके आसपास रहने वाले परिवारों को वैकल्पिक आवास देने का आश्वासन दिया था।

एक हिंदू कार्यकर्ता मोहन लाल ने बिल्डर पर मंदिर के पास एकत्र होकर विरोध कर रहे अल्पसंख्यक समुदाय के सदस्यों को धमकाने का भी आरोप लगाया। उन्होंने कहा, “हमने मंदिर में प्रवेश करने की कोशिश की, लेकिन बिल्डर ने हमें प्रवेश नहीं करने दिया।”

दिलचस्प बात यह है कि दक्षिण के उपायुक्त इरशाद अहमद सोधार ने द एक्सप्रेस ट्रिब्यून को बताया कि वहां पहले दो मंदिर थे, लेकिन एक को पहले ही हटा दिया गया था। उन्होंने न्याय दिलाने का वादा करते हुए कहा, “न्याय दिलाने के लिए पुरातत्वविद् सहित एक समिति का निर्माण किया जाएगा और सात दिनों के भीतर जांच पूरी हो जाएगी। हम सुनिश्चित करेंगे कि सभी को न्याय मिले।”

पाकिस्तान एक के बाद एक हिंदू विरासतों को ध्वस्त कर रहा है। वहीं देश के मुट्ठीभर अल्पसंख्यक हिंदू धर्मांतरण और महिलाओं के अपहरण के डर के कारण चुप बैठे हैं। हर बीतते साल के साथ पाकिस्तान में हिंदूओं की संख्या घटती जा रही है।

साल 1947 में हुए भारत विभाजन के बाद से ही पाकिस्तान ने हजारों साल के समृद्ध हिंदू, जैन और बौद्ध इतिहासों को नष्ट करने की पुरजोर कोशिशें कीं, जो कि क्षेत्र में इस्लाम की जड़ें पड़ने से पहले की हैं। हारून खालिद ने इस भयावहता के बारे में लिखा, “किस तरह पाकिस्तान, देश में पुरातत्व के हिंदू अतीत को नकारने के लिए बाध्य है”। यहां तक की पुरातत्व के रूप में मौजूद साक्ष्यों को भी जबरन इस्लाम का रूख दिया जा रहा है।

देश की सरकारें राष्ट्र की गैर-इस्लामिक विरासत को स्वीकार करने में हमेशा से अनिच्छुक रही हैं। वहीं कराची में 1,500 साल पुराने पंचमुखी हनुमान मंदिर के पास सालों पहले रोकी गई खुदाई को पिछले साल ही फिर से शुरू करने के दौरान कई हिंदू मूर्तियों और कलाकृतियोंकी खोज हुई।

विशुद्ध भूमि में मुस्लिम पहचान या इस्लामी सभ्यता की खोज पवित्र प्याले की खोज के समान है। दुर्भाग्य की बात है कि भूमि का अतीत चाहे वह संस्कृति में हो या भाषा या फिर इतिहास के ²ष्टिकोण से हो, वह हमेशा एक यू-टर्न लेता है और उन्हें उनकी प्राचीन जड़ों में वापस लाता है, वह जड़े जो हिंदू सभ्यता से जुड़ी हैं, जो 1,500 साल पहले निर्मित मंदिरों की विरासत के साथ चली आ रही हैं।

देश में अल्पसंख्यकों की संस्कृति और उनके प्रतीकों को स्वीकार करने की निराशा ने बदले की भावना का रूप ले लिया। यह नफरत पूरे देश में फैल गई है। यह मुट्ठी भर क्षेत्रों या लोगों तक ही सीमित नहीं है। अल्पसंख्यकों, विशेष रूप से हिंदुओं के खिलाफ नफरत और जहर समाज में फैल चुकी है। भारत विभाजन के बाद बने पाकिस्तान में सैकड़ों मंदिर अचानक बिना शोर के गायब हो गए और कई को दुकानों, मस्जिद और अन्य इमारतों में रूपांतरित कर दिया गया। यहां अतीत को मिटाने के प्रयास मुखर रहे हैं।

