Monsoon
प्रगति में मानसून, खाद्यान्नों के उत्पादन का फिर बनेगा नया रिकॉर्ड!
मानसून के इस साल फिर मेहरबान रहने से देश में आगामी फसल वर्ष 2020-21(जुलाई-जून) में खाद्यान्नों के उत्पादन का नया रिकॉर्ड बनने की उम्मीद बढ़ गई है।
समय से एक जून को दक्षिणी प्रांत केरल के तट पर दस्तक देने के बाद अब तक मानसून की प्रगति बेहतर बताई जा रही है, जिससे उत्साहित किसानों ने खरीफ सीजन के फसलों की बुवाई की तैयारी शुरू कर दी है।
भारतीय मौसम विज्ञान विभाग (आईएमडी) के महानिदेशक मृत्युंजय महापात्र ने आईएएनएस को शुक्रवार को बताया कि इस समय देश के जिन इलाकों में मानसून पहुंच चुका है वहां अच्छी बारिश हुई है और जहां मानसून अभी नहीं पहुंचा है वहां भी अच्छी बारिश हुई है। मानसून की प्रगति को लेकर पूछे गए सवाल पर उन्होंने कहा, “एक दिन पहले तक मानसून की प्रगति 34 फीसदी अधिक थी।” आईएमडी ने इस साल मानसून सामान्य रहने का पूवार्नुमान जारी किया है।
दक्षिण पश्चिम मानसून इस समय गोवा, कर्नाटक, आंध्रप्रदेश, तेलंगाना और ओडिशा के कुछ हिस्सों में प्रगति में है, लेकिन खरीफ फसलों की बिजाई की तैयारी पूरे देश में शुरू हो चुकी है। सिंचित क्षेत्र पंजाब, हरियाणा और पश्चिमी उत्तर प्रदेश में तो कपास की बुवाई समाप्त होने वाली है और धान की नर्सरी लग चुकी है और 15 जून से रोपाई भी शुरू होने वाली है।
कृषि वैज्ञानिक बताते हैं कि कृषि जलवायु के आधार पर पूरे देश को मोटे तौर पर पांच क्षेत्रों में बांटा गया है जिनमें से सिंचित क्षेत्र में तो मानसून का इंतजार नहीं किया जाता है लेकिन जो बरसाती क्षेत्र है जहां की कृषि मुख्य रूप से बारिश पर ही निर्भर करती है वहां के किसानों को मानसून की अच्छी बारिश का बेसब्री से इंतजार रहता है।
इस क्षेत्र की विडंबना है कि कभी अतिवृष्टि के कारण फसलें बर्बाद हो जाती है तो अनावृष्टि यानी सूखा पड़ने से भी फसल खराब हो जाती है। लेकिन खरीफ सीजन में उगने वाली दहलन व तिलहन फसलों के साथ प्रमुख खरीफ फसल धान की खेती भी इस क्षेत्र में व्यापक पैमाने पर होती है। वहीं, बेहतर मानसून से समुद्र तटीय क्षेत्र में भी किसानों को अच्छी फसल की उम्मीद बढ़ जाती है। वहीं, शुष्क क्षेत्र के अंतर्गत राजस्थान के मरूस्थल जैसे गर्म शुष्क क्षेत्र और लेह-लद्दाख जैसे शीत शुष्क क्षेत्र आते हैं। इसके अलावा पर्वतीय क्षेत्र हैं जहां बागवानी उत्पादों की खेती ज्यादा होती है। अच्छा मानसून असिंचित यानी बरसाती क्षेत्र के लिए वरदान है। यही कारण है कि सामान्य मासनसून रहने के पूर्वानुमान से अगले फसल वर्ष में देश में खाद्यान्नों के उत्पादन का नया रिकॉर्ड बनने की उम्मीद की जा रही है।
कृषि वैज्ञानिक और भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद के उपमहानिदेशक (कृषि प्रसार) डॉ. ए. के. सिंह ने आईएएनएस से बातचीत में कहा कि मानसनू सामान्य रहने से कृषि उत्पादन इस साल पहले से बेहतर रह सकता है। खाद्यान्नों के उत्पादन के संबंध में पूछे जाने पर उन्होंने कहा, “खाद्यान्नों के उत्पादन में भारत अगले फसल वर्ष में फिर एक नया रिकॉर्ड बनाएगा।”
केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय द्वारा हाल ही में जारी फसल वर्ष 2019-20 (जुलाई-जून) के तीसरे अग्रिम उत्पादन अनुमान में खाद्यान्नों का रिकॉर्ड 29.56 करोड़ टन उत्पादन का आकलन किया है और सरकार ने अगले साल 2020-21 के लिए 29.8 करोड़ टन उत्पादन का लक्ष्य रखा है।
