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Saturday,26-July-2025
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10 बड़ी वजहें, जिसके चलते पीएफआई और उसके सहयोगी संगठनों पर लगा बैन

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केंद्रीय गृह मंत्रालय ने पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया और उसके 8 सहयोगी संगठनों पर 5 साल के लिए प्रतिबंध लगा दिया है। केंद्र सरकार ने कहा कि पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया (पीएफआई) और उसके सहयोगी या मोर्चे गंभीर अपराधों में शामिल पाए गए हैं, जिनमें आतंकवाद और इसके वित्तपोषण, लक्षित भीषण हत्याएं, देश के संवैधानिक ढांचे की अवहेलना, सार्वजनिक व्यवस्था को बिगाड़ना आदि शामिल हैं। केंद्रीय गृह मंत्रालय ने पीएफआई और उसके सहयोगी संगठनों के गुनाहों को भी एक-एक करके गिनाया है। ये हैं वो 10 महत्वपूर्ण वजह, जिसके चलते पीएफआई पर प्रतिबंध लगाया गया है।

1. गुप्त एजेंडे के तहत समाज के एक वर्ग विशेष को कट्टर बनाकर लोकतंत्र की अवधारणा को कमजोर करने की दिशा में कार्य करना तथा देश के संवैधानिक प्राधिकार और संवैधानिक ढांचे के प्रति घोर अनादर प्रदर्शित करना।

2. देश की अखंडता, संप्रभुता और सुरक्षा के खिलाफ माहौल तैयार करना। इससे देश की शांति और सांप्रदायिक सद्भाव का माहौल खराब होने की आशंका है।

3. संगठन के कार्यकलापों से देश में उग्रवाद को प्रोत्साहन मिलने की आशंका।

4. पीएफआई के संस्थापक सदस्य स्टूडेंट्स इस्लामिक मूवमेंट ऑफ इंडिया (सिमी) के नेता रहे हैं और पीएफआई का संबंध बांग्लादेश के जमात-उल-मुजाहिद्दीन (जेएमबी) से भी रहा है। ये दोनों संगठन प्रतिबंधित हैं।

5. चोरी-छिपे देश में असुरक्षा की भावना को बढ़ावा देकर एक समुदाय के कट्टरपंथ को बढ़ाने के लिए काम करना। इससे भय और दहशत का माहौल बनने की संभावना है।

6. विदेशी स्रोतों जैसे बैंकिंग चैनल, हवाला और दान से धन प्राप्त करना और इसे गैरकानूनी गतिविधियों और आतंकी कामों में लगाना। इसी के चलते पीएफआई देश की आंतरिक सुरक्षा के लिए एक बड़ा खतरा बन गया है।

7. पीएफआई और इसके सदस्यों का बार-बार हिंसक और विध्वंसक कार्यों में संलिप्त रहना। इसमें एक कॉलेज प्रोफेसर का हाथ काटना, अन्य धर्मों का पालन करने वाले संगठनों से जुड़े लोगों की निर्मम हत्या करना शामिल है।

8. देश के प्रमुख लोगों और स्थानों को निशाना बनाने के लिए विस्फोटक प्राप्त करना, सार्वजनिक सम्पत्ति को नुकसान पहुंचाना।

9. वैश्विक आतंकवादी समूहों के साथ अंतर्राष्ट्रीय सम्पर्क रखने के उदाहरण जैसे इसके कुछ सदस्य आईएसआईएस में शामिल हुए हैं और सीरिया, ईराक और अफगानिस्तान में आतंकी कार्यकलापों में भाग लिया हैं। इनमें से कुछ सदस्य इन संघर्ष क्षेत्रों में मारे गए और कुछ को राज्य पुलिस तथा केंद्रीय एजेंसियों ने गिरफ्तार किया है।

10. उत्तर प्रदेश, कर्नाटक, गुजरात राज्य सरकारों ने पीएफआई को प्रतिबंधित करने की अनुशंसा की है।

अपराध

मुंबई: 11 महीने बाद भी कलिना में निर्दोष व्यक्ति के घर ड्रग्स रखने वाले पुलिसकर्मियों के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं

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मुंबई: कलिना में चार पुलिसकर्मियों से संबंधित मादक पदार्थ रखने की घटना में लगभग 11 महीने बाद भी कोई उल्लेखनीय प्रगति नहीं हुई है।