पाकिस्तान में अल्पसंख्यकों के पूजा स्थलों का विध्वंस और धर्मांतरण कोई नई बात नहीं है। हर महीने यहां एक नया विवाद सामने आता रहता है, या तो वह किसी मंदिर को ध्वस्त करने का होता है, या फिर उसे मस्जिद में रुपांतरित करने का। वहीं बीते जून में पाक के प्रधानमंत्री इमरान खान ने अपने धर्मनिरपेक्ष विचारों को प्रमाणित करने के लिए इस्लामाबाद में कृष्ण मंदिर के निर्माण के लिए धनराशि आवंटित की थी, लेकिन मंदिर के निमार्णाधीन दीवारों को कुछ ही दिनों में तोड़ दिया गया।

हालांकि, दूसरी ओर कुछ ऐसे उल्लेखनीय उदाहरण भी हैं, जहां पाकिस्तानी अपनी विरासत का दस्तावेजीकरण करने के लिए प्रयासरत नजर आए हैं। कुछ साल पहले कराची की एक पत्रकार और लेखिका रीमा अब्बासी ने कड़े शोध पर आधारित किताब ‘हिस्टॉरिक टेंपल्स इन पाकिस्तान: अ कॉल टू कॉन्शेंसेज’ प्रकाशित की, जिसमें पाकिस्तान के मंदिरों के कई खूबसूरत तस्वीरें भी थी।

वहीं पाक सरकार ने भी आश्चर्यजनक कदम उठाते हुए मंदिरों और अल्पसंख्यकों को भी मान्यता देने वाले फैसले लिए। इसमें एक फैसला इमरान खान सरकार द्वारा 72 साल बाद पूजा के लिए सियालकोट में एक ऐतिहासिक हिंदू मंदिर को खोलने को लेकर भी था, जिससे उनकी खूब जयकार हुई। हालांकि, ऐसे उदाहरण बहुत ही कम हैं। एक ऐसा देश, जहां मंदिरों की संख्या 400 से अधिक हुआ करती थीं, वहां बीते 70 सालों में उनकी संख्या दर्जन भर से भी कम रह गई हैं।

फिलहाल, पाकिस्तान अपने क्रूर व नए दोस्त तुर्की की राह पर चल रहा है। दोनों ने अल्पसंख्यक धर्मस्थलों को मस्जिदों में परिवर्तित कर दिया। तुर्की ने दो ऐतिहासिक चचरें को मस्जिदों में बदल दिया, जबकि पाकिस्तानियों ने उसी समय दो मंदिरों को ध्वस्त कर दिया।

फिर भी, 73 वर्षीय पाकिस्तान के लिए देश में फैले 5,000 साल पुराने इतिहास को हिलाना मुश्किल होगा।

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अंतरराष्ट्रीय समाचार

संयुक्त राष्ट्र प्रमुख ने लाल सागर में नागरिक जहाजों पर हूतियों के हमलों की फिर से शुरुआत की निंदा की

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संयुक्त राष्ट्र, 12 जुलाई। संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंटोनियो गुटेरेस ने यमन में हूतियों द्वारा लाल सागर में नागरिक जहाजों पर फिर से शुरू किए गए हमलों की कड़ी निंदा की है।

प्रवक्ता स्टीफन दुजारिक ने शुक्रवार को एक बयान में कहा कि दो वाणिज्यिक जहाजों के डूबने और कम से कम चार चालक दल के सदस्यों की मौत और अन्य के घायल होने की घटना इस महत्वपूर्ण जलमार्ग में एक खतरनाक पुनर्वृद्धि है।

प्रवक्ता ने कहा कि कम से कम 15 चालक दल के सदस्यों के लापता होने की सूचना के साथ, गुटेरेस ने हूतियों से ऐसी कोई कार्रवाई न करने का आह्वान किया है जिससे लापता चालक दल के लिए चल रहे खोज और बचाव अभियान में बाधा उत्पन्न हो।

दुजारिक ने कहा, “नाविकों की सुरक्षा पर एक अस्वीकार्य हमला होने के अलावा, इन कृत्यों ने नौवहन की स्वतंत्रता का भी उल्लंघन किया है, समुद्री परिवहन के लिए खतरा पैदा किया है और पहले से ही कमजोर तटीय पर्यावरण को महत्वपूर्ण पर्यावरणीय, आर्थिक और मानवीय क्षति का गंभीर खतरा पैदा किया है।”

मीडिया रिपोर्टों के अनुसार, गुटेरेस ने ज़ोर देकर कहा कि सभी पक्षों को हर समय अंतर्राष्ट्रीय कानून का सम्मान करना चाहिए।

