राष्ट्रीय समाचार
10 में से 6 भारतीय हार्टअटैक के डर से कोविड बूस्टर से कर रहे परहेज : रिपोर्ट

नई दिल्ली, 22 दिसंबर : चीन में संक्रमण बढ़ने के बीच जब देश कोविड की ताजा लहर की चिंताओं से निपटने की तैयारी कर रहा है, गुरुवार को एक सर्वेक्षण में खुलासा हुआ कि 10 में से छह भारतीय (64 प्रतिशत) कोविड बूस्टर खुराक लेने से हिचक रहे हैं, क्योंकि युवाओं में दिल के दौरे के मामले बढ़े हैं। सर्वेक्षण में शामिल 53 प्रतिशत लोगों ने बूस्टर शॉट्स नहीं लिए हैं और न ही इसे लेने की योजना बना रहे हैं, वहीं 9 प्रतिशत ने अभी भी कोई कोविड वैक्सीन शॉट नहीं लिया है और ऐसा करने की उनकी कोई योजना नहीं है।
लोकल सोशल कम्युनिटी एंगेजमेंट प्लेटफॉर्म लोकल सर्कल्स के मुताबिक, लगभग 2 फीसदी लोगों को अभी भी यह तय करना है कि बूस्टर शॉट लेना है या नहीं।
चीन से एक नए कोविड वेरिएंट के आने और कहर ढाने की खबर ने नागरिकों और अधिकारियों को चिंतित कर दिया है। इस समय पूरे चीन में फैला हुआ प्रमुख ओमिक्रॉन के सब-वेरिएंट बीएफ.7 है।
महामारी विज्ञानियों और स्वास्थ्य विशेषज्ञों का अनुमान है कि चीन की 60 प्रतिशत आबादी संक्रमित हो जाएगी और मौजूदा लहर से दस लाख लोगों की मौत हो सकती है। चीन के अस्पतालों में पर्याप्त बिस्तर नहीं हैं और लोग अपने मृत प्रियजनों दफनाने के लिए कब्रिस्तान में घंटों इंतजार करते नजर आते हैं।
सर्वेक्षण के निष्कर्ष में कहा गया है, “परिणाम से लगता है कि जहां 28 प्रतिशत ने टीकाकरण के साथ-साथ बूस्टर शॉट लेने की सावधानी बरती है और 8 प्रतिशत जो अगले 30 दिनों में ऐसा करने की संभावना रखते हैं, उत्तरदाताओं का एक बड़ा 64 प्रतिशत है, जो इस समय बूस्टर या एहतियाती खुराक लेने के प्रति अनिच्छुक हैं।”
नवीनतम सर्वेक्षण में 309 जिलों में स्थित नागरिकों से 19,000 से अधिक प्रतिक्रियाएं प्राप्त हुईं।
श्रेणी 2, 3 और 4 के शहरों और ग्रामीण जिलों में कई लोग मानते हैं कि लंबे समय से कोविड का कोई प्रकोप नहीं है, इसलिए अब और खुराक लेने की जरूरत नहीं है। दिल के दौरे और मस्तिष्क के स्ट्रोक के मामले बढ़ने की मीडिया की रिपोर्ट आबादी के एक वर्ग को यह मानने के लिए प्रेरित कर रही हैं कि ऐसा टीका के दुष्प्रभाव के कारण हो रहा है।
पहले के एक सर्वेक्षण में 51 प्रतिशत नागरिकों ने कहा कि उनके करीबी नेटवर्क में एक या एक से अधिक व्यक्ति हैं, जिन्हें पिछले दो वर्षो में दिल या मस्तिष्क का दौरा, कैंसर के तेजी से बढ़ना या न्यूरोलॉजिकल समस्या ने परेशान किया है।
अपराध
मुंबई : 48 साल से फरार हत्या के प्रयास का आरोपी गिरफ्तार, 1977 में दर्ज हुआ था मामला

मुंबई, 15 अक्टूबर: मुंबई पुलिस ने हत्या के प्रयास के एक ऐसे आरोपी को गिरफ्तार किया है, जो पिछले 48 सालों से फरार था। कोलाबा पुलिस ने 71 वर्षीय चंद्रशेखर मधुकर कालेकर को लालबाग से गिरफ्तार किया है, जिसके खिलाफ 1977 में मामला दर्ज किया गया था।
