अपराध
लेड एक्सपोजर के कारण बांग्लादेश में दुनिया की चौथी उच्चतम मृत्यु दर

बांग्लादेश में सीसा विषाक्तिकरण (लेड पॉइजनिंग) के कारण दुनिया का चौथा सबसे ज्यादा मौतों का आंकड़ा सामने आया है, जहां औसत आबादी के रक्त का स्तर 6.83 यूजी/डीएल है, जो 11वीं सबसे ऊंची दर है। इंस्टीट्यूट ऑफ हेल्थ मेट्रिक्स इवैल्यूएशन की रिपोर्ट में यह आंकड़ा सामने आया है।
एक नई वैश्विक रिपोर्ट में कहा गया है कि बांग्लादेश में लेड पॉइजनिंग के मामले में सबसे गंभीर रूप से प्रभावित बच्चों की संख्या चौथे स्थान पर है।
बांग्लादेश को खुले में इस्तेमाल की जाने वाली लेड-एसिड बैटरी के अवैध पुनर्चक्रण (रिसाइकलिंग) के लिए जाना जाता है और यह लोगों के घरों के करीब ही होता है। यही काम सीसा की चपेट में आने (लेड एक्सपोजर) का कारण बनता है।
यह बच्चों और वयस्कों दोनों के लिए स्वास्थ्य जोखिमों से भरा है।
रिपोर्ट में अनुमान लगाया गया है कि बांग्लादेश में सीसे के कारण आईक्यू में कमी के कारण आर्थिक नुकसान देश की जीडीपी के 5.9 प्रतिशत के बराबर है।
बांग्लादेश में यूनिसेफ के प्रतिनिधि टोमू होजूमी ने कहा, लेड एक्सपोजर का बच्चों पर गंभीर और लंबे समय तक चलने वाला स्वास्थ्य एवं विकास पर प्रभाव पड़ता है। इसमें आजीवन सीखने की अक्षमता और बड़े होने पर आय अर्जित करने की उनकी क्षमता शामिल है। यूनिसेफ संबंधित व्यक्तियों के साथ मिलकर खतरनाक धातु अपशिष्ट और प्रदूषण से निपटने में मदद करेगा।
यूनिसेफ की कार्यकारी निदेशक हेनरीएटा फोर ने कहा, कुछ शुरूआती लक्षणों के साथ सीसा बच्चों के स्वास्थ्य और विकास पर संभवत: घातक परिणाम के साथ कहर बरपाता है।
प्योर अर्थ के अध्यक्ष रिचर्ड फुलर ने कहा, आशान्वित होने के लिए अच्छी खबर है। अच्छी खबर यह है कि श्रमिकों, उनके बच्चों और उनके आस-पास के इलाकों में सीसा का सुरक्षित रूप से पुनर्नवीनीकरण किया जा सकता है। लेड-दूषित साइटों को फिर से बनाया जा सकता है और पुनस्र्थापित किया जा सकता है।
उन्होंने कहा कि लोगों को उनके बच्चों की सुरक्षा के लिए और इससे होने वाले खतरों के बारे में शिक्षित किया जा सकता है, जिससे स्वास्थ्य में सुधार, उत्पादकता में वृद्धि, उच्च आईक्यू के साथ लाखों बच्चों का उज्जवल भविष्य सुनिश्चित किया जा सकता है।
बचपन में लेड एक्सपोजर से अनुमान है कि कम-और मध्यम-आय वाले देशों में बच्चे के उनके जीवनकाल में खोई हुई आर्थिक क्षमता के कारण लगभग एक खरब डॉलर का नुकसान होता है।
यह जानते हुए कि इसका कितना व्यापक प्रभाव है और इससे होने वाले विनाश को समझकर सभी के लिए बच्चों की सुरक्षा के लिए तत्काल कार्रवाई को प्रेरित करना चाहिए।
रिपोर्ट में कहा गया है कि सीसा एक शक्तिशाली न्यूरोटॉक्सिन है, जो बच्चों के दिमाग को अपूरणीय क्षति पहुंचाता है।
शोध में यह भी पाया गया कि बांग्लादेश में मसालों में सीसे की उच्च मात्रा पाई गई है।
लीड क्रोमेट, जो कि गुणवत्ता के संकेत के रूप में हल्दी के रंग और वजन को बढ़ाने के लिए उपयोग किया जाता है, बच्चों और वयस्कों में समान रूप से उन्नत रक्त स्तर में योगदान देता है।
रिपोर्ट में कहा गया है कि सीसा-एसिड बैटरी की अनौपचारिक और घटिया रीसाइक्लिंग, कम और मध्यम आय वाले देशों में रहने वाले बच्चों में विषाक्तता के मामले में एक प्रमुख योगदानकर्ता है, जिसने 2000 के बाद से वाहनों की संख्या में तीन गुना वृद्धि का अनुभव किया है।
