अपराध
दुबे के एनकाउंटर से कुछ घंटे पहले ही सुप्रीम कोर्ट में दाखिल याचिका में ऐसी आशंका जताई गई थी

उत्तर प्रदेश पुलिस द्वारा कुख्यात अपराधी विकास दुबे के पांच सहयोगियों के मारे जाने/कथित मुठभेड़ की गहन जांच की मांग को लेकर सुप्रीम कोर्ट के समक्ष एक जनहित याचिका (पीआईएल) दायर की गई है। दुबे के इन पांचों सहयोगियों पर शक था कि वे तीन जुलाई को पुलिस टीम पर हुए जानलेवा हमले में शामिल हो सकते हैं, जिसमें आठ पुलिसकर्मी शहीद हो गए थे। इसके बाद इन पांचों आरोपियों को पुलिस ने कथित मुठभेड़ में मार गिराया था।
इस याचिका में विकास दुबे को भी कथित मुठभेड़ में ढेर किए जाने की आशंका जताई गई थी और साथ ही इस मामले की सीबीआई जांच की मांग की गई है। वकील और याचिकाकर्ता घनश्याम उपाध्याय ने गुरुवार शाम याचिका दाखिल कर इस मुद्दे पर तुरंत सुनवाई करने और दुबे को पर्याप्त सुरक्षा दिए जाने की मांग की है।
याचिका दाखिल करने के कुछ घंटों बाद ही शुक्रवार सुबह कानपुर के रास्ते में एसटीएफ अधिकारियों के साथ कथित मुठभेड़ में गंभीर रूप से घायल होने के बाद दुबे की मौत हो गई।
पुलिस द्वारा बताया जा रहा है कि दुबे को उत्तर प्रदेश पुलिस ने शुक्रवार सुबह कानपुर के पास एक मुठभेड़ में मार गिराया। जब यह मुठभेड़ हुई तब उत्तर प्रदेश पुलिस कुख्यात अपराधी दुबे को मध्य प्रदेश के उज्जैन से लेकर आ रही थी, जहां उसे गुरुवार को गिरफ्तार किया गया था।
पुलिस ने बताया कि जब उसे कानपुर लेकर जाया जा रहा था तो उनका वाहन सड़क पर पलट गया, जिसके बाद दुबे ने कथित तौर पर भागने की कोशिश की और इसी दौरान उसे गोली मारी गई, जिससे उसकी मौत हो गई।
दुबे के कथित तौर पर मुठभेड़ में मारे जाने के बाद समाचार चैनलों से लेकर चहुंओर यह बहस तेज हो गई है कि दुबे ने खुद को मध्य प्रदेश पुलिस द्वारा उत्तर प्रदेश पुलिस से मुठभेड़ से बचने के लिए ही गिरफ्तार कराया था तो वह खुद क्यों भागेगा।
याचिका में कहा गया है कि इस बात की पूरी संभावना है कि आरोपी विकास दुबे को हिरासत में लिए जाने के बाद भी उत्तर प्रदेश पुलिस द्वारा अन्य सह-अभियुक्तों की तरह ही मार गिराया जाएगा। याचिका में कहा गया है कि मुठभेड़ के नाम पर पुलिस द्वारा भी आरोपियों की हत्या की गई है और यह कानून के खिलाफ होने के साथ ही मानवाधिकार का भी गंभीर उल्लंघन है।
याचिका में कहा गया है कि उत्तर प्रदेश पुलिस/प्रशासन द्वारा दुबे के आवासीय भवन और शॉपिंग मॉल को भी गिराने का काम किया गया है और साथ ही उनकी महंगी कारों और अन्य विभिन्न चल/अचल संपत्तियों को भी बुलडोजर, जेसीबी से धवस्त किया गया है, जोकि कानून का स्पष्ट तौर पर उल्लंघन है।
याचिका में कहा गया है, अपराध सिद्ध होने के बाद अभियुक्त/अपराधी को दंड देना सक्षम न्यायालय का कार्य है। इस प्रकार पुलिस को कानून हाथ में लेकर अपराध सिद्ध होने से पहले मुठभेड़ के नाम पर उसे मारकर अभियुक्त को दंडित करने का अधिकार नहीं है।