प्रवक्ता ने कहा कि संयुक्त राष्ट्र क्षेत्र में व्यापक रूप से तनाव कम करने के अपने प्रयासों को जारी रखने के साथ-साथ यमन में संघर्ष का एक स्थायी और शांतिपूर्ण समाधान सुनिश्चित करने के लिए यमनी, क्षेत्रीय और अंतर्राष्ट्रीय हितधारकों के साथ निरंतर संपर्क बनाए रखने के लिए प्रतिबद्ध है।

नवंबर 2023 से, हूतियों ने लाल सागर और अदन की खाड़ी में मिसाइलों, ड्रोन और छोटी नावों से लगभग 70 व्यापारिक जहाजों को निशाना बनाया है।

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अंतरराष्ट्रीय समाचार

संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार विशेषज्ञ पर अमेरिकी प्रतिबंध अस्वीकार्य: संयुक्त राष्ट्र प्रवक्ता

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संयुक्त राष्ट्र, 11 जुलाई। संयुक्त राष्ट्र के एक प्रवक्ता ने कहा कि संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार विशेषज्ञ के खिलाफ अमेरिकी प्रतिबंध अस्वीकार्य हैं।

संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंटोनियो गुटेरेस के प्रवक्ता स्टीफन दुजारिक ने कब्जे वाले फिलिस्तीनी क्षेत्र में मानवाधिकारों की स्थिति पर संयुक्त राष्ट्र की विशेष दूत फ्रांसेस्का अल्बानीज़ पर अमेरिकी प्रतिबंधों के जवाब में कहा कि संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार विशेष दूतों पर प्रतिबंध लगाना एक खतरनाक मिसाल है।

प्रवक्ता ने कहा कि सदस्य देशों को अपने विचार रखने और विशेष दूतों की रिपोर्टों से असहमत होने का पूरा अधिकार है, “लेकिन हम उन्हें संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार ढांचे के साथ जुड़ने के लिए प्रोत्साहित करते हैं। विशेष दूतों, या किसी अन्य संयुक्त राष्ट्र विशेषज्ञ या अधिकारी के खिलाफ एकतरफा प्रतिबंधों का इस्तेमाल अस्वीकार्य है।”

मीडिया रिपोर्टों के अनुसार, उन्होंने यह भी कहा कि अल्बानीज़, अन्य सभी संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार विशेष दूतों की तरह, संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद द्वारा नियुक्त एक स्वतंत्र मानवाधिकार विशेषज्ञ हैं और जिनेवा स्थित परिषद को रिपोर्ट करते हैं।

दुजारिक ने आगे कहा कि विशेष प्रतिवेदक संयुक्त राष्ट्र महासचिव को रिपोर्ट नहीं करते, जिनका उन पर या उनके काम पर कोई अधिकार नहीं है।

वाशिंगटन ने बुधवार को फ़िलिस्तीनियों के ख़िलाफ़ कथित इज़राइली मानवाधिकार उल्लंघनों की जाँच में भूमिका के लिए अल्बानीज़ पर प्रतिबंधों की घोषणा की। यह कदम गाज़ा में चल रहे सैन्य अभियानों के बीच इज़राइल द्वारा किए गए कथित युद्ध अपराधों की अंतर्राष्ट्रीय जाँच को रोकने के वाशिंगटन के नवीनतम प्रयासों का प्रतीक है।

ये प्रतिबंध अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प द्वारा फरवरी में हस्ताक्षरित एक कार्यकारी आदेश के बाद लगाए गए हैं, जिसमें प्रशासन द्वारा संयुक्त राज्य अमेरिका और इज़राइल को निशाना बनाकर की गई “अवैध और निराधार कार्रवाइयों” के लिए अंतर्राष्ट्रीय आपराधिक न्यायालय के ख़िलाफ़ दंडात्मक उपायों को अधिकृत किया गया था।

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अंतरराष्ट्रीय समाचार

ट्रम्प ने ब्राज़ील पर 50 प्रतिशत टैरिफ लगाने की धमकी दी, पूर्व राष्ट्रपति जायर बोल्सोनारो के मुकदमे को समाप्त करने की मांग की

