अपराध
26/11 मुंबई आतंकी हमला: भारत-पाक संबंधों की लाल रेखा

26 नवंबर, 2008 की शाम भारत के वाणिज्यिक महानगर मुंबई में शुरू हुए आतंकी हमले 66 घंटे तक चले और इस दौरान आतंकवादियों ने जमकर तांडव मचाया। यह हमला भारत के लिए न केवल 9/11 सरीखी की घटना बन गई, बल्कि भारत और पाकिस्तान के बीच दशकों से चली आ रही प्रतिद्वंद्विता में किसी भी सकारात्मक बदलाव को लेकर लाल रेखा भी खींच गई।
26 नवंबर से 29 नवंबर के बीच के 66 घंटों को भारत के सबसे खराब आतंकी हमलों में से एक के रूप में देखा गया। जब कम से कम 10 आतंकवादी मुंबई की लैंडमार्क जगहों – ओबेरॉय ट्राइडेंट, छत्रपति शिवाजी टर्मिनस, लेपर्ड कैफे, कामा हॉस्पिटल और ताज महल होटल में तबाही मचाने घुस गए थे।
इस दिन हुए नरसंहार में कम से कम 166 निर्दोष नागरिकों की मौत हो गई थी और 300 लोग घायल हो गए थे। जिस तरह 9/11 का आतंकी हमला संयुक्त राज्य के लिए एक सबसे बुरे सपने की तरह है और फिर उसके नतीजे में आतंकवाद के खिलाफ वैश्विक तौर पर आक्रमण किया गया, भारत के लिए भी 26/11 उससे कम नहीं है।
भारत ने इस नरसंहार में मदद करने वाले आतंकवादी प्रतिबंधित संगठन लश्कर-ए-तैयबा (एलईटी) के सूत्रधारों की तत्काल गिरफ्तारी और सजा की मांग की, जिन्हें पाकिस्तान से भर्ती किया गया, प्रशिक्षित किया गया और फिर भारत भेजा गया था।
इस दहला देने वाली घटना को एक दशक से ज्यादा का समय हो चुका है लेकिन अभी भी नई दिल्ली का कहना है कि पाकिस्तान ने इस मामले में वो कदम नहीं उठाए जो जरूरी थे। जबकि भारत ने इस घटना में जमात-उद-दावा (जेयूडी) और लकर-ए-तैयबा के शामिल होने के दर्जनों सबूतों सबूत दिए।
हर साल 26/11 की वर्षगांठ उन लोगों के लिए डर, आघात, दुख की एक लहर लेकर आती है, जिन्होंने इस आतंकवादी हमले में अपनों को खोया या वे इस नरसंहार के गवाह बने थे।
तब से ही भारत ने इस मामले में किसी भी तरह की रियायत देने से इनकार करते हुए पाकिस्तान से लश्कर और जेयूडी के गुर्गों के खिलाफ निर्णायक कार्रवाई करने की लगातार मांग की है। नई दिल्ली ने साफ तौर पर कहा है कि अगर भारत और पाकिस्तान के बीच भविष्य में कोई सकरात्मक बातचीत होती है तो उससे पहले इस्लामाबाद को दोषियों को सजा देनी होगी, जिसमें 26/11 के आतंकी हमलों के मास्टरमाइंड लश्कर और जेयूडी के प्रमुख हाफिज मुहम्मद सईद और अन्य लोग शामिल हैं।
यही वजह है कि जब इस्लामाबाद द्वारा बातचीत की पेशकश की गई थी तो भारत की पूर्व विदेश मंत्री (एमईए) स्व. सुषमा स्वराज ने साफ कह दिया था कि “शांति वार्ता के प्रस्ताव आतंक के तेज शोर में नहीं सुने जा सकते हैं”।
पाकिस्तान में भी लोगों ने 26/11 के आतंकवादी हमलों की बड़े पैमाने पर निंदा की थी और दोषियों को सजा देने की बात कही थी। इस तबाही को पाकिस्तान के तत्कालीन विदेश मंत्री शाह महमूद कुरैशी ने भारत का 9/11 बताया था।