अक्सर श्रमिकों और आम नागरिकों को पता नहीं होता है कि सीसा एक शक्तिशाली न्यूरोटॉक्सिन है।
जिन माता-पिता के व्यवसाय में सीसे के साथ काम करना शामिल होता है, वे अक्सर अपने कपड़ों, बालों, हाथों और जूतों पर दूषित कणों को घर ले आते हैं और इस प्रकार अनजाने में उनके बच्चे ऐसे विषाक्त तत्व की चपेट में आ जाते हैं।
अपराध
दिल्ली पुलिस को मिली बड़ी कामयाबी, 38 बांग्लादेशी घुसपैठियों को किया गिरफ्तार

नई दिल्ली, 30 मई। अवैध रूप से भारत में दाखिल हुए और राजधानी दिल्ली में रह रहे बांग्लादेशी घुसपैठियों पर दिल्ली पुलिस ने एक्शन तेज कर दिया है। बांग्लादेशी घुसपैठियों के खिलाफ दिल्ली पुलिस के अभियान को सफलता भी मिल रही है। दिल्ली पुलिस ने इस मामले में 38 बांग्लादेशी घुसपैठियों को गिरफ्तार किया है।
दरअसल, दिल्ली पुलिस की नॉर्थ वेस्ट डिस्ट्रिक्ट इकाई ने एक विशेष अभियान के तहत दिल्ली के विभिन्न इलाकों से 38 बांग्लादेशी नागरिकों को गिरफ्तार किया है। पुलिस से मिली जानकारी के अनुसार, यह सभी घुसपैठिए बिहार के रास्ते दिल्ली पहुंचे थे। दिल्ली में गिरफ्तार हुए घुसपैठिए दिल्ली में रहने से पहले हरियाणा के नूंह में भी रहे और वहां काम कर काफी समय गुजारा। इसके बाद ये लोग दिल्ली में एक फैक्ट्री में काम कर रहे थे। पुलिस सूत्रों के अनुसार, ये लोग अवैध रूप से शहर में रह रहे थे और इनके पास वैध दस्तावेज नहीं थे। पुलिस के वरिष्ठ अधिकारियों के अनुसार, यह कार्रवाई खुफिया जानकारी के आधार पर की गई, जिसमें पुलिस ने दिल्ली के अलग-अलग क्षेत्रों में छापेमारी कर इन लोगों को हिरासत में लिया। गिरफ्तार किए गए व्यक्तियों की पहचान और उनके ठिकानों की जांच की जा रही है। पकड़े गए 38 बांग्लादेशियों में महिलाएं और बच्चे भी शामिल हैं।
दिल्ली में रह रहे अवैध बांग्लादेशियों पर कार्रवाई को लेकर दिल्ली पुलिस के विशेष पुलिस आयुक्त, अपराध शाखा, देवेश चंद्र श्रीवास्तव ने बताया कि पहलगाम आतंकी हमले के मद्देनजर अवैध प्रवासियों को निर्वासित करने की प्रक्रिया में तेजी आई है। पिछले छह महीनों में, भारत सरकार की चल रही “पुश-बैक” रणनीति के तहत दिल्ली में लगभग 700 अवैध प्रवासियों को बांग्लादेश वापस भेजा गया है। सीमा सुरक्षा बल (बीएसएफ) के आंकड़ों के अनुसार, निर्वासित व्यक्तियों की संख्या के मामले में दिल्ली सभी राज्यों में सबसे ऊपर है। कई राज्यों में अवैध बांग्लादेशी नागरिकों पर कार्रवाई तेज हो गई है। दिल्ली, हरियाणा, राजस्थान, गुजरात, महाराष्ट्र, उत्तर प्रदेश और गोवा में बांग्लादेश से बड़ी संख्या में अवैध प्रवासियों को हिरासत में लिया गया है। हिरासत में लिए जाने के बाद, उन्हें निर्वासित करने के लिए सौंप दिया गया है।
अपराध
दिल्ली के जनकपुरी में कार्यालय में चोरी मामले में 19 वर्षीय आरोपी गिरफ्तार

ARREST
नई दिल्ली, 30 मई। दिल्ली के जनकपुरी इलाके में जनक सिनेमा कॉम्प्लेक्स में स्थित “प्रोत्साहन इंडिया फाउंडेशन” के कार्यालय में 13 मई को हुई चोरी की घटना में शामिल 19 वर्षीय चोर को पुलिस ने शुक्रवार को गिरफ्तार किया है।
कार्यालय के मालिक ने बताया कि जब वह उस दिन (13 मई) अपने कार्यालय पहुंचे थे, तो उन्होंने पाया कि स्लाइडिंग खिड़की तोड़कर अज्ञात चोर ने 3 मोबाइल फोन, 12 टैबलेट और एक लैपटॉप चार्जर चुरा लिया। इस घटना की शिकायत मिलने के बाद पुलिस ने त्वरित कार्रवाई शुरू की।