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TRUMP

वाशिंगटन, 10 जुलाई। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने कहा है कि वह ब्राज़ील में बने सामानों पर 50 प्रतिशत कर लगाने की योजना बना रहे हैं, जिससे दक्षिण अमेरिकी देश के साथ उनकी लड़ाई और तेज़ हो गई है। ट्रम्प ने अपने नवीनतम टैरिफ पत्र में इस योजना की घोषणा की, जिसे सोशल मीडिया पर साझा किया गया।

इस पत्र में, ट्रम्प ने ब्राज़ील पर अमेरिकी तकनीकी कंपनियों पर “हमले” करने और पूर्व ब्राज़ीलियाई राष्ट्रपति जायर बोल्सोनारो के खिलाफ “विच हंट” चलाने का आरोप लगाया, जिन पर 2022 के चुनाव को पलटने की साजिश में उनकी कथित भूमिका के लिए मुकदमा चल रहा है, बीबीसी ने बताया।

एक सोशल मीडिया पोस्ट में प्रतिक्रिया देते हुए, ब्राज़ीलियाई राष्ट्रपति लुईज़ इनासियो लूला दा सिल्वा ने कहा कि ब्राज़ील पर टैरिफ में वृद्धि का जवाब दिया जाएगा, और उन्होंने देश की न्यायिक प्रणाली में किसी भी तरह के हस्तक्षेप के खिलाफ चेतावनी दी।

इस सप्ताह की शुरुआत में ट्रम्प ने बोल्सोनारो के मुकदमे को लेकर भी लूला के साथ बहस की।

उस समय, लूला ने कहा था कि ब्राज़ील किसी के भी “हस्तक्षेप” को स्वीकार नहीं करेगा और उन्होंने आगे कहा: “कोई भी कानून से ऊपर नहीं है।”

ट्रम्प ने इस हफ़्ते दुनिया भर के देशों को 22 पत्र भेजे हैं, जिनमें जापान, दक्षिण कोरिया और श्रीलंका जैसे व्यापारिक साझेदार भी शामिल हैं, जिनमें उनके उत्पादों पर नए टैरिफ की रूपरेखा दी गई है, जो उनके अनुसार 1 अगस्त से लागू होंगे।

इन कदमों से अप्रैल में उनके द्वारा प्रस्तावित योजनाओं को पुनर्जीवित करने में काफ़ी मदद मिली है, लेकिन वित्तीय बाज़ारों द्वारा इन उपायों पर प्रतिक्रिया देने के बाद उन्हें स्थगित कर दिया गया था।

लेकिन ब्राज़ील को दिया गया संदेश कहीं ज़्यादा लक्षित था और व्हाइट हाउस द्वारा पहले ब्राज़ील से आयातित वस्तुओं पर घोषित 10% टैरिफ़ में उल्लेखनीय वृद्धि की धमकी दे रहा था।

कई अन्य देशों के विपरीत, पिछले साल अमेरिका ने ब्राज़ील के साथ व्यापार अधिशेष का आनंद लिया, और ब्राज़ील से ख़रीदे गए उत्पादों की तुलना में ब्राज़ील में ज़्यादा सामान बेचा।

पत्र में, ट्रम्प ने 50 प्रतिशत की दर को “मौजूदा शासन के गंभीर अन्याय को सुधारने के लिए ज़रूरी” बताया।

मीडिया रिपोर्टों के अनुसार, उन्होंने कहा कि वह अमेरिकी व्यापार प्रतिनिधि को ब्राज़ील की डिजिटल व्यापार प्रथाओं की तथाकथित 301 जाँच शुरू करने का आदेश देंगे।

ऐसा कदम एक अधिक स्थापित कानूनी प्रक्रिया की ओर एक कदम होगा जिसका इस्तेमाल अमेरिका ने अतीत में टैरिफ लगाने के लिए किया है, जिससे यह खतरा और भी कड़ा हो जाएगा।

अपने पहले कार्यकाल में, ट्रम्प ने ब्राज़ील द्वारा तकनीकी कंपनियों पर कर लगाने पर विचार करने पर भी ऐसा ही कदम उठाया था।