26/11 का जिंदा बचा एकमात्र हमलावर अजमल कसाब, जिसे भारत की अदालत द्वारा मौत की सजा दिए जाने के बाद लश्कर ने उसे अपना हीरो बताते हुए कहा था कि यह कई हमलों की प्रेरणा देगा। अपने बयान में लश्कर ने कहा था, “अजमल कसाब को एक हीरो के रूप में याद किया जाएगा, वह और अधिक हमलों के लिए प्रेरणा देगा।”
इतना ही नहीं कसाब की फांसी के बाद पाकिस्तानी मूल के एक अन्य खूंखार आतंकी संगठन तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान (टीटीपी) ने भारतीयों को निशाना बनाकर कसाब की फांसी का बदला लेने की कसम खाई थी।
हालांकि तत्कालीन पाकिस्तानी सरकार ने भारत को आश्वासन दिया था कि वह अपनी जमीन पर इस घटना में शामिल लोगों की जांच करेगा, लेकिन उसने भारत के एक दावे को साफ तौर पर अनसुना कर दिया कि जिसमें उसकी शक्तिशाली खुफिया एजेंसियों और सेना के आतंकी समूहों के साथ संबंध की बात कही गई थी।
भारत ने दावा किया था कि पाकिस्तान की इंटर-सर्विसेज इंटेलिजेंस (आईएसआई) ने लश्कर के आतंकवादियों को समुद्री मार्ग तक पहुंचाने, फंड देने, प्रशिक्षित करने का काम किया था। इस्लामाबाद ने इससे इनकार कर दिया और उलटे भारत पर ही आरोप लगाया कि वह उसके संस्थानों पर आतंकी हमले करने के लिए अपनी जमीन का इस्तेमाल होने दे रहा है।
विश्लेषकों का कहना है कि मुंबई आतंकी हमलों का मामला पाकिस्तानी अदालतों में चल रहा है, लेकिन यह भी सुनिश्चित किया गया है कि डोजियर के रूप में नई दिल्ली द्वारा उपलब्ध कराए गए सबूत अभियुक्तों को सजा देने के लिए पर्याप्त साबित न हों।
वरिष्ठ रणनीतिक विश्लेषक जावेद सिद्दीकी कहते हैं, “यदि केवल मुंबई हमलों को लेकर कथित दोषियों की जांच और सजा देने का काम होता तो पाकिस्तान तो अब तक ऐसा कर चुका होता। लेकिन भारत ने उसके रक्षा प्रतिष्ठानों पर आतंकी समूहों और लोगों को शरण देने के सीधे आरोप लगाए हैं, इसके बाद अब ऐसा कोई रास्ता नहीं जिससे पाकिस्तान कभी भी सहमत होगा। कोई भी देश ऐसा नहीं करेगा।”
जबकि पाकिस्तान ने भारत को अपने दावों को लेकर और अधिक साक्ष्य देने के लिए कहा है। पाकिस्तानी अदालतों में मुंबई आतंकवादी हमलों के मामले को लेकर चल रही सुनवाई और स्थगन ऐसे हैं जो शायद कभी न खत्म होने वाली कार्यवाही की तरह लगते हैं। ऐसे में दोनों पक्षों के टेबल पर बैठकर बातचीत करने की बात भी अनिश्चित काल के लिए टलती नजर आ रही है।
अपराध
मुंबई 1993 दंगों के वांछित आरोपी को 32 साल बाद गिरफ्तार किया गया

मुंबई: पुलिस ने 1993 के मुंबई दंगों में शामिल मोस्ट वांटेड आरोपियों में से एक को गिरफ्तार करने का दावा किया है। मुंबई की वडाला पुलिस ने वांछित आरोपियों की तलाश के लिए चलाए गए अभियान के दौरान 32 साल से फरार चल रहे एक भगोड़े आरोपी को गिरफ्तार किया है। 54 वर्षीय आरिफ अली हाशिमुल्लाह खान को एंटाप हिल से गिरफ्तार किया गया है। आरोपी सुनवाई के दौरान कोर्ट में पेश नहीं होता था। उसके खिलाफ वारंट भी जारी किया गया था, जिसके बाद पुलिस ने आरोपी को गिरफ्तार कर कोर्ट में पेश किया और कोर्ट ने उसकी रिमांड का आदेश दिया। इस ऑपरेशन को मुंबई पुलिस कमिश्नर देवेन भारती और पोर्ट जोन के डीसीपी विजय सागर ने अंजाम दिया।