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महाराष्ट्र में भारी बारिश के बीच मराठवाड़ा के लिए राहत, जयकवाड़ी बांध 100% भर गया, मुंबई को पानी की आपूर्ति करने वाली झीलें 98% के स्तर को पार कर गईं।
मुंबई: सूखाग्रस्त मराठवाड़ा क्षेत्र को बड़ी राहत देते हुए, जयकवाड़ी बांध में शनिवार, 7 सितंबर को 100 प्रतिशत जल स्तर पहुँच गया। छत्रपति संभाजीनगर (औरंगाबाद) के पैठण में स्थित यह बांध मराठवाड़ा के लिए पानी का एक प्रमुख आपूर्तिकर्ता है। महाराष्ट्र जल संसाधन (डब्ल्यूआरएस) विभाग के आंकड़ों के अनुसार, पिछले साल इसी दिन जयकवाड़ी बांध में मात्र 32.60 प्रतिशत जल स्तर था।
राज्य जल संसाधन डेटा क्या कहता है
इस मानसून में भारी बारिश के बीच, महाराष्ट्र के सभी 2,997 बांध (बड़े और छोटे सहित) कुल 83.15 प्रतिशत जल स्तर तक पहुँच गए हैं, जो पिछले साल की तुलना में लगभग 20 प्रतिशत अधिक है, डब्ल्यूआरएस डेटा कहता है।
अगर केवल 138 प्रमुख बांधों पर विचार किया जाए, जो सभी क्षेत्रों को कवर करते हैं – कोंकण (मुंबई सहित), पुणे, नासिक, नागपुर, अमरावती और छत्रपति संभाजीनगर (मराठवाड़ा), तो शनिवार तक कुल जल संग्रहण 92.63 प्रतिशत तक पहुंच गया है। पिछले साल इसी दिन जल स्तर मात्र 70.92 प्रतिशत था, ऐसा डब्ल्यूआरएस की लाइव संग्रहण तुलना रिपोर्ट में कहा गया है।
2018 के बाद यह पहली बार है कि महाराष्ट्र के लगभग सभी प्रमुख बांध 100 प्रतिशत जल भंडारण तक पहुँच गए हैं, जो दर्शाता है कि राज्य को अगले मानसून तक पानी की गंभीर कमी का सामना नहीं करना पड़ सकता है।
मुंबई की झीलों में जलस्तर
पिछले कुछ दिनों में हुई भारी बारिश के कारण मुंबई को पानी की आपूर्ति करने वाले सात जलाशयों में जलस्तर 98 प्रतिशत से अधिक हो गया है। 6 सितंबर तक ऊपरी वैतरणा, मध्य वैतरणा, भाटसा, तानसा, तुलसी, विहार और मोदक सागर समेत सात झीलों में जलस्तर 98.06 प्रतिशत था। पिछले साल इसी दिन इन सात झीलों में जलस्तर 90.39 प्रतिशत था।
महाराष्ट्र में बारिश
पिछले हफ़्ते महाराष्ट्र के कई इलाकों, ख़ास तौर पर विदर्भ और मराठवाड़ा में भारी बारिश हुई। मराठवाड़ा के कई ज़िले पानी में डूब गए और लाखों हेक्टेयर फ़सलें बर्बाद हो गईं। बाढ़ जैसी स्थिति में 12 लोगों की जान चली गई और हज़ारों ग्रामीणों को सुरक्षित स्थानों पर ले जाया गया।
इस मॉनसून में महाराष्ट्र में सामान्य से ज़्यादा बारिश हुई है, 1 जून से पिछले हफ़्ते तक राज्य में औसत से 126% ज़्यादा बारिश हुई है।
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महाराष्ट्र में बारिश: मराठवाड़ा में कम से कम 12 लोगों की मौत की खबर; हिंगोली, परभणी, जलगांव, नांदेड़, लातूर सबसे ज्यादा प्रभावित।
महाराष्ट्र के सूखाग्रस्त मराठवाड़ा क्षेत्र में पिछले दो दिनों से भारी बारिश हो रही है। हिंगोली, परभणी, जलगांव, नांदेड़, बीड, लातूर और छत्रपति संभाजी नगर शहर सबसे ज़्यादा प्रभावित हैं।
ताज़ा रिपोर्ट के अनुसार, भारी बारिश ने 12 लोगों की जान ले ली है और लाखों किसान प्रभावित हुए हैं। भारी बारिश की वजह से फसलों को भारी नुकसान हुआ है और गोदावरी समेत कई नदियाँ उफान पर हैं।
मराठवाड़ा के हजारों गांव प्रभावित
रिपोर्ट के अनुसार, 48 घंटों से लगातार हो रही बारिश के कारण मराठवाड़ा क्षेत्र के करीब 1,454 गांव बुरी तरह प्रभावित हुए हैं और करीब 169 जानवर मारे गए हैं। बारिश के कारण लाखों हेक्टेयर फसलें भी बर्बाद हो गई हैं।
