राजनीति
भारत ‘सबसे तेजी से बढ़ने वाली प्रमुख अर्थव्यवस्था’ बना रहेगा: रिपोर्ट
नई दिल्ली, 10 जनवरी। भारत आने वाले वर्षों में वैश्विक स्तर पर सबसे तेजी से बढ़ने वाली प्रमुख अर्थव्यवस्था के रूप में अपनी पहचान बनाए रखेगा। फ्रैंकलिन टेम्पलटन की रिपोर्ट के अनुसार, 2025 में विकास की गति में सुधार होगा क्योंकि सरकार व्यय में वृद्धि हो रही है और उपभोक्ता का रुख भी सकारात्मक है।
फ्रैंकलिन टेम्पलटन की रिपोर्ट के अनुसार, भारत की अर्थव्यवस्था के लिए संरचनात्मक विकास का दृष्टिकोण बहुत हद तक बरकरार है, कई संकेत बताते हैं कि 2024 में मंदी कुछ समय भर के लिए होगी।
रिपोर्ट में कहा गया है, “कुल मिलाकर, हमारा मानना है कि भारत कम से कम 2029 तक लगभग 6.5 प्रतिशत की जीडीपी वृद्धि के साथ दुनिया की सबसे तेजी से बढ़ने वाली प्रमुख अर्थव्यवस्था के रूप में अपनी स्थिति को आराम से बनाए रख सकता है।
आय वृद्धि और मध्यम वर्ग का उदय एक साथ जारी रहने की संभावना है। हमें उम्मीद है कि भारत की धनी और मध्यम वर्ग की आबादी में 400 मिलियन लोगों का विस्तार होगा। विशेष रूप से, भारत के सबसे धनी वर्ग के लोगों की संख्या तीन गुना बढ़ सकती है।”
रिपोर्ट में कहा गया है, “हम भारत की वाइब्रेंट डिजिटल अर्थव्यवस्था और इसके लाभार्थियों के साथ-साथ स्वास्थ्य सेवा क्षेत्र में संरचनात्मक विकास क्षमता पर भी सकारात्मक बने हुए हैं।”
भारत की आर्थिक वृद्धि 2024 में धीमी हो गई, वित्त वर्ष की दूसरी तिमाही (जुलाई-सितंबर) में सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) की सालाना आधार पर वृद्धि केवल 5.4 प्रतिशत रही, जो सात तिमाहियों में सबसे कम है।
परिणामस्वरूप, भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) के पूर्वानुमानों के आधार पर, मार्च 2025 को समाप्त होने वाले पूरे वित्त वर्ष के लिए वृद्धि संभवतः 6.6 प्रतिशत होगी, जो एक साल पहले के 8.2 प्रतिशत से कम होगी।
रिपोर्ट में कहा गया है कि मंदी अस्थायी है, जिसका मुख्य कारण आम चुनाव वर्ष में सरकारी खर्च को स्थगित करना है। गर्मियों के दौरान भारी मानसून की बारिश भी आर्थिक गतिविधियों के लिए एक बड़ी परेशानी साबित हुई। कई हाई-फ्रिक्वेंसी डेटा बिंदु विकास में सुधार के लिए स्थितियों में सुधार दिखा रहे हैं।
सितंबर से सरकारी खर्च बढ़ रहा है, यह दर्शाता है कि यह धीरे-धीरे कुछ पहलों, विशेष रूप से बुनियादी ढांचे और ग्रामीण विकास पर अपने खर्च को बढ़ा रहा है।
महत्वपूर्ण बात यह है कि सरकारी व्यय और गतिविधियों में तेजी से निजी क्षेत्र में पूंजीगत व्यय (कैपेक्स) वृद्धि को बढ़ावा मिलेगा।
उदाहरण के लिए, निर्माण और इंजीनियरिंग परियोजनाओं के लिए तेजी से मंजूरी मिलने से कंपनियों का निवेश करने और अधिक सक्रिय रूप से काम पर रखने का आत्मविश्वास बढ़ेगा।
भारत की अर्थव्यवस्था के लिए निजी खपत एक प्रमुख चालक के तौर पर काम कर रहा है और यह इस साल की दूसरी छमाही में मजबूत विकास गति दिखा रही है।
अगर 2025 में मुद्रास्फीति कम होती है तो खपत वृद्धि को और सपोर्ट मिलना चाहिए।
रिपोर्ट में कहा गया है कि आरबीआई के पूर्वानुमानों के आधार पर उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (सीपीआई) मुद्रास्फीति दर 2024 की अक्टूबर-दिसंबर तिमाही में 5.7 प्रतिशत से घटकर 2025 की जुलाई-सितंबर तिमाही में 4 प्रतिशत हो जाएगी।
राष्ट्रीय समाचार
गणतंत्र दिवस समारोह, वीर गाथा का हिस्सा बने देशभर के 1.76 करोड़ छात्र
नई दिल्ली, 10 जनवरी। गणतंत्र दिवस समारोह के हिस्से के रूप में रक्षा मंत्रालय और शिक्षा मंत्रालय ने ‘वीर गाथा’ की संयुक्त पहल की है। इसके चौथे संस्करण में इस वर्ष, लगभग 2.31 लाख स्कूलों के लगभग 1.76 करोड़ छात्रों ने इस प्रतियोगिता में भाग लिया है। इसके तहत राष्ट्रीय स्तर पर सौ (100) विजेताओं का चयन किया जाना है। इन्हें विशेष अतिथि के रूप में कर्तव्य पथ पर गणतंत्र दिवस समारोह में आमंत्रित किया जाएगा।
‘प्रोजेक्ट वीर गाथा’ को 2021 में भारत की स्वतंत्रता के 75वें वर्ष के उपलक्ष्य में ‘आजादी का अमृत महोत्सव’ के हिस्से के रूप में लॉन्च किया गया था। इस परियोजना का उद्देश्य वीरता पुरस्कार विजेताओं के बहादुरी भरे कार्यों और इन नायकों की जीवन से जुड़ी कहानियों के बारे में जागरूकता बढ़ाना है। यह पहल छात्रों में देशभक्ति और नागरिक मूल्यों को स्थापित करने में मदद करती है।
शीर्ष 100 प्रविष्टियों को ‘सुपर-100’ विजेताओं के रूप में चुना गया। इन विजेताओं को नई दिल्ली में रक्षा मंत्रालय और शिक्षा मंत्रालय द्वारा संयुक्त रूप से सम्मानित किया जाएगा। प्रत्येक विजेता को 10,000 रुपये का नकद पुरस्कार और विशेष अतिथि के रूप में कर्तव्य पथ पर गणतंत्र दिवस परेड देखने का अवसर मिलेगा।
100 राष्ट्रीय स्तर के विजेताओं के अतिरिक्त, राज्य स्तर पर आठ विजेताओं और जिला स्तर पर चार विजेताओं का चयन किया जाएगा। उन्हें प्राधिकारियों द्वारा सम्मानित किया जाएगा। विजेताओं को चार श्रेणियों में विभाजित किया जाएगा, जिनमें से प्रत्येक से 25 विजेता होने हैं।
5 सितंबर 2024 को लॉन्च किए गए प्रोजेक्ट ‘वीर गाथा 4.0’ में निबंध और पैराग्राफ लेखन के लिए कई प्रेरक विषय प्रस्तुत किए गए। छात्रों को अपने चुने हुए रोल मॉडल के बारे में, विशेष रूप से वीरता पुरस्कार प्राप्तकर्ताओं पर ध्यान केंद्रित करते हुए लिखने का अवसर मिला। उन्हें रानी लक्ष्मीबाई जैसे स्वतंत्रता सेनानियों के प्रेरक जीवन, 1857 के प्रथम स्वतंत्रता संग्राम और भारत के स्वतंत्रता संग्राम में आदिवासी विद्रोह की महत्वपूर्ण भूमिका के बारे में जानकारी हासिल करने के लिए भी प्रोत्साहित किया गया।
स्कूल स्तर की गतिविधियां 31 अक्टूबर 2024 को समाप्त हो गईं। राज्य और जिला स्तर पर मूल्यांकन के बाद राष्ट्रीय स्तर के मूल्यांकन के लिए लगभग 4,029 प्रविष्टियां भेजी गईं, जहां वीरगाथा के संस्करण 1 से संस्करण 4 तक प्रोजेक्ट की यात्रा प्रेरणादायक रही है, जिसने पूरे देश में प्रतियोगिता की पहुंच का विस्तार किया है।
राष्ट्रीय समाचार
भारतीय शेयर बाजार लाल निशान में बंद, आईटी सेक्टर में दिखी तेजी
मुंबई, 10 जनवरी। भारत के घरेलू बेंचमार्क सूचकांक हफ्ते के आखिरी कारोबारी दिन शुक्रवार को लाल निशान में बंद हुए। हालांकि, आईटी सेक्टर 3.44 प्रतिशत की बढ़त के बाद हरे निशान में बंद हुआ।
सेंसेक्स 241.30 अंक या 0.31 प्रतिशत की गिरावट के साथ 77,378.91 पर बंद हुआ और निफ्टी 95 अंक या 0.40 प्रतिशत की गिरावट के साथ 23,431.50 पर बंद हुआ।
निफ्टी बैंक 769.35 अंक या 1.55 प्रतिशत की गिरावट के साथ 48,734.15 पर बंद हुआ। निफ्टी मिडकैप 100 इंडेक्स 1,160.15 अंक या 2.08 प्रतिशत की गिरावट के साथ 54,585.75 पर बंद हुआ, जबकि निफ्टी स्मॉलकैप 100 इंडेक्स 472.80 अंक या 2.61 प्रतिशत की गिरावट के साथ 17,645.55 पर बंद हुआ।
बाजार के जानकारों के अनुसार, कच्चे तेल की बढ़ती कीमतों, सप्लाई से जुड़ी चिंताओं और डॉलर इंडेक्स में मजबूती के कारण घरेलू बाजार की धारणा सुस्त रही।
जानकारों ने बताया, “तीसरी तिमाही के सकारात्मक नतीजों के बाद आईटी सेक्टर के लचीलेपन के बावजूद, अमेरिका के नवनिर्वाचित राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की नीतियों और हाई-वैल्यूएशन के आसपास अनिश्चितताओं के कारण व्यापक सूचकांकों में गिरावट आई। निकट भविष्य में कंसोलिडेशन जारी रह सकता है, फिर भी निवेशक आगे के मार्गदर्शन के लिए अमेरिकी गैर-कृषि पेरोल डेटा पर बारीकी से नजर रख रहे हैं।”
टाटा कंसल्टेंसी सर्विसेज (टीसीएस) के मजबूत तीसरी तिमाही के नतीजों के बाद आईटी क्षेत्र में खरीदारी देखी गई, जिसके शेयर 5.60 प्रतिशत बढ़कर 4,265 रुपये पर पहुंच गए।
बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज (बीएसई) पर, 829 शेयर हरे और 3,162 शेयर लाल निशान में बंद हुए, जबकि 87 शेयरों में कोई बदलाव नहीं हुआ।
सेंसेक्स पैक में इंडसइंड बैंक, एनटीपीसी, अल्ट्राटेक सीमेंट, सन फार्मा, एक्सिस बैंक, एसबीआई, पावरग्रिड, टाटा स्टील, कोटक महिंद्रा बैंक और टाइटन टॉप लूजर्स रहे। टीसीएस, टेक महिंद्रा, एचसीएल टेक, इंफोसिस, बजाज फिनसर्व, भारती एयरटेल, हिंदुस्तान यूनिलीवर, एलएंडटी और बजाज फाइनेंस टॉप गेनर्स रहे।
विदेशी संस्थागत निवेशकों ने 9 जनवरी को 7,170.87 करोड़ रुपये के शेयर बेचे और घरेलू संस्थागत निवेशकों ने 7,639.63 करोड़ रुपये के शेयर खरीदे।
राजनीति
केंद्र सरकार ने राज्यों को जारी किए 1.73 लाख करोड़ रुपये
नई दिल्ली, 10 जनवरी। केंद्र सरकार ने शुक्रवार को राज्य सरकारों को कर में हिस्सेदारी के रूप में 1,73,030 करोड़ रुपये जारी किए। यह आंकड़ा दिसंबर 2024 में जारी किए 89,086 करोड़ रुपये के हस्तांतरण से अधिक है।
वित्त मंत्रालय ने कहा कि इस महीने में किया गया अधिक हस्तांतरित राज्यों को पूंजीगत व्यय में तेजी लाने और विकास एवं कल्याण संबंधी खर्च को फाइनेंस करने में मदद करेगा।
शुक्रवार को घोषित पैकेज के तहत 26 राज्यों को पैसे जारी किए गए हैं।
इसमें पश्चिम बंगाल के लिए 13,017.06 करोड़ रुपये, आंध्र प्रदेश के लिए 7,002.52 करोड़ रुपये, कर्नाटक के लिए 6,310.40 करोड़ रुपये, असम के लिए 5,412.38 करोड़ रुपये, छत्तीसगढ़ के लिए 5,895.13 करोड़ रुपये, हिमाचल प्रदेश के लिए 1,436.16 करोड़ रुपये, केरल के लिए 3,330.83 करोड़ रुपये, पंजाब के लिए 3,126.65 करोड़ रुपये और तमिलनाडु के लिए 7,057.89 करोड़ रुपये जारी किए गए हैं।
अन्य राज्यों में उत्तर प्रदेश को 31,039.84 करोड़ रुपये, महाराष्ट्र को 10,930.31 करोड़ रुपये, गुजरात को 6,017.99 करोड़ रुपये, मध्य प्रदेश को 13,582.86 करोड़ रुपये, मणिपुर को 1,238.9 करोड़ रुपये और मेघालय को 1,327.13 करोड़ रुपये दिए गए हैं।
कर हस्तांतरण केंद्र सरकार द्वारा एकत्र किए गए करों की शुद्ध आय को राज्यों को वितरित करने की प्रक्रिया है।
केंद्र सरकार वित्त आयोग की सिफारिशों के आधार पर नियमित किस्तों में राज्यों को कर वितरित करती है।
वित्त आयोग कॉरपोरेट कर, आयकर और केंद्रीय जीएसटी सहित सभी करों की कुल शुद्ध आय में राज्यों के हिस्से की सिफारिश करता है।
15वें वित्त आयोग ने सिफारिश की थी कि केंद्र सरकार के विभाज्य कर पूल का 41 प्रतिशत 2021-26 की अवधि के लिए राज्यों को आवंटित किया जाए। इसे वर्टिकल हस्तांतरण के रूप में जाना जाता है।
इसने राज्यों के बीच धन वितरित करने के लिए मानदंड की भी सिफारिश की थी, जिसे हॉरिजॉन्टल हस्तांतरण के रूप में जाना जाता है।
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