अपराध
मलाड में 2 करोड़ रुपये की कोकीन के साथ नाइजीरियाई नागरिक गिरफ्तार; एएनसी वर्ली ने ड्रग रैकेट का भंडाफोड़ किया

मुंबई: एंटी-नारकोटिक्स सेल (एएनसी) वर्ली यूनिट ने मुंबई के मलाड इलाके से एक नाइजीरियाई नागरिक को ड्रग तस्करी के आरोप में गिरफ्तार किया है। आरोपी के पास 200 ग्राम कोकीन बरामद हुई, जिसकी अंतरराष्ट्रीय बाजार में कीमत करीब ₹2 करोड़ है। एनडीपीएस अधिनियम, 1985 की धारा 8(सी) और 21(सी) तथा विदेशी अधिनियम, 1946 की धारा 14ए(बी) के तहत गिरफ्तारी की गई।
एएनसी टीम ने एक गुप्त सूचना के आधार पर जेपी कॉलोनी, ओरलेम, मार्वे रोड, मलाड में संदिग्ध को पकड़ा। उसकी तलाशी लेने पर टीम ने कोकीन, 5 लाख रुपये की कीमत की होंडा सिविक कार और 70,000 रुपये के तीन मोबाइल फोन बरामद किए।
आरोपी की पहचान 43 वर्षीय फ्रैंक नेंडी के रूप में हुई है, जो वैध यात्रा दस्तावेजों के बिना भारत में रह रहा था। पुलिस ने यह भी खुलासा किया कि उसका पहले भी आपराधिक रिकॉर्ड रहा है। कोकीन को एक खतरनाक उत्तेजक मादक पदार्थ माना जाता है, जो अक्सर गंभीर स्वास्थ्य और कानूनी परिणामों से जुड़ा होता है।
यह कार्रवाई पुलिस उपायुक्त नवनाथ धावले और सहायक आयुक्त सुधीर हिरदेकर के मार्गदर्शन में की गई। टीम का नेतृत्व वरिष्ठ निरीक्षक संतोष सालुंखे ने किया, जिसमें पुलिस उपनिरीक्षक प्रकाश सावंत और उनकी टीम ने गिरफ्तारी की। आगे की जांच जारी है।
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दादर पुलिस ने स्कूली छात्रा का पीछा करने के आरोप में एक व्यक्ति को गिरफ्तार किया; पोस्को एक्ट के तहत मामला दर्ज

मुंबई: दादर पुलिस ने गुरुवार को 23 वर्षीय अमित केदारनाथ गुप्ता को एक किशोरी स्कूली छात्रा का पीछा करने और उसके साथ छेड़छाड़ करने के आरोप में गिरफ्तार किया। गुप्ता ने कथित तौर पर दादर पश्चिम के गैराज गली में तीन महीने तक पीड़िता का पीछा किया।
पुलिस में दर्ज शिकायत के अनुसार, 14 वर्षीय पीड़िता स्थानीय स्कूल में पढ़ती है और अपने घर से पैदल ही स्कूल जाती थी। गैराज गली में, आरोपी गुप्ता ने कथित तौर पर उसे बुरी नीयत से घूरना शुरू कर दिया और उसका पीछा करने लगा। शुरुआत में छात्रा ने उसकी हरकतों को नज़रअंदाज़ करने की कोशिश की।
हालांकि, जब गुप्ता ने करीब जाने की कोशिश की तो डरी हुई छात्रा ने अपने परिवार को इसकी जानकारी दी। उनकी मदद से दादर पुलिस में शिकायत दर्ज कराई गई।
पुलिस ने 3 जुलाई को भारतीय न्याय संहिता (बीएनएस) अधिनियम की धारा 78 और यौन अपराधों से बच्चों के संरक्षण (पोक्सो) अधिनियम की धारा 12 के तहत मामला दर्ज किया और बाद में आरोपी गुप्ता को गिरफ्तार कर लिया।
आरोपी दादर इलाके का निवासी है और पुलिस गहन जांच कर रही है।
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