पुलिस के अनुसार, 1977 में, जब वह 23 वर्ष का था, कालेकर को अपनी प्रेमिका पर धोखा देने का शक हुआ और उसने कथित तौर पर कोलाबा में उसे चाकू मार दिया। उस समय उसे गिरफ्तार किया गया, लेकिन बाद में कोर्ट से जमानत मिल गई।
हालांकि, जमानत पर रिहा होने के बाद वह किसी भी अदालती तारीख पर हाजिर नहीं हुआ। इसके चलते अदालत ने उसे भगोड़ा घोषित कर दिया था और पुलिस कई सालों से उसकी तलाश कर रही थी, लेकिन चॉल के पुनर्विकास के कारण वह कई बार ठिकाना बदल चुका था, जिससे पुलिस को कोई सफलता नहीं मिली।
छह महीने पहले कोलाबा पुलिस ने इस पुराने मामले को फिर से खोला। टीम ने लालबाग स्थित उसके पुराने घर का दौरा किया, लेकिन वहां कोई नहीं मिला। पुलिस ने मुंबई के कई इलाकों में उसकी खोज की, मतदाता सूची की जांच की, लेकिन उसका नाम कहीं नहीं मिला।
जांच के दौरान, पुलिस ने आरटीओ और अदालती मामलों की जानकारी के लिए आवेदनों की जांच की, जिसमें रत्नागिरी जिले के दापोली पुलिस स्टेशन में उसके खिलाफ दर्ज 2015 के एक आपराधिक मामले का रिकॉर्ड मिला, जिसमें गाड़ी चलाते समय एक व्यक्ति को घायल करने के आरोप में उसकी गिरफ्तारी हुई थी।
दापोली पुलिस स्टेशन से मिली जानकारी के आधार पर, कोलाबा पुलिस की एक टीम उसके घर पहुंची और उसे गिरफ्तार कर लिया। 48 साल बाद पुलिस को अपने दरवाजे पर देखकर 71 वर्षीय कालेकर हैरान रह गया और लगभग उस मामले को भूल चुका था।
पुलिस अधिकारी के अनुसार, पुरानी तस्वीरों से उसे पहचानना मुश्किल था, लेकिन पूछताछ करने पर उसने अपराध स्वीकार कर लिया। आरोपी को कोर्ट में पेश किया गया, जहां से उसे न्यायिक हिरासत में भेज दिया गया है।
राष्ट्रीय समाचार
दिल्ली-एनसीआर में शर्तों के सुप्रीम कोर्ट ने दी ‘ग्रीन पटाखों’ को मंजूरी

suprim court
नई दिल्ली, 15 अक्टूबर: सुप्रीम कोर्ट ने दीपावली से पहले दिल्ली-एनसीआर में ग्रीन पटाखों को बेचने और जलाने की अनुमति दे दी है, लेकिन इसके साथ कई सख्त शर्तें भी लगाई हैं।
मुख्य न्यायाधीश बीआर गवई और न्यायमूर्ति विनोद चंद्रन की पीठ ने यह अहम आदेश सुनाया। कोर्ट ने कहा कि परंपरागत पटाखों की तुलना में ग्रीन पटाखे पर्यावरण को कम नुकसान पहुंचाते हैं, इसलिए सीमित और नियंत्रित उपयोग की अनुमति दी जा सकती है।
सीजेआई बीआर गवई ने कहा कि अदालत ने इस मुद्दे पर सॉलिसिटर जनरल और एमिकस क्यूरी के सुझावों पर विचार किया है। उन्होंने कहा, “हम समझते हैं कि उद्योग जगत की भी चिंताएं हैं। पारंपरिक पटाखों का इस्तेमाल बढ़ रहा है, जिससे प्रदूषण और ज्यादा बढ़ता है। इसलिए हमें एक संतुलित दृष्टिकोण अपनाना होगा।”
हरियाणा के 22 जिलों में से 14 जिले एनसीआर क्षेत्र में आते हैं। उन्होंने कहा कि जब पटाखों पर प्रतिबंध लगाया गया था, तो कोविड काल को छोड़कर वायु गुणवत्ता में बहुत बड़ा सुधार देखने को नहीं मिला। वहीं, पिछले छह वर्षों में ग्रीन पटाखों के आने से प्रदूषण के स्तर में काफी कमी आई है।
सुप्रीम कोर्ट ने आदेश दिया है कि 18 अक्टूबर से 21 अक्टूबर 2025 तक दिल्ली-एनसीआर में ग्रीन पटाखों की बिक्री और इस्तेमाल की जा सकती है। हालांकि, यह बिक्री केवल क्यूआर कोड वाले ग्रीन पटाखों की ही होगी।