वकोला पुलिस ने न तो चारों आरोपी पुलिसकर्मियों के खिलाफ कोई कार्रवाई की है, न ही आरोपपत्र दाखिल किया है और न ही प्रत्यक्षदर्शियों के बयान ठीक से दर्ज किए हैं। उन्होंने मामले में एनडीपीएस (नारकोटिक ड्रग्स एंड साइकोट्रोपिक सब्सटेंसेज) की अतिरिक्त धाराएँ भी नहीं जोड़ी हैं, बल्कि केवल जमानती धाराएँ ही लगाई हैं। नतीजतन, आरोपियों को अग्रिम ज़मानत मिल गई।

मामले के बारे में

30 अगस्त, 2024 को, चार पुलिसकर्मियों ने सांताक्रूज़ पूर्व के कलिना स्थित एक पशुधन फार्म में काम करने वाले 31 वर्षीय निर्दोष डायलन एस्टबेरो की जेब में कथित तौर पर ड्रग्स रख दिए। यह पूरी घटना सीसीटीवी कैमरे में कैद हो गई, जिससे चारों पुलिसकर्मियों की पोल खुल गई।

घटना 30 अगस्त, 2024 की है, जब खार पुलिस स्टेशन से सादे कपड़ों में पीएसआई विश्वनाथ ओम्बले और तीन कांस्टेबल – इमरान शेख, सागर कांबले और योगेंद्र शिंदे (जिन्हें दबंग शिंदे भी कहा जाता है) – सांताक्रूज़ पूर्व के कलिना में शाहबाज़ खान के पशु फार्म पर पहुँचे, जहाँ डायलन एस्टबेरो काम कर रहा था। उन्होंने कथित तौर पर डायलन की तलाशी ली और एक बनावटी तलाशी के दौरान उसकी जेब में 20 ग्राम मेफेड्रोन रख दिया, और बाद में उस पर ड्रग रखने का आरोप लगाया।

पूरी घटना सीसीटीवी में कैद हो गई, जिसकी बाद में शाहबाज़ खान ने समीक्षा की और उसे सार्वजनिक रूप से साझा किया। फुटेज जारी होने के बाद, डायलन को खार पुलिस ने रिहा कर दिया। इस वीडियो के बाद लोगों में आक्रोश फैल गया और तत्कालीन उपायुक्त राज तिलक रौशन ने 31 अगस्त को चारों अधिकारियों को निलंबित कर दिया। घटना के लगभग साढ़े तीन महीने बाद, भारतीय न्याय संहिता की कई धाराओं के तहत मामला दर्ज किया गया।

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अपराध

ईडी ने 3,000 करोड़ रुपए के यस बैंक लोन धोखाधड़ी मामले में अनिल अंबानी से जुड़ी संस्थाओं पर छापे मारे

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नई दिल्ली, 24 जुलाई। प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने गुरुवार को 3,000 करोड़ रुपए के यस बैंक लोन धोखाधड़ी मामले से जुड़ी मनी लॉन्ड्रिंग की जांच के लिए अनिल अंबानी के नेतृत्व वाले रिलायंस समूह से संबंधित 35 से ज्यादा परिसरों, 50 कंपनियों और 25 से अधिक लोगों के कई ठिकानों पर छापे मारे हैं।

केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) द्वारा दर्ज की गई एफआईआर के बाद, ईडी ने धन शोधन निवारण अधिनियम (पीएमएलए) के तहत अनिल अंबानी के नेतृत्व वाले रिलायंस समूह द्वारा मनी लॉन्ड्रिंग के अपराध की जांच शुरू कर दी।

सूत्रों के अनुसार, इस मामले में नेशनल हाउसिंग बैंक, सेबी, नेशनल फाइनेंशियल रिपोर्टिंग अथॉरिटी (एनएफआरए), बैंक ऑफ बड़ौदा जैसी अन्य एजेंसियों और संस्थानों ने भी ईडी के साथ जानकारी साझा की।

ईडी की प्रारंभिक जांच में बैंकों, शेयरधारकों, निवेशकों और अन्य सार्वजनिक संस्थानों के साथ धोखाधड़ी करके जनता के पैसों को इधर-उधर करने/निपटाने की एक सुनियोजित और सोची-समझी योजना का खुलासा हुआ है। साथ ही, यस बैंक लिमिटेड के प्रमोटर सहित बैंक अधिकारियों को रिश्वत देने का अपराध भी जांच के दायरे में है।

प्रारंभिक जांच में यस बैंक से (2017 से 2019 तक) लगभग 3,000 करोड़ रुपए के अवैध लोन डायवर्जन का पता चला है। ईडी ने पाया है कि लोन स्वीकृत होने से ठीक पहले, यस बैंक के प्रमोटरों को पैसा दिया गया था। एजेंसी रिश्वतखोरी और लोन के इस गठजोड़ की भी जांच कर रही है।