सबसे ज़्यादा प्रभावित हिंगोली जिले में फंसे लोगों को बचाने के लिए सेना को बुलाया गया है। स्थानीय विधायक संतोष बांगर फंसे हुए लोगों को बचाने के लिए बाढ़ प्रभावित इलाकों में पहुंच गए हैं। अब तक करीब 200 लोगों को सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाया जा चुका है और राज्य के अधिकारी मराठवाड़ा में बारिश से प्रभावित इलाकों से ग्रामीणों और जानवरों को बचा रहे हैं।
परभणी जिले में भारी बारिश के कारण गोदावरी नदी और उसकी सहायक नदियों, पूर्णा और दुधना में बाढ़ आ गई है, जिसके परिणामस्वरूप कृषि भूमि, संपत्ति और वाहनों को काफी नुकसान हुआ है।
रेड अलर्ट जारी
राज्य आपदा प्रबंधन ने मंगलवार दोपहर 3 बजे तक धुले और नंदुरबार में भारी बारिश के लिए रेड अलर्ट जारी किया है। वहीं, आईएमडी ने भविष्यवाणी की है कि मध्य महाराष्ट्र और मराठवाड़ा में मंगलवार को भी भारी बारिश जारी रहने की उम्मीद है।
इस मानसून में महाराष्ट्र में सामान्य से अधिक वर्षा हुई है, तथा 1 जून से अब तक राज्य में औसत से 126% अधिक वर्षा हुई है। क्षेत्रवार, कोंकण में औसत से 30% अधिक वर्षा हुई है, मध्य महाराष्ट्र में 51%, मराठवाड़ा में 15% तथा विदर्भ में 16% अधिक वर्षा हुई है।
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मुंबई मौसम अपडेट: आईएमडी ने शहर में हल्की बारिश, महाराष्ट्र के आंतरिक क्षेत्रों में भारी बारिश का अनुमान लगाया।
मुंबई: पिछले कुछ दिनों से मुंबई में मानसून की गति धीमी रही है, जिससे हल्की और छिटपुट बारिश ही हुई है, लेकिन भारतीय मौसम विभाग (IMD) ने अगले 24 घंटों में महाराष्ट्र के अंदरूनी इलाकों में बारिश की गतिविधि में वृद्धि का अनुमान लगाया है। हालांकि, IMD ने आने वाले पांच दिनों में मुंबई और उसके आसपास के जिलों के लिए कोई बारिश की चेतावनी जारी नहीं की है।
IMD के अनुसार, मुंबई में आमतौर पर बादल छाए रहेंगे और शहर और उपनगरों में कभी-कभी हल्की से मध्यम बारिश और गरज के साथ छींटे पड़ सकते हैं। मुंबई में तापमान स्थिर रहने की उम्मीद है, अगले 24 से 48 घंटों में अधिकतम तापमान 30 डिग्री सेल्सियस और न्यूनतम तापमान 27 डिग्री सेल्सियस के आसपास रहेगा। इसके बाद, शहर में हल्की बारिश के साथ आंशिक रूप से बादल छाए रहने की उम्मीद है।
IMD के मुख्य वैज्ञानिक सुनील कांबले ने मौसम की स्थिति के बारे में बताते हुए कहा कि पिछले कुछ दिनों में तापमान में वृद्धि बारिश में कमी के कारण हुई है। “हमें अगले 3 से 4 दिनों तक मुंबई में हल्की से मध्यम बारिश की उम्मीद है। हालांकि, महाराष्ट्र के बाकी हिस्सों, खासकर उत्तरी भागों में, मध्य भारत में बने एक दबाव के कारण भारी से बहुत भारी बारिश की उम्मीद है,” कांबले ने कहा। “अगले पांच दिनों के लिए मुंबई के लिए कोई अलर्ट नहीं है।”
दक्षिण ओडिशा और उत्तरी आंध्र प्रदेश और दक्षिण छत्तीसगढ़ के आस-पास के इलाकों में बना दबाव 8 किमी प्रति घंटे की गति से आगे बढ़ा है और वर्तमान में पूर्वी विदर्भ और उससे सटे तेलंगाना पर केंद्रित है। इस सिस्टम से अगले 24 घंटों में महाराष्ट्र के अंदरूनी इलाकों में बारिश की गतिविधि बढ़ने की उम्मीद है।
सोमवार के लिए आईएमडी ने धुले, नंदुरबार, परभणी, हिंगोली और नांदेड़ जिलों के लिए रेड अलर्ट जारी किया था, जबकि महाराष्ट्र के सात जिले ऑरेंज अलर्ट पर थे। आईएमडी ने महाराष्ट्र में मंगलवार के लिए कोई ऑरेंज या रेड अलर्ट जारी नहीं किया है।
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