राजनीति
भारत में 2,529 ताजा कोविड मामले, 12 मौतें
भारत में पिछले 24 घंटों में 2,529 नए कोविड मामले दर्ज किए गए, जो पिछले दिन 2,468 थे। यह जानकारी केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने गुरुवार को दी। इसी अवधि में, 12 और कोविड से संबंधित मौतों के बाद कुल मौतों का आंकड़ा 5,28,745 तक पहुंच गया।
सक्रिय केसलोड वर्तमान में 32,282 है, जो कुल पॉजिटिव मामलों का 0.07 प्रतिशत है।
आंकड़ों के अनुसार, पिछले 24 घंटों में 3,553 मरीजों के ठीक होने के बाद अब तक ठीक होने वालों की कुल संख्या 4,40,43,436 हो गई। नतीजतन, रिकवरी दर 98.74 प्रतिशत है।
इस बीच डेली पॉजिटिविटी रेट 2.07 फीसदी बताया गया है, जबकि वीकली पॉजिटिविटी रेट भी 1.38 फीसदी है।
साथ ही इसी अवधि में, कुल 1,22,057 परीक्षण किए गए।
गुरुवार सुबह तक, देश का कोविड-19 टीकाकरण कवरेज 218.84 करोड़ से अधिक हो गया।
टीकाकरण अभियान की शुरूआत के बाद से 4.10 करोड़ से अधिक किशोरों को कोविड-19 वैक्सीन की पहली खुराक दी गई है।
पर्यावरण
दिल्ली में वायु गुणवत्ता सूचकांक (AQI) 376 दर्ज किया गया, जो ‘बेहद खराब’ श्रेणी में बना हुआ है

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नई दिल्ली: सर्दी के मौसम के साथ ही बुधवार सुबह राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में धुंध की एक मोटी चादर छाई रही। केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी) के आंकड़ों के अनुसार, सुबह 7 बजे शहर की वायु गुणवत्ता सूचकांक (एक्यूआई) 376 के साथ ‘बेहद खराब’ श्रेणी में बनी हुई है।
इंडिया गेट और कर्तव्य पथ के आसपास का क्षेत्र जहरीली धुंध की घनी परत में लिपटा हुआ था और इस क्षेत्र में AQI 356 दर्ज किया गया जो ‘बहुत खराब’ श्रेणी में है।
अलीपुर (366), आया नगर (360), बुराड़ी (396), धौला कुआं (303) और द्वारका (377) सहित कई अन्य प्रमुख स्टेशन “बहुत खराब” श्रेणी में रहे, जिससे दिल्ली में प्रदूषण की व्यापक प्रकृति उजागर हुई।
केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी) के आंकड़ों के अनुसार, दिल्ली के कई निगरानी स्टेशनों ने प्रदूषण का खतरनाक स्तर दर्ज किया, जिसमें अधिकांश क्षेत्रों में AQI रीडिंग 400 को पार कर गई।
राष्ट्रीय राजधानी के लगभग सभी निगरानी स्टेशनों ने वायु गुणवत्ता को ‘गंभीर’ दर्ज किया, आनंद विहार में AQI 405, अशोक विहार में 403, चांदनी चौक में 431 और जहांगीरपुरी में 406 रहा।
सीपीसीबी के अनुसार, एक्यूआई, जो 0 से 500 तक होता है, को छह श्रेणियों में विभाजित किया गया है, जिनमें से प्रत्येक प्रदूषण के स्तर और उससे जुड़े स्वास्थ्य जोखिमों को दर्शाता है।
0 से 50 के बीच के AQI को “अच्छा” माना जाता है, जो स्वास्थ्य पर न्यूनतम या शून्य प्रभाव दर्शाता है। 51 से 100 तक के AQI स्तर “संतोषजनक” श्रेणी में आते हैं, जहाँ वायु गुणवत्ता स्वीकार्य रहती है, हालाँकि बच्चों, बुजुर्गों और श्वसन संबंधी समस्याओं वाले संवेदनशील समूहों को थोड़ी असुविधा हो सकती है।
101 से 200 तक की “मध्यम” श्रेणी, प्रदूषण के बढ़ते स्तर का संकेत देती है, जिससे अस्थमा, फेफड़ों की बीमारी या हृदय रोग से पीड़ित लोगों को सांस लेने में कठिनाई हो सकती है।
201 से 300 के बीच के AQI को “खराब” माना जाता है, यह एक ऐसी श्रेणी है जिसमें लंबे समय तक रहने से अधिकांश लोगों को सांस लेने में तकलीफ हो सकती है, न कि केवल उन लोगों को जिन्हें पहले से ही स्वास्थ्य संबंधी समस्याएं हैं।
सर्दियों के दौरान राजधानी के कई हिस्सों में यह स्तर आम हो गया है।
301 और 400 के बीच के स्तर को “बेहद खराब” माना जाता है, जिससे लंबे समय तक संपर्क में रहने पर स्वस्थ व्यक्तियों को भी श्वसन संबंधी बीमारियों का खतरा हो सकता है। सबसे खतरनाक श्रेणी, “गंभीर”, में 401 से 500 तक के AQI मान शामिल हैं। इस स्तर पर, वायु गुणवत्ता सभी के लिए खतरनाक हो जाती है।
राजनीति
सरकारी क्षेत्र के बैंकों के विनिवेश और विलय का कोई प्रस्ताव विचार में नहीं : केंद्र