ग्रीन पटाखों के इस्तेमाल के लिए भी सुप्रीम कोर्ट ने समय सीमा तय की है। ग्रीन पटाखों का इस्तेमाल केवल सुबह 6 बजे से 7 बजे तक और रात 8 बजे से 10 बजे तक ही किया जा सकेगा।
कोर्ट ने कहा कि पुलिस अधिकारी गश्ती दल बनाएंगे, जो यह सुनिश्चित करेंगे कि बाजार में केवल प्रमाणित ग्रीन पटाखे ही बिकें। अगर कोई नियम तोड़ेगा, तो उसके खिलाफ तुरंत कार्रवाई की जाएगी और नोटिस जारी किया जाएगा।
इसके साथ ही, कोर्ट ने यह भी स्पष्ट किया कि ई-कॉमर्स वेबसाइटों जैसे अमेजन या फ्लिपकार्ट आदि पर पटाखों की ऑनलाइन बिक्री पूरी तरह प्रतिबंधित रहेगी।
राजनीति
फर्जी जन्म प्रमाणपत्र मामले में सख्त कार्रवाई की मांग, भाजपा नेता किरीट सोमैया ने मंत्री बावनकुले से की मुलाकात

मुंबई, 15 अक्टूबर: महाराष्ट्र में फर्जी जन्म प्रमाणपत्र मामले को लेकर अब सियासी हलचल तेज हो गई है। भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के वरिष्ठ नेता और पूर्व सांसद किरीट सोमैया ने इस मुद्दे पर राज्य सरकार के मंत्री चंद्रशेखर बावनकुले से मुलाकात कर सख्त कार्रवाई की मांग की।
बैठक के दौरान उन्होंने कहा कि राज्य में कई ऐसे मामले सामने आए हैं जहां अयोग्य व्यक्तियों को अवैध रूप से जन्म प्रमाणपत्र जारी किए गए हैं।
सोमैया ने मंत्री बावनकुले से आग्रह किया कि ऐसे सभी फर्जी प्रमाणपत्रों को तुरंत रद्द किया जाए और जिन लोगों ने इनका फायदा उठाने की कोशिश की है, उनके नाम आधार रिकॉर्ड से हटाए जाएं। उन्होंने कहा कि यह मामला केवल प्रशासनिक लापरवाही का नहीं, बल्कि एक गंभीर धोखाधड़ी का है जो सरकारी व्यवस्था पर सवाल खड़ा करता है।
बैठक के दौरान किरीट सोमैया ने कुछ मामलों का उल्लेख भी किया, जहां कथित रूप से अवैध तरीके से जन्म प्रमाणपत्र जारी किए गए थे, जिससे कई लोग गलत तरीके से सरकारी योजनाओं और सुविधाओं का लाभ उठा रहे हैं। उन्होंने कहा कि इस पूरे नेटवर्क की गहन जांच की जरूरत है, ताकि दोषियों को चिन्हित कर सख्त सजा दी जा सके।
इस पर प्रतिक्रिया देते हुए मंत्री चंद्रशेखर बावनकुले ने भरोसा दिलाया कि इस मामले में सरकार गंभीर है और दीवाली के तुरंत बाद कार्रवाई शुरू की जाएगी। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार इस पूरे प्रकरण को प्राथमिकता से देख रही है और किसी भी दोषी को बख्शा नहीं जाएगा।
बैठक में राजस्व विभाग के वरिष्ठ अधिकारी, कलेक्टर और विभागीय आयुक्त भी वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से शामिल हुए। इन अधिकारियों ने बताया कि फिलहाल फर्जी जन्म प्रमाणपत्रों की पहचान की प्रक्रिया जारी है और जांच रिपोर्ट तैयार होते ही आगे की कार्रवाई की जाएगी।
मंत्री बावनकुले ने यह भी स्पष्ट किया कि यदि किसी अधिकारी की लापरवाही या मिलीभगत सामने आई, तो उसके खिलाफ भी कड़ी कार्रवाई की जाएगी।
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