याचिकाकर्ता ने शीर्ष अदालत से यह भी मांग की है कि दुबे का घर, शॉपिंग मॉल व गाडियां तोड़ने पर संबंधित लोगों के खिलाफ एफआईआर दर्ज करने के निर्देश दिए जाएं। याचिका में दुबे के पांच सहयोगियों को कथित तौर पर मुठभेड़ में मारे जाने के मामले को सीबीआई को सौंपने की भी मांग की गई है।
अपराध
मुंबई एयरपोर्ट पर कस्टम की बड़ी कार्रवाई, 11 किलो हाइड्रोपोनिक वीड बरामद, दो यात्री गिरफ्तार

मुंबई, 23 अगस्त। मुंबई कस्टम विभाग के एयरपोर्ट कमीश्नरेट ने एक बड़ी कार्रवाई करते हुए अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे पर दो यात्रियों को गिरफ्तार किया है। इन यात्रियों के पास से भारी मात्रा में प्रतिबंधित मादक पदार्थ बरामद किया गया है।
कस्टम विभाग के मुताबिक, यह कार्रवाई छत्रपति शिवाजी महाराज अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे (सीएसएमआई), मुंबई पर शुक्रवार को की गई। प्रोफाइलिंग के आधार पर कस्टम अधिकारियों ने बैंकॉक से आए फ्लाइट नंबर वीजेड-760 से उतरने वाले दो यात्रियों को रोका। जब उनके सामान की जांच की गई तो अधिकारियों को उनके ट्रॉली बैग से 11.78 किलोग्राम संदिग्ध हाइड्रोपोनिक वीड बरामद हुआ।
जब्त किए गए नशीले पदार्थ की अंतरराष्ट्रीय बाजार में अनुमानित कीमत करीब 11.78 करोड़ रुपए बताई जा रही है। अधिकारियों ने बताया कि ड्रग्स को बड़े ही चालाकी से यात्रियों के चेक-इन किए गए ट्रॉली बैग के अंदर छिपाया गया था। दोनों यात्रियों को मौके पर गिरफ्तार कर लिया गया। उनके खिलाफ नारकोटिक ड्रग्स एंड साइकोट्रॉपिक सब्सटेंस (एनडीपीएस) एक्ट, 1985 के तहत मामला दर्ज किया गया है।
इससे पहले, 11 अगस्त को खुफिया सूचना के आधार पर एक यात्री को रोका गया था, जो बैंकॉक से फ्लाइट नंबर 6ई1052 के जरिए मुंबई पहुंचा था। जांच के दौरान उसके डार्क ग्रे रंग के ट्रॉली बैग से कई दुर्लभ और संरक्षित जंगली जीव बरामद हुए थे। यात्री को कस्टम एक्ट, 1962 और वाइल्डलाइफ प्रोटेक्शन एक्ट, 1972 के तहत गिरफ्तार किया गया था।
वहीं, 10 अगस्त को बैंकॉक से फ्लाइट नंबर 6ई1060 से आए एक यात्री को जांच के दौरान रोका गया। इस यात्री के बैग से 2.339 किलो संदिग्ध हाइड्रोपोनिक वीड मिला, जिसकी कीमत लगभग 2.33 करोड़ रुपए आंकी गई। यहां भी मादक पदार्थ को बैग में सावधानी से छुपाया गया था। आरोपी को एनडीपीएस एक्ट, 1985 के तहत गिरफ्तार किया गया था। इससे पहले, 9 अगस्त को बैंकॉक से फ्लाइट नंबर 6ई1052 से मुंबई पहुंचे एक यात्री को कस्टम अधिकारियों ने रोका था। यात्री के चेक-इन ट्रॉली बैग की जांच करने पर 2.873 किलो संदिग्ध हाइड्रोपोनिक वीड मिला, जिसकी अंतरराष्ट्रीय बाजार में कीमत लगभग 2.87 करोड़ रुपए बताई गई। आरोपी यात्री को एनडीपीएस (एनडीपीएस) एक्ट, 1985 के तहत गिरफ्तार कर लिया गया था।
अपराध
ठाणे अपराध: रेलवे स्टेशन के पास जुर्माना वसूलने पर 30 वर्षीय ऑटो-रिक्शा चालक ने ट्रैफिक पुलिस सब-इंस्पेक्टर पर हमला किया; मामला दर्ज

ठाणे: शुक्रवार दोपहर ठाणे में यातायात नियमों का उल्लंघन करने पर कार्रवाई के बाद 30 वर्षीय एक गुस्साए ऑटो रिक्शा चालक ने एक यातायात पुलिस उपनिरीक्षक पर कथित तौर पर हमला कर दिया।