ट्रम्प ने पत्र में ब्राज़ील सरकार पर “स्वतंत्र चुनावों और अमेरिकियों के मौलिक अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के अधिकारों पर कपटपूर्ण हमले” करने का आरोप लगाया, जिसमें “अमेरिकी सोशल मीडिया प्लेटफ़ॉर्म” की सेंसरशिप भी शामिल है।

ट्रम्प की सोशल मीडिया कंपनी, ट्रम्प मीडिया, उन अमेरिकी टेक कंपनियों में से एक है जो सोशल मीडिया अकाउंट्स को निलंबित करने के आदेशों पर ब्राज़ील की अदालती फैसलों के खिलाफ लड़ रही हैं।

ब्राज़ील ने एलन मस्क के एक्स, जिसे पहले ट्विटर के नाम से जाना जाता था, पर भी अस्थायी रूप से प्रतिबंध लगा दिया था, क्योंकि इस प्लेटफ़ॉर्म ने उन अकाउंट्स पर प्रतिबंध लगाने से इनकार कर दिया था जिन्हें ब्राज़ील ने 2022 के ब्राज़ीलियाई राष्ट्रपति चुनाव के बारे में गलत सूचना फैलाने वाला माना था।

पिछले महीने, ब्राज़ील के सर्वोच्च न्यायालय ने फैसला सुनाया कि सोशल मीडिया कंपनियों को उनके प्लेटफ़ॉर्म पर पोस्ट की गई सामग्री के लिए ज़िम्मेदार ठहराया जा सकता है।

अपने पत्र में, ट्रंप ने ब्राज़ील के पूर्व राष्ट्रपति बोल्सोनारो की भी सराहना की और कहा कि वह “उनका बहुत सम्मान करते हैं”। उन्होंने आगे कहा कि उनके खिलाफ चल रहा मुकदमा “एक अंतरराष्ट्रीय अपमान” है।

जब दोनों राष्ट्रपति पद पर थे, तब ट्रंप और बोल्सोनारो के बीच मैत्रीपूर्ण संबंध थे, और दोनों की मुलाक़ात 2019 में ट्रंप के पहले कार्यकाल के दौरान व्हाइट हाउस में हुई थी। बोल्सोनारो को अक्सर “उष्णकटिबंधीय क्षेत्रों का ट्रंप” कहा जाता है।

बाद में दोनों राष्ट्रपति चुनाव हार गए और दोनों ने सार्वजनिक रूप से हार स्वीकार करने से इनकार कर दिया।

बोल्सोनारो, जिन्होंने 2019 से 2022 तक ब्राज़ील पर शासन किया, उन पर जनवरी 2023 में लूला के चुनाव जीतने के बाद राजधानी में सरकारी इमारतों पर धावा बोलने वाले अपने हज़ारों समर्थकों के साथ कथित तौर पर तख्तापलट की कोशिश करने का मुकदमा चल रहा है।

बोल्सोनारो उस समय संयुक्त राज्य अमेरिका में थे और उन्होंने दंगाइयों से किसी भी तरह के संबंध या साजिश में किसी भी तरह की संलिप्तता से इनकार किया है।

इस हफ़्ते की शुरुआत में, ट्रंप ने बोल्सोनारो के अभियोजन की तुलना उन कानूनी मामलों से की थी जिनका उन्होंने इसी तरह सामना किया है।

“यह एक राजनीतिक प्रतिद्वंद्वी पर हमले से ज़्यादा या कम कुछ नहीं है – जिसके बारे में मैं बहुत कुछ जानता हूँ!” ट्रंप ने कहा था। जवाब में, बोल्सोनारो ने अमेरिकी राष्ट्रपति को उनके समर्थन के लिए धन्यवाद दिया।

ट्रंप ने रियो डी जेनेरियो में हुए ब्रिक्स शिखर सम्मेलन की भी आलोचना की, जहाँ विकासशील देशों का समूह रविवार को मिला था। ट्रंप ने इस समूह, जिसमें ब्राज़ील भी शामिल है, को “अमेरिका-विरोधी” बताया और कहा कि इन देशों पर 10 प्रतिशत अतिरिक्त शुल्क लगाया जाएगा।

राष्ट्रपति लूला ने सोमवार को ट्रंप की सोशल मीडिया धमकियों पर पलटवार किया।

लूला ने कहा, “उन्हें यह जानना होगा कि दुनिया बदल गई है। हमें कोई सम्राट नहीं चाहिए।”

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