नई दिल्ली, 2 दिसंबर: सरकार ने मंगलवार को संसद में दी जानकारी में कहा कि फिलहाल सरकारी क्षेत्र के बैंकों के विनिवेश और विलय के किसी प्रस्ताव पर कोई विचार नहीं किया जा रहा है।
राज्यसभा में पूछे गए सवाल – क्या सरकार चार सरकारी बैंकों के विनिवेश या विलय के जरिए 2026 तक बड़े सरकारी बैंक बनाने की तैयार कर रही है, का जवाब देते हुए पंकज चौधरी ने कहा, “मौजूदा समय में केंद्र किसी भी सरकारी बैंक के विलय या विनिवेश के किसी प्रस्ताव पर विचार नहीं कर रही है।”
हाल ही में कई रिपोर्ट्स में दावा किया गया था कि सरकार एक पीएसबी कंसोलिडेशन ब्लूप्रिंट पर काम कर रही है, जिससे वित्त वर्ष 27 में सरकारी बैंकों की संख्या 12 से घटकर सिर्फ चार हो सकती है। इस प्रस्ताव का उद्देश्य सरकारी बैंकों की बैलेंस शीट को मजबूत करना, ऑपरेशनल एफिशिएंसी में सुधार करना और वैश्विक स्तर के प्रतिस्पर्धी बैंक बनाना है।
केंद्रीय राज्य मंत्री ने बताया कि सरकारी बैंकों का ग्रॉस नॉन-परफॉर्मिंग एसेट्स (एनपीए) रेश्यो जून 2025 तक कम होकर 2.51 प्रतिशत हो गया है, जो कि मार्च 2016 में 9.27 प्रतिशत के स्तर पर था।
केंद्रीय मंत्री ने आगे कहा कि राइट-ऑफ किए जाने वाले लोन की रिकवरी एक लगातार चलने वाली प्रक्रिया है और उधार न चुकाने वालों के खिलाफ बैंक लगातार एक्शन ले रहे हैं।
इससे पहले सरकार ने कहा था कि भारतीय बैंकों ने बीते तीन वर्षों में 10,000 करोड़ रुपए से अधिक के अनक्लेम्ड डिपॉजिट लोगों को वापस कर दिए हैं।
केंद्रीय मंत्री ने बताया कि 30 जून, 2025 तक, सरकारी बैंकों ने इस फंड में 58,000 करोड़ रुपए से अधिक की राशि ट्रांसफर की है, जिसमें अकेले स्टेट बैंक ऑफ इंडिया (एसबीआई) की हिस्सेदारी 19,330 करोड़ रुपए है।
निजी बैंकों की ओर से इस फंड में 9,000 करोड़ रुपए ट्रांसफर किए गए हैं। इसमें आईसीआईसीआई बैंक, एचडीएफसी बैंक और एक्सिस बैंक की हिस्सेदारी सबसे अधिक है।
राजनीति
विपक्षी दलों ने की थी मतदाता सूची में गड़बड़ी की शिकायत तो अब एसआईआर का विरोध क्यों : संजय निरुपम

मुंबई, 2 दिसंबर: संसद के शीतकालीन सत्र के दौरान विपक्ष एसआईआर का विरोध कर रहा है। शिवसेना के प्रवक्ता संजय निरुपम ने एसआईआर के विरोध को गलत बताया है। उन्होंने कहा कि विपक्षी दलों ने मतदाता सूची में गड़बड़ी की शिकायत की थी। अब इस विरोध का क्या मतलब है।
शिवसेना के प्रवक्ता संजय निरुपम ने मीडिया से बातचीत में कहा कि एसआईआर के खिलाफ विपक्ष का विरोध पूरी तरह से गलत है। यह एक सही और जरूरी काम है जिसके जरिए वोटर लिस्ट में गड़बड़ियों, नकली वोटरों और गैरकानूनी एंट्री की पहचान करके उन्हें हटाया जाता है। विपक्ष ने खुद भी वोटर लिस्ट में गलतियों के बारे में बार-बार शिकायतें की हैं और इसे एक बड़ा चुनावी मुद्दा भी बनाया है।
कभी कहते हैं जरूरत से ज्यादा वोट हैं तो कभी कहते हैं कि एक ही व्यक्ति के कई जगह वोट हैं और इसके आधार पर कहते हैं कि वोट चोरी हो रहे हैं।इसको बड़ा मुद्दा बनाते हुए वोटर अधिकार यात्राएं की जा रही हैं। जब आपको लगता है कि मतदाता सूची में अनियमितताएं हैं तो ऐसे में चुनाव आयोग को अधिकार है कि वह सूची का शुद्धीकरण करे।
इस दौरान सभी राजनीतिक दलों का कर्तव्य बनता है कि चुनाव आयोग का समर्थन करें। जिस तरह से संसद में विपक्ष एसआईआर का विरोध कर रहा है, ऐसे में वह अपने पैरों पर खुद कुल्हाड़ी मार रहा है, क्योंकि जन सामान्य को यह विरोध नागवार गुजरेगा।
कांग्रेस सांसद शशि थरूर के कांग्रेस मीटिंग में शामिल न होने पर संजय निरुपम ने कहा कि शशि थरूर के कांग्रेस की एक स्ट्रेटेजिक मीटिंग में शामिल न होने पर बेवजह हंगामा किया गया। थरूर ने पहले ही साफ कर दिया था कि वह शामिल नहीं हो सकते क्योंकि उन्हें उस समय अपनी मां के साथ रहना था।
थरूर कांग्रेस के काम करने के तरीके से नाखुश हैं और जब वह सत्ताधारी सरकार के अच्छे फैसलों की तारीफ करते हैं तो पार्टी अक्सर असहज महसूस करती है। लेकिन मुझे नहीं लगता कि किसी बैठक में नहीं जाना कोई बड़ा मुद्दा है। हालांकि यह शशि थरूर और कांग्रेस पार्टी का अंदरूनी विषय है, इस बारे में वहीं ठीक से समझ सकते हैं।
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