आरोपी की पहचान ठाणे के राबोडी निवासी सदरुद्दीन काज़ी के रूप में हुई है। ठाणे यातायात पुलिस में तैनात पुलिस उप-निरीक्षक विजय बाबूराव कांबले (55) घटना के समय ठाणे रेलवे स्टेशन के पास यातायात प्रबंधन की ड्यूटी पर थे।
यह विवाद शुक्रवार दोपहर करीब 12:30 बजे हुआ, जब काज़ी को निर्धारित ऑटो-रिक्शा स्टैंड के बाहर एक यात्री को उठाते हुए देखा गया। यह उल्लंघन देखकर, पुलिस उपनिरीक्षक कांबले ने काज़ी से संपर्क किया और ऑनलाइन जुर्माना लगाया, जिसके बाद तीखी बहस हुई। बात जल्द ही मारपीट में बदल गई।
घटनास्थल पर मौजूद अन्य यातायात पुलिस कर्मी कांबले की मदद के लिए दौड़े और आरोपी को रोका। इसके बाद काजी को ठाणे नगर पुलिस स्टेशन ले जाया गया। इसके बाद काजी के खिलाफ एफआईआर दर्ज की गई।
ठाणे नगर पुलिस स्टेशन के वरिष्ठ पुलिस निरीक्षक भरत चौधरी ने कहा, “हमने आरोपी के खिलाफ बीएनएस की संबंधित धाराओं के तहत प्राथमिकी दर्ज कर ली है। प्रारंभिक जाँच से पता चलता है कि आरोपी के ऑटो रिक्शा पर पहले भी कई बार जुर्माना लगाया जा चुका है। आगे की जाँच जारी है।”
अपराध
बैंक धोखाधड़ी मामला : सीबीआई ने फरार आरोपी दिनेश गहलोत को किया गिरफ्तार

CRIME
नई दिल्ली, 23 अगस्त। केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) ने बैंक धोखाधड़ी के एक बड़े मामले में फरार घोषित आरोपी दिनेश डी. गहलोत को गिरफ्तार कर लिया है। सीबीआई की इस कार्रवाई को काफी अहम माना जा रहा है।
सीबीआई के अनुसार, यह मामला 31 मई 2004 को दर्ज किया गया था, जिसमें दिनेश डी. गहलोत पर बैंक ऑफ बड़ौदा से जाली दस्तावेजों के जरिए हाउसिंग लोन लेकर धोखाधड़ी करने का आरोप था। जांच पूरी होने के बाद 30 अप्रैल 2007 को उसके खिलाफ चार्जशीट दाखिल की गई थी। हालांकि, दिनेश ने कोर्ट में पेश होने या समन/वारंट का जवाब देने से इनकार कर दिया और 2024 से फरार था। इसके बाद गहलोत के खिलाफ कई गैर-जमानती वारंट जारी किए गए थे। 9 दिसंबर 2024 को मुंबई की विशेष सीबीआई अदालत ने उसके खिलाफ प्रोक्लेमेशन वारंट जारी किया था।
सीबीआई ने बताया कि दिनेश बार-बार अपना ठिकाना बदलता था और स्थानीय लोगों से अपनी असली पहचान छिपाकर कम संपर्क रखता था, जिससे उसकी तलाश मुश्किल हो रही थी।
सीबीआई ने आधुनिक तकनीक और डिजिटल ट्रैकिंग डेटाबेस का इस्तेमाल कर उसकी लोकेशन का पता लगाया। गहन जांच और स्थानीय पूछताछ के बाद सीबीआई ने दिनेश को नोएडा से 20 अगस्त 2025 को गिरफ्तार किया। उसे मुंबई की अदालत में पेश किया गया, जहां से उसे न्यायिक हिरासत में भेज दिया गया है।
यह मामला दर्शाता है कि कैसे तकनीक-आधारित खुफिया प्लेटफार्मों का एकीकरण और जांच अधिकारियों के लगातार तथा समन्वित प्रयासों से लंबे समय से फरार अपराधियों को खोजने और पकड़ने में कानून प्रवर्तन एजेंसियों की परिचालन क्षमता को काफी हद तक बढ़ाया जा सकता है।
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