जनकपुरी थाने के प्रभारी (एसएचओ) के.के. तिवारी के नेतृत्व में और राजौरी गार्डन की सहायक पुलिस आयुक्त (एसीपी) सुश्री नीरज टोकस के मार्गदर्शन में एक विशेष जांच टीम गठित की गई।
इस टीम में हेड कांस्टेबल संदीप, रामकिशन, अंकित, महिला हेड कांस्टेबल वंदना और कांस्टेबल समरजीत शामिल थे। पुलिस ने मामले की जांच शुरू की और आसपास के कई सीसीटीवी कैमरों की फुटेज खंगाली। फुटेज की जांच करने के बाद पुलिस ने तकनीकी निगरानी का सहारा लिया, जिसके जरिए चोरी हुए एक मोबाइल फोन का स्थान दिल्ली के महावीर एन्क्लेव में ट्रैक किया गया।
पुलिस ने तुरंत महावीर एन्क्लेव में छापेमारी की और वहां 19 वर्षीय रोहन उर्फ खनका को गिरफ्तार कर लिया, जो राकेश का बेटा है और महावीर एन्क्लेव का निवासी है। उसके कब्जे से चोरी हुआ एक मोबाइल फोन बरामद किया गया। आगे की तलाशी में उसके घर से चोरी की गई 11 टैबलेट भी बरामद की गईं।
पुलिस ने बताया कि शेष चोरी की संपत्ति, जिसमें दो अन्य मोबाइल फोन और एक लैपटॉप चार्जर शामिल हैं, बरामद की गई है।
आरोपी रोहन से पूछताछ में पुलिस को महत्वपूर्ण सुराग मिले हैं, जिसके आधार पर जांच और तेज की जा रही है। पुलिस का कहना है कि वह इस मामले में अन्य संभावित संलिप्त लोगों की तलाश कर रही है और जल्द ही बाकी चोरी का सामान भी बरामद करने की उम्मीद है।
अपराध
सीबीआई ने पासपोर्ट सेवा केंद्र लोअर परेल के जूनियर पासपोर्ट असिस्टेंट और एजेंट को भ्रष्टाचार के मामले में किया गिरफ्तार

नकली दस्तावेजों के आधार पर पासपोर्ट जारी करने के मामले में कार्रवाई, पांच दिन की पुलिस कस्टडी में भेजे गए आरोपी
केंद्रीय जांच ब्यूरो (CBI) ने भ्रष्टाचार के एक मामले में पासपोर्ट सेवा केंद्र (PSK), लोअर परेल, मुंबई में तैनात एक ऑफिस असिस्टेंट/वेरिफिकेशन ऑफिसर और एक निजी व्यक्ति (एजेंट) को गिरफ्तार किया है। यह मामला नकली दस्तावेजों के आधार पर पासपोर्ट जारी कराने और इसके बदले रिश्वत लेने से जुड़ा है।
सीबीआई ने इस संबंध में ऑफिस असिस्टेंट/वेरिफिकेशन ऑफिसर और अन्य निजी पासपोर्ट एजेंटों के खिलाफ एक मामला दर्ज किया था। प्राथमिकी (FIR) में आरोप लगाया गया कि वर्ष 2023-2024 के दौरान उक्त सरकारी कर्मचारी ने निजी व्यक्तियों के साथ मिलकर आपराधिक साजिश रची और उसके तहत पासपोर्ट संबंधित कार्यों के लिए अनुचित लाभ प्राप्त किया।
जांच में सामने आया कि आरोपी कर्मचारी ने एजेंट और अन्य अज्ञात व्यक्तियों के साथ मिलकर कई अज्ञात आवेदकों को फर्जी दस्तावेजों के आधार पर पासपोर्ट जारी करवाए। इन आवेदनों में आधार कार्ड, पैन कार्ड, बैंक खाता विवरण और जन्म प्रमाण पत्र जैसे दस्तावेज लगाए गए थे, जो जांच में नकली पाए गए।
इसके अलावा, आरोपी कर्मचारी और एजेंट के बीच बातचीत के चैट में इन फर्जी पासपोर्ट आवेदकों से संबंधित रिश्वत की लेन-देन की चर्चा भी उजागर हुई है। जांच में यह भी सामने आया कि पासपोर्ट आवेदन में दिए गए मोबाइल नंबर काम नहीं कर रहे हैं और तत्काल योजना के तहत जारी किए गए इन पासपोर्टों की बाद में हुई पुलिस सत्यापन रिपोर्ट नकारात्मक पाई गई, क्योंकि दिए गए पते फर्जी थे।
जांच में सहयोग न करने और टालमटोल रवैया अपनाने पर दोनों आरोपियों को गिरफ्तार किया गया। उन्हें विशेष सीबीआई अदालत, मुंबई में पेश किया गया, जहां से उन्हें 5 दिन की पुलिस हिरासत में भेज दिया गया है। यह हिरासत 2 जून 2025 तक जारी रहेगी।
मामले की जांच जारी है।
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