नियामक ने अनिल अंबानी से जुड़ी कंपनियों को यस बैंक द्वारा दिए गए लोन में कई नियमों का करते हुए उल्लंघन पाया है, जैसे कि क्रेडिट अप्रूवल मैमोरेंडम (सीएएम) पिछली तारीख के थे, बैंक की लोन नीति का उल्लंघन करते हुए बिना किसी उचित जांच/लोन विश्लेषण के निवेश प्रस्तावित किए गए थे।

लोन शर्तों का उल्लंघन करते हुए, इन लोन को आगे कई समूह कंपनियों और मुखौटा कंपनियों में डायवर्ट किया गया।

जानकारी के मुताबिक, सेबी ने आरएचएफएल मामले में अपने निष्कर्ष ईडी के साथ साझा किए हैं। आरएचएफएल द्वारा कॉर्पोरेट लोन में नाटकीय वृद्धि भी ईडी की जांच के घेरे में है। आरएचएफएल के कॉर्पोरेट लोन वित्त वर्ष 2017-18 में 3,742.60 करोड़ रुपए से एक ही साल में बढ़कर वित्त वर्ष 2018-19 में 8,670.80 करोड़ रुपए हो गए थे।

सूत्रों के अनुसार, जांच फिलहाल चल रही है। ईडी यस बैंक के अधिकारियों, समूह की कंपनियों और अनिल अंबानी की कंपनियों से जुड़ी वित्तीय अनियमितताओं के बीच संबंधों का पता लगाने की कोशिश कर रहा है।

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अपराध

सांगली ड्रग्स फैक्ट्री केस: मुंबई क्राइम ब्रांच ने केमिकल सप्लायर को गुजरात से किया गिरफ्तार

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CRIME

मुंबई, 24 जुलाई। 256 करोड़ रुपए के ड्रग्स मामले में मुंबई क्राइम ब्रांच ने बड़ी कार्रवाई करते हुए केमिकल सप्लायर को गिरफ्तार किया है। क्राइम ब्रांच का दावा है कि यह आरोपी मुस्तफा और ताहिर डोला को ड्रग्स बनाने के लिए रसायन सप्लाई करता था। यह मामला महाराष्ट्र के सांगली जिले में पकड़ी गई ड्रग्स फैक्ट्री से जुड़ा है।

मुंबई क्राइम ब्रांच ने केमिकल सप्लाई करने वाले आरोपी को गुजरात से गिरफ्तार किया है। आरोपी की पहचान 34 वर्षीय बृजेश के रूप में हुई है। क्राइम ब्रांच के अनुसार, बृजेश ही डोला और कुब्बावाला को ड्रग्स बनाने के लिए जरूरी रसायन मुहैया कराता था। वह सिंथेटिक ड्रग्स के निर्माण में उपयोग होने वाले रॉ मटेरियल की आपूर्ति कर रहा था।

फिलहाल आरोपी बृजेश को 29 जुलाई तक पुलिस कस्टडी में रखा गया है। इस दौरान कड़ी पूछताछ में कई राज खुलने की संभावनाएं हैं।

पिछले साल सांगली जिले में ड्रग्स बनाने वाली एक फैक्ट्री पकड़ी गई थी। क्राइम ब्रांच टीम ने खुफिया जानकारी के आधार पर छापेमारी कर इस फैक्ट्री का भंडाफोड़ किया था। मुंबई पुलिस मामले में अब तक 13 लोगों को गिरफ्तार कर चुकी है, जबकि 126.14 किलोग्राम एमडी ड्रग्स जब्त किया। इसकी अंतरराष्ट्रीय बाजार में कीमत लगभग 256 करोड़ रुपए बताई गई।

ताहिर डोला अंडरवर्ल्ड डॉन दाऊद इब्राहिम के करीबी सहयोगी सलीम का बेटा है, जबकि मुस्तफा उसका भांजा है। मुस्तफा को संयुक्त अरब अमीरात (यूएई) से गिरफ्तार कर भारत लाया गया था और ताहिर डोला को भी गिरफ्तार किया गया। पुलिस के मुताबिक, सलीम दाऊद के उस विश्वसनीय सर्कल का हिस्सा है, जो भारत में ड्रग्स तस्करी का नेटवर्क संभालता है। अवैध कारोबार में सलीम का बेटा ताहिर और भांजा मुस्तफा भी मदद करते थे। इसी कारण उन्हें आरोपी बनाया गया।

सलीम डोला का नाम ड्रग्स केस में पहले भी आया था, जब मुंबई क्राइम ब्रांच की एंटी नारकोटिक्स सेल ने सांताक्रुज में 100 किलोग्राम फेंटानिल ड्रग्स जब्त की थी। हालांकि, सांगली मामले में सलीम अभी फरार है।

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