राष्ट्रीय समाचार
मेडिकल क्लेम के भुगतान में शारीरिक और मानसिक बीमारी के नाम पर भेदभाव नहीं करें : झारखंड हाईकोर्ट
रांची, 11 फरवरी। झारखंड हाईकोर्ट ने अपने एक महत्वपूर्ण फैसले में कहा है कि मानसिक बीमारी के इलाज में होने वाले खर्च को मेडिकल क्लेम के दायरे से बाहर नहीं किया जा सकता। कोई भी कंपनी अपने मौजूदा या सेवानिवृत्त कर्मियों को मेडिकल क्लेम के भुगतान में शारीरिक और मानसिक बीमारी के नाम पर भेदभाव नहीं कर सकती।
यह फैसला जस्टिस आनंद सेन की बेंच ने झारखंड स्थित कोल इंडिया की सहयोगी कंपनी बीसीसीएल (भारत कोकिंग कोल लिमिटेड) के एक रिटायर एग्जीक्यूटिव की याचिका पर सुनवाई के बाद सुनाया। अदालत ने बीसीसीएल को आदेश दिया कि वह याचिकाकर्ता की पत्नी के मानसिक स्वास्थ्य उपचार पर किए गए खर्च का भुगतान करे।
बीसीसीएल ने कोल इंडिया और उसकी सहयोगी कंपनियों में लागू “कंट्रीब्यूटरी पोस्ट रिटायरमेंट मेडिकेयर स्कीम फॉर एक्जीक्यूटिव्स ऑफ सीआईएल एंड इट्स सब्सिडियरीज” के प्रावधान का हवाला देते हुए मानसिक बीमारी के इलाज में किए गए खर्च का भुगतान करने से इनकार कर दिया था।
अदालत ने मामले की सुनवाई के बाद अपने फैसले में कहा कि मानसिक स्वास्थ्य देखभाल अधिनियम, 2017 की धारा 21 यह स्पष्ट करती है कि मानसिक और शारीरिक बीमारियों के इलाज में भेदभाव नहीं किया जा सकता। कोर्ट ने अधिनियम का हवाला देते हुए कहा है कि प्रत्येक बीमाकर्ता को मानसिक रोगों के उपचार के लिए उसी तरह की स्वास्थ्य बीमा सुविधा प्रदान करनी होगी, जैसे कि शारीरिक बीमारियों के लिए की जाती है।
कोर्ट ने कहा, “भारत सरकार के अधिनियम के अनुसार, किसी भी स्वास्थ्य बीमा पॉलिसी में मानसिक रोगों के उपचार को बाहर करने के लिए प्रावधान नहीं हो सकता।” कोर्ट ने पाया कि कोल इंडिया और इसकी सहयोगी कंपनियों में मेडिकल बीमा की जो योजना लागू है, उसमें मानसिक रोगों के उपचार के खर्च के भुगतान का प्रावधान नहीं है। लेकिन, यह प्रावधान मानसिक स्वास्थ्य देखभाल अधिनियम के विभिन्न प्रावधानों के सीधे विरोध में है।
कोर्ट ने कहा, “कोल इंडिया लिमिटेड और उसकी सहायक कंपनियां संविधान के अनुच्छेद 12 के तहत ‘राज्य’ की परिभाषा में आती हैं। उनकी कोई भी नीति या संकल्प संसद द्वारा पारित किसी भी कानून के खिलाफ नहीं हो सकती। यदि कोई संकल्प या उसका कोई भाग किसी संसदीय कानून के विपरीत है, तो वह भाग अमान्य माना जाएगा।”
राजनीति
चालू वित्त वर्ष की दूसरी छमाही में रुपया कर सकता है दमदार वापसी : एसबीआई रिपोर्ट

नई दिल्ली, 17 दिसंबर: चालू वित्त वर्ष की दूसरी छमाही में रुपया दमदार वापसी कर सकता है और डॉलर के मुकाबले इसकी वैल्यू में इजाफा देखने को मिल सकता है। यह जानकारी एसबीआई रिसर्च की ओर से बुधवार को जारी एक रिपोर्ट में दी गई।
एसबीआई रिसर्च ने कहा कि वैश्विक अस्थिरता और भारत-अमेरिका के बीच ट्रेड डील में देरी के कारण डॉलर के मुकाबले रुपए में गिरावट देखने को मिली है।
रिपोर्ट में बताया गया कि भारत के व्यापार आंकड़ों से पता चलता है कि उसने लंबे समय तक चलने वाली अनिश्चितता, अधिक संरक्षणवाद और श्रम आपूर्ति में आए झटकों से निपटने में काफी मजबूती दिखाई है।
स्टेट बैंक ऑफ इंडिया के समूह मुख्य आर्थिक सलाहकार डॉ.सौम्या कांती घोष ने कहा, “जियोपोलिटिकल रिस्क इंडेक्स अप्रैल 2025 से कम हुआ है और अप्रैल-अक्टूबर 2025 अवधि के लिए इंडेक्स की मौजूदा औसत वैल्यू अपने दशकीय स्तर से ऊपर है। यह इंडेक्स दिखाता है कि वैश्विक अनिश्चितताएं भारतीय रुपए पर कितना दबाव डाल रही हैं।”
घोष ने आगे कहा कि रुपया अभी अपने गिरावट के दौर में है और जल्द यह इससे बाहर निकलेगा।
डॉलर के मुकाबले रुपए में गिरावट का सिलसिला देखा जा रहा है। रुपया अपने मनोवैज्ञानिक स्तर 90 को पार कर चुका है और 91 के स्तर पर पहुंच गया है।
हालांकि, गुरुवार को डॉलर के मुकाबले रुपए में मजबूत वृद्धि देखने को मिली है। यह 90.25 पर पहुंच गया है।
एसबीआई की रिपोर्ट के अनुसार, रुपए में मौजूदा गिरावट (दिनों की संख्या के हिसाब से) सबसे तेज है। एक साल से भी कम समय में, रुपया प्रति डॉलर 85 से गिरकर 90 पर आ गया है।
2 अप्रैल, 2025 को अमेरिका द्वारा दुनिया की बड़ी अर्थव्यवस्थाओं पर व्यापक शुल्क वृद्धि की घोषणा के बाद से भारतीय रुपया अमेरिकी डॉलर के मुकाबले 5.7 प्रतिशत (प्रमुख अर्थव्यवस्थाओं में सबसे अधिक) गिर गया है।
हालांकि, अमेरिका-भारत व्यापार समझौते को लेकर आशावाद के कारण बीच-बीच में इसमें तेजी भी देखने को मिली है।
राजनीति
नेशनल हेराल्ड मामला बदले की भावना से प्रेरित, सत्य की हुई जीत: मल्लिकार्जुन खड़गे

नई दिल्ली, 17 दिसंबर: कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने नेशनल हेराल्ड केस में आए ताजा फैसले के बाद एक प्रेस कॉन्फ्रेंस कर भाजपा और केंद्र सरकार पर जुबानी हमला किया। उन्होंने कहा कि नेशनल हेराल्ड का मामला पूरी तरह से फर्जी और राजनीतिक द्वेष की भावना से प्रेरित था। खड़गे ने दावा किया कि कांग्रेस नेतृत्व को बदनाम और परेशान करने के उद्देश्य से इस मामले को उछाला गया था।
कांग्रेस अध्यक्ष खड़गे ने कहा कि नेशनल हेराल्ड अखबार की स्थापना वर्ष 1938 में स्वतंत्रता सेनानियों द्वारा की गई थी और आजादी की लड़ाई में इसका ऐतिहासिक योगदान रहा है। इसके बावजूद भाजपा सरकार ने इस प्रतिष्ठित अखबार को मनी लॉन्ड्रिंग जैसे गंभीर आरोपों से जोड़कर बदनाम करने की कोशिश की। उन्होंने कहा कि इस पूरे मामले में कोई सच्चाई नहीं है, लेकिन इसके बावजूद भाजपा ने इसे राजनीतिक हथियार बनाकर कांग्रेस नेताओं को परेशान किया।
खड़गे ने आरोप लगाया कि मोदी सरकार अपने राजनीतिक फायदे के लिए लगातार विपक्षी नेताओं पर ईडी जैसी जांच एजेंसियों के जरिए केस दर्ज करवा रही है। भाजपा ने डर और दबाव की राजनीति के जरिए लोगों को अपने पक्ष में किया और इसी आधार पर सरकारें बनाईं। उन्होंने कहा कि यह लोकतंत्र के लिए बेहद खतरनाक प्रवृत्ति है। इस मामले में अदालत के फैसले ने भाजपा की राजनीति को बेनकाब कर दिया है। अब फैसला न्याय के पक्ष में आया है, सत्य की जीत हुई है। हम इस फैसले का दिल से स्वागत करते हैं।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृह मंत्री अमित शाह को घेरते हुए खड़गे ने कहा कि नेशनल हेराल्ड केस में फैसला आने के बाद अब प्रधानमंत्री मोदी और गृह मंत्री शाह को इस्तीफा देना चाहिए। उन्हें एक राजीनामा देना चाहिए कि भविष्य में वे लोगों को सताने का काम नहीं करेंगे।
वहीं, कांग्रेस महासचिव केसी वेणुगोपाल ने कहा कि हम देश की सड़कों पर इस पॉलिटिकल बदले की कार्रवाई का पर्दाफाश करेंगे। पिछले सात सालों से कांग्रेस पार्टी को ईडी से लगातार परेशान किया जा रहा है। बदले की पॉलिटिक्स के जरिए हमारी सीनियर लीडरशिप को टारगेट किया जा रहा है और इससे हर कार्यकर्ता परेशान है। हम पूरे भारत में अपनी ताकत दिखाएंगे ताकि यह दिखा सकें कि कैसे केंद्र सरकार विपक्षी नेताओं को टारगेट करने के लिए ईडी का सिस्टमैटिक तरीके से गलत इस्तेमाल कर रही है।
आपको बताते चलें, नेशनल हेराल्ड मामले में कोर्ट ने मंगलवार को प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) की ओर से दायर आरोपपत्र पर संज्ञान लेने से इनकार कर दिया था। कांग्रेस ने कोर्ट के इस फैसले को सच्चाई की जीत बताया है।
अपराध
महाराष्ट्र: बारामती की एक महिला को नौकरी का लालच देकर बीड में तीन पुरुषों ने बलात्कार किया

CRIME
बीड (महाराष्ट्र): पुलिस ने बताया कि पुणे जिले के बारामती की एक महिला को नौकरी दिलाने का लालच देकर महाराष्ट्र के बीड जिले में तीन पुरुषों ने कथित तौर पर बलात्कार किया।
उन्होंने बताया कि कथित घटना छह महीने पहले हुई थी और इस संबंध में कुछ दिन पहले एक महिला सहित चार लोगों के खिलाफ मामला दर्ज किया गया था।
आरोपी महिला ने बीड जिले के अंबाजोगाई स्थित एक कला केंद्र में नौकरी दिलाने के बहाने पीड़िता को बहला-फुसलाकर अपने जाल में फंसाया।
हालांकि, पीड़िता के यहां पहुंचने के बाद, महिला और दो अन्य व्यक्तियों ने उस पर हमला किया और उसे जबरन कस्बे के एक लॉज में ले गए, जहां कथित तौर पर तीन पुरुषों ने उसके साथ बलात्कार किया, अंबाजोगाई पुलिस स्टेशन के एक अधिकारी ने पीड़िता की शिकायत का हवाला देते हुए कहा।
उन्होंने यह भी कहा कि उसे वेश्यावृत्ति में धकेलने के भी प्रयास किए गए थे।
पीड़िता हाल ही में अपनी मां से संपर्क करने में कामयाब रही, जो तुरंत अंबाजोगाई पहुंची, अपनी बेटी को बचाया और उसे वापस बारामती ले आई।
अधिकारी ने बताया कि इसके बाद बारामती पुलिस स्टेशन में मामला दर्ज किया गया और आगे की जांच के लिए मंगलवार को इसे अंबाजोगाई ग्रामीण पुलिस स्टेशन में स्थानांतरित कर दिया गया।
पुलिस ने आगे बताया कि मामले की आगे की जांच